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    रात का सन्नाटा अब और भी गहरा हो चुका था। हवाएँ तेज़ चल रही थीं, खिड़कियों से टकर...

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    महाभारत की कहानी - भाग-१३३ चौदहवें दिन में कर्ण के हाथो भीम की हार और भूरिश्रबा...

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  • चरित्रहीन ही सही मां तो हूं न।

    चरित्रहीन ही सही मां तो हूं न।---–---------------------–--------सुबह के आठ बज गय...

  • अंतर्निहित - 7

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  • ढूंढती नजरें

    कुछ कहानियाँ अधूरी ही अच्छी लगती हैं।दो ऐसे प्रेमी, जो एक-दूसरे के न हो सके, जीव...

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    राम जी और सिद्धार्थ जी को होश आ गया था जहां सभी लोग उनसे मिलते हैं। और एक राहत क...

  • Silent Hearts - 5

    साइलेंट हार्ट्स (조용한 마음 – Joyonghan Maeum)लेखक: InkImaginationएपिसोड 5: दिल...

बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) By r k lal

“अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा।

कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर पड़े थे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्प...

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बीवी से पंगा, पड़ गया महँगा By Sanju Sharma

मेरी मति मारी गयी थी कि पिछले साल मई की एक दुपहरिया में "मर्द उद्धार शिविर" में एक दोस्त के साथ पहुँचा

शायद मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के सामने मेरी बोलती बन्द जैसी हालत दे...

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प्यार में बन गए उल्लू By Sanju Sharma

जूनियर कॉलेज पास करके डिग्री में कदम रखा ही था, ज्यादा कुछ बदलाव नही आया था सिवाय इसके कि, जूनियर कॉलेज में लड़कियों से दोस्ती करने की उम्मीद में नज़रें बिछी रही और यही उम्मीद पास हो...

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हंसी के महा ठहाके By Dr Yogendra Kumar Pandey

प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मामा मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा सूत्र में पिरो कर...

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मालगाड़ी का सफ़र By शिव प्रसाद

विनोद को फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ था । उसका बस चलता, तो रोज़ एक फ़िल्म देख लेता । लेकिन तब, यानी १९७० के दशक में तो कई फ़िल्में छोटे शहरों और कस्बों तक में भी चार-छः हफ्ते चल ही जाती...

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ऑफ़िस - ऑफ़िस By R.KapOOr

सूचना - ये एक काल्पनिक कहानी है और इसका जीवित यां मृत किसी व्यक्ति से कोई लेनादेना नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो ये महज़ एक संयोग है। इस कहानी को केवल पाठकों के मनोरंजन हेतु लिखा गया ह...

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लौट के बुद्धू घर को आये By Kishanlal Sharma

नाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग शरीर पर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा र...

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कहानी भोला की By राज कुमार कांदु

भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला ।
उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित जाति का होन...

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कहानी सब्जीपुर की By राज कुमार कांदु

सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने...

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चोलबे ना By Rajeev Upadhyay

चच्चा खीस से एकमुस्त लाल-पीला हो भुनभुनाए जा रहे थे मगर बोल कुछ भी नहीं रहे थे। मतलब एकदम चुप्प! बहुत देर तक उनका भ्रमर गान सुनने के बाद जब मेरे अन्दर का कीड़ा कुलबुलाने लगा। अन्त म...

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