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Abha Dave

Abha Dave Matrubharti Verified

@abhadave
(29)

चित्र पर आधारित कविता
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माखनचोर और बंदर
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माखनचोर को निहारे बंदर
क्या है माखनचोर के अंदर
लुटा रहे हैं हम पर माखन
मानो खिला रहे हैं लंगर।


यशोदा माँ दरवाजे से निहारे
बंदर सेना आई है मेरे द्वारे
मेरा लाडला प्यार से खिला रहा
बंदर भी हैं माखनचोर के प्यारे।


माखन से भरी हुई हैं मटकी
बंदरों की निगाहें उस पर अटकी
कन्हैया के हाथों से पाकर माखन
हर्षित मन से फिर लगाए टकटकी।


आभा दवे ©
मुंबई

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हमारे जीवन को बचाने और स्वस्थ रखने में डॉक्टरों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज 'डॉक्टर्स डे' है जो हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। 'डॉक्टर्स डे' के लिए 1 जुलाई की तारीख का संबंध भारत के प्रसिद्ध डॉक्टर और बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय से है।

डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को पटना में हुआ था। डॉक्टर के साथ-साथ वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे । उन्हें आधुनिक पश्चिम बंगाल का निर्माता माना जाता है। मानवता की सेवा के लिए डॉक्टर रॉय ने अभूतपूर्व योगदान दिया । उनके इस योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने उनके जन्मदिन यानी 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर डे यानी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत की।

डॉक्टर्स डे पर हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए प्रस्तुत है कुछ पंक्तियाँ डॉक्टरों के नाम 💐💐🙏
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डॉक्टर
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जन्म से मरण तक का रिश्ता निभाते हैं डॉक्टर
अपने मरीजों के संग अपनापन जताते हैं डॉक्टर।

इनकी जिंदगियों में भी उलझनें कुछ कम नहीं हैं
अपना दर्द भूल कर मरीजों का दर्द सहलाते हैं डॉक्टर।

अपमान का घूँट पीते हैं कभी ,कभी खुलकर जीते हैं
कुछ मुट्ठी भर साथियों की वजह से सब सह जाते हैं डॉक्टर।

आशाओं की किरण बनकर मरीजों के दिल में धड़कते हैं
हर गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं डॉक्टर।

दिन -रात सेवा करते रहते हैं अपने मरीजों की
अपने परिवारों को भूल रोगियों को जीवन दान देते हैं डॉक्टर।

इस धरती पर मसीहा बनकर आए हैं सब के लिए
रोगियों को दिलासा दे उनकी इच्छा शक्ति को बढ़ाते हैं डॉक्टर।

परिवारों में बाँटते हैं सभी के लिए खुशियाँ ही खुशियाँ
अपनी कामयाबियों को खुशियों के आँसू से छुपाते हैं डॉक्टर।

आप की सेवा पर हम सभी को अभिमान है करते सम्मान हैं
बने रहें सभी के मसीहा हम सब दुआएँ करते हैं डॉक्टर।

डॉक्टर - मरीजों का एक दूसरे पर विश्वास बना रहे सदा
सब की ही जिंदगियों में खुशियाँ आप भरते हैं डॉक्टर।

अनको शुभकामनाएँ हैं हमारी आप सभी के लिए
हम सभी आप लोगों के लिए प्यार, स्नेह जताते हैं डॉक्टर।

आभा दवे©
मुंबई

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હાઇકુ
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1)દરિયા મોજા
આનંદ અનુભૂતિ
પ્રભુ ની જ્યોતિ .

2) સૂર્ય - લાલિમા
દૂર થઈ કાલિમા
પ્રભાત સાથે.

3) અગ્નિ પરીક્ષા
સુખ ની થાય રક્ષા
જીવન માટે.

4) પ્રભુ ની દષ્ટિ
સમાઈ ગઈ સૃષ્ટિ
તેજ અપાર.

5)પવન સાથે
વરસાદ નો આનંદ
માટી નો ગંધ.

6) કાળા વાદળ
વર્ષા રિતુ સંદેશ
પ્રભુ આદેશ.

7) જ્ઞાન પ્રગટે
અજ્ઞાન દૂર થાય
સુખ ફેલાય.


આભા દવે
મુંબઈ

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https://youtu.be/EahGBXR3sGc?si=Pq1i87ISyErHSgso
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏

सीता नवमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐💐💐

वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता जी का प्राकट्य पर्व मना जाता है। इसलिए इस दिन को सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। सीता जी को माँ लक्ष्मी जी का अवतार माना जाता है।भूमि से उत्पन्न होने के कारण उन्हें भूमात्मजा और राजा जनक की पुत्री होने से उन्हें जानकी भी कहा जाता है। सीता जी के जन्म से जुड़े कई प्रसंग हैं। कहा जाता है कि एक बार मिथिला में भयंकर अकाल पड़ा। ऋषि-मुनियों ने अपनी राय दी कि यदि राजा जनक स्वयं हल चलाकर भूमि जोते तो देवराज इंद्र प्रसन्न होकर ये अकाल दूर कर सकतें हैं। राजा जनक ज्ञानी और पुण्यात्मा माने जाते थे। उन्होंने प्रजा के हित में खुद हल चलाने का निर्णंय लिया। हल चलाते-चलाते एक जगह हल फँस गया, राजा जनक ने देखा कि एक स्वर्ण कलश में हल की नोक अटकी हुई है। जब कलश को बाहर निकाला गया तो उसमें एक सुन्दर नवजात कन्या थी। धरती माँ का आशीर्वाद समझ कर राजा जनक ने इस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। हल की नोक को सीत कहा जाता है इसलिए राजा जनक ने इस कन्या का नाम सीता रखा।

आज सीता नवमी है। सीता जी को सादर नमन करते हुए प्रस्तुत है मेरी एक रचना 🙏🙏

सीता
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मैं सीता न्यारी, जनक की राजदुलारी
नहीं थी कोई भी मेरी लाचारी
पृथ्वी पुत्री बन कर आई थी धरा पर
मैं ही करती हूँ शेर पर सवारी ।

विधि का विधान था जन्म लेना मेरा महान था
प्रेम, धैर्य, त्याग और तपस्या का देना बलिदान था
नारी बिना पुरुष, पुरुष बिना नारी अधूरे संसार में
अच्छे बुरे - कर्मों का देना मुझे संसार को ज्ञान था।

राम और रावण दोनों को ये सब अंतर्ज्ञान था
ऋषि- मुनियों को भी इस माया का संज्ञान था
धरा -पुत्री अपने महान कर्मों को कर धरा में समा गई
देवी- देवताओं को सदैव ही सीता पर अभिमान था।

आभा दवे
मुंबई

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