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    1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोनों ही बहुत ही समझदार...

  • डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76

    अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप को किसी का कॉल आया...

  • उजाले की ओर –संस्मरण

    नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोशनी की जगमगाहट लेकर आ...

  • नफ़रत-ए-इश्क - 6

    अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के एंट्री गेट पर ब्लैक...

  • My Wife is Student ? - 23

    स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती है ..माया उसके कानो...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 36

    पिछले भाग में हम ने देखा की फीलिक्स ने वो सारी बातें सुन ली थी जो गुरू जी ने उसे...

  • यादों की अशर्फियाँ - 20 - राज सर का डिजिटल टीचिंग

       राज सर का डिजिटल टीचिंग   सामाजिक विज्ञान से बोरिंग सब्जेक्ट कोई नहीं है। बहु...

  • My Passionate Hubby - 4

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –Kaynat को पीछे ना पलटता द...

  • ऑफ्टर लव - 28

    सुबह सुबह त्रिशा महादेव के मंदिर में पूजा कर रही होती है। तभी वहा पुजारी आकार त्...

  • हिरन और चूहा

    1. आज्ञा पालन एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक गाँव में एक व्यापार...

अनजान रिश्ता By suraj sharma

बरसात की रात थी, पूरे गांव को मानो खामोशी ने अपने आगोश में लिया हुआ था !! बारिश की बूंदों की आवाज़ तो मानो ऐसे आ रही थी जैसी किसी लड़की के पांव के पायल की छम छम …….इसी आ...

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तस्वीर का सच By Saroj Verma

अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर? समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।। घर तो बहुत ही अच्छा है पापा लेकिन आपको नहीं लगता कि शहर से थोड़ा दूर है,सारांश ने अपने पापा समीर से कहा।। हां दूर...

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हवशी पेड़ By ADARSH PRATAP SINGH

पेड़ और पंछियों की दोस्ती बहुत गहरी होती है लेकिन कभी कभी दोस्ती से बढ़कर भी कुछ हो जाता है........ सूर्य के उगने से पेड़ो से आकाश में चले जाना ,और डूबते ही फिर लौट आना यही तो होता है...

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वसुंधरा गाँव By Sohail K Saifi

एक 12 वर्ष का बालक डरा सहमा खुद को एक अंधेरे स्टोर रूम बन्द करके बैठा है। उससे देख कर पता लगता है। वो किसी के भय से छुपा बैठा है। थोड़ी देर के बाद वहां बेहद शांति हो गई थी। बालक को...

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इश्क़ जुनून By PARESH MAKWANA

ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। किसी भी घटनाओ का वास्तविकता से कोई सबंध नहीं है। प्रस्तावना, हेल्लो, मेरा नाम है परेश मकवाना। मेरी ये कहानी 'इश्क़ जुनून' एक गाने...

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विश्रान्ति By Arvind Kumar Sahu

मुख्य मार्ग पर सामने से किसी राजा के महल जैसी भव्य दिखने वाली उस विशाल हवेली के पीछे भी किसी पर्वतीय पर्यटन स्थल जैसा ही शानदार और आकर्षक नजारा था | हर तरफ प्रकृति का मनमोहक सौंदर्...

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बंद तालों का बदला: By Swati

पाँचो दोस्त अमृतसर स्टेशन पर उतर रात साढ़े दस बजे उतर चुके थे । पेपर के बाद हुई दो चार छुट्टियाँ का मज़ा हमेशा ही किसी ऐसे ही कोई घूमने का प्लान बनाकर ल...

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ज्याँकों राँखें साईंयाँ.. By योगेश जोजारे

युवी केलेंडर की तारीख देखते हुवे."उस रात जो हुवा वह मरते दम तक याद रहेगा. पर उस रात न अमावस्या थी और नाही पूर्णिमा फिर भी यह घटना कैसे घटी. बस आसमान में दिनभर से बदली छाई थी,उस रोज...

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पलक By Anil Sainger

मैं और विराट पहले एक ही कम्पनी में काम किया करते थे | लेकिन पिछले कुछ समय से उसे भूत सवार था कि इस कम्पनी में कोई भविष्य नहीं है और न ही ये कोई तरक्की देने वाले हैं | इसलिए जितनी ज...

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नीलांजना... ? By Praveen Kulkarni

“हम तेरे बिन् अभी रेहे नहीं सकते... तेरे बिना क्या वजूद मेरा” कृति के पसंदीदा रिंग्टोन धीमि सी गुनsss गुनाsss रही थी उसकी मोबाइल, हालाँकि गेहरी नींद के गोद में सोयी रही पर उठ नहीं...

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