Dil ka Rishta - 3 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | दिल का रिश्ता - 3

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दिल का रिश्ता - 3

Raj & Anushka पार्क की उस शाम के बादRaj और Anushka की ज़िंदगी धीरे-धीरे एक नई लय में बहने लगी।सुबह की कॉल्स,दिन के बीच के छोटे-छोटे मैसेज,और रात को लंबी बातें—सब कुछ फिर से वही पुराना सा लगने लगा,लेकिन इस बार ज़्यादा समझदारी के साथ।---लेकिन ज़िंदगी हमेशा आसान नहीं होती…एक शाम अनुष्का अपने ऑफिस से निकली ही थीकि उसके फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया।“Hello… Anushka?”आवाज़ जानी-पहचानी थी।अनुष्का का दिल धक से रह गया—“हाँ… आप?”“मैं काव्या हूँ…Raj की होने वाली मंगेतर।”वक़्त जैसे वहीं थम गया।---फोन कट… और सवालों का तूफानअनुष्का के हाथ काँपने लगे।उसने दोबारा कॉल करने की कोशिश की,लेकिन नंबर बंद था।उसके दिमाग़ में बस एक ही सवाल गूँज रहा था—मंगेतर?’क्या Raj ने उससे कुछ छुपाया है?क्या उनकी नई शुरुआतसिर्फ़ एक गलतफहमी थी?---दूसरी तरफ… Raj पूरी तरह बेखबर थाRaj ऑफिस से निकलकर खुश था।आज उसने अपने बॉस से प्रमोशन की बात भी सुनी थी।वो अनुष्का के लिए सरप्राइज़ प्लान कर रहा था।लेकिन जब उसने अनुष्का को कॉल किया—फोन नहीं उठा।एक बार…दो बार…कई बार।Raj को बेचैनी होने लगी।---रात — आमने-सामनेआख़िरकार अनुष्का ने Raj को मिलने बुलाया।उसकी आँखों में दर्द और सवाल थे।Raj घबराया“क्या हुआ, Anushka?सब ठीक है न?”अनुष्का ने बिना भूमिका के कहा—“Raj…काव्या कौन है?”Raj जैसे सन्न रह गया।“और उसने कहा…वो तुम्हारी होने वाली मंगेतर है।”कमरे में सन्नाटा छा गया।Raj की साँसें तेज़ हो गईं।उसने धीरे से कहा—“Anushka…मुझे सब कुछ समझाने का मौका दो…”अनुष्का की आँखों में आँसू थे—“मैं सुन रही हूँ, Raj…पर इस बार सच चाहिए।”Raj ने गहरी साँस ली।कुछ ऐसा सामने आने वाला थाजो उनकी नई शुरुआत कोया तो और मज़बूत करेगा…या फिर हमेशा के लिए तोड़ देगा काव्या के जाने के बादज़िंदगी जैसे थोड़ी शांत हो गई थी।Raj और Anushka फिर सेएक-दूसरे के साथ सुकून के पल जी रहे थे।लेकिन दिल के किसी कोने मेंदोनों जानते थे—अब रिश्ता उस मोड़ पर आ गया हैजहाँ सिर्फ़ प्यार काफी नहीं होता,फैसले भी लेने पड़ते हैं।---एक शाम — छत पर बातचीतशाम की हल्की हवा चल रही थी।Raj और Anushka छत पर बैठेशहर की रोशनियाँ देख रहे थे।अनुष्का ने चुप्पी तोड़ी—“Raj…हम कब तक ऐसे ही चलेंगे?”Raj ने उसकी तरफ देखा—“मतलब?”अनुष्का ने गहरी सांस ली—“मतलब…हम दोनों सीरियस हैं।तो आगे क्या?”Raj कुछ पल चुप रहा।वो जानता थाये सवाल टालने वाला नहीं है।“Anushka…मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी ज़िंदगी काहर फैसला बनो।लेकिन…मेरे घरवाले थोड़ा पुराने ख्यालों के हैं।”अनुष्का का दिल थोड़ा बैठ गया।“और तुम्हारा क्या फैसला है, Raj?”Raj ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया—“मेरा फैसला तुम हो।पर मुझे वक़्त चाहिए ताकि मैं उन्हें मना सकूँ।”---अगले दिन — अनुष्का के घरअनुष्का की माँ ने धीरे से पूछा—“वो लड़का… Raj…सीरियस है न?”अनुष्का ने मुस्कुरा कर कहा—“हाँ माँ…इस बार दिल से।”माँ ने उसकी पेरशानी सहलाई—“तो फिर देर मत करना बेटा।ज़िंदगी इंतज़ार नहीं करती।”अनुष्का रात भरइसी बात के बारे में सोचती रही।क्या Raj वाकई सबके सामनेउसका साथ देगा?---Raj का इम्तिहानRaj अपने माता-पिता के सामने बैठा था।दिल तेज़ धड़क रहा था।“माँ, पापा…मैं शादी करना चाहता हूँ।”माँ चौंकी—“इतनी जल्दी?”पिता ने सवाल किया—“लड़की कौन है?”Raj ने पूरे भरोसे से कहा“Anushka।जिसके साथ मैं अपनी ज़िंदगी जीना चाहता हूँ।”कमरे में सन्नाटा छा गया।ये सन्नाटाRaj की ज़िंदगी कासबसे मुश्किल पल था।---उधर — अनुष्का की बेचैनीफोन उसके हाथ में था,पर घंटों से कोई कॉल नहीं।उसकी आँखें दरवाज़े पर थींऔर दिल में सवाल“क्या वो मुझे चुनेगा?”---रात — एक मैसेजफोन स्क्रीन जली।Raj:"Anushka…मैंने सब कह दिया है।अब जो होगा,साथ में होगा."अनुष्का की आँखों सेआँसू बह निकले—डर के नहीं,सुकून के।उसने जवाब लिखा"मैं इंतज़ार करूँगी, Raj…लेकिन अकेली नहीं."--दिल का रिश्ता अब सिर्फ़ दो दिलों का नहीं रहा था—अब ये परिवारों, फैसलोंऔर भविष्य का रिश्ता बन चुका (इम्तिहान, इंतज़ार और एक फैसला)रात भर Raj को नींद नहीं आई।माँ-पापा के सामने कही गई बातअब हवा में तैर रही थी—एक सवाल बनकर।दूसरी ओर,अनुष्का भी खिड़की के पास बैठीहर आती-जाती गाड़ी की आवाज़ मेंRaj को ढूँढ रही थी।आज…आज कुछ तय होना था।---सुबह — Raj के घरमाँ ने चाय का कप रखते हुए कहा—“Raj, कल की बात परहमने बहुत सोचा।”Raj का दिल ज़ोर से धड़क उठा।वो चुपचाप बैठा रहा।पिता बोले—“ज़िंदगी सिर्फ़ भावनाओं से नहीं चलती।ज़िम्मेदारी, समझ और साथ चाहिए।”Raj ने हिम्मत जुटाकर कहा“पापा,Anushka सिर्फ़ मेरा प्यार नहीं है,वो मेरा सुकून है,मेरी ताक़त है।मैं उसके बिना अधूरा हूँ।”माँ की आँखें भर आईं।“क्या वो तुम्हारे बुरे वक़्त में भीतुम्हारे साथ खड़ी रही है?”Raj ने बिना रुके कहा—“हाँ माँ…जब सब दूर थे,वो मेरे पास थी।”एक लंबी खामोशी छा गई।---वो पल — जो सब बदल देमाँ ने धीरे से कहा—“तो फिर हम कैसे मना कर सकते हैंउस लड़की सेजो हमारे बेटे को इंसान की तरह संभालती है?”Raj की आँखों में आँसू आ गए।पिता ने गहरी सांस लेकर कहा—“हम Anushka से मिलना चाहते हैं।”ये शब्दRaj के लिए किसी जीत से कम नहीं थे।---उधर — अनुष्का के घरदरवाज़े पर दस्तक हुई।अनुष्का का दिल बैठ सा गया।दरवाज़ा खोला तोRaj खड़ा था—आँखों में राहत, चेहरे पर मुस्कान।“माँ-पापातुमसे मिलना चाहते हैं,”उसने बस इतना कहा।अनुष्का की आँखें नम हो गईं।उसने धीरे से सिर हिलाया—“मैं तैयार हूँ।”---पहली मुलाक़ात — दो परिवारRaj के घर का ड्रॉइंग रूमआज बहुत शांत था।अनुष्का ने पैर छुए।माँ ने उसे गले लगा लिया।“बेटा,Raj के साथ तुमने जो निभाया है,वो हमें दिख रहा है।”अनुष्का की आवाज़ काँप गई—“मैं Raj के साथज़िंदगी भर चलना चाहती हूँ…सुख में भी, दुख में भी।”पिता ने पहली बार मुस्कुराकर कहा—“तो फिर…हम रिश्ता पक्का समझें?”---शाम — दो दिल, एक फैसलाछत पर खड़े Raj और Anushkaडूबते सूरज को देख रहे थे।Raj ने उसका हाथ थामा—“अब कोई डर नहीं, Anushka।”अनुष्का मुस्कुराई“क्योंकि अब दिल का रिश्ता दुनिया के सामने सच हो चुका है।”हवा में सुकून था,आँखों में सपने,और दिलों में हमेशा के लिए साथ रहने का वादा।-- शादी की शुरुआत (रस्में, खुशियाँ और हमेशा का साथ)Raj और Anushka के रिश्ते परअब परिवारों की मुहर लग चुकी थी।घर में जैसे हर दीवार खुशियों से गूंजने लगी थी।---सगाई — पहली रस्मड्रॉइंग रूम फूलों से सजा था।हल्दी और गुलाब की खुशबूहवा में घुली हुई थी।Anushka लाल रंग के सूट मेंशर्मीली सी मुस्कान लिए बैठी थी।Raj की नज़रें बार-बारबस उसी पर टिक जाती थीं।माँ ने अंगूठी आगे बढ़ाई—“Raj, Anushka को पहनाओ।”Raj ने कांपते हाथों सेAnushka की उंगली में अंगूठी पहनाई।हल्की सी छुअन मेंदोनों को लगाजैसे दिल ने भी वादा कर लिया हो।तालियों की गूंज मेंAnushka ने भी Raj को अंगूठी पहनाई।✨ सगाई पूरी हुई।---मेहंदी — रंगों की कहानीमेहंदी की रस्म मेंAnushka की हथेलियाँRaj के नाम से सज गईं।सहेलियाँ छेड़ रही थीं—“Raj का नाम ढूंढो तो सही!”Raj ने मुस्कुराकर कहा—“नाम नहीं,पूरा दिल लिखा है इसमें।”Anushka शरमा गई।मेहंदी का रंग गहरा होता गया,जैसे उनका रिश्ता।---हल्दी — प्यार का आशीर्वादपीली हल्दी सेदोनों के चेहरे दमक उठे।माँ ने सिर पर हाथ रखकर कहा—“हमेशा ऐसे ही हँसते रहना।”Raj ने हल्के से Anushka के कान में कहा“अब तो पीछे हटने का रास्ता नहीं है।”Anushka हँसते हुए बोली—“मैं तो कब की हार मान चुकी हूँ।”---शादी का दिन — सात फेरेशहनाइयों की धुन गूंज रही थी।Anushka लाल जोड़े मेंकिसी सपने जैसी लग रही थी।Raj ने उसकी मांग में सिंदूर भरा।फेरे लेते वक्तदोनों ने एक-दूसरे से वादा किया—> “साथ निभाएंगे,हर खुशी में, हर मुश्किल में।”सात फेरे पूरे हुए।अब वो सिर्फ़ Raj और Anushka नहीं थे—वो पति-पत्नी थे।---विदाई — नम आँखें, मुस्कुराता भविष्यAnushka की आँखें नम थीं।माँ ने गले लगाकर कहा—“खुश रहना बेटा।”Raj ने उसका हाथ थामा—“अब मैं हूँ न।”Anushka ने आख़िरी बार पीछे देखा,फिर Raj के साथ आगे बढ़ गई।---दिल का रिश्ता  अब हमेशा के लिएये सिर्फ़ शादी नहीं थी…ये दो दिलों की जीत थी,दो परिवारों का मिलन था,और एक ऐसे रिश्ते की शुरुआत जो हर इम्तिहान में खरा उतरा ..... 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