A mother's awareness of her daughter. in Hindi Classic Stories by Chhaya Seladiya books and stories PDF | मां की अपनी बेटी के प्रति जागरूकता।

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मां की अपनी बेटी के प्रति जागरूकता।

मंगू को पागल अस्पताल के डॉक्टर के पास रखने की सलाह लोग अमरतकाकी को देते, तो उनकी आंखों में ममता भरे आंसु जैसी भावनाएँ भर जातीं और हर किसी को वे एक ही जवाब देतीं। वे कहतीं, “अगर मैं माँ बनकर सेवा नहीं कर सकती, तो अस्पताल वालो की क्या अपेक्षा? कीसी बेसहारा पशु को पींजरे मैं डालने जैसा होगा।''
अमरतकाकी जन्ड़म से पागल अपनी लडकी की जिस तरह पालन, पोसश किया, सेवा की और प्यार किया, वह सब लोगों ने प्रत्यक्ष देखा और उसकी तारीफ़ भी की। लोग कहते थे कि ऐसी लड़की को तो केवल अमरतकाकी ही सँभाल सकती हैं।दूसरों के घर भूखे बच्चों की हालत हो सकती है, लेकिन जीवित रहते हुए ऐसा मजबूत शरीर नहीं होता। मंगू के अलावा अमरतकाकी के तीन बच्चे थे—दो बेटे और एक बेटी। अमरतकाकी ने उन दोनों बच्चों को भूल गई हों जैसे, उनका पूरा मातृत्व मंगू पर ही केंद्रित था। इसलिए जब छुट्टियों में बेटे अक्सर घर आते, तो घर बच्चों की हँसी-खुशी से गूँज उठता, फिर भी दादी के रूप में अमरतकाकी कभी खुशी से झूमती नहीं थीं। शायद ही वे बच्चों को लाड़-प्यार देतीं या खेलाती 
          बेटों को उनकी यह हरकत कोई विशेष लगती नहीं थी, लेकिन बहुएँ परेशान हो जातीं। दोनों बहुओं के पति की एक ही शिकायत थी—बेटों के बच्चे उन्हें पसंद नहीं करते और पागल मंगु को हीरे की तरह सीने से अलग नहीं करते थें। बेटी की माँ सीधे कह देती थी, “मंगू को गलत लाड़-प्यार देकर तुमने उसे और ज़्यादा बिगाड़ दिया है। अगर आदत डालें तो जानवर को यह समझ आता है कि कहाँ पेशाब करना है और कहाँ नहीं, तो सालों का समय है लेकिन अगर आदत डाल दी जाए तो कितना भी बिगड़ा हुआ क्यों न हो, वह सीख लेता है। वह मूंगी है पर कोई अज्ञानी नहीं कि हमारी बात न समझे। गलती करे तो दो चांटा खाएगी और अगली बार तुरंत सीख जाएगी।”
बेटी आगे कुछ बोले उसे पहले ही अमरतकाकी की आंखों में आंसू आने लगे। बेटी का भी दिल भर आया; लेकिन उसने कठोर हिम्मत दिखाते हुए मन का बोझ निकालते हुए कहा:
“मै हमेशा वहीं नहीं बैठूंगी। बहुओं को जब जरूरत पड़ेगी, तब रोज़ उनके मलमूत्र धोने जैसी कोई झंझट नहीं करनी पड़ेगी, और वे दुखी होंगी।”
थोड़ी देर रुककर धीरे-धीरे वह कहती:
“ अस्पताल से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जो होना है, वही होगा, लेकिन पेशाब और कपड़ों की देखभाल का ध्यान आएगा, बस यही पर्याप्त है। भाइयों के घर में भगवान ने बहुत साधन दिए हैं। बहुएँ इतनी कठोर भी नहीं हैं कि खाने की अनुमति न दें।”
जब अमरतकाकी लोगो को अस्पताल के बारे में पिंजरे जैसी उपमा देती थीं और लोग पराए जैसे महसूस होते थे, तो बेटी ने बेझिझक कह दिया:
“अस्पताल पिंजरे जैसा होगा और शायद अगर मंगु मर गई, तो इससे उसका और उसके परिवार का छुटकारा होगा!”
जब बेटे कमा ते तब, और बेटी ससुराल में सुविधाएँ पाती, तब मैं माँ बन जाऊँ इसका कोई अर्थ नहीं। मंगु की सही माँ बनना ही मेरे रक्त का वचन है। इसलिए बेटी कहती और बेटे कहते, पर मंगु को अस्पताल के जरिए मौत के पास भेजने में अमरतकाकी तैयार नहीं थीं।
बेटों ने माँ की भावना को समझ लिया था, इसलिए वे कभी ऐसी बात नहीं करते थे। केवल बेटों के मन में एक संदेह था कि अगर कोई प्रशिक्षित नर्स या डॉक्टर की देखभाल में रखेंगे, तो शायद आदत के कारण मंगु पेशाब और कपड़ों का ध्यान रख पाएगी; लेकिन ऐसी सुविधा घर में संभव नहीं थी। इसलिए वे मौन रहे।
फिर भी अमरतकाकी ने अपनी श्रद्धा अनुसार उपचार जारी रखा। दवा करने वाले घर पर आते। शिलाजीत या हींग बेचने वाले मंगु को जानते थे और दावा करते कि वे दवा जानते हैं। अमरतकाकी मानती थीं कि हजार उपचार किए जाएँ, फिर भी एक उपाय जरूर काम आएगा। इसलिए वे दूसरों की बातें गंभीरता से सुनतीं और श्रद्धा के साथ मानतीं। जोशी और भुवाओं भी बार-बार आते। एक जोशी ने कहा कि अगले मागशर महीने में उसकी दशा बदल जाएगी, इसलिए सब ठीक हो जाएगा। तब से मागशर महीना अमरतकाकी का आराध्य बन गया।
मागशर महीने में मंगु चौदह साल की होने वाली थी। इसलिए कोई भी साधारण व्यक्ति जैसी तरंग नहीं झेल पाए, वैसी तरंग अमरतकाकी झेल चुकी थीं। चौदहवें साल उसकी विवाह की तैयारी हो चुकी होती। अगर मंगु ठीक हो जाती, तो आज उसका विवाह भी तय हो चुका होता।(पुराने जमाने की बात है जहां बाल विवाह संभव था।)मागशर महीने में अगर वो ठीक हो जाए... 
जैसे मानो वो ठिक हो गई हो, तो विवाह की योजना पर विचार भी शुरू हो जाता।
एक बार मंगु चौदह वर्ष की लड़की जैसी ही पेशाब करने बैठी, तो अमरतकाकी बहुत प्रसन्न हुईं और कई दिनों तक हर किसी को बताया:
“जोशी की बात सच होगी। मंगु ने कभी नहीं, और यह पहली बार है कि उसने बाथरुम में पेशाब किया!”
सुनने वाले के लिए यह सुनकर चुप रहना मुश्किल था, क्योंकि जब यह सुनते, तब मंगु पेशाब करके गीली मिट्टी को उंगली से खोदती नजर आ रही थी।
आगे उसकी मां का विचार बदल जाता है।जानने के लिए प्रतिक्षा करें।___________