खामोश परछाइयाँ by Kabir in Hindi Novels
अध्याय 1 – नई शुरुआतदिल्ली का सेंट मैरी कॉलेज। गर्मियों का पहला दिन।नए सेशन का पहला दिन हमेशा हलचल भरा होता है। हॉस्टल म...
खामोश परछाइयाँ by Kabir in Hindi Novels
रिया के कमरे की खिड़की अब भी आधी खुली थी। बाहर गहरी रात का सन्नाटा था, पेड़ों की शाखें हवा में हिलकर अजीब-सी फुसफुसाहट प...
खामोश परछाइयाँ by Kabir in Hindi Novels
रिया ने डायरी का आख़िरी पन्ना पढ़ने के बाद तय कर लिया कि उसे उस पुरानी हवेली तक जाना ही होगा। हवेली शहर के बाहरी इलाक़े...
खामोश परछाइयाँ by Kabir in Hindi Novels
रिया ने हवेली की पुरानी अलमारी से एक आईना निकाला। धूल हटाते ही उस पर दरारें उभर आईं, और उनमें उसे अपनी माँ संध्या का चेह...