A Loyal Soul of the Streets in Hindi Short Stories by Dr. Ashmi Chaudhari books and stories PDF | A Loyal Soul of the Streets

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A Loyal Soul of the Streets

       मेरी वफादारी आप ने कभी देखी हैं??

में डॉगईस्ट भाई आपका , में भी आपकी तरह एक जीव हु , हा फरक इतना है, आप सब बोल सकते हैं, समझ सकते हैं, पर हम क्या करे, हम  जब कुछ बोल देते है, तो लोग हम से दूर भागते है, हमे भी समझो आप लोग।

एक जीव ऐसा है इस दुनिया में जो सारे जीव से भी ऊपर हैं , वह है hamre 🐕 डॉग , डॉग जो वफादारी निभाने मैं इंसान से ऊपर है, इस लिए सब लोग कहते है कि, 

 " अगर जिंदगी में वफादारी सीखनी है, तो इंसान से नहीं पर कुत्ते से सीखे " 

 आज में एक वफादार , जीव की कहानी लिख रही हुं।

उस रात बारिश बहुत तेज़ थी। सड़क गीली थी, ठंडी थी और बेरहम भी। फुटपाथ के नीचे एक मादा कुतिया काँप रही थी — न घर था, न सहारा, न कोई अपना।उसी अँधेरी रात उसने चार बच्चों को जन्म दिया। तीन बच्चे सुबह तक ज़िंदा नहीं रहे।एक बचा। वही इस कहानी की शुरुआत है। उसने आँखें खोलीं तो दुनिया ने सबसे पहले उसे भूख दी, फिर ठंड, और फिर डर सड़क पर पैदा हुए बच्चे रोते नहीं, वे चुपचाप सहना सीख जाते हैं। वह छोटा कुत्ता हर दिन कूड़े में खाना ढूँढता, कभी रोटी मिल जाती, कभी सिर्फ़ बदबू। उसने कभी यह नहीं पूछा कि मेरा कसूर क्या है? क्योंकि सड़क पर जन्म लेने वालों को सवाल पूछने का हक़ नहीं होता। एक दिन एक बूढ़ा आदमी दुकान के बाहर बैठा था। उसने आधी बची रोटी उस कुत्ते की तरफ़ फेंक दी। बस… उसी पल उस कुत्ते को इस दुनिया में अपना पहला रिश्ता मिला। उसने उस आदमी को अपना भगवान मान लिया। वह रोज़ उसी दुकान के बाहर बैठता, चाहे धूप हो या बारिश, चाहे रोटी मिले या न मिले। क्योंकि उसके लिए ,रोटी से ज़्यादा वो इंसान ज़रूरी था। लेकिन दुनिया हर बार ,इतनी अच्छी नहीं होती। कुछ लोगों ने उसे पत्थर मारे। कुछ ने डंडे। कुछ ने सिर्फ़ “भाग जा” कह दिया। वह भाग जाता… लेकिन फिर वापस आ जाता। क्योंकि कुत्ते की वफ़ा मार से नहीं टूटती। वह बोल नहीं सकता था, लेकिन उसकी आँखें सब कहती थीं। उनमें दर्द था, उम्मीद थी, और एक ख़ामोश इंतज़ार था। वक़्त के साथ,  उसका शरीर कमज़ोर हो गया। भूख ने हड्डियाँ गिनवा दीं। ठंड ने साँसें भारी कर दीं,एक रात वह बहुत बीमार था। फिर भी वह,  उसी दुकान के बाहर बैठा रहा, जहाँ उसे पहली बार प्यार मिला था, बूढ़ा आदमी उस दिन नहीं आया, सुबह जब लोग आए, तो वह कुत्ता नहीं उठा।किसी ने कहा —“एक कुत्ता ही तो मरा है।”लेकिन कोई यह नहीं समझ पाया, कि वह सिर्फ़ कुत्ता नहीं था।वह वफ़ा था, वह इंतज़ार था, वह बिना शर्त प्यार था, उसका शरीर सड़क पर रह गया,लेकिन उसकी आत्मा आज भी हर उस गली में भटकती है। जहाँ कोई कुत्ता प्यार की उम्मीद करता है।

                 " अंतिम पंक्तियाँ "

                    इंसान के पास

          घर है, आवाज़ है, पहचान है, 

         फिर भी वह वफ़ा नहीं निभा पाता , 

                  और सड़क का कुत्ता

               जिसके पास कुछ भी नहीं 

                 वह सब कुछ दे देता है, 

                    शायद इसीलिए

       वफ़ादारी आज भी, सड़कों पर ज़िंदा है।