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गाँव के तिलिस्म By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी भैंस की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद  उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज...

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मुन्शीराम बना श्रद्धानंद By Choudhary SAchin Rosha

गुरुकुल का दृश्य : (संध्या का समय) दो विद्यार्थी कृपाल व विभु दाईं ओर से किसी विषय पर चर्चा करते हुए आ रहे है। और उनमें से कृपालके हाथ में एक पुस्तक है। कृपाल : देखो मित्र! ( आश्चर...

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कोई अपना सा अपने जैसा By Ashish Dalal

उम्र चाहे कोई भी हो, हर किसी के अपने सपने होते है । उम्र कॉलेज जाने वाली हो या जिन्दगी के सुख दुख का हिसाब करने की ...हर किसी को अपना छोटा सा सपना भी बड़ा ही प्यारा लगता है । अफ़सोस...

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हैवान से मोहब्बत By Alam Ansari

दिल्ली, मलहोत्रा हाऊस

एक लड़की किचन में बर्तन साफ कर रही थी। उसके हाथों और पीठ पर लगी चोटों के निशान से पता चल रहा था कि उसे कितना मारा गया है। वह दर्द से कराह रही थी, फिर भी का...

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Pathan By Pawan Kumar Saini

"सौरभ विला" मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम), मुंबई घर से
ये घर है- सौरभ का इसके नाम पर ही इसका नाम रखा जाता है | सौरभ का एक लड़का है, जिसका नाम अनूप है | अनूप कि मा को गुजरे ह...

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भारतीय रंगमंच का इतिहास By शैलेंद्र् बुधौलिया

भारतीय रंगमंच प्रायः सभी भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वान संस्कृत नाटक और रंगमंच का धार्मिक भूमि से उदय और विकास मानते हैं । अकेले प्रोफेसर जागीरदार हैं, जिन्होंने कि इन सारे धार्मिक व...

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परदेस में ज़िंदगी By Ekta Vyas

आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के कच्छ सेंटर जहाँ मैं अपने अति उत्साही कार्यकर्ताओं के साथ एक बड़े से हॉल में जमीन पर बिछी लाल- काली धारी वाली दरी पर बैठी हूँ। आने वाले दो दिवसीय। श्री श्री...

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नसबंदी By Swati Grover

आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन के कदमों की गति बढ़ती गई। जब नहर के पास पहुँचा तो उसने देखा कि...

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डेविल्स क्वीन By Poonam Sharma

सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागती हुई एक लड़की रोती जा रही थी। ना ही उसे होश था ना ही आँसू रुक रहे थे। कॉरिडोर से होते हुए वोह एक कमरे में जा पहुँची। कमरे में दाखिल होते ही उसने अपने पीछ...

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हज़ार चौरासी की माँ By Mallika Mukherjee

उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘हज़ार चौरासी की माँ’ में एक ‘माँ’ सुजाता की मर्मस्पर्शी कहानी के साथ-साथ साथ 1970 के दशक के बंगाल मे नक्सलवाद आंदोलन मे हो रहे हिंसक संघर्ष की कहानी भी समान...

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गाँव के तिलिस्म By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी भैंस की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद  उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज...

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उम्र चाहे कोई भी हो, हर किसी के अपने सपने होते है । उम्र कॉलेज जाने वाली हो या जिन्दगी के सुख दुख का हिसाब करने की ...हर किसी को अपना छोटा सा सपना भी बड़ा ही प्यारा लगता है । अफ़सोस...

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हैवान से मोहब्बत By Alam Ansari

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"सौरभ विला" मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम), मुंबई घर से
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