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फिर से रिस्टार्ट (भाग 1: टूटा हुआ घर)रात का सन्नाटा था।आसमान में बादल गरज रहे थे...
चमकदार रोशनी से भरा राजमहल बेहद शानदार और प्रभावशाली दिख रहा था। महल के हर कोने...
1- ££ काश काश मैं तेरे शहर का होता, इक चाय के सहारे ही सही पर मुलाकात की गुंजाइश...
कभी-कभी एक नजारा बीती हुई जिंदगी को ऐसे सामने लाकर खड़ा कर देता है, जैसे सब कल क...
कॉलेज के एक कोने में एक लड़का खड़ा था…हुडी पहने, लंबाई 6’2”, गेहुँआ रंग, चेहरे प...
मुझे सूर्यास्त के बाद कभी भी नींद नहीं आती। रात की चादर ओढ़कर बैठ जाना मेरे लिए...
एक लड़का जो रेगिस्तान में अपने अब्बा के साथ रहता था, जो आंखों से अंधे थे, हमेशा...
वेदांत और विज्ञानं परमाणु का धर्म और पंचतत्व का जीव विज्ञान — Agyat Agyani (अज्ञ...
---बेखौफ इश्क – एपिसोड 1आयाना हमेशा जानती थी कि उसका घर कुछ खास नहीं है। लोग कहत...
गाँव की बेटी: एक सुन्दर सपनालेखक: विजय शर्मा एरी(शब्द संख्या: लगभग १५००)गाँव की...
ये मेरी पहली कहानी है! मातृभारती पर! अगर कोई भी गलती हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ! गुटखा चबाते हुये बड़े ही स्टाईल से जब चरणनन्दन ने घर में प्रवेश लिया तभी अचानक से उसके सिर पर...
आप सभी प्रेरक पाठक गणों को मेरा (संदीप सिंह का) राम-राम, गुरु आप लोग खुशहाल और चकाचक (स्वस्थ) होंगे| ईश्वर का आशीर्वाद आप सभी पर सदैव बना रहे और अना-पेक्षित हालातों की बारिश मे छात...
“अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा। कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर पड़े थे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्प...
मेरी मति मारी गयी थी कि पिछले साल मई की एक दुपहरिया में "मर्द उद्धार शिविर" में एक दोस्त के साथ पहुँचा शायद मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के सामने मेरी बोलती बन्द जैसी हालत दे...
जूनियर कॉलेज पास करके डिग्री में कदम रखा ही था, ज्यादा कुछ बदलाव नही आया था सिवाय इसके कि, जूनियर कॉलेज में लड़कियों से दोस्ती करने की उम्मीद में नज़रें बिछी रही और यही उम्मीद पास हो...
प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मामा मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा सूत्र में पिरो कर...
विनोद को फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ था । उसका बस चलता, तो रोज़ एक फ़िल्म देख लेता । लेकिन तब, यानी १९७० के दशक में तो कई फ़िल्में छोटे शहरों और कस्बों तक में भी चार-छः हफ्ते चल ही जाती...
सूचना - ये एक काल्पनिक कहानी है और इसका जीवित यां मृत किसी व्यक्ति से कोई लेनादेना नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो ये महज़ एक संयोग है। इस कहानी को केवल पाठकों के मनोरंजन हेतु लिखा गया ह...
नाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग शरीर पर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा र...
भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला । उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित जाति का होन...
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