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सेकेण्ड वाइफ़ By Pradeep Shrivastava

नवंबर का दूसरा सप्ताह बस जाने ही वाला था। मौसम बहुत सुहावना हो रहा था। लेकिन मेरा मन बड़ा अशांत था। थका-थका सा, अपना स्ट्रॉली बैग खींचता हुआ ट्रेन की एक बोगी में चढ़ गया। कई सीटों पर...

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नुसरत By Pradeep Shrivastava

नुसरत मिठाई का डिब्बा लिए हुए के.पी. साहब के चैंबर के सामने पहुँची। अर्दली कुर्सी पर बैठा मोबाईल में व्यस्त था। नुसरत ने उससे पूछा, “साहब बैठे हैं क्या?”

अर्दली ने एक दृष्टि मि...

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लागा चुनरी में दाग By Saroj Verma

शहर का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम जिसका नाम कुटुम्ब है,जहाँ बहुत से वृद्धजन रहते हैं,उनमें महिलाएंँ और पुरुष दोनों ही शामिल हैं,सभी हँसी खुशी उस आश्रम में रहते हैं,किसी वृद्ध महिला को उसक...

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रिश्तो की कश्मकश By Naaz Zehra

जल्दी करो बहुत देर हो रही है पाता नहीं सुबह से क्या कर रहे थे जो अब इतना समय लग रहा है अरे आज ही हमें बारात लेकर निकलना है,,, और कितना समय लगाओगे जल्दी करो सुबह समझा रहीं हूं अपनी...

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ब्रुन्धा-एक रुदाली By Saroj Verma

इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके लिए रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर प...

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मेरा भाई By Naaz Zehra

मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर...

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गुलाबो By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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मुझे न्याय चाहिए By Pallavi Saxena

शारीरिक विकलांगता किसी का मुंह नहीं देखती ना ही किसी में कोई लिंग भेद ही करती है. यहाँ मैं विकलांगता शब्द का प्रयोग कर रही हूँ जो देखने, पढ़ने, सुनने, आदि में कठोर शब्द है बहुत से ल...

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर By DrAnamika

दुनिया के इस आपाधापी में राधिका अपने आप को धकेलते हुए आगे बढती जा रही थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि किसी भी तरह उसे अपने आप को संभालते हुए आगे बढना है आत्मनिर्भर बनना है।, और अगर ऐस...

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अन्धायुग और नारी By Saroj Verma

प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है ,हमारे पौराणिक ग्रन्थों में नारी को पूज्यनीय एवं देवीतुल्य माना गया है , हमारी धारणा रही है कि देव शक्तियाँ वहीं पर निवा...

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सेकेण्ड वाइफ़ By Pradeep Shrivastava

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नुसरत By Pradeep Shrivastava

नुसरत मिठाई का डिब्बा लिए हुए के.पी. साहब के चैंबर के सामने पहुँची। अर्दली कुर्सी पर बैठा मोबाईल में व्यस्त था। नुसरत ने उससे पूछा, “साहब बैठे हैं क्या?”

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लागा चुनरी में दाग By Saroj Verma

शहर का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम जिसका नाम कुटुम्ब है,जहाँ बहुत से वृद्धजन रहते हैं,उनमें महिलाएंँ और पुरुष दोनों ही शामिल हैं,सभी हँसी खुशी उस आश्रम में रहते हैं,किसी वृद्ध महिला को उसक...

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रिश्तो की कश्मकश By Naaz Zehra

जल्दी करो बहुत देर हो रही है पाता नहीं सुबह से क्या कर रहे थे जो अब इतना समय लग रहा है अरे आज ही हमें बारात लेकर निकलना है,,, और कितना समय लगाओगे जल्दी करो सुबह समझा रहीं हूं अपनी...

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ब्रुन्धा-एक रुदाली By Saroj Verma

इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके लिए रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर प...

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मेरा भाई By Naaz Zehra

मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर...

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गुलाबो By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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शारीरिक विकलांगता किसी का मुंह नहीं देखती ना ही किसी में कोई लिंग भेद ही करती है. यहाँ मैं विकलांगता शब्द का प्रयोग कर रही हूँ जो देखने, पढ़ने, सुनने, आदि में कठोर शब्द है बहुत से ल...

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अन्धायुग और नारी By Saroj Verma

प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है ,हमारे पौराणिक ग्रन्थों में नारी को पूज्यनीय एवं देवीतुल्य माना गया है , हमारी धारणा रही है कि देव शक्तियाँ वहीं पर निवा...

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