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  • तेरा...होने लगा हूं - 14

    देशमुख निवास रात का वक्त मोक्ष  काया के   कांप ते होठों को ही देख रहा था। और उसी...

  • कहानी एक परी की...

    कुछ दोस्त कम वक्त के लिए मिलकर भी खास बन जाते है और जिंदगी में एक प्यारी सी याद...

  • स्वयंवधू - 35

    धोखा सुहासिनी उसे लिविंग रूम से निकालकर गलियारे में ले जाने ही वाली थी, तभी पुलि...

  • शोहरत का घमंड - 115

    आर्यन की आँखें गुस्से से लाल होती है और वो बहुत ही गुस्से में होता है और अरुण का...

  • बन्धन प्यार का - 35

    "नरेश"आवाज सुनकर नरेश ने देखा था "अरे आकाश तू?"कॉलेज के साथी को देखकर नरेश खुश ह...

  • गुज़ार लूँ कुछ पल

    कुछ पल युही गुज़ार  लूं तेरे संग फिर पता नहीं तुम रहो या ना रहो जिंदगी से बहुत कु...

  • रहस्यमय कहानी

    भूतिया हवेली का रहस्यगाँव के पास एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग "अंधेरी हवेली" कहत...

  • किसी और के पास रहेंगे

    गाँव के किनारे एक छोटा सा घर था, जहाँ आर्यन और रिया रहते थे। दोनों बचपन से ही अच...

  • एक सफल युवा नेता की कहानी

    Md Sakib Raza का जीवन एक प्रेरणा की कहानी है। उनका जन्म 11 नवंबर 2004 को पूर्णिय...

  • एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 1

    1बेवफ़ा आज शनिवार  की शाम दिल्ली के  कनॉट प्लेस की सड़कों  पर जहाँ  ट्रैफिक  जाम...

ब्रुन्धा-एक रुदाली By Saroj Verma

इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके लिए रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर प...

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मेरा भाई By Naaz Zehra

मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर...

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गुलाबो By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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मुझे न्याय चाहिए By Pallavi Saxena

शारीरिक विकलांगता किसी का मुंह नहीं देखती ना ही किसी में कोई लिंग भेद ही करती है. यहाँ मैं विकलांगता शब्द का प्रयोग कर रही हूँ जो देखने, पढ़ने, सुनने, आदि में कठोर शब्द है बहुत से ल...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर By DrAnamika

दुनिया के इस आपाधापी में राधिका अपने आप को धकेलते हुए आगे बढती जा रही थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि किसी भी तरह उसे अपने आप को संभालते हुए आगे बढना है आत्मनिर्भर बनना है।, और अगर ऐस...

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अन्धायुग और नारी By Saroj Verma

प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है ,हमारे पौराणिक ग्रन्थों में नारी को पूज्यनीय एवं देवीतुल्य माना गया है , हमारी धारणा रही है कि देव शक्तियाँ वहीं पर निवा...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया By Pooja Singh

"हैलो !इशिता"
"हाय!पायल "
"तेरी फाइटींग की ट्रेनिंग पूरी हो गयी"
"हां!"
"अब क्या करगी "
"मैं सोशल वर्क करूंगी मां की यही इच्छा थी&#...

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एक थी नचनिया By Saroj Verma

सन् ८० का दशक,बुन्देलखण्ड का चम्बल इलाका जो डकैतों के लिए भी मशहूर है , जितने भी लोगों के घर में रेडियो मौजूद हैं तो वें मध्यप्रदेश के बुदेलखंड जिले के छतरपुर जिले की आकाशवाणी से प...

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एहिवात By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जीवन बड़ा कठिन है एक एक सांस के लिए संघर्ष कभी जंगली जानवरों का भय कभी मौसम कि मार कभी कुदरत का कहर कभी भूख भय पल प्रहर हांफती कांपती जिंदगी माई तू तो कहती है कि अपने कबीले के देवता...

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क्या तुमने By Ratna Pandey

बसंती अपने माता पिता और बड़ी बहन जयंती के साथ झोपड़ पट्टी की एक खोली में रहती थी। उसकी उम्र अभी 15 साल ही थी। बसंती के पूरे परिवार में उसे छोड़कर बाक़ी सभी श्याम रंग के थे लेकिन वह...

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