माँ की चुप्पी by Anurag Kumar in Hindi Novels
सुबह के चार बजे थे। बाहर अभी भी गहरा अंधेरा छाया हुआ था, और पूरा मोहल्ला गहरी नींद में था। लेकिन, उस पुराने, ईंटों वाले...