Jahnavi Suman
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वाह ! चिंकी
चिंकी का गर्मी की छुटियों से पहले स्कूल में अाज अाखिरी दिवस था। वह ख़ुशी से बावली हुई जा रही थी , छुट्टियां शुरू होते ही नानी के घर दिल्ली जो जाना था, हवाई जहाज और उसके बाद मामाजी के परिवार के साथ न जाने कहाँ-कहॉँ घूमने जाने का कार्यक्रम था।
अाज स्कूल में उसका मऩ ही नही लग् रहा था। उसने जब अर्धवकाश में नीता से कहा , "नीता ,तुझे पता है ,हम छुट्टियों में कहाँ जा रहे हैं ?" तो नीता खीज कर बोली , "यार सुबह से तू कितनी बार बता चुकी ,मुझे तो तेरी फ्लाइट नंबर ,डिपरचर टाइम भी रट गया है। " इस पर वह मुस्कुरा कर रह गई।
अाखिर उसकी इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुईं ,टन, टन, टन के ज़ोरदार घंटे ने छात्र -छात्राओं के चेहरे खिला दिए। स्कूल के मुख्य द्वार की ओर तेजी से छात्र -छात्राओं के झुंड उमड़ पड़े।
चिंकी का रिक्शेवाला उसकी बाहर प्रतीक्षा कर रहा था। चिंकी ने रिक्शे में बैठते ही मन ही मन
योजना बनानी शुरू कर दी कि वह कौन कौन से कपड़े लेकर जाएगी, क्या कुछ बाज़ार से ख़रीदना है अादि अादि ।
चिंकी घर पहुंचते ही अपने भाई 'रियान' से लिपट गई ,तीन वर्ष के भाई को बताने लगी ," रियान ,इस रविवार को हम सब, सुबह पाँच बजे के हवाई जहाज़ से नानी के घर जा रहे हैं"., रियान ने अपनी तोतली अवाज में कहा, " नानी ढल" और अाकश की ओर देखने लगा। चिंकी ने रियान को अपनी किताब में खरगोश का चित्र दिखाते हुए कहा. " देख रियान नानी के घर भी ऐसा खरगोश है ,जिसे नानी प्यार से 'चिरकुट' कहती है। रियान खुशी से खरगोश की तस्वीर चूमने लगा।
अाज सुबह साढ़े तीन बजे घर के सामने टेक्सी अाकर रुक गई। चिंकी की मम्मी 'नताशा' पिता 'दिनेश' जल्दी जल्दी टेक्सी में सामान रखने लगे और चल पड़ी टेक्सी नासिक के हवाई अड्डे की ओर।
चिंकी का परिवार हवाई जहाज़ में बैठ गया। तीन घंटे के अानंदपूर्ण सफर का अंत दिल्ली हवाई अड्डे पर् हुअा।
चिंकी के मामा 'गोल्डी' ,'नताशा जीजी' के नाम की तख्ती लिए उनका इंतज़ार कर रहे थे।
सभी हँसते खिलखिलाते दिल्ली के पंजाबी बाग़ में स्थित नानी के अावास पर् अा पहुँचे। मामाजी की बेटी 'रिधि' भी चिंकी की हम उम्र थी। दोनों में जल्द ही दोस्ती हो गई.
चिंकी ने तो सब से पहले नानी से सवाल किया ,"नानी चिरकुट कहां है। "
चिरकुट तो ,महमानों को देख यहाँ वहाँ फूदक रहा था। चिंकी ने अपने बैग से गाजर निकाल कर चिरकुट को दिखाया। चिरकुट चिंकी के पास अा गया बस फिर क्या था , चिंकी ,रियान, रिधि औेर चिरकुट लगे, धमा चौकड़ी करने।
मामाजी ने अाकर कहा ," बच्चों अाज जल्दी सो जाना कल सवेरे जल्दी उठकर "राष्ट्रीय उद्यान सिरिसका" जलेगें। यहाँ शेर , चीता , नीलगाय लंगूर अादि जानवर भी देखने को मिलेगें ओर तरह तरह के पक्षी भी "
चिंकी ने कहा , "चिरकुट भी साथ चलेगा न ?" मामाजी ने जवाब में कहा , "पता नही उद्यान में ले जाने की अनुमति मिलेगी या नहीं। " इस पर चिंकी के पिता दिनेश बोले ,"अरे ये सब मुझ पर छोड़ दो मुझे सब जुगाड़ अाता है। "
चिंकी के मामाजी ने कहा,"हूँ घर पर भी तो नहीं छोड़ सकते। माताजी भी तो साथ चल रही है। इस उधान के अंदर पांडुपोल का हनुमान मंदिर भी है। यहाँ दर्शन करने की कब से माताजी की इच्छा थी.'
अगली सुबह मामाजी की बड़ी सी गाड़ी में सब बैठ गए। दिल्ली शहर के शोर गुल अॉर भीड़ भाड़ से दूर राजिस्थान के हलके पहाड़ों और जंगल के शांत वातावरण के बीच ठीक, सिरसका उद्यान के गेट पर ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी।
मामाजी टिकिट खिड़की पर् फीस भरने चले गए तो चिंकी ओर रिधि गेट के बाहर लगे निर्देश पढ़ने लगी. .चिंकी बोली ,"ड्राइवर अंकल गाड़ी की स्पीड तीस किलोमीटर प्र्ति घंटा से ज्यादा मत रखना।'' ड्राइवर ने जवाब में कहां," हाँ बिटिया रानी ,यहाँ हार्न भी नही बजाना वरना जंगल के जानवर विचलित हो जाएंगे।" इस पर् ममीजी बोली ,"कोई भी गाड़ी का शीशा नीचे मत करना।" चिंकी की मम्मी नताशा ने कहा , "गाड़ी के दरवाजे मत खोलना।
अब दादी ने सवाल किया," गाड़ी में पेट्रोल तो है न ?" इस पर् ड्राइवर ने कहा , "हाँ सुबह ही टंकी फुल करवाई है।
मामाजी टिकिट लेकर लौट अाए थे .
सब ने दादी के पींछे पीछे "जै बजरंग बली"का जै कारा लगाया ओर गाड़ी घुस गई 'राष्ट्रीय उधान सिरिसका के गेट के भीतर।
चारों ओर हरे भरे पेड घना जंगल बना रहे थे ,बीच में एक छोटी सी सड़क ,सड़क के दोनों ओर ताड़ के लंबे लंबे वृक्ष। दूर नदी व झरने बनाये गए थे ,जो जंगल को प्राकृतिक रूप प्रदान कर रहे थे।
'रिधि देख वहाँ हिरण। " चिंकी ने रिधि को अपनी खिड़की की ओर इशारा करके कहा। सभी उस ओर देखने लगे. तब नानी ने कहा , "बिटिया ये हिरण नहीं नील गाय है।"
रिधि ने सवाल किया, "लेकिन ये तो हिरण जैसी दिख रही है," मामाजी ने हंस कर कहा,"अभी और अागे जाने पर तुम्हें हिरण ओर बारह सिंगा दिखाई देगा। तभी तुम्हें अंतर मालूम पड़ेगा।
लंगूरों का एक झुंड कर के बहुत समीप अा गया जिनसे डरकर रियान नताशा की गो द में छिप गया। दिनेश सब नज़ारा अपने केमरे में कैद रहे थे।
रिधि ने देखा की चिरकुट के कान खड़े हो गए हैं ओर वह डरा डरा इधर उधर देखने लगा। गोल्डी मामा ने कहा ज़रूर अास-पास कोई बाघ होगा।
कुछ दूर चलने प र एक दो पत्थर की गुफाएँ थी, जिनके बाहर पानी का तालाब था ! एक पत्थर पर् लिखा था ,"सावधान यहाँ बाघ हो सकता है। " वही कुछ दूरी पर् हिरण पूंछ उठाए सरपट दौड़ रहे थे। पक्षी शोर मचा रहे थे। दिनेश ने ड्राइवर से कहा, "ज़रा गाड़ी रोको बाघ की तस्वीर लेनी है"।
ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी।
कुछ ही मिनटों बाद जंगल का राजा शेर गुफ़ा से बाहर निकल ,तालाब से पानी पीने लगा। दिनेश ने धीरे से गाड़ी का दरवाजा खोला और कैमरा लेकर नीचे उतर गया।
नताशा ज़ोर से चिलाई , "ऐ जी कार से नीचे मत उतरिए। " दिनेश ने होठों पर् उंगली रखकर चुप रहने का ईशारा किया। गोल्डी मामा भी चिल्लाकर बोले , "जीजाजी गाड़ी में अा जाइए ,बाघ की नज़र बहुत तेज़ होती है ,शिकार पर निगाह पड़ते ही बाघ बड़ी तेज़ी से छलांग मारकर शिकार पर् झपटता है। " चिंकी ओर रियान कह रहे थे। "'पापा अंदर आ जाओ। दिनेश ने सब को डांटते हुए कहा ,:":तुम सब थोड़ी देर के लिए अपना मुंह बंद रखो। मुझे बाघ का विडियो बनाने दो। "
अभी दिनेश ने विडियो बनाना शुरू ही किया था कि , बाघ की दृष्टि दिनेश पर् पड़ गई। वो तेज़ी से छलाँग लगता हुअा गाड़ी की ओर दौड़ने लगा। दिनेश के हाथ पैंर काँपने लगे , कैमरा हाथ से छूट गया।
अभी दिनेश गाड़ी में चढ़ने के लिए मुड़ा ही था कि, बाघ ने तेज़ी से देनेश पर् झपटा मारा दिनेश जमीन पर गिर गिया। कार में सवार सभी लोगो की घिघी बंध गई!. चिंकी ओर रियान को तो रुलाई अा गई ! शेर दिनेश पर् दुबारा झपटा मारने के लिए पंजा तैयार कर रहा था त,तभी चिंकी के दिमांग में एक उपाय तेज़ी से कोंधा। नानी ने हनुमान जी के मंदिर में चढ़ाने के लिए नारियल पकड़ा हुअा था। चिंकी ने कार का दरवाज़ा खोल झट से नारियल सड़क पर दे मारा।
नारियल का धमाका किसी बंदूक की अावाज़ से कम न था। जिसे सुन कर बाघ वापिस अपनी गुफ़ा की तरफ़ दौड़ गया। गोल्डी ने दिनेश को सहारा देकर कार में बैठा दिया। नारियल का धमाका सुनकर उधान के अधिकारी वहां अI पहुँचे।
सारा मामला जानने के पश्चात उन्होंने दिनेश पर् जुर्माना लगाया और साथ ही उसे लताड़ते हुए कहा,
"यदि तुम स्वयम् ही निर्देषों का पालन नहीं करोगे तो बच्चों को क्या शिक्षा दोगे।" दिनेश बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था। अधिकारी ने कहा अाप तो पढ़े लिखे लोग हो फ़िर अनपढ़ गंवारों से हम् क्या उम्मीद रखें?"
"लापरवाही पर्यटक करते हैं अॉर अांच हमारी व्यवस्था पर् अा जाती है।
क्या हर देशवासी का ये कर्तव्य नहीं , जिस भी पर्यटक स्थल को देखने जाएँ ,उसको साफ सुथरा रखें ओर वहाँ लिखे निर्देशों का पालन करें ?" यह सुनकर सभी के सर् शर्म से झुक गए थे।
देनेश ने हाथ जोड़ कर अधिकारियों से क्षमा माँगी।
अधिकारियों के निर्देशानुसार वह अागे की यात्रा पर निकल पडे! जंगल समाप्त होन पर् पांडवों के काल में स्थापित हनुमान मंदिर भी अ गया। सब ने दर्शन करने के बाद , मंदिर परिसर में अालु की कचौड़ी और मिट्टी के कुल्हड़ की चाय का अानंद लिया। चिरकुट सहमा सा रिधि की गोदी में बैठा था। शायद शहर में रहकर , वह जंगल की ज़िंदगी भूल चुका था या यूँ कहें वह भी शरी ज़िंदगी का अादि हो गया था।
चिंकी का परिवार छुट्टियाँ बिता कर नासिक लौट अाया। लेकिन जो भी जंगल का यह किस्सा सुनता वह ,चिंकी की सूझबूझ पर, कह उठता , वाह ! चिंकी।