फरहान ने आमिल साहब कि बातें जैसे ही सुनी वह एकदम से चौंक गया और घबराहट से पूछने लगा—
“आख़िर किस सच की बात कर रहे हो आप?”
आमिल साहब ने उसकी तरफ़ ख़ामोशी से देखा और सादगी अंदाज में कहने लगे—
“पहले मुझसे एक वादा करो”
“कैसा वादा आमिल साहब?”
“मैं जो सच्चाई तुम्हे बताने जा रहा हूँ। उसे सुनने के बाद तुम खुद को संभालोगे।”
आमिल साहब कि इन बातों ने फरहान को एक दम से एक गहरी सोच में डाल दिया और फिर आमिल साहब ने उसे देखते हुए कहा—
“बेटा मैं तो कभी भी नहीं चाहता था के तुम्हे ये सच पता चले लेकिन मैंने अगर तुम्हे ये सच नहीं बताया तो मेरे दिल पे एक बोझ सा रहेगा।”
“मैं आपसे दर्खास्त करता हूँ मुझे बताइए..”
तुम्हें ये सब समझाने के लिए मुझे अतीत के पन्नों को उलटाना होगा।
सन् 1961 दिसंबर का महीना
रफिया गाँव के एक मदरसे में शाम को क़ुरआन पढ़ने जाया करती थी। उस वक़्त उसकी उम्र लगभग 12 साल होगी, वहाँ गाँव की और भी चार लड़कियाँ थी जो उसके साथ पढ़ने जाया करती थी। उस मदरसे में जो मौलाना इन्हें तालीम दे रहा था। वह आमिल बनने के नशे में कुछ ऐसे ग़ैर अमल को अंजाम दे रहा था जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। वह रोज उन पांचों लड़कियों पर सिहर (black magic) करता.. और ये अमल वह पढ़ाने के दौरान अंजाम देता..
उसने कोई अदना अमल नहीं किया था बल्कि बहुत ही ख़तरनाक किस्म का सिहर (black magic) किया था। तक़रीबन एक महीना बीतने के बाद उन सभी लड़कियों की हालत ग़ैर होती जा रही थी। मानो जैसे किसी मर्ज़ में मुब्तिला हो, एक वक्त ऐसा आया की वे सब बीमार पड़ गए। और उनमें से चार लड़कियों ने तो अपना दम ही तोड़ दिया था लेकिन रफिया की क़िस्मत अच्छी थी और शायद नहीं भी, जब उसकी दादी ने उसकी कैफियत देखी तो वह समझ गई कि कुछ रूहानी मसला है और वह उसे लेकर फ़ौरन एक आमिल के पास पहुँची। जब उन्होंने उसकी जांच की तो वह एकदम से चौंक गए। क्योंकि राफिया पर सिहर (black magic) किया गया था। उन्होंने हैरत से कहा—
“इस लड़की के ऊपर सिहर (black magic) किया गया है, आपने इसे सही वक़्त पर यहाँ लाकर अच्छा किया। लेकिन आप एक हकीक़त से बेखबर हैं..”
रफिया की दादी ने हैरत से पूछा..
“कैसी हकीक़त आमिल साहब?”
“जिस मदरसे में ये पढ़ने जाती है उस मदरसे में एक मौलवी कि शक्ल में शैतान है। उसने चार लड़कियों को तो अपने मक़सद के लिए कुर्बानी चढ़ा दी, लेकिन उसे अब आपकी बच्ची की भी कुर्बानी चाहिए। उसने शैतान से इनकी रूह का सौदा किया है। जब तक वह शैतान को इसकी रूह नहीं सौंपेगा तब तक वह सुकून से नहीं बैठेगा। मैंने राफिया के ऊपर होने वाले अशरात को तो रोक दिया है लेकिन हमें जल्द से जल्द उसे रोकना होगा।”
वहाँ पहुंचने के बाद वे लोग गाँव के सरपंच को सारी हक़ीक़त बताते हैं और तभी सरपंच गाँव के कुछ लोगों के साथ मदरसे की जानिब रुख करता है तक़रीबन रात के 11 बज रहे थे जैसे ही वो लोग वहां पहुंचे तो देखा के मदरसे का दरवाज़ा अंदर से बंद है फिर सरपंच ने ऊंची आवाज़ में उसका नाम पुकारा—
“जलील दरवाज़ा खोलो”
उन्होंने लगातार आवाजें दी लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। तभी सरपंच ने गाँव के कुछ लोगों से कहा—
“दरवाज़ा तोड़ो जल्दी से नहीं तो वह बचने की तरकीब सोचेगा..”
सरपंच की बातें सुनते ही वे लोग दरवाज़े को खूब ज़ोर से धकेलने लगे, काफी कोशिशों के बाद वो लोग दरवाज़ा तोड़ने में कामयाब रहे।”
जब उन्होंने अंदर का नज़ारा देखा तो बिल्कुल ही दंग रह गए चारों तरफ घना अंधेरा था बस उस कमरे को छोड़कर जहाँ वह मौलाना रहा करता था। वहाँ लालटेन की रोशनी भी एक खौफ का मंजर बरपा कर रही थी। तभी आमिल साहब ने सरपंच से मुखातिब होते हुए कहा—
“हमें बहुत ही एहतियात से जाना होगा वह कुछ भी कर सकता है?”
फिर उन्होंने धीमे कदमों से उस कमरे की ओर रूख किया पहले दो लोगों को अंदर भेजा, अभी कुछ ही देर हुई थी के तभी उनमें से एक ने ज़ोरदार चीख मारी.. आवाज़ सुनते ही वो लोग जो बाहर खड़े थे। फ़ौरन उस कमरे की ओर बढ़े.. और तभी उस कमरे के ख़ौफनाक मंजर को देखकर सब की आँखें फटी की फटी रह गई।
वह मौलाना अपने बिस्तर पर ही खौफ़नाक तरीक़े से अकड़ा हुआ था। उसके जिस्म का हर हिस्सा जैसे किसी अज़ाब की गवाही दे रहा था। और उसकी आँखों से लगातार खून बह रहा था। वो मंजर इतना ख़ौफनाक और दिल दहलाने वाला था। जिसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाए। और उसके इर्द गिर्द कुछ टोने–टोटके (sorcery) के समान भी बिखरे हुए थे। आमिल ने सब को ताक़ीद करते हुए कहा–
“कोई भी इन चीजों को हाथ नहीं लगाएगा। ये चीजें जादू में इस्तेमाल हुई हैं।”
आमिल इस मंजर को देखकर बहुत ही गहरी सोच में था के तभी उसने कहा—
“इसके जिस्म को दफनाने की तैयारी करें और हाँ इसके परिवार वालों को भी इतलह कर दें। और हो सके तो पुलिस को भी फ़ौरन इतलह कर दें।”
कुछ ही वक़्त गुज़रे ही थे के तभी आमिल साहब को किसी की आहट महसूस हुई उन्होंने किसी काली नकाबपोश परछाईं को बाहर दरवाज़े से निकलते हुए देखा। उनकी निगाहें उसी की तरफ़ थी तभी सरपंच ने उन्हें देखते हुए कहा—
“क्या हुआ आमिल साहब? आप लगातार बाहर की तरफ़ क्यों देख रहे हैं। कोई है बाहर?”
“मैंने अभी एक नकाबपोश औरत को दरवाज़े से बाहर निकलते हुए देखा.. और वह कोई इंसान नहीं थी, मुझे जल्द से जल्द इन टोटकों (sorcery) की जाँच शुरू करनी होगी, नहीं तो हमें किसी बड़े खतरे सामना करना पड़ जाएगा।”
जब सुबह हुई तो पूरे गाँव में इस घटना के बाद एक खौफ़नाक मंजर तारी हो गया था। हर जगह इसी को लेकर सब लोग आपस में बातें कर रहे थे। पुलिस वालों ने जब अपनी जांच शुरू की तो रिपोर्ट में उस मौलवी के खुदकुशी का तज़किरा लिखा।
आखिर इन सब घटना के बाद राफिया की ज़िंदगी में आगे क्या होने वाला था? और उस मौलवी की मौत की क्या हक़ीक़त थी? जानने के लिए सुनिए, सिहर का एक अगला एपिसोड!