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Anant Dhish Aman

Anant Dhish Aman Matrubharti Verified

@anantdhishamangmailc
(34)

हम उस खंडहर के हिस्से है,
जिसका कण कण ज्ञान में रमा है
हम उस इतिहास के किस्से है
जिसकी अखंडता में सारा विश्व समाया है।

हम उस पूण्य भूमि के बच्चे है
जहाँ पूर्वजों के प्रति समर्पण का भाव समा है,
आराजकता भ्रष्टाचार का समूल नाश करने वाले
हम चाणक्य हम चन्द्रगुप्त के हिस्से है।


- Anant Dhish Aman

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मेरे रास्ते सुनसान है
तन्हाई के आलम भी आलीशान है,
मैं डिगा नहीं और मुझे कोई डिगा सका नहीं
आशाओं से परिपूर्ण मेरा आसमान है
उसी से जगमग
मेरे जीवन का एक अलग हीं पहचान है।

- Anant Dhish Aman

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कब्ड्डी...
भारत मूल का है
कब्ड्डी खेल,
आओं मिलकर साथ खेल।
चुनौतियों और संघर्षों का
शारारिक फुर्ती के दक्षता का,
यह है अद्भुत खेल
आओं मिलकर साथ खेल।
एक सांस की गाथा है,
प्रतिस्पर्धा में फिर कहाँ कोई बाधा है।
माटी से सना तन
माटी में रमा मन,
हारने वाले में माटी की खुशबू
जीतने वाले में भी माटी की हीं खुशबू।
माटी का है यह अद्भुत खेल
आओं मिलकर साथ खेल।
- Anant Dhish Aman

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रिश्ते खंडहरों से
बनाए रखना, आसान कहाँ है
ढहती हुई संवेदनाओं से
आत्मस्पंदन की उम्मीद बनाए रखना,
आसान कहाँ है।

इतिहास से भविष्य का
हिसाब ढोए रखना आसान कहाँ है
वर्तमान की स्वाभाविक स्थिति से
साक्षात्कार करना, आसान कहाँ है।

अनंत धीश अमन

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तुम शक्ति बन हीं हर वक्त आती हो,
शव को शिव बनाती हो ।

बादलों की क्या विसात,
जो रोके सूरज के प्रकाश को।

- Anant Dhish Aman

हीरा हाथ लगने के पहले,
कोयला से हाथ काला हो हीं जाता है।
- Anant Dhish Aman

शंखनाद कर दो
बदलाव के बयार का
तैयार रहो
इतिहास को समेटने को
उमंग रखो
भविष्य को मुट्ठी में करने को
यही संघर्ष की गाथा है
जिसका हिस्सा सर्वदा आधा-आधा है।

- Anant Dhish Aman

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सबकुछ कह भी दूँ,
तो भी बहुत कुछ छूट हीं जाता है
अपना हो या कोई पराया
वो बिछुङ हीं जाता है।

- Anant Dhish Aman

"दिव्य काशी भव्य काशी"

(1)
काशी
आ रहा हूँ मैं
तेरे घाटों पे सजने
तेरे राखों में रमने
तेरे लहरों में उफनने
तेरी लाली रंग में रंगने
आ हीं रहा हूँ मैं ।।

और
हाँ मैं थोड़ा
संदेशा भी ले का आ रहा हूँ
विष्णु चरण की धूल
माँ मंगला की फूल
फल्गू की पावन रेत
बुद्ध का ज्ञान
पितरों का स्वाभिमान ।।

हाँ काशी मैं आ रहा हूँ
विश्व के नाथ
विश्वनाथ से मिलने आ हीं रहा हूँ ।।

(2)
भव्य काशी दिव्य काशी
कण-कण काशी मन-मन काशी
सुबह की किरणें काशी
संध्या की वंदना काशी।

धरा काशी आकाश काशी
सात सूर की वसुंधरा काशी
ज्ञान काशी ध्यान काशी
अध्यात्म की अविरल धारा काशी।

ओघङ काशी शमशान काशी
जीवन मरण की सत्यता काशी
आदिकाल से सजती संवरती अपनी काशी
सत्यम शिवम सुन्दरम् की अनुपम भेंट काशी।

(3)

रात में घाट
सुबह का सूर्योदय
बनारस तू ह्रदय में हुआ उदय,
कबीर का तू वाणी
पावन मन का तू बहता पानी
हाँ बनारस तू
फकीरा ह्रदय का कहानी ।।

रोम रोम संत हो गया
ह्रदय में बसा
काशी साक्षात हो गया
कण कण को अभिनंदन
मन मन को वंदन
माटी हीं तेरा चंदन ।।

सत्य है, जलता माया
शिव है, पाना काया
सुन्दर है, जानना छाया
हाँ बनारस तू
सत्यम शिवम सुंदरम
का अविरल अचल धारा ।।

अंत तेरा शाम देखता
अनंत तेरा सवेरा देखता
हाँ बनारस तुझको "गया" देखता है ।।

(4)
काशी काशी सब करे
काशी का कोई हो न पाए

काशी मन जब हो जाए
अहंकार क्लेश मिट जाए ।

काशी पर कोतवाल खङा है
कालभैरव रुप लिए अङा है ।

"कालकाल मंबुजा क्षमक्ष शूलमक्षरं
काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे"

भय-मोह नाशकारी है भैरव स्वंय त्रिपुरारी है
काम-क्रोध नाशकारी है भैरव स्वंय प्रलयंकारी है
लोभ-क्षोभ नाशकारी है भैरव स्वंय विषधारी है
पाप-ताप नाशकारी है भैरव स्वंय भस्मधारी है ।।

मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।

काशी काशी सब करे
काशी का कोई हो न पाए ।

काशी मन जब हो जाए
अनाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ से मिल जाए ।।

#अनंत
Music of Durgesh

काशी की यात्रा सनातान पद्धति के अनुसार बेहद हीं महत्वपूर्ण है और आप आध्यात्मिक अनुसंधान हेतु यात्रा करते है तो आपकी यात्रा की महत्ता और भी बढ जाती है और एक नए दृष्टिकोण के साथ आप वापस आते है और ज्यादातर संभावना यह बनती है की आप लौटे हीं न क्योंकि आप काशी के हीं हो के रह जाएंगें और वापस आ भी गाए तो आपका मन काशी में हीं सदैव भ्रमण करता रहेगा पुरातन काशी नवीनता को सदैव अंगीकार करता रहेगा शिव सा यह भी सत्य है और सुंदर है।

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