shweta kavya sangrha in Hindi Book Reviews by Sudhir Srivastava books and stories PDF | पुस्तक समीक्षा - श्वेता (काव्य संग्रह)

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पुस्तक समीक्षा - श्वेता (काव्य संग्रह)

पुस्तक समीक्षा 
सामाजिक व्यवहारिक चिंतन का काव्य संग्रह 'श्वेता' 
                                   समीक्षक- सुधीर श्रीवास्तव 

     वरिष्ठ कवि/शिक्षक/पत्रकार डा. ओम प्रकाश द्विवेदी 'ओम' जी का प्रस्तुत काव्य संग्रह श्वेता कवि के जीवन में घटित घटनाओं की परिणति है।
    यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि प्रस्तुत संग्रह में कवि के शिक्षकीय अनुभव झलकता है। कवि 'दो शब्द' में संग्रह की रचनाएं मन को छूती हैं, तो हृदय को द्रवित करती हैं, जिससे भावनाएँ उत्पन्न हो और व्यक्ति के लिए प्रेरणादाई हो। जीवन सरल व सौम्य हो।
    वरिष्ठ कवयित्री डा. गीता पाण्डेय 'अपराजिता' के अनुसार कवि की दृष्टि में बेटी बेटे से कम नहीं होती है । ज्ञातव्य है कि श्वेता कवि की पुत्री भी है।
      हमारा हिन्दुस्तान के संस्थापक/ वरिष्ठ कवि स्व. निर्दोष जैन लक्ष्य जी महसूस कर रहे थे कि संग्रह की रचनाएं समाज को तदगत विचारों से मार्गदर्शक बन हृदय स्पंदन को प्रभावित करेंगी।
      110 रचनाओं वाले इस संग्रह में विविध विषयों/ विधाओं की रचनाओं को समायोजित कर बहुरंगी गुलदस्ता बनाने का सुंदर प्रयास किया गया है। जिससे संग्रह की ग्राह्यता निश्चित रूप से अधिक प्रभावी साबित होने जा रही है।

गणेश वंदना की दो पंक्तियां देखिए -
सफल करहु मम लेखन कामा।
ओम विनय कर पहुंचत धामा।।

तन मैल तूने धोया ईश्वरीय सत्ता की सर्वत्र व्यापकता का संदेश देने की कोशिश में कवि बेबाक ढंग से कह रहा है -
उठ भोर नित कर दर्शन कर,
मातु पितु सिर नवाया ही चल।
बड़ आदर में ही हरि बसत,
मन राम सुंदर करते ही चल।।

दान की महत्ता को रेखांकित करते हुए कवि आवाहन करता है -
अन्नदान कर तुम, विद्यावान संग देर,
आत्म संतुष्टि का वह जरिया बनता है।
मान मर्यादा रहते तन मन खुश होत,
बुद्धि व विवेक मन खिल-खिल जाता है।

संयोग की रचना की पंक्तियां सीधे संवाद करती प्रतीत होती हैं -
इहि राह कठिन पथिक बना,
संयोग वियोग संग संम्बेदना।
रस रास रंज रंजन रचित,
क्लान्त हृदय वह स्पर्शना।।

भावनात्मक संवेग की इन पंक्तियों पर गौर करना ही चाहिए -
भावनाएं ये कहती मेरी सुन लो,
मेरे प्रियतम की सुंदर कहानी सही।

संग्रह की अंतिम रचना प्रवाह कवि की ओर सही सलाह देती है -
बहने दो/रोको मत/धारा प्रवाह तीव्र है।

      संग्रह की रचनाओं में सामाजिक, व्यवहारिक, उद्देश्यपरक भावों के साथ विविध विषयों की रचनाओं के साथ संग्रह को बहुआयामी स्वरूप देने का सुंदर सार्थक प्रयास कवि ने किया। रचनाओं को देखने पढ़ने पर महसूस होता है कि कवि आध्यात्मिक, व्यवहारिक, सामाजिक चिंतन के साथ अपनी काव्य यात्रा को निरंतर जारी रखते हुए आगे बढ़ने की इच्छा रखता है। ईश्वर में उनका आस्था विश्वास प्रबल है।
     एक दर्जन से अधिक संग्रहों के प्रकाशन के साथ साहित्यिक यात्रा जारी रखना भले ही स्वांत: सुखाय लगता है, फिर भी अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का सुंदर उदाहरण भी माना जा सकता है।
       बिना किसी झिझक/ संकोच या कौन क्या कह या सोच रहा है, इसे दरकिनार कर अपनी सृजन यात्रा को अबाध गति से जारी रखना धैर्य, साहस और जिम्मेदारी का प्रतीक है। रचनाओं में शिक्षकीय ज्ञान, अनुभव संग्रह को बेहतर बनाने में प्रभावी भूमिका में हैं।
      इंशा पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह श्वेता के अंतिम पृष्ठों पर दिया गया कवि परिचय प्रारंभ में अनुक्रमणिका से पूर्व दिया जाता, तो और बेहतर होता।
       अंत में यह कहने में संकोच नहीं है कि श्वेता जन सामान्य के पाठकों को भी अपनी ओर खींचने में समर्थ है। संग्रह की सफलता के साथ कवि ओम जी के सुखद भविष्य और उज्जवल साहित्यिक यात्रा की बधाइयां शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।