Lance ke paar ek tasveer pyar ki - 2 in Hindi Love Stories by vikram kori books and stories PDF | लैंस के पार एक तस्वीर प्यार की - 2

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लैंस के पार एक तस्वीर प्यार की - 2

Part - 2 

तो दोस्तों पार्ट 2 आ चुका है । ✌️


उस रात जब शादी खत्म हुई,

‎तो  हॉल में बस कुछ लोग बचे थे —
‎लाइट्स धीमी हो चुकी थीं,
‎फूलों की खुशबू अब भी हवा में तैर रही थी।
‎प्रेम अपनी टीम के साथ कैमरे पैक कर रहा था,
‎पर उसका मन बार-बार उस गुलाबी लहंगे वाली लड़की की ओर जा रहा था।
‎नाम तक नहीं पता था,
‎लेकिन चेहरा ऐसे याद था जैसे बचपन की कोई प्यारी याद।
‎सुबह जब प्रेम होटल के कमरे में उठा,
‎तो बाहर से शादी के संगीत की आवाज़ आ रही थी —
‎अभी विदाई का समय था।
‎वो कैमरा लेकर नीचे पहुँचा।
‎दुल्हन रो रही थी, परिवार गले मिल रहे थे,
‎हर चेहरा किसी न किसी जुदाई की कहानी कह रहा था।
‎प्रेम ने वो सब अपने कैमरे में कैद किया,
‎पर उसकी आँखें किसी और को ढूंढ रही थीं…
‎हाँ, रेशमा को।
‎कुछ ही देर में वो दिखी —
‎दुल्हन के पास, आँसू पोंछती हुई।
‎उसके चेहरे पर दर्द था, पर मुस्कान अब भी थी।
‎वो वही थी…
‎वो मासूमियत, वो सादगी, वही रेशमा।
‎प्रेम ने कैमरा उठाया,
‎और बिना कुछ कहे उसकी एक कैंडिड फोटो ले ली।
‎वो फोटो इतनी सुंदर थी कि खुद प्रेम भी उसे कुछ देर तक देखता रहा।
‎शादी खत्म हुई,
‎प्रेम की टीम ने वापसी की तैयारी की।
‎पर जाते-जाते उसने एक झलक और ली —
‎रेशमा गेट पर खड़ी थी।
‎उसकी आँखें कुछ कह रही थीं,
‎पर आवाज़ किसी ने नहीं सुनी।
‎दो दिन बाद — सागर शहर।
‎प्रेम अपने स्टूडियो में बैठा था।
‎लैपटॉप पर शादी की तस्वीरें एडिट कर रहा था,
‎एक के बाद एक फोटो स्क्रीन पर आती जा रही थी —
‎खुशियाँ, मुस्कुराहटें, सजावटें…
‎और फिर वो फोटो आई — रेशमा की।
‎वो तस्वीर जैसे रुक सी गई।
‎हर पिक्सल में एक कहानी थी।
‎वो उसकी आँखों में खो गया —
‎जैसे लेंस से नहीं, दिल से देख रहा हो।
‎उसने वो फोटो सेव की,
‎एक अलग फोल्डर में —
‎नाम रखा:
‎"Unknown Smile"
‎दिन बीतते गए,
‎पर प्रेम उस मुस्कान को भूल नहीं पाया।
‎कभी एडिट करते हुए, कभी शूट के दौरान,
‎हर जगह उसे वही चेहरा याद आता।
‎एक दिन वो फिर से उसी परिवार से संपर्क में आया —
‎शादी की एल्बम डिलीवर करनी थी।
‎उसने पूछा,
‎“भाई साहब ,  बो जो लड़की उस दिन दुल्हन के साथ थीं,
‎“अरे वो रेशमा, हमारी छोटी बहन!”
‎नाम सुनते ही जैसे प्रेम का दिल तेज़ धड़कने लगा।
‎रेशमा।
‎अब उसे नाम मिल गया था, चेहरा तो पहले से याद  था ही।
‎एल्बम डिलीवरी के बहाने
‎वो फिर जबलपुर पहुँचा।
‎घर में सबने उसका स्वागत किया,
‎क्योंकि उसका काम सबको पसंद आया था।
‎रेशमा भी वहीं थी —
‎हल्के नीले सूट में, बाल खुले हुए,
‎और वही पुरानी मुस्कान।
‎रेशमा ने धीरे से कहा।
‎“आप… प्रेम जी ना? वो फोटोग्राफर?”
‎प्रेम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
‎“हाँ… और आप रेशमा जी,
‎जिन्होंने उस दिन पानी दिया था।”
‎दोनों हँस दिए।
‎वो छोटी-सी मुलाकात फिर से एक नई गर्माहट ले आई।
‎उस दिन शाम को जब सब लोग घर के अंदर थे,
‎रेशमा बालकनी में आई।
‎हवा में ठंडक थी, आसमान में हल्के बादल।
‎प्रेम कैमरा लेकर बाहर निकला।
‎रेशमा ने पूछा।
‎“आपको अब भी फोटो लेना अच्छा लगता है?”
‎प्रेम बोला,
‎“हाँ, पर कुछ चेहरे ऐसे होते हैं
‎जिन्हें बार-बार क्लिक करने का मन करता है।”
‎रेशमा हल्का-सा शर्मा गई।
‎वो पल कुछ सेकंड का था,
‎पर दोनों के लिए एक ज़िंदगी जैसा एहसास था।
‎धीरे-धीरे बातों का सिलसिला बढ़ने लगा।
‎कभी मैसेज, कभी कॉल, कभी अचानक कोई फोटो शेयर —
‎हर बात में एक मिठास थी।
‎रेशमा का स्वभाव बहुत सीधा-सादा था।
‎वो दूसरों की मदद में हमेशा आगे रहती,
‎और प्रेम उसकी मासूमियत पर दिल हार चुका था।
‎वो अक्सर कहता,
‎“रेशमा, तुम वो इंसान हो जो दुनिया को ठीक करने में लगी रहती हो,
‎और खुद कभी शिकायत नहीं करती।”
‎रेशमा हँसकर कहती,
‎“आपको तो सबको मुस्कुराने की आदत है,
‎खुद मुस्कुराना मत भूल जाना।”
‎एक दिन रेशमा ने पूछा,
‎“आप हमेशा कैमरे के पीछे क्यों रहते हैं?
‎कभी अपने लिए भी कोई फोटो क्लिक की?”
‎प्रेम ने कहा,
‎“नहीं, मैं तस्वीरें बनाता हूँ, खुद तस्वीर नहीं बनना चाहता।”
‎रेशमा बोली,
‎“कभी-कभी जो दूसरों की यादें सँवारता है,
‎उसे भी यादों में होना चाहिए।”
‎ रेशमा बोली,
‎“आज मैं आपकी फोटो क्लिक करूँगी।”
‎प्रेम थोड़ा हिचकिचाया,
‎पर रेशमा ने हँसते हुए कैमरा उठा लिया।
‎उसने कहा,
‎“अब मुस्कुराइए ना, मिस्टर फोटोग्राफर।”
‎ कैमरा क्लिक हुआ ! 📸
‎वो पल बस यूँ ही निकल गया,
‎पर वो तस्वीर… उनके रिश्ते की पहली निशानी बन गई।
‎अब दोनों की बातें बढ़ती गईं।
‎प्रेम कभी सागर से जबलपुर आता,
‎कभी रेशमा किसी बहाने सागर।
‎वो साथ घूमते, हँसते, बातें करते —
‎कभी संजय ड्राइव, तो कभी चकरा घाट, तो कभी अटल पार्क में  बैठते, कभी कैमरे से खेलते।
‎अब रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ चुका था।
‎दोनों के बीच अब प्यार की खुशबू थी —
‎वो हल्की, सच्ची और दिल को छू जाने वाली।
‎प्रेम के लिए रेशमा उसकी “परफेक्ट तस्वीर” थी,
‎और रेशमा के लिए प्रेम वो इंसान
‎जो उसे उसकी मुस्कान से ज्यादा समझता था।



        आखिर क्या हुआ आंगे, क्या रेशमा और प्रेम एक हो पाएगा क्या , रेशमा प्रेम से शादी की बात करेगी , क्या दोनों को फैमिल शादी के लिए मान जाएगी । 
 

 जानने के लिए हमें फॉलो करे अगला पार्ट जल्द ही आयेगा। 


     Story writer By _

                                   Vikram kori