Dosti ka saaya in Hindi Moral Stories by Mankhush Jha books and stories PDF | दोस्ती का साया

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दोस्ती का साया

01 दोस्ती का साया 



 1 – नया स्कूल, नई ज़िन्दगी

सुबह की ठंडी हवा चल रही थी। आसमान में हल्के बादल थे और सड़क पर बच्चों के कदमों की आवाज़ गूंज रही थी।
Jeetu ने अपनी कमीज़ ठीक की, बैग उठाया और गहरी सांस ली।
आज उसका नए स्कूल में पहला दिन था — St. Mary’s High School।
दिल में एक अजीब-सी घबराहट थी, जैसे हर नया बच्चा महसूस करता है।

गेट के बाहर कुछ बच्चे हँसते-बोलते अंदर जा रहे थे।
Jeetu ने धीमे कदमों से भीतर कदम रखा।
“यही से मेरी नयी ज़िन्दगी शुरू होती है…” उसने मन ही मन कहा।

क्लास में जैसे ही वो दाख़िल हुआ, एक चॉक हवा में उड़ी और सीधा उसकी शर्ट पर जा लगी।
पूरा क्लास ठहाके मारने लगा।
Jeetu एक पल को सन्न रह गया, फिर गुस्से में इधर-उधर देखा।
पीछे की बेंच पर एक लड़का बैठा था — आँखों में शरारत, होंठों पर मुस्कान, और आवाज़ में आत्मविश्वास।
वो बोला,
“स्वागत है, नए मेहमान का!”

क्लास फिर से हँस पड़ा।
Jeetu ने भौंहे सिकोड़ते हुए कहा,
“क्या यही तरीका है किसी का स्वागत करने का?”
लड़का मुस्कराया, “अरे, बस टेस्ट ले रहा था — देखना था कि तू कितना सीरियस है ज़िन्दगी में।”

टीचर आ गईं और माहौल शांत हो गया।
लेकिन Jeetu के दिल में वो पल कहीं चुभ गया था।
उसे लगा — “ये लड़का थोड़ा अकड़ू है।”
नाम पता चला — Arnav।

अगले कुछ दिन दोनों के बीच ठंडा सा माहौल बना रहा।
ना बात होती, ना मुस्कान का आदान-प्रदान।
लेकिन तक़दीर को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन क्लास में दोनों किसी बात पर बहस कर बैठे।
टीचर ने झुंझलाकर कहा, “तुम दोनों जाओ और एक घंटा डिटेंशन रूम में बैठो — बिना बोले।”
कमरे में सन्नाटा पसरा था।
Jeetu खिड़की के पास बैठा बाहर पेड़ों को देख रहा था, जबकि Arnav ऊबते हुए मेज़ पर उंगलियाँ चला रहा था।
कुछ देर बाद उसने चुप्पी तोड़ी —
“क्रिकेट खेलता है?”
Jeetu ने हैरान होकर देखा — “हाँ, बॉलर हूँ। क्यों?”
Arnav मुस्कराया, “मैं बैट्समैन हूँ। चल, कल मैच है। टीम बना लेते हैं। दुश्मनी मिटाने का इससे अच्छा तरीका क्या होगा?”

Jeetu मुस्करा दिया। शायद पहली बार उसे Arnav बुरा नहीं लगा।
और यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई।

धीरे-धीरे दोनों की जोड़ी स्कूल में मशहूर हो गई।
लंच टाइम में साथ बैठना, होमवर्क शेयर करना, और क्लास के बाद साइकिल से घर तक साथ आना — सब रोज़ की बात हो गई।
Arnav थोड़ा बेफिक्र था, जबकि Jeetu सीधा-सादा और शांत स्वभाव का।
पर दोनों एक-दूसरे को पूरा करते थे।

एक दिन जब स्कूल की छुट्टी के बाद अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई, तो दोनों पेड़ के नीचे खड़े होकर भीगते रहे।
Arnav हँसते हुए बोला,
“Jeetu, ज़िन्दगी भी इस बारिश जैसी है… जब तक साथ में कोई दोस्त हो, ठंड नहीं लगती।”
Jeetu मुस्कराया और बोला,
“और जब बारिश बंद हो जाती है, तो वही दोस्त धूप बन जाता है, जो हमें फिर से गरमाहट देता है।”

Arnav ने उसकी बात सुनी और हल्की मुस्कान दी —
वो मुस्कान जो आगे चलकर उनकी पूरी ज़िन्दगी का हिस्सा बनने वाली थी।

उस दिन की बारिश थम गई थी,
लेकिन उसी बारिश में एक दोस्ती जन्म ले चुकी थी —
जो आने वाले वक्त में उनके जीवन की सबसे खूबसूरत,
और सबसे दर्दनाक कहानी बनने वाली थी।




 2. – “Chalk aur Cricket”

अगले दिन स्कूल में सूरज थोड़ा ज़्यादा चमक रहा था। मैदान में बच्चों की भीड़ थी। चारों ओर जोश था, और सबकी नज़रें बस एक जगह टिक गई थीं — Jeetu और Arnav की टीम पर।

“Ready हो ना, bowler saab?” Arnav ने हँसते हुए कहा।

Jeetu ने मुस्कराते हुए गेंद हवा में उछाली — “तू बस बल्ला संभाल ले, बाकी मैं संभाल लूंगा।”

मैच शुरू हुआ। पहली ही गेंद पर Arnav ने जोरदार चौका मारा — पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा। दूसरी गेंद पर फिर चौका… तीसरी पर छक्का! सामने वाले बच्चे बोले, “भाई, ये तो Don Bradman का chhota bhai lagta hai!”

लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको हैरान कर दिया। Jeetu ने एक स्लो यॉर्कर डाली — गेंद सीधा Arnav की पैड पर लगी — आउट! पूरा मैदान एक पल को चुप हो गया, फिर हँसी के फव्वारे फूट पड़े।

Arnav ने गुस्से में बल्ला फेंका — “अरे यार, धीरे डाल सकता था!”

Jeetu हँसते हुए बोला, “मैदान में दोस्ती नहीं चलती, वहाँ तो बस खेल चलता है।”

दोनों की आँखों में वो बचपन की चमक थी — दुश्मनी नहीं, बस मज़ाक की लड़ाई थी। उस दिन से दोनों के बीच “चॉक और क्रिकेट” का रिश्ता बन गया — क्लास में चॉक से लड़ाई, मैदान में गेंद से।
दिन बीतते गए… Jeetu topper बन गया, और Arnav sports champion। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। कभी कोई होमवर्क भूल जाए, तो दूसरा पूरा कर देता। कभी डाँट पड़ती, तो साथ में झेलते।

एक दिन स्कूल के बाद जब दोनों साइकिल से घर लौट रहे थे, तो Arnav ने पूछा — “Jeetu, तू इतना सीरियस क्यों रहता है हमेशा?”

Jeetu ने कहा — “क्योंकि ज़िन्दगी आसान नहीं है। सबको एक दिन साबित करना पड़ता है कि हम कौन हैं।”

Arnav ने हँसते हुए बोला — “और मुझे लगता है कि ज़िन्दगी जीने के लिए है, साबित करने के लिए नहीं।”

दोनों की सोच अलग थी, लेकिन यही फर्क उनकी दोस्ती को और गहरा बना रहा था।
स्कूल का आख़िरी दिन आया। सभी बच्चे इमोशनल थे। किसी की आँखों में आँसू थे, तो किसी की आँखों में सपने। Jeetu और Arnav छत पर बैठे थे, ठंडी हवा बह रही थी।

Arnav बोला — “यार, एक दिन हम बड़े हो जाएंगे, अलग कॉलेजों में चले जाएंगे… फिर क्या हमारी दोस्ती भी खत्म हो जाएगी?”

Jeetu ने आसमान की तरफ़ देखा और कहा — “नहीं Arnav… हमारी दोस्ती चॉक की तरह नहीं है जो मिट जाए, ये तो cricket ke ball ki तरह है — कभी गुम हो सकती है, पर मिलते ही फिर वही game शुरू हो जाएगा।”

Arnav मुस्करा दिया। नीचे स्कूल की घंटी बजी, और ऊपर आसमान में एक उड़ता हुआ पतंग दिखा — जैसे उनकी दोस्ती उस नीले आकाश में अपनी जगह ढूंढ चुकी थी।.


भाग 3 – “नए रास्ते, नए सपने”

वक़्त ने करवट बदली थी। स्कूल के नीले यूनिफॉर्म अब कॉलेज की आज़ादी में बदल चुके थे। Jeetu और Arnav दोनों का एडमिशन एक ही कॉलेज में हुआ — City Central College।

पहला दिन — वही पुराना जोश, वही मस्ती, बस जगह नई थी। कॉलेज कैंपस बड़ा था, हवा में अजीब सी ताजगी थी। Arnav हमेशा की तरह लोगों से जल्दी घुलमिल गया, जबकि Jeetu अब भी वही थोड़ा serious, थोड़ा shy लड़का था।

लंच टाइम पर कैंटीन में सब दोस्तों का झुंड हँसते हुए बैठा था। तभी दरवाज़े से एक लड़की अंदर आई — सफेद सूट में, खुले बाल, हाथ में किताबें… और आँखों में कुछ ऐसा जो ठहराव ला दे। पूरा कैंटीन कुछ पल के लिए शांत हो गया।

Arnav ने धीरे से कहा, “भाई… यह कौन है?”

Jeetu मुस्कराया — “शायद नई स्टूडेंट होगी।”

लड़की पास की टेबल पर बैठ गई। नाम — Meera. वो English literature की टॉपर थी, बातों में सादगी, और चेहरे पर वो मासूमियत जो दिल छू जाए।

कुछ ही दिनों में Arnav की दोस्ती Meera से हो गई। वो हँसता, मज़ाक करता, और हर क्लास में उसके पास बैठने का बहाना ढूँढता। Jeetu दूर से देखता रहा — उसे भी अच्छा लगता था Meera को देखना, पर वो अपनी feelings दिल में ही दबा लेता था।

एक शाम कैंटीन में Arnav बोला — “Jeetu, tujhe pata hai? Mujhe lagta hai mujhe Meera pasand aa gayi hai.”

Jeetu चुप रह गया। अंदर कुछ टے का दर्द था, पर चेहरे पर बस मुस्कान लाई — “Achha hai Arnav… woh bhi tujhe pasand karti hogi.”

उस रात Jeetu देर तक terrace पर बैठा रहा। हवा ठंडी थी, पर उसके दिल में कुछ जल रहा था। उसे पहली बार एहसास हुआ कि कभी-कभी दोस्त की खुशी भी दर्द बन जाती है।
दिन गुज़रते गए… Arnav और Meera की नज़दीकियाँ बढ़ती गईं। कॉलेज में अब सब उन्हें “perfect couple” कहते थे। Jeetu उनके लिए खुश रहता, लेकिन हर बार जब वो दोनों साथ हँसते, तो उसके अंदर एक चुप्पी गूंज उठती — वो चुप्पी जो प्यार और दोस्ती के बीच की सीमा बताती है।

एक दिन कॉलेज का वार्षिक समारोह था। Arnav और Meera ने साथ में नाटक किया — “Ek Adhuri Kahani.” स्टेज पर दोनों ने जो chemistry दिखाई, वो हर किसी के दिल में उतर गई। और backstage पर खड़ा Jeetu… बस देखता रह गया।

तालियों की गूंज में उसे एहसास हुआ — वो दोस्त जिसे उसने अपना सब कुछ माना, अब किसी और की दुनिया बन चुका है।
शाम को Arnav ने कहा, “Jeetu, tu bhi Meera ko pasand karta tha kya?”

सवाल सीधा था, पर जवाब भारी। Jeetu मुस्कराया और बोला — “Main sirf usse dekhna pasand karta tha… par tu usse jeena pasand karta hai. Aur dost wo hi hota hai, jo apne dil के tukde ko bhi tere liye khushi banने दे.”

Arnav चुप रहा। उसके चेहरे पर guilt की एक परछाई आई — पर फिर भी उसने कुछ नहीं कहा।

वो पल उनकी दोस्ती में पहली दरार थी… जो धीरे-धीरे खाई बननी थी।









भाग 4 – “दो दिल, एक दोस्ती, और एक ग़लतफ़हमी”

कॉलेज का माहौल अब पहले जैसा नहीं था। कभी जो कैंपस Jeetu, Arnav और Meera की हँसी से गूंजता था, अब वहाँ सन्नाटा था — जैसे कोई रिश्ता अंदर से टूट चुका हो।

एक दिन Jeetu अकेला कैंटीन के कोने में बैठा था। उसकी आँखों में थकान थी, और मन में अजीब सी बेचैनी। तभी कुछ लड़के आए और बोले — “सुना है ना, Arnav और Meera के बीच कुछ गड़बड़ चल रही है… तू तो दोनों का सबसे अच्छा दोस्त है, कुछ पता है?”

Jeetu ने सिर झुका लिया — “नहीं भाई, मुझे कुछ नहीं पता।” पर उसके दिल में डर बैठ गया — कहीं ये अफवाह सच न हो जाए।

शाम को उसने Arnav को ढूंढा। वो कॉलेज के पार्क में अकेला बैठा था, आँखों में गुस्सा और हाथ में सिगरेट।

“क्या हुआ Arnav?” — Jeetu ने पूछा।

Arnav ने भारी आवाज़ में कहा — “सब ख़त्म हो गया Jeetu… Meera ने मुझे धोखा दिया है… और तू भी।”

Jeetu चौंक गया — “मैं? मैंने क्या किया?”

“कल मैंने तुम्हें दोनों को लाइब्रेरी में देखा… तुम हँस रहे थे, बातें कर रहे थे… और मैं वहाँ अकेला खड़ा था जैसे कोई बेवकूफ।”

Jeetu ने समझाने की कोशिश की — “वो तो बस प्रोजेक्ट के नोट्स थे Arnav… बस इतना ही।”

पर Arnav अब कुछ सुनना नहीं चाहता था। उसने गुस्से में कहा — “बस, Jeetu! मुझे तेरी कोई सफ़ाई नहीं चाहिए। दोस्ती अगर सच्ची होती, तो इतनी आसानी से शक नहीं होता।”

और वो वहाँ से चला गया… पीछे रह गया बस Jeetu, जिसकी आँखों में बरसों की दोस्ती की परछाई थी — अब धुंधली पड़ती हुई।
अगले कुछ हफ्तों में सब कुछ बदल गया। Arnav और Meera एक-दूसरे से बात करना छोड़ चुके थे। Jeetu के लिए दोनों ही दूर चले गए थे। कैंपस में जब कभी Arnav सामने आता, तो बस नज़रे झुका ली जातीं — जैसे अजनबी हों।

एक दिन Meera रोती हुई Jeetu के पास आई — “Jeetu, वो मुझसे बात नहीं करता, उसे समझाओ ना…”

Jeetu ने कहा — “मैं कोशिश करता हूँ, Meera, पर अब उसका गुस्सा उसकी मोहब्बत से बड़ा हो गया है।”

कुछ दिन बाद Meera ने कॉलेज छोड़ दिया। और पीछे रह गए सिर्फ दो लोग — एक जो माफ़ करना चाहता था, और दूसरा जो समझना नहीं चाहता था।
Graduation वाले दिन दोनों साथ खड़े थे, मगर उनके बीच दीवार थी। फोटोग्राफर बोला — “Smile please!”

दोनों ने मुस्कुराने की कोशिश की, पर वो मुस्कान ज़बरदस्ती थी — टूटी हुई।

रात को Jeetu हॉस्टल की छत पर बैठा था। बारिश हो रही थी। उसने आसमान की तरफ़ देखा और कहा — “कभी सोचा नहीं था कि दोस्ती का आख़िरी दिन इतनी खामोशी से आएगा…”

उसी वक्त कहीं दूर, एक बाइक तेज़ी से भाग रही थी — हैंडल पर था Arnav, चेहरे पर गुस्सा और आँखों में आँसू… और सामने सड़क पर एक मोड़ — जिसे पार करते ही उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी।



भाग 5: टूटी हुई डोर (The Broken Bond)

कई साल बीत चुके थे। स्कूल की मासूमियत अब कॉलेज की रंगीन दुनिया में बदल चुकी थी। Jeetu और Arnav अब भी एक-दूसरे के 
सबसे अच्छे दोस्त थे — लेकिन वक्त के साथ ज़िंदगी की रफ़्तार बदल रही थी।

कॉलेज का माहौल, नए लोग, नए सपने… और बीच में थी Meera। Meera एक समझदार, हंसमुख और खूबसूरत लड़की थी। उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था जो किसी भी इंसान का दिल जीत ले। Jeetu और Arnav — दोनों ही उसके बहुत 
अच्छे दोस्त बन गए।

शुरुआत में सब कुछ ठीक था, तीनों साथ घूमते, साथ पढ़ते और साथ हंसते। लेकिन धीरे-धीरे Arnav के दिल में Meera के लिए कुछ और ही एहसास पनपने लगे। उसे लगा कि शायद Meera भी उसे पसंद करती है। पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन Jeetu को पता चला कि Meera उससे अपने दिल की बात कहना चाहती है। Jeetu बहुत खुश हुआ — उसे लगा शायद कीकिसी और की नहीं, उसकी ही बात होगी। लेकिन जब Meera ने कहा, “Jeetu… mujhe Arnav pasand hai.”

वो पल Jeetu के दिल में जैसे किसी ने तीर चुभो दिया हो। उसने मुस्कराकर कहा, “Wah… Arnav toh lucky hai.” पर उसकी आंखों में वो मुस्कान कहीं नहीं थी।

कुछ दिनों बाद Arnav को ये सब पता चला — पर उसे नहीं मालूम था कि Jeetu भी Meera को पसंद करता था। और शायद इसी गलतफहमी ने उनकी दोस्ती की नींव में दरार डाल दी।

धीरे-धीरे बातें कम होने लगीं। Jeetu अब Arnav से दूरी बनाने लगा। Arnav समझ नहीं पा रहा था कि उसका सबसे करीबी दोस्त उससे इतना दूर क्यों हो रहा है।

एक दिन कॉलेज के बाहर Arnav ने उसे रोककर पूछा, “Bata na Jeetu, kya galti kar di maine?”

Jeetu ने बस इतना कहा, “Dosti bhi ek ehsaas hota hai, Arnav… par jab woh ehsaas kisi aur के saath jud jaata hai na, toh pehle waala rishta toot jaata hai.”

और वो चला गया… बिना पीछे देखे।

उस दिन के बाद Jeetu और Arnav की बातें हमेशा के लिए बंद हो गईं। वो दोनों एक ही कॉलेज में थे, लेकिन जैसे दो अनजान राहें — जो एक ही शहर में रहते हुए भी कभी नहीं मिलीं।

लेकिन किस्मत… उसे भी शायद कुछ कहना बाकी था। कुछ महीनों बाद, Arnav का एक भयानक एक्सीडेंट हुआ। खबर मिलते ही Jeetu सब कुछ छोड़कर दौड़ पड़ा — अस्पताल की ओर। और वहीं से उनकी ज़िंदगी का सबसे भावनात्मक मोड़ शुरू होता है…..

भाग 6: वो आख़िरी मुलाकात (The Last Meeting)

रात के करीब 11 बजे थे। आसमान में घने बादल छाए थे, और सड़कों पर बस एम्बुलेंस की सायरन की आवाज़ गूंज रही थी। Jeetu की सांसें तेज़ चल रही थीं — हाथ कांप रहे थे, आंखों में डर और बेचैनी थी। वो अस्पताल के गेट तक पहुंचा, दौड़ता हुआ अंदर गया।

रिसेप्शन पर आवाज़ लगाई — “Arnav! Arnav Kumar! Accident case — कहाँ है वो?”

नर्स ने इशारा किया, “ICU में हैं, हालत गंभीर है।”

बस इतना सुनकर Jeetu का दिल जैसे रुक गया। वो भागकर ICU के दरवाज़े तक पहुंचा, शीशे से झांका — वो Arnav था, उसका बचपन का दोस्त, उसके जीवन का सबसे अहम हिस्सा — जो अब मशीनों के सहारे सांस ले रहा था।

वो अंदर गया, Arnav की हथेली थामी — ठंडी पड़ चुकी थी। आंखों में आंसू भरे हुए, गले से आवाज़ तक नहीं निकल रही थी।

“Arnav… main aa gaya… main aa gaya bhai… uth na yaar… mujhe chhodke mat ja…”

Arnav ने बहुत मुश्किल से आंखें खोलीं। धीरे-धीरे मुस्कराया।

“Jeetu… tu… aaya?”

“Pagal hai kya… main kaise nahi aata? Tu mera bhai hai.”

Arnav की आंखों में वो पुरानी चमक थी — मगर अब उसमें दर्द मिला हुआ था। उसने बहुत धीरे से कहा, “Main jaanta hoon Jeetu… tu naraaz tha… lekin main kabhi tujhe galat nahi samjha… tu mera sabse achha dost hai.”

Jeetu के आंसू अब रोकने का कोई बहाना नहीं रहा। वो फूट-फूटकर रोने लगा।

“Bas chup kar, Arnav… kuch mat bol. Tu theek ho jaayega… main yahan hoon…”

Arnav मुस्कराया — “Jeetu… agar main… agar main nahi raha… toh Meera ka aur मेरे बेटे का khayal rakhna…”

“Pagal hai kya! Aisi baat mat kar!”

लेकिन किस्मत ने अब फैसला कर लिया था। मशीन की बीप धीमी होती गई… और Arnav की सांसें थम गईं।

Jeetu चिल्लाया — “Arnav!!!”

पूरा अस्पताल गूंज उठा। वो घुटनों पर गिर पड़ा… उसके आंसू फर्श पर गिरते रहे… वो एक ऐसा लम्हा था जिसने Jeetu को हमेशा के लिए बदल दिया।

उसने उस रात एक वादा किया — “Main teri family ko kabhi akela nahi chhodunga, Arnav. Tu nahi raha, lekin tera saaya mere saath hai…”

उसके बाद Jeetu ने अपनी ज़िंदगी का मकसद बदल दिया। उसने Arnav के बेटे को पाला, पढ़ाया, और उसे वही सिखाया जो Arnav ने उसे सिखाया था — “Zindagi dosti aur insaniyat से badi koi science nahi.”

कई साल बाद Jeetu ने एक NGO खोला — जिसका नाम रखा “Saaya Foundation”, जहाँ हर बच्चे को सिखाया जाता था कि असली दोस्ती क्या होती है — वो जो मौत के बाद भी ज़िंदा रहती है।




भाग 7: “Saaya Foundation की शुरुआत” (The Beginning of Saaya 
Foundation)

समय बीत चुका था। Arnav की मौत को तीन साल हो गए थे, मगर उसके जाने के बाद Jeetu के भीतर की खालीपन अब भी जस की तस थी। हर सुबह जब वो आईने में देखता, तो उसे अपना नहीं — Arnav का चेहरा दिखता। वो अक्सर छत पर बैठकर आकाश की ओर देखता और कहता, “Tu gaya nahi bhai… tera saaya ab bhi mere saath hai…”

धीरे-धीरे Jeetu ने अपने जीवन का नया मकसद तय किया — वो कुछ ऐसा करेगा, जो Arnav की याद को हमेशा ज़िंदा रखेगा।

एक दिन उसने पुराने नोटबुक में Arnav की लिखी हुई लाइन देखी — “Dosti mar jaaye, par insaaniyat kabhi nahi marni chahiye.”

यही लाइन उसकी ज़िंदगी का मंत्र बन गई। और यहीं से जन्म हुआ Saaya Foundation का।
Jeetu ने छोटे से कमरे में NGO की शुरुआत की। कोई बड़ी इमारत नहीं, कोई चमक-धमक नहीं — बस दीवार पर टंगी Arnav की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर, नीचे एक बोर्ड जिस पर लिखा था — “Saaya Foundation – Ek dost ka sapna, ek zindagi ka naya maksad.”

शुरुआत में लोग हंसते थे। कहते — “Arre Jeetu, dosti aur yaadon se kya badlega? Foundation chalana asaan nahi.”

लेकिन Jeetu बस मुस्करा देता था। “Main change laane nahi, apni dosti nibhaane aaya hoon.”

धीरे-धीरे आसपास के बच्चे, गरीब परिवारों के लोग आने लगे। वो बच्चों को पढ़ाता, खाना खिलाता, और उन्हें सिखाता — “Duniya padho, par insaan bano.”
एक दिन शाम को जब वो NGO के बाहर बैठा था, तब एक छोटी सी आवाज़ आई — “Uncle… mujhe bhi yahan padhna hai…”

वो पल Jeetu के लिए जैसे वक्त थम गया। उसने देखा — एक दस साल का बच्चा खड़ा था, हाथ में पुराना बैग, आंखों में वही मासूमियत जो कभी Arnav की आंखों में थी।

Jeetu ने धीरे से पूछा, “Naam kya hai beta?”

वो बोला, “Aarav.”

Jeetu चौंका — “Aarav? Tum Arnav के…?”

बच्चे ने सिर झुका लिया, “Main unka beta hoon…”

उस पल Jeetu की आंखों से आंसू बह निकले। उसने Aarav को गले लगाया, और बोला — “Tu aaya hai toh mera Saaya Foundation ab poora ho gaya…”
उस दिन से Saaya Foundation सिर्फ एक संस्था नहीं रही, बल्कि दो अधूरी ज़िंदगियों का मिलन बन गई। Jeetu ने Arnav ke bete Aarav mein apna dost dekh liya — और Aarav ने Jeetu में एक पिता।


भाग 8: “Jeetu aur Aarav – एक नया रिश्ता” (A New Bond)

सुबह की धूप खिड़की से अंदर आ रही थी। Jeetu पुराने लकड़ी के टेबल पर बैठा बच्चों को पढ़ा रहा था। बोर्ड पर लिखा था — “Life is not about success, it’s about kindness.” बच्चे नोट्स लिख रहे थे, लेकिन एक कोने में Aarav चुपचाप बैठा था। उसकी नज़रें बाहर थीं, जैसे किसी गहरी सोच में खो गया हो।

क्लास खत्म होने के बाद Jeetu उसके पास गया, मुस्कराते हुए बोला — “Bade serious lag rahe ho Mr. Aarav, kya soch rahe ho?”

Aarav ने धीमी आवाज़ में कहा, “Uncle… sab keh rahe the ki main apne papa jaisa nahi ban paunga. Woh bade intelligent थे… aur main to average student hoon.”

Jeetu कुछ पल चुप रहा। फिर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, “Arnav sirf intelligent nahi the, wo dil के bhi bade insaan थे. Aur dil का insaan banne के लिए marks nahi, jazba chahiye.”

Aarav की आंखें भर आईं। “Uncle, papa के baad aap hi ho jo mujhसे itना pyaar करते ho.”

Jeetu ने मुस्कराकर कहा, “Main tujhe padhata nahi, tujhe jeene का reason sikhaata hoon. Tu sirf Arnav का beta nahi, tu meri umeed hai.”
समय बीतता गया। Aarav अब बड़ा हो गया था, 16 साल का। Jeetu ने उसे हर चीज सिखाई — किताबों से लेकर ज़िंदगी तक। वो दोनों शाम को साथ बैठते, Arnav की बातें करते।

Aarav पूछता, “Papa का favourite colour kya tha?”

Jeetu कहता, “Neela, kyunki wo khule aasman jaisa sochna chahte थे.”

“Aur unka dream?”

“Unका sapna tha, ki har gareeb bacche ko padhe likhe insaan का haq mile.”

Aarav बोला, “Main wahi sapna poora karunga, Uncle.”

Jeetu ने सिर पर हाथ रखा, “Tu karega bhi, Aarav. Tere andar Arnav का jazba aur tera apna dil दोनों है.”
एक दिन Jeetu थका हुआ NGO के veranda में baitha था, Aarav आया और बोला, “Uncle, ek idea है! Agar hum science और humanity को jod dein, to bachchon के लिए kuch naya bana sakte हैं — ek science lab Saaya Foundation के अंदर!”




Jeetu की आंखों में चमक आ गई — “Wah! Tu bilkul Arnav jaisa sochta है. Chal, shuru karte हैं!”
उस दिन से Saaya Foundation ने एक नया mod लिया — अब वहाँ bachchon को padhai के साथ experiments और moral values दोनों sikhaye जाते थे. और Saaya Foundation ban गया — “Science aur Insaniyat का Sangam.”
रात को Jeetu diary में लिखता है —

“Aarav sirf Arnav का beta nahi, meri dosti का punarjanm है.”




भाग 9: “Duniya Ka Mukabla” (The Struggle Against the World)

समय बीतता जा रहा था, और Saaya Foundation अब धीरे-धीरे लोगों की नज़रों में आने लगी थी। बच्चों की हंसी, दीवारों पर लिखे मोटिवेशनल शब्द, और Jeetu की सच्चाई — सब मिलकर उस छोटे से संस्थान को उम्मीद की जगह बना चुके थे।

लेकिन जहां अच्छाई होती है, वहां शक भी होता है। कस्बे के कुछ लोग पीछे से बातें करने लगे — “सुना है Jeetu ne Arnav की family apne कबze में le li hai…” “Foundation के नाम पे paisa kama raha hai…” “Arnav की biwi kahaan gayi, sab kuch isने hi le liya है…”




ऐसे ताने अब Jeetu तक भी पहुंचने लगे थे। वो चुप रहता, कुछ कहता नहीं। पर रात को जब कमरे में अकेला होता, तो उसकी आंखें भीग जातीं। कभी-कभी वो Arnav की तस्वीर से बात करता — “Dekha na bhai, duniya humari dosti को bhi tolने लगी है… Lekin main jhooth के samundar में sachchai का diya bujने nahi dunga.”
एक दिन Aarav स्कूल से लौटा तो गुस्से में था। उसने कहा, “Uncle! सब मुझे कहते है कि आप मेरे पापा के दुश्मन थे आपके वजह से ही पापा की मौत हुई।

Jeetu का दिल dukh गया. Kuch pal chup rehkar बोला, “Bete, sachh bolने wale को duniya hamesha galat samajhti है. Tere papa मेरे bhai थे… unका dukh bhi mera था, unकी maut bhi meri maut jaisi thi.”
Aarav की आंखों में आंसू आ गए। उसने Jeetu का haath पकड़ लिया — “Uncle, main kisi की baat nahi manunga. Mujhe sirf apne papa और aap पर bharosa है.”

Jeetu ने usसे गले लगाया और बोला, “Yahi bharosa hi Saaya Foundation की taqat है.”
लेकिन मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। एक दिन अचानक सरकार की टीम आई — “Foundation के fund का audit होगा. Kuch logon ने complaint दी है.”
Jeetu ने calmly कहा, “Jarur kijiye. Har ek paise का hisaab मिल jaayega.”

Audit हुआ, par ek bhi गलती नहीं निकली। Team ने report में लिखा — “Saaya Foundation – a place where honesty breathes.”

उस दिन पूरी society का mooh band हो गया। लोगों को एहसास हुआ कि Jeetu ने जो किया, वो fame के लिए नहीं, Arnav की yaad और dosti के लिए किया था।
रात को Jeetu terrace पर khड़ा aasman देख रहा था। हवा में हल्की ठंडक थी। वो मुस्कराया और धीरे से बोला — “Dekha bhai, duniya ने kitनी koshish की… Par teri dosti ab bhi saaya ban kar मेरे saath है…”

उसके बगल में Aarav खड़ा था, उसने कहा, “Uncle, ab main aapके saath hoon. Jo duniya से lada, main usका beta hoon.”

और दोनों ने एक साथ आसमान की ओर देखा — जहां तारे मानो Arnav की मुस्कुराहट बनकर चमक रहे थे।





भाग 10: Aarav का इरादा — Duniya से Mukabla

रात की ठंडी हवा में Saaya Foundation की बिल्डिंग के बाहर Jeetu खड़ा था। आसमान में तारे ऐसे चमक रहे थे जैसे Arnav की आँखें ऊपर से उसे देख रही हों। कई साल बीत चुके थे… पर Arnav का नाम अब भी बच्चों की किताबों में एक कहानी बन चुका था। पर उस कहानी का chapter अभी खत्म नहीं हुआ था — क्योंकि अब उसकी कहानी Aarav लिखने वाला था।

Aarav — Arnav का बेटा, वही मासूम चेहरा, पर आँखों में तूफ़ान। हर कोई कहता था — “Arnav जैसे ban paayega kya?” और Aarav हर रोज़ खुद से कहता था — “Main apne papa जैसे nahi, unसे bhi bada kar dikhauga.”



Jeetu उसे हर सुबह स्कूल भेजता, फिर शाम को खुद उसे पढ़ाता। कहता — “Beta, duniya से muqabla karने के लिए pehle khud से muqabla jeetना padta hai।” Aarav चुपचाप सुनता, पर उसके अंदर आग जलती रहती थी।



एक दिन school में Science Innovation Fair announce हुआ। Topic था: “Renewable Energy के naye ideas.” Aarav ने decide किया — “Main ek mini-biogas plant banauga… Jaise मेरे papa ने sapna dekha था.”

Jeetu ने उसकी मदद की, पर सब कुछ easy नहीं था। Project के लिए saman नहीं था, paise नहीं थे, और time भी कम था। Aarav school के waste materials से parts जोड़ता, पुरानी bottles, pipe, और broken toys से model बनाता। Doston ने मज़ाक उड़ाया — “Yeh kya kachra बना रहा है तू?”



Aarav मुस्कराया और बोला — “Sapne hamesha waste से hi start होते हैं, par jab poore होते हैं, duniya unhe innovation कहती है।”



Competition के दिन — सब के models चमक रहे थे, और Aarav का model टूटा पड़ा था। Judge ने देखा और बोला, “Yeh तो काम ही नहीं कर रहा।” Aarav के aankhon से आँसू निकल पड़े। उसने model उठाकर फेंक दिया — “Main bas kismat से हार गया!”

Jeetu पीछे से आया, शांत आवाज़ में बोला — “Aarav, kismat tab हार जाती है जब insaan कोशिश करना छोड़ देता है।”

वो line Aarav के दिल में गूंज गई। वह घर आया, model फिर से जोड़ा — इस बार बिना हार माने। दो दिन बाद school ने दोबारा chance दिया practical round के लिए — और Aarav का biogas model कमाल कर गया! Gas flame जली — और पूरी school ने claps से hall हिला दिया ।

Jeetu corner में खड़ा था, आँखों में आँसू और होंठों पर मुस्कान। उसने diary निकाली और लिखा — “Aaj Arnav जीत गया… पर इस बार उसके हाथों में pen नहीं, Aarav के हाथ थे।”

उस रात Aarav terrace पे खड़ा होकर आसमान की ओर देखता है — हवा में कहता है — “Papa… aapने duniya से muqabla किया था, अब मेरी बारी है!”

Camera zoom out होता है, Saaya Foundation के board पे लिखा होता है — “Duniya से Mukabla – Ek Sapne की Virasat.”





11: Meera का Return

एक दिन Meera वापस आई। Arnav की पत्नी, Aarav की माँ। Jeetu को देखकर वो रो पड़ी — “Jeetu, माफ़ करना… मैं तुम्हें गलत समझती थी। तुमने Arnav के परिवार को संभाला, Aarav को पाला। मैं तुम्हारी एहसानमंद हूँ।”
Jeetu मुस्कराया — “काश तुम पहले आ जाती, Arnav होता तो कितना खुश होता। पर अब सब ठीक है। Aarav बड़ा हो गया है, तुम्हारे बिना वो अधूरा था।”
Meera ने Aarav को गले लगाया — “मेरा बेटा, मैं तुझसे माफी मांगती हूँ। मैं अपनी गलती समझ गई हूँ।”
Aarav बोला — “Mummy, अब सब ठीक है। Papa का सपना पूरा करेंगे हम। Saaya Foundation को और बड़ा बनाएंगे।”
Meera ने कहा — “हाँ बेटा, हम साथ मिलकर Arnav की यादों को ज़िंदा रखेंगे।”

Part 12: Aarav Achieves Something Big

Aarav ने एक बड़ा invention किया — एक ऐसा device जो गरीब बच्चों के लिए free education का ज़रिया बन गया।
पूरे देश में Saaya Foundation का नाम फैल गया। लोग कहने लगे — “Arnav की दोस्ती और Jeetu की इश्क ने दुनिया को बदल दिया।”
Aarav को award मिला, उसने कहा — “ये जीत मेरे पापा Arnav और मेरे दूसरे पापा Jeetu की है।”
Jeetu ने कहा — “Arnav, आज तेरा सपना पूरा हुआ। तू नहीं है, पर तेरी दोस्ती और तेरे विचार अब भी ज़िंदा हैं।”
Meera बोली — “हमारे बेटे ने तेरा नाम रोशन किया है, Arnav।”


13.Jeetu ki tabiyat down hoti hai 
Jeetu की तबीयत बिगड़ने लगी। वो अस्पताल में भर्ती हुआ।
Aarav और Meera उसके पास थे। Jeetu ने कहा — “Main ab aapka Saaya banunga. Aarav, तू मेरा भाई है, मेरा बेटा है।”
Jeetu ने Aarav को गले लगाया — “Tu Arnav का बेटा है, मेरी जिम्मेदारी है तुझपर। Saaya Foundation को आगे बढ़ाना, गरीब बच्चों की मदद करना।”
Aarav रो पड़ा — “Uncle, तुम नहीं जा सकते। तुम मेरे पापा हो।”
Jeetu मुस्कराया — “Duniya में कोई किसी का Saaya नहीं होता, पर मैंने तेरा Saaya बनने की कोशिश की है।”



 14: Legacy Lives On

Jeetu ने आखिरी सांस ली। पूरा शहर उमड़ आया।
Aarav ने कहा — “Uncle, तुमने Arnav को नहीं, मुझे पाला है। तुम मेरे लिए Arnav से भी बड़े हो।”
Meera बोली — “Jeetu, तुम Arnav के भाई थे, Aarav के पिता थे। तुम्हारी दोस्ती और इश्क ने हमें सिखाया कि ज़िंदगी क्या होती है।”
Saaya Foundation अब पूरी दुनिया में एक नाम बन गया — “Duniya se Muqabla – Ek Sapne ki Virasat.”