Quotes by AKANKSHA SRIVASTAVA in Bitesapp read free

AKANKSHA SRIVASTAVA

AKANKSHA SRIVASTAVA Matrubharti Verified

@akankshasrivastava3617
(38.4k)

90s का वो सुनहरा वक्त… जब शाम होते ही घर की छत पर चाय की खुशबू फैल जाती थी।
टीवी का एंटीना तिरछा हुआ रहता—
और पापा नीचे से आवाज़ लगाते,
“अरे ज़रा और घुमा… दूरदर्शन की लाइन नहीं आ रही!”

हम बच्चे छत की रेलिंग के पास खड़े,
एक हाथ में पल्लू पकड़कर झूला बनाते,
और दूसरे हाथ से हवा को चीरते हुए
सपनों की उड़ानें भरते।

दिन कितने सरल थे…
ना मोबाइल, ना सोशल मीडिया,
बस पड़ोस की आवाज़,
गली में खेलते बच्चों की हँसी
और माँ की पुकार—
“आओ खाना ठंडा हो जाएगा!”

रात को छत पर लेटकर
तारों को गिनने वाली आदत भी क्या खूब थी।
एक-एक तारा,
एक-एक कहानी,
और हमारी बचपन की धड़कनें
धीरे-धीरे हवा में खो जातीं।

आज बैठकर याद करते हैं तो लगता है—
कहाँ गए वो दिन?
वो मासूमियत…
वो धीमी-सी ज़िंदगी…
वो पल जो कभी बेमानी लगे,
आज सबसे क़ीमती खजाना बन गए।

काश…
समय पलट सके,
और हम फिर से वही छत, वही एंटीना,
और वही मासूम झूलों में
अपना बचपन ढूँढ सकें।

Read More

कुछ तों थोड़ा लेवल हाई रखो
दहेज मांगना तुम्हारी आदत में हैं
तों कम से कम अपने बेटे कि क़ीमत
तों डिफरेंट रखो,
क्या वहीं घिसा पीटा पुराना अंदाज लिए
दहेज कि सेम लिस्ट बनाए फिर रहें हों अरे इतना पढ़ाया लिखाया
गुरुर सिखाया तुमने अपने औलाद को
तो उस पर ये लाख कि बोलिया
शोभा थोड़ी हीं ना देती है यार
कुछ तो लेवल अपना हाई रखो
मांगने का इतना ही शौख है
तो एयर इंडिया कि इंडिगो मांगो
टाइटेनिक जहाज मांगो
कम से कम लगे कि सोच बड़ी है,
वरना छोटी सोच तो
गली के नाली में भी मिल जाती है।

Read More

मैं चुलबुली सी लड़की,
तुम शांत समझदार प्रिये,
मैं हंसी की खनक हूँ,
तुम सुकून की पुकार प्रिये।

मैं तितली बन उड़ती फिरूँ,
तुम ठंडी छाँव का पेड़ हो,
मैं बेताबियों की लहर हूँ,
तुम ठहरे सागर का भेद हो।

दो धड़कनों की अलग ज़ुबान,
पर सुर वही एक सा,
मैं अधूरी तुम बिन,
तुम बिन मैं क्या, प्रिये?

Read More

364 दिन मैं करूँ लड़ाई,
पति जी बस मोबाइल दबाएँ,
सोफे पर पसरें महाराज बनकर,
और मुझे ही गुस्से में ताने सुनाएँ।

1 दिन मैं करूँ तीज,
सजूँ-धजूँ, मेहँदी रचाऊँ,
पति देव आएँ मुस्कुराते हुए —
"वाह! नई दुल्हन लग रही हो" सुनाऊँ।

रहे उम्र तेरी लंबी,
ताकि रोज़-रोज़ आदेश दूँ सुने,
“चाय बना दो, बटन टाँक दो,
मेरी क़मीज़ प्रेस कर दो” गुनगुनाएँ।

तभी तो जीए ज़िंदगी,
वरना घर में सन्नाटा छा जाए,
क्योंकि पति देव बिना ताने के,
जैसे क्रिकेट बिना टेस्ट मैच रह जाए।

Read More

छोटी छोटी बातों पर
कसमे खाने वाली वो
और हर कसम को पूरा
करने वाला मैं
आज भी यही सोचता हूँ
कि अगर
उसके कसम तोड़ देता
तों क्या उसे कुछ होता?
या यू ही कसम के बहाने
जिद्द पूरी कर दी खुदा नें!

Read More

जिद्द लोगो से नहीं
जिंदगी से करें
अपना पन किसी ओर से नहीं
खुद से करें
भरोसा, प्यार, विश्वास, लगाव
जिंदगी से करें
ना जाने कब बिछड़ जाए!

Read More

अर्ज़ किया है,

ग़ज़ब का तूने रुलाया ऐ ज़िंदगी,
मलाल तनिक भी ना है।

उसने हँसकर कहा—
मैं ज़िंदगी हूँ पगली,
रुलाया नहीं, सबक सिखाया है।

अभी तो तमाम स्टेप से
तुझे तोड़ कर जोड़ा है मैंने,
हर चोट में छुपा
तेरा ही नया चेहरा गढ़ा है मैंने।

मत समझ कि तू हार गई,
मत सोच कि तू थक गई—
ये आँसू ही तो हैं
जो तुझमें हिम्मत बनकर ढल गए।

मैं तुझे गिराती भी हूँ,
मैं तुझे उठाती भी हूँ,
तोड़कर ही निखारती हूँ,
तुझें खामोशी में सिखाती भी हूँ।

याद रख…
मैं रुलाती हूँ, मगर साथ ही
तेरी रगों में उम्मीद भी भर जाती हूँ।

Read More

प्रेम में विरह ना हों
तो प्रेम अधूरा है!

मुस्कुराती आँखों में चमक है प्यार की,
छोटी हथेलियों में दुनिया का सार है।
एक संगिनी, एक परछाई,
जैसे धड़कन के साथ दिल की तार है।

टूटू खींचती दुपट्टा हौले से,
जैसे कह रही हो — "मैं भी तुम्हारी तरह बनूँगी।"
और मैंँ हँसकर देखती है उसे,
मानो कह रही हो — "तू मेरी सबसे खूबसूरत धुन होगी।"

घास पर बिखरी है हँसी,
हवा में घुला है अपनापन,
इस रिश्ते का हर रंग,
दुनिया की सबसे अनमोल दास्तान है।

Read More