दीपमाला - २
1 नुमाईश नजारां
रूत्बाऍ इशक का वाह वाह नजारां
मेहफीले महेंकी जनाबी सलाम नजारां
ख्वाबे महोबत में तीरे निशां हैं नजारां
दीवानापन बेबस निगाहें छेडे नजारां
दिल बना पागल सब्र करे कत्ल नजारां
छुके निकले हवां उफ्फ ये झ्ख्मी नजारां
----रेखा शुकला
2 निगोडी हायें ...
भीगे पथ से अग्नि पथ तक गीतो के बादल छायें
उफ्फ ये छमछम नाची फिरभी पायल निगोडी हायें
---रेखा शुक्ला
हुई चांदनी पानी पानी...उतरे तारें आंचलमें
भई बावरी रानी जानी...खतरे सारे आंचलमें
----रेखा शुक्ला
खामोशी ने दिल दुःखाया फिर खुश्बु ने सेहराया हैं
जन्नते नजारें दिखाया फिर जाके दिल को समजाया है
----रेखा शुक्ला
कभी न देखा ना मिले फिर भी .........सपनो के शहेनशाह को
याद से खो गई अपने आप को छू लिया तो क्या करेली पगले को
---रेखा शुक्ला
3. पार्टी तो अभी शुरू ही हुई
"मैं तेरा जबरां फैन हो गया वो बोला"...चलानेवाली स्कूटर पे इत्नी हसीन थी की वो पीछे कसकें पकड के बैठा था और बहोत बहोत खुश था...बिना चप्पल और बिना शर्ट बिच किनारे !! उफ्फ ये चेहरा,सबकी नजर टीकी थी और वो खुशीसे चिल्ला रहा था "मोम. मोम " दरिया में बोट आती और जाती थी मगर सब तो इन दोनों को ही देख रहे थे...जलन हो रही थी या मुग्ध हो रहे थे के कोई इत्ना भी खुश हो सकता हैं क्या ? मोम को टीन-एजर की तरहा बीहेव करते हुवे देख के मैं जुली भी हंस पडी. पेरीस और ग्रीस मैं स्कूटी पे मजे लेना कोई अलग बात नहीं हैं..मगर हाये वो मेरी हंसी पे कुरबान हो गया..उतरा और दोनों हाथ मिलाके चल दिये..नो बीग डील..ना कोई संकोच , ना कोई फोर्मालिटी !! फिर तो रोज रोज मिल्ना,घूमना-फिरना और शोपिंग का नोर्मल रूटीन ही हो गया...होल्ले होल्ले झील सी गेहरी आंखोने मुजे इश्क में डूबा ही डाला...मन ही मन मैं बोल उठ्ठी के लव वील फ्लो नाउ सोफ्ट..क्युं की अब तो मैं भी उस्की फैन जो गई थी !! "चलोना सब मिलके बारिश में भीगे और फिर चलेंगे आइसक्रीम खाने !!" वो बोला और उस्के सब दोस्त आये और फिर क्या...पार्टी तो अभी शुरू ही हुई थी बिच पे...सब झुमते थे म्युझिक की तान पे और मुजे किसने पानी मे दिया धक्का ...सचमुज गिरी मगर इस सपने से बेड के नीचे...हाय रे मेरा जबरां फैन, होय रे मेरा जबरा फैन !!---रेखा शुक्ला ०६/२२/२०१६
4. तुम्हारा
तुम छोड के किधर गई?.............रेह गया होके तुम्हारा
सोचा के होगी कोई कल्पना वो तूटा है 'मैं' का भ्र्म तुम्हारा
आधीरात मैं जाता हुं वही राह पे, असह्य वेदना मे तुम्हारा
शाम होने वाली देख, संभव है तुजे मिलना है हुं तुम्हारा
तुम मेरे ना अश्रुबुंद , साथ निभाउंगा दिवाना हुं तुम्हारा
चल अकेली ओ' जिंदगी , सरफरामोश ना सनम तुम्हारा
----रेखा शुक्ला
5. असर
वो जो कहीं नहीं थी फिर भी हरजगर थी
नाउम्मींद भी और हसरत दिदार की थी
---रेखा शुक्ला
आखरी मेरी आह हैं अगर तुम्हैं कुबुल हैं
साया बनके पीछे चला नजरे झूका गई
उठी नजर ह्सी आंखे प्यार समजा गई
कयामत यु ढली कफन ओढे जन्नत सोई
----रेखा शुक्ला
तेरी नजरों का असर हैं, मुज पे बेकाबु
शरीफ दुआ मे, मिले तो रहे तु बेकाबु
---रेखा शुक्ला
6. मेरी उन सांसो का हिसाब उधार रहेगा तुम पर !!
मेरी उन सांसो का हिसाब उधार रहेगा तुम पर !!
दरिया मे डूबा ना चाहा और तैरना नहीं सिखाया
दिल ने चाहा चीखना पर सांस रोकना नही आया
युं ही जजबातों मे धकेल दिया दूर शामिल न किया
जिक्र करू मैं सांस लेने का तो मौत को ही सौंप दिया
मैने माना की तुम्हारे सहारे हुं ना, स्पर्शभी नहीं किया
वाह मैने युं ही तुजे अपना माना रूह तक बसा लिया
हा तुजे तमन्ना आस्मां छूनेकी लो मेरा वजूद भूला दिया
लौटा दो वो मेरा मुस्कुराना और खुले हाथ तितली पकडना
ले चलो मेरी रूह को , मेरे वजूद को मिलाने चलोना
पांव मे क्या जोश था कि थकान का न कहीं नाम था
आज मूजे जिस्म पे जरूरत से ज्यादा प्यारा आया हैं
कि मैने परवा नहीं की उनका हिसाब बराबर करना हैं
भूल गई थी मेरे को क्युं खो गई थी तुज मे याद दिला दो
वो मेरी मासुमियत और मेरा भोलापन वापस बस ला दो
----रेखा शुक्ला
7. हाय रब्बा ....हाय दैया
उनकी याद मे गुमसूम
वो युं ही मुस्कुरा देते हैं
जब याद मे वो आया करते हैं
लोग पूछे के वो कौन हैं ?
वो शर्मा के मुस्कुरा देते हैं
नाम होंठो पे आ न जाये ये सोचके
दांत मे चुनर लिये घुंघटा कर लेते हैं
आंखे शराबी काफी नहीं के
वो शरारत कर लेती हैं
हाय रब्बा बोले होठ तो
लट गालो को चूम लेती हैं
डाली डाली पे झूले पत्ते हंसके
झूकी डाल पे फूळ लबो को छेडे हैं
झूमता पान करता मनमानी
आंचल उडा ले चले करे छेडछानी
भागी नंगे पांव दौड के
वो पथरीले झरने से गुजरके
भूल आई अपनी गगरियां
पूछे, छेडे अब सारी सहेलियां
----रेखा शुक्ला :::::::::
8. चांदनी की कसम
मौजो में तेरा चेहरा देखु
फूलो मे तेरा नाम देखु
बोल दो ना अब ना पलक झपकु
छु लो ना...!!
सांस लेते ताज की कसम
केह भी दो ना..!!
मुहब्बत के राझ की कसम
शायद मैंने ताज को मूड के देखा होगा की फिरसे वापस आ गई
गर धडकना या आंसु बेहना बंध हो गया तो
प्यार क्या मैने खाक किया है?
एहसान मंद हैं हम !!
देखो ना हमसे कुछ और कहा नही जायेगा हैं ना
पानी से बनी मूरत हूं रो पडी तो बेह जाती हूं हैं ना
ऐसा बोलाना आपको हमसे प्यार हो गया हैं
इस उम्र मे मरने का इरादा क्या पक्का कर लिया हैं
फिसल गया पांव तो चोरी चोरी मुस्कुरा रहे हो
खुशी के चक्कर मुजे आ गए तो आप क्यु रोने लगे है
कहां मैं कहां आप हो क्रिष्ना मेरा तो शिवजी से नाता हैं
मिलके पा ली जन्नत, चांद को दी चांदनी की कसम हैं
----रेखा शुक्ला
9. वक्तका काम
वक्तका काम गुजरना होता है पर इन्सान गुजर जाते है
अंबर से जमीं कभी ना मिल पाई हैं
रूक के भी सांसे दिलको ना भूली है
----रेखा शुक्ला*************
देहलीज के दरम्यान वास्ता हैं
फांसला है दरम्यान रास्ता हैं
---रेखा शुक्ला*******
फक्र है दोस्ती पे हमे जो होंसला देता है शुक्रगुजार हैं हम
साथ तुम्हारा, कुछ भी ना कहो दिलासा देता है शुक्रगुजार हैं हम
---रेखा शुक्ला*************
चुनते वक्त पुलिस के हाइट-चेस्ट नापे जाते है; किन्तु आत्मा को कभी नापा नहीं जाता है !!
उफ्फ्फ्फ
मीट्टीका घरोंदा साहिल के किनारे बनाया
यादों के दोहरे पडे महोब्बत के रास्ते बनाया
--रेखा शुक्ला***********
बदलते हुवे रवैये ने तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है
अब बची बचाई जान ही तो है..वो भी ले लो हुक्म दिया हैं
----रेखा शुकला********
10. थाम लो
बुलाती है राहे, मुजे मांग लो
रुलाती हैं आंहे, मुजे थाम लो
जगाती है मांगे, मुजे मान लो
लगाती हैं आग, मुजे जान लो
-----रेखा शुक्ला
इक शाम
बात इक शाम की थी
बारिश मे भिगानेकी थी
जाम थी की शाम थी
तरस दो निगोहों की थी
---रेखा शुक्ला
11. निवाले
बस गई हैं बस्तीयां ये भी दिखावा है
आदमी की भीड में आदमी ही अकेला हैं
महेंगाईसे बाजार में थम गई उमंगे हैं
गमोंकी माला से सजा जिस्मी जनाजा हैं
निवाले की दिवाली अरे क्युं ये छलावा है
रूह में अगन और सिने मे तो हताशा है
----रेखा शुक्ला
12. जहां
मुजसे ना होगा जल्वा ,
नहीं मैं तेरा कान्हा,
कल्युग मैं ना कोई राधा
भागा रे मैं भागा,
सपने से मैं हु रे जागा,
कल्युग मै जा सिर्फ महोतरमा
थंडी जान से निकलता धुंआ धुंआ
नटखट करे तरकट तो आग ही आग जहां
---रेखा शुक्ला
13. संगे मरमर
रंगो का तूफान संगे मरमर
सौगात और समजोता सभर
अनोखा बंधन आमने -सामने
कश्मकश रिश्ते आंखोके सितारे
आज ही आजाओ ना...कहोना ! अभी आ जाओ ना
वक्त मिला दे परिंदे और रोश्नी घरकी बन जाओ ना
लाया गया हुं तुम्हारे लिये इस जमीं पे कह भी दो ना
सहमे शीकवे शीशोंकी मुराद लिये अब लौट आओ ना
----रेखा शुक्ला
14. आंसु उभर आये.................!!!
आंसु उभर आये.................!!!
चलती बोलती तस्वीर गर पुछे, इन्सान के जान का मोल बताये मकसद तेज कदम राहे, ख्वाहिशे कोशिश संजिदा किंमती बनाये नाराजगी अंदाजे बयान हो तो भी, गुलमहोर की गलियां बनाये
सफर तन्हा चौबारे पे चुडी की दुकान, खडकी ये सवालात जताये
छोटी बकरी के संग मासुम टटोले, जवाब चरागे किताब ले आये तिनकों के नशेमन तक, हुं हुं करे दिल फिर अखियों से बरसाये
बिखरी पडी हुई गुफ्तगु, रोशनी की छडी मेरे अपनेकी पेहचान लाये पथ्थर की हवेली से कहीं दुर, शिशो के घरोंदो के बाजु मुड के जाये
नजर बचाके आज भी वो देहाती मोड, तलाशे आंसुमे बेह के जाये लिखुं वो पहुंचे दिल तक दिन गुजरे, जैसे अजनबी हुं यहा आये
वतन की तलाश मैं अपने ही घर मे, जैसे एहसान उतारा जाये
बहोत अब ना सोचना देखो कही, मेरे संग तेरे आंसु उभर आये
----रेखा शुक्ला
15. केहती हैं माईं......
केहती हैं माईं, अबला नही हुं
दर्द भी हुं, सुनले पुकार भी हुं
शान भी हुं, मानले आन भी हुं
शर्म कर्म धर्म, हां इमान भी हुं
राझ भी हुं, नटखटकी जान हुं
सूखी आंखका. गीला अश्क हुं
सच ना बतांऊ पर. चूपभी ना हुं
वादा हैं भाऊ, अपून साथ ना हुं
--------रेखा शुक्ला
16. 'प्रणाली'
रिश्तों को राजनीति ने बदल डाला
और
राजनीति ने रिश्तों को बदल डाला
उपर से
इसे देखो 'प्रणाली' केह डाला ...!!
----रेखा शुक्ला
नझ्म की शकल हसीन
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी एक दिन पे खत्म हैं
सांस से जैसे साझ मिले तिरंगी पे कुरबान हैं
----रेखा शुक्ला
17. मास्टरजी पू्छे आज बडी देर से हैं आये...?
हां , हु गुमशुदा जिसने पाला-पोसा इसी जन्म में ही छोड चले हैं अचानक मास्टरजी क्या करुं?
सांस हैं फूली, एक ही झटके मे पंखी का आशियाना बिखर गया...हा, मास्टरजी आज मै देर से हुं आया...
गया था लेने दवाईयां पर उससे पेहले वो चल बसी...पिताजी ने देखते ही मेरे सामने दम तोड दिया
और मैं अवाक खडा...हाथ से ना छूटी दवाईयां पर हाथ मे ही फूट गई शींशियां..
देखीये ना मास्टरजी लहु बेहता रहा पर मैं समजा नहीं क्युं ? और हां, देदो ना वजूद अब मेरी सांसो को मास्टरजी....
हां मैं आज बडी देर से हुं आया...!!
---------रेखा शुक्ला
18. मेरे सांवले
लम्हें रोकलो, नैनो मे झांकलो ना
पियु पियु दिल बोले, मानलो ना
सुद-बुद हैं खोई मैंने, मेरे सांवले
पलके बुंदन बुंदन मगन मानलो ना
दूरियां न सहे वजूद कहु जानलो ना
जिंदगी का चैन करारा, मेरे सांवले
---रेखा शुक्ला
19. महेंक हैं....
अमरत रस और मधुशाला सब जाणे प्रीत रंग गुलाबी,
जहन में मिल गया, जी छन्नी कर दिया,
सूरो का शरबत छलका दिया,
महेर महेर महेरबान कर गया
...रेखा शुक्ला
आंख मे सपन और श्वास मे महेंक हैं
तुम जब आवे मचा हंगामा खुश्बुमे हैं
----रेखा शुक्ला
20. टीमटीमाई हैं....
रात अकेली टीमटीमाई हैं
वो आज मेरे लिये छाई है
----रेखा शुक्ला
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नंगे पांव दौडी चली आई खुशी
इतनी तो इजाजत देदो
सांसो का बोझ हलका करदो खुशी
----रेखा शुक्ला
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तशरीफे इश्क यारा, यु हुश्न पे छाया है
गुलसिते जहां प्यारा, उम्मीद पे भाया हैं
-----रेखा शुक्ला
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सितम सेह रही वो आखिर मे हैं भागी
गुमशुदा हैं, उम्र कटी दूर दूर हैं भागी
----रेखा शुक्ला
21. बैरी हरजाई !!
शामने चूमी लेहरें हसीन पाई
दौडी हवा भाग के लगे लगाई
लुक लेके क्या स्टाईल आई
हुक पे बेरंगीन मछली घवाई
पागल पायल नाच ना पाई
चांदनी रात मे अंग लगाई
----रेखा शुक्ला
22. चिपकु होठे विस्फोट शामत
चांदपे हैं आशिकी आफत
हाय, छा गई लो कयामत
----रेखा शुक्ला
तूफानी शाम छाई.....बत्ती बत्ती गले लगी
क्वोलिटी बिजली चमकी फिर बादलमे सिमटी
---रेखा शुक्ला
23. महेरबान ...
महेरबान
जमींन तो ले ली
आसमान छोड गया वाह
उडान छोड दे ले
तीर कमान छोड गया वाह
खुल्ली जुल्फ में एक
सुना फूल छोड गया वाह
किस मुकाम पे मेरा
महेरबान छोड गया वाह
----रेखा शुक्ला
24. बाकी मे....
बाकी हैं पन्ने हिसाबी जिंदगी के हिस्से मे
सांसो को ख्वाहिशों से जोड के हिस्से मे !
बोल पडे जज्बात कुछ युं ही सवालो में !
चल पडी हुं बेह बेह के युं हि जवाबो मे !
----रेखा शुक्ला
25 बिकता हैं जहां बिकती हैं जमीं
बिकता हैं यहां इन्सां का झमीर
पराये तो पराये रहे .........
अपना भी यहां क्या कोई नहीं...
छूपते हो तुम पर्दे से लगे
पर्दे पर के तो तुम ही नहीं
सुनता हैं जहां जब चीख दिया
सन्नाटों से तो डरते नही ...
जलती हैं शम्मा जब रातों मे
परवाने का तो गम ही नहीं
जल्ता हैं जीया जब दूर किया
गैरो से कोई शिक्वा नहीं....
बिकती हैं सांसे दुःखता हैं दिल
रूकती हैं सांसे तब बिकती नहीं
अंदाजे गलत क्युं समजते हो तुम
जींदा क्या जहां को रखते हो तुम...
बनाते हो दस्तुर जहां मे तुम
समजते हो दुनिया बसाते हो तुम
औरत से शिकवा करते हो तुम
मर्दो सी क्या बात करते हो तुम...
----रेखा शुक्ला