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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (1) ‘‘तुम्हें कैसे पता ‘‘ ? ‘‘ क्या ‘‘ ? ‘‘ कि वह मर गए हैं ‘‘ ? अभी सर्दियाँ शुरु हुयी थीं पर ठंड बहुत थी। बूढ़ी हडिड्‌यों...

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जीने के लिए By Rama Sharma Manavi

प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे थे।सामाजिक रूप से कल रात्रि आरती के पति विक्रम जी का देहावसान हो गया था...

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घर की मुर्गी By AKANKSHA SRIVASTAVA

अक्सर ससुराल में नई बहू के आते ही उसे जिम्मेदारी के नाम पर अकेले ही हजारों कामो के लिए सौप दिया जाता हैं। बिना यह सोचें कि वह अभी इस घर मे नयी है। हर लड़की को मायके की आजादी से निकल...

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औरतें रोती नहीं By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन एक जिंदगी और तीन औरतें मैं हूं उज्ज्वला: जनवरी, 2006 1 मामूली औरतें जिंदगी... कल तक अगर मुझसे बयां करने को कहा जाता, तो कहती- ऊंची-ऊंची राहों पर चलकर...

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फैसला By Sunita Agarwal

आज अनन्या की फुफेरी बहिन शालिनी की शादी है।दुल्हन की पोशाक में सजी सँवरी शालिनी बेहद खूबसूरत लग रही है।अनन्या भी दौड़ दौड़कर घर के काम काज में अपनी बुआ का हाथ बंटा रही है।तभी बैंड बा...

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नूरीन By Pradeep Shrivastava

नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी...

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रिश्ते.. By Sunita Agarwal

आभा आज बहुत उदास थी।उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था ।उसका दिल चाह रहा था कि वह फूट फूट कर रोये।उसने दुनिया से क्या चाहा था सिर्फ प्यार और सम्मान लेकिन उसे मिला क्या सिवाय अपमान...

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आघात By Dr kavita Tyagi

आघात उपन्यास पुरुष प्रधन मध्यवर्गीय समाज में स्त्री की स्थिति का यथार्थ चित्रा प्रस्तुत करने का एक प्रयास है, जहाँ प्रत्येक स्तर पर स्त्राी टूट जाने के लिए या सामंजस्य करने के लिए...

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कृष्णा By Saroj Prajapati

"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो इतनी देर से लगी...

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कल्युग की पांचाली By Uday Veer

ऊषा चंदनपुर गांव की रहने वाली लड़की है, वो खूबसूरत और सुशील भी है| एक बार उसके गांव में अकाल पड़ जाता है, लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं होता है, खाने के लाले पड़े होते हैं, कहीं...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (1) ‘‘तुम्हें कैसे पता ‘‘ ? ‘‘ क्या ‘‘ ? ‘‘ कि वह मर गए हैं ‘‘ ? अभी सर्दियाँ शुरु हुयी थीं पर ठंड बहुत थी। बूढ़ी हडिड्‌यों...

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प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे थे।सामाजिक रूप से कल रात्रि आरती के पति विक्रम जी का देहावसान हो गया था...

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घर की मुर्गी By AKANKSHA SRIVASTAVA

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औरतें रोती नहीं By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन एक जिंदगी और तीन औरतें मैं हूं उज्ज्वला: जनवरी, 2006 1 मामूली औरतें जिंदगी... कल तक अगर मुझसे बयां करने को कहा जाता, तो कहती- ऊंची-ऊंची राहों पर चलकर...

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फैसला By Sunita Agarwal

आज अनन्या की फुफेरी बहिन शालिनी की शादी है।दुल्हन की पोशाक में सजी सँवरी शालिनी बेहद खूबसूरत लग रही है।अनन्या भी दौड़ दौड़कर घर के काम काज में अपनी बुआ का हाथ बंटा रही है।तभी बैंड बा...

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नूरीन By Pradeep Shrivastava

नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी...

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रिश्ते.. By Sunita Agarwal

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कल्युग की पांचाली By Uday Veer

ऊषा चंदनपुर गांव की रहने वाली लड़की है, वो खूबसूरत और सुशील भी है| एक बार उसके गांव में अकाल पड़ जाता है, लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं होता है, खाने के लाले पड़े होते हैं, कहीं...

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