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एपिसोड 35: विजय की धमकी और समीरा का डरअतीत की परछाइयाँसमीरा को लगा था कि उसकी जि...
नकचडी ने तोड़ा क्रिक का दिल । "नकचडी ने फोन मे अपने मंगेतर की फोटो दिखाई और मुझ...
“ D J Chapter 1 में जो कहानी अधूरी रह गई थी वह कहानी आज D J Chapter 4 में खतम हो...
दिन ढलने लगा था। घर में एक सन्नाटा पसरा हुआ पर दो धड़कते दिल आमने सामने बैठे थे।...
शहर का सबसे महंगा होटल – एक खतरनाक रात तूफ़ान से पहले की शांतिहोटल का माहौल अब प...
महाराजा की रानियाँ और परिवारअपने जैसे अन्य महान् सैनिकों की ही भाँति रणजीत सिंह...
प्रार्थना:या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया वीणावरदण्डमण्डितकरा या...
अध्याय 3: परीक्षण सीमाएं खिड़की के बाहर पक्षियों के चहचहाने की हल्की आवाज से...
श्री साईबाबा के वचनों और कृपा द्वारा किस प्रकार असाध्य रोग भी निर्मूल हो गए, इसक...
बबिता अब तक्ष के इशारों पर चलेगी...?…….Now on ………. मालती : दीदी बताओ न ……इशान :...
द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी भैंस की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज...
गुरुकुल का दृश्य : (संध्या का समय) दो विद्यार्थी कृपाल व विभु दाईं ओर से किसी विषय पर चर्चा करते हुए आ रहे है। और उनमें से कृपालके हाथ में एक पुस्तक है। कृपाल : देखो मित्र! ( आश्चर...
उम्र चाहे कोई भी हो, हर किसी के अपने सपने होते है । उम्र कॉलेज जाने वाली हो या जिन्दगी के सुख दुख का हिसाब करने की ...हर किसी को अपना छोटा सा सपना भी बड़ा ही प्यारा लगता है । अफ़सोस...
दिल्ली, मलहोत्रा हाऊस एक लड़की किचन में बर्तन साफ कर रही थी। उसके हाथों और पीठ पर लगी चोटों के निशान से पता चल रहा था कि उसे कितना मारा गया है। वह दर्द से कराह रही थी, फिर भी का...
"सौरभ विला" मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम), मुंबई घर से ये घर है- सौरभ का इसके नाम पर ही इसका नाम रखा जाता है | सौरभ का एक लड़का है, जिसका नाम अनूप है | अनूप कि मा को गुजरे ह...
भारतीय रंगमंच प्रायः सभी भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वान संस्कृत नाटक और रंगमंच का धार्मिक भूमि से उदय और विकास मानते हैं । अकेले प्रोफेसर जागीरदार हैं, जिन्होंने कि इन सारे धार्मिक व...
आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के कच्छ सेंटर जहाँ मैं अपने अति उत्साही कार्यकर्ताओं के साथ एक बड़े से हॉल में जमीन पर बिछी लाल- काली धारी वाली दरी पर बैठी हूँ। आने वाले दो दिवसीय। श्री श्री...
आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन के कदमों की गति बढ़ती गई। जब नहर के पास पहुँचा तो उसने देखा कि...
सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागती हुई एक लड़की रोती जा रही थी। ना ही उसे होश था ना ही आँसू रुक रहे थे। कॉरिडोर से होते हुए वोह एक कमरे में जा पहुँची। कमरे में दाखिल होते ही उसने अपने पीछ...
उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘हज़ार चौरासी की माँ’ में एक ‘माँ’ सुजाता की मर्मस्पर्शी कहानी के साथ-साथ साथ 1970 के दशक के बंगाल मे नक्सलवाद आंदोलन मे हो रहे हिंसक संघर्ष की कहानी भी समान...
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