जाड़े के दिन थे और संध्या काल का समय था।गंगा मैया बहुत शांत थी।कभी कभी कुछ लहरें घाट किनारे को छूती थी।अस्त होते हुए सूरज की सुनहरी किरणे उन लहरों को सुनहरे आंचल से ढक रही थी।घाट किनारे आरती की तैयारी हो रही थी।दीप जलाए जा रहे थे।कुछ ही समय बाद अंधेरा होने लगा ।जलते हुए दीपकों की तेज लौ घाट के किनारे को ओर भी खूबसूरत बन रखी थी।घाट की सीढ़ियों पर बैठ कर समीक्षा आन वाली लहरों को देख रही थी। घाट पर आरती के लिए भक्तों का आन बढ़ गया था।ओर देखते देखते सारे घाट पर भीड़ जमा हो गई। लेकिन समीक्षा एकटक निगाहों से किनारे पर धीरे धीरे आने वाली किरणों को देख रही थी। आरती के समय समीक्षा के पास एक लड़की आके बैठ गई। सभी आरती में मग्न हो गए।आरती पूरी होने के बाद समीक्षा ओर पास बैठी लड़की ने एक दूसरे की ओर देखा और दोनों मुस्कुरा दी।थोड़ी देर चुप रहने के बाद समीक्षा ने कहा तुम्हारा नाम क्या है??
मेरा नाम चारु है।
ओर तुम्हारा??
मेरा नाम समीक्षा है।
क्या तुम यहां पहली बार आई हो??चारु ने पूछा
नहीं समीक्षा ने जवाब दिया म इससे पहले भी बहुत बार आ चुकी हूं।
ओर तुम?? समीक्षा ने पूछा
नहीं मैं यहां मेरी एक दोस्त की शादी में आई थी। मुझे घर जन था पर मैं सोचा जब यह आई ही हु तो क्यों न महादेव के दर्शन कर गंगा मैया का आशीर्वाद ले लू।
वैसे तुम क्या करती हो चारु ने पूछा म एक ट्रैवलर हूं।ओर इधर उधर घूमती रहती हूं।तुम??
में एक महिला एनजीओ चलाती हूं।चारु ने कहा
समीक्षा ने चारु से पूछा तुम तो बिजी रहती होगी ना एनजीओ में
हां पर ज्यादा नहीं अच्छा।
चारु ने कहा बहुत अंधेरा हो गया है।हमे चल चाहिए ये कहने के बाद दोनों लड़कियां वह से चली गई।
चारु होटल इंपीरियल में रुकी थी। ओर समीक्षा अपनी एक दोस्त के घर
देर होने के कारण बहुत लोग जा चुके थे समीक्षा ओर चारु भी जा चुकी थी।पर भी घाट पर काफी चहल पहल थी।
समीक्षा अगली सुबह पांच बजे फिर घाट पर जा बैठी।सुबह सुबह की ठंडी हवाएं न केवल शरीर को बल्कि मन को भी बहुत शीतलता का अनुभव करवाती थी। समीक्षा बहुत देर तक इस शीतलता ओर एकांत का आंनद लेने लगी। तकरीबन एक घंटे बाद अचानक उसकी निगाह चारु पर पड़ी जो थोड़ी दूर एक मल्लाह से बात कर रही थी।पर उसने उसे परेशान करना ठीक नहीं समझा। और वही बैठी रही।चारु भी बाते करके वापस घाट पर आकर बैठ गई।थोड़ी देर तक निगाहे फैलाने के बाद उस जोर से आवाज लगाई समीक्षा
समीक्षा ने दूर से हाथ हिलाया और चारु ने भी हाथ हिलाया और समीक्षा के पास आकर बैठ गई। कुल्हड़ वाली चाय पाओगी ??
समीक्षा ने मजाक की भाषा में बोला तुम पिलाओगी तो पी लेंगे। चलो चलते है।
दोनों चाय पिन के बाद के बाद कुछ देर सीढ़ियों पर बैठ गई।समीक्षा ने घड़ी देखी अरे नौ बज गए।
चारु ने कहा अब हमे चलना चाहिए समीक्षा ने कहा हां ओर दोनों वहां से चली गई।
एक दिन बाद समीक्षा ओर चारु फिर घाट पर आई। चारु ने समीक्षा से नाव की सैर के लिए कहा समीक्षा भी इसके लिए तैयार हो गई। समीक्षा नव वाले से बात करने के लिए जा ही रही थी कि तभी चारु ने कहा मैंने नाव बुक कर रखी है चलो चलते है।
दोनों नाव पर बैठ गई।थोड़ी देर बाद समीक्षा ने चारु से कहा तुम अपने बारे में कुछ बताओ ना
तब चारु ने कहा मैं बताया तो था म एक एनजीओ चलाती हूं। तो तुम्हे उन औरतों के बारे में कैसे पता लगा ओर तुम उनकी मदद कैसे करती हो
चारु ने कहा ये सब औरतें घरेलू हिंसा का शिकार थी।किसी के सास ससुर दहेज के लिए मरते पीटते थे। तो किसी का पति शराब पीकर मार पिट करता था। तीन औरतों के पतियों के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है । ये तीनों ही औरते बहुत सरल स्वभाव की है।सब के बारे में सोचती है।पर भगवान की मर्जी न जन क्या थी जो सब के बारे में सोचती थी उसके बारे में सोचना वाला कोई नहीं था। समीक्षा ने कहा ये बात तुम्हारी बिल्कुल सही है। जो औरत घर में एक एक चीज का ध्यान रखती है जिसे घर में हर सामान का ठीक जगह मालूम होती है उसे उसी घर में यदि उससे उसकी सही जगह पूछी जाए तो वह बिल्कुल चुप रह जाती है। हो भी क्यों ना घर में हर कोई उसे केवल काम की एक मशीन समझता है जिसकी याद केवल काम के वक्त आती है। और काम खत्म होने के बाद उसे बिल्कुल भुला दिया जाता है। सब भूल जाते है कि उसी घर में एक ऐसी औरत भी रहती है जो उस मकान को घर का रूप देती है। हां सही खा तुम्न समीक्षा
लेकिन तुमने अपने बारे में तो कुछ बताया ही नहीं चारु ने कहा समीक्षा ने कहा म अक्सर घूमती फिरती रहती हु जब मैं पिछली बार यहां आई थी तब मुझे यहां एक लड़के मिला था जिसका नाम सुमित था।सुमित यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था लेकिन वह मैंस मे कुछ अंकों से रह गया था इसलिए वह मानसिक तनाव का शिकार हो चुका था। डॉक्टर की सलाह पर वह बनारस आया था। सुमित के माता पिता का देहान्त हो गया था।ओर सुमित एक अच्छे परिवार से था।वह प्रयागराज का रहने वाला था लेकिन उसकी भाभी से अक्सर उसकी कहा सुनी हो जाती थी इसलिए वह दिल्ली आ गया था।ओर दिल्ली में अकेला रहा करता था।सुमित बहुत अच्छे स्वभाव का लड़का था। इसलिए हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी।ओर दोनों ने यहां अच्छा समय बिताया था।
बातों बातों में बहुत देर हो चुकी थी।इसलिए दोनों ने अब जाने के लिए कहा तभी चारु ने कहा म कल अपने घर जा रही हूं। समीक्षा ने कहा मैं भी कल अपन घर जा रही हूं।तो हम कल एयरपोर्ट पर साथ चले
अगली सुबह दोनों लड़कियां साथ में एयरपोर्ट पहुंची लेकिन दोनों ही मन ही मन उदास थी। लेकिन दोनों ही एक दूसरे के साथ बिताए उन खास यादों को याद कर रही थी। तभी चारु की फ्लाइट आ गई और चारु ने मुस्कुरा कर कहा फिर मिलेंगे और दोनों की आंखों से आंसू आ गए। लेकिन दोनों ने ये बात जाहिर नहीं होने दी दोनों ने के दूसरे को गल लगाया और चारु चली गई।