Description
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी,, ,,,,हे नाथ नारायण वासुदेवा,, राधे कृष्ण,,राधे कृष्ण,, एक लगभग 55 साल के मिश्राजी,,धोती पहने,, तोलिये को ओढे हुए,,,सर पर ठाकुर जी जैसा तिलक,,ओर मुख पर राधेकृष्ण ...ये है मिस्टर नारायण मिश्रा और इनके साथ हैं इनकी पत्नी नारायणी
मिश्रा जी ," नारायणी.....
नारायणी हाथ में लड्डू की प्लेट लेकर आते हुए जी हो गया भोग तैयार और मैने मोबाइल भी आंगन में रखा है वहीं बैठकर आप माला कर लीजिएगा और वहीं हम गुरुजी का सत्संग सुन लेंगे कहकर वह भोग ठाकुर जी के सामने रख आईं
गुरुजी के प्रवचन शुरू हो चुके थे," यह जीवन केवल मिथ्या मात्र है, जीवन के हर रूप को श्री हरि विष्णु ने अपने हर अवतार में समाया हुआ है जब मर्यादा पुरुषोत्तम हुए तो श्री राम हुए जब मर्यादा की हर सीमा लांघ दी तो स्वयं श्याम हुए तो बोलो हरे कृष्ण हरे कृष्ण.....