Pahli Nazar ki Chuppi - 4 in Hindi Love Stories by Priyam books and stories PDF | पहली नज़र की चुप्पी - 4

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पहली नज़र की चुप्पी - 4



कॉलेज का वही पुराना गलियारा, वही सुबह की हल्की धूप, वही library की खामोश खुशबू…
सब पहले जैसा था,
लेकिन अनिका के लिए दुनिया अब पहले जैसी नहीं रही थी—
क्योंकि आरव बदल रहा था।
धीरे-धीरे, चुपचाप… ऐसे जैसे हवा की दिशा बदल जाए और किसी को पता भी न चले।

पहले वो दोनों साथ ही क्लास में enter करते थे,
साथ में first bench लेते थे—
कभी-कभी तो चारों ओर कितनी भीड़ होती थी,
पर उन्हें लगता था कि दुनिया में बस वही दो लोग मौजूद हैं।
पर अब…
आरव क्लास में पहले से मौजूद रहता,
या फिर आख़िरी में चुपचाप आकर ऐसी जगह बैठता
जहाँ अनिका उसकी आँखें भी न पकड़ पाए।

शुरुआत में अनिका ने इसे seriously नहीं लिया।
किसी का mood खराब हो सकता है,
किसी को space चाहिए होता है…
ऐसा उसने खुद को कई बार समझाया।
लेकिन प्यार के seed बहुत भोले होते हैं—
वो छोटी-सी धड़कन में भी बदलाव महसूस कर लेते हैं।
और अनिका तो पहले ही उसे दिल से कहीं गहरे जगह दे चुकी थी।

पहले दो-तीन दिन उसने ignore किया।
फिर चौथे दिन उसे लगा—
“नहीं… कुछ तो है। जिनसे हम जुड़ जाते हैं,
उनके कदमों की आहट भी महसूस हो जाती है।”
और आरव की आहट अब धीमी नहीं,
लगभग गायब हो चुकी थी।

कभी वो दूर बैठता,
कभी avoid करता,
कभी बात शुरू होने से पहले ही खत्म कर देता।

एक दिन क्लास में professor ने कुछ कहा,
और सब हँस रहे थे।
अनिका भी हँसी,
फिर automatically उसकी नज़र आरव की ओर गई—
जैसे हर खुशी वो सबसे पहले उसके साथ बाँटना चाहती हो।
पर वो हँस ही नहीं रहा था।
बस blank expression…
जैसे उसकी दुनिया किसी और direction में घूम रही हो।

उस पल अनिका को लगा—
“ये वही लड़का नहीं है
जिसकी हँसी सुनकर मेरी सुबह पूरी होती थी।”

वो दिन उसका मन पूरी तरह disturb करके चला गया।
Library में वो जल्दी पहुँच गई,
सोचा आरव आकर बैठ जाएगा।
पर जब वो आया,
तो उसकी नज़रों में न warmth थी,
न वो छोटी-सी शरारत
जो पहले उसकी आँखों में चमकती थी।

वो सीधा एक अलग टेबल पर जा बैठा।
बिना उसकी तरफ देखे।
बिना पूछे कि वो ठीक है या नहीं।
बिना उस मुस्कान के
जो अनिका अपनी आदत बना चुकी थी।

अनिका ने किताब खोली,
पर एक अक्षर भी समझ नहीं आया।
वो बार-बार सिर उठाकर उसे देखती रही।
सोचा—
“कुछ कहूँ?
पूछूँ?
या चुप रहूँ?”
पर वो चुप रही।
क्योंकि कुछ डर ऐसे होते हैं
जो दिल की आवाज़ को भी बाँध लेते हैं।

कुछ देर बाद library की खिड़की से हल्की हवा आई,
उसने आरव के बालों को छुआ—
वही बाल जो बारिश में भीगकर वह cute सा लगता था…
और अनिका का दिल अचानक भारी हो गया।
क्योंकि वो हवा जिसे बालों को छूने का हक था,
अनिका को तो उसकी आँखों से भी नज़रें नहीं मिल रही थीं।

रात को बिस्तर पर लेटी हुई
वो ceiling को देखती रही।
दिल में वही सवाल—
“आखिर क्यों?”
हिम्मत जुटाई और message टाइप किया—
“Sab theek hai?”

Send किया।
लेकिन जवाब के बजाय screen पर लिखा आया—
Seen 10:47 PM
और फिर…
कुछ नहीं।

उस एक "seen" ने
अनिका का पूरा दिल हिला दिया।
जवाब न आना भी एक जवाब होता है—
वो उसने उसी पल महसूस किया।
चुप्पी कभी-कभी बहुत shor करती है;
वो रात वही शोर करती रही।

अगले दिन अनिका deliberately थोड़ा late क्लास पहुँची।
सोचा शायद आरव उसे miss करे…
लेकिन जब वो पहुँची,
तो देखा कि आरव पहले से किसी और के साथ बात कर रहा था।
लड़की नहीं—
एक लड़का था।
पर फिर भी सीने में अजीब-सी टीस उठी।
क्योंकि वो पहले कभी ऐसे बातचीत में खोया नहीं रहता था।

अनिका अंदर बैठी,
किताब निकाली,
पर अंदर किसी ने जैसे chain लगा दी हो।
आँखें बार-बार उस पर जातीं,
उम्मीद करतीं कि शायद एक बार वो भी उसे देख ले…
लेकिन वो नहीं देख रहा था।

क्लास के बाद canteen में उसने हिम्मत करते हुए उसके सामने बैठ गई।
कॉफी की भाप अभी उठ ही रही थी
कि अनिका के अंदर का धैर्य टूट गया।
उसने धीरे से पूछा—
“Tum mujhse door kyun ho rahe ho?”

उसकी आवाज़ काँपी नहीं,
टूटी हुई नहीं थी—
पर उसमें वो सच्ची बेचैनी थी
जो सिर्फ़ उसी को होती है
जो किसी को दिल से चाहता है
और उसे खोने से डरता है।

आरव ने उसकी आँखों में देखा—
बस एक सेकंड…
फिर नज़रें चुरा लीं।
वो खुद को sambhal नहीं पा रहा था।
“Main… bas busy hoon,”
उसने धीरे से कहा।

उस जवाब में ना care थी,
ना परवाह…
सिर्फ़ दूरी थी।

अनिका हल्के से मुस्कुराई—
वो मुस्कान जो हँसी नहीं,
दर्द छुपाने का तरीका थी।
“Busy ho… ya kuch aur?”

आरव फिर चुप।
उस चुप्पी में हजार बातें थीं,
पर कोई शब्द नहीं।
जैसे दोनों के बीच खड़ा फासला
अब कोई पुल बनने नहीं देना चाहता।

फिर वो खड़ा हुआ और बोला—
“Anika… kuch baatein samjhana mushkil hota hai.”
और बिना पीछे देखे चला गया।
एक ऐसे शख़्स की तरह
जो खुद को ही छोड़कर जा रहा हो।

अनिका उसे जाते हुए बस देखती रही।
हवा ठंडी थी,
कॉफी ठंडी थी,
और उसका दिल उससे भी ज़्यादा।

उस रात अनिका अपने कमरे में बैठी
अपनी diary निकाली—
वही diary जिसे पढ़कर आरव मुस्कुराता था।
उसने पन्ना खोला और लिखा:

“Dooriyan shayad tab shuru hoti hain
jab kisi ke lafz kam hone lagte hain…
aur chup rehne ki wajah batana mushkil ho jaye.”

किताब का कोना अभी भी उसकी उँगलियों में था,
और वो बात जो library में अधूरी रह गई थी—
वहीं दिल पर चुभी हुई थी।

आरव भी उस रात सो नहीं पाया।
उसने खुद को convince किया था
कि दूर रहना ज़रूरी है—
पर उसकी आँखों में अनिका का दुखता चेहरा घूमता रहा।
वो बार-बार phone उठाता,
message type करता,
फिर delete कर देता।
उसके अंदर एक लड़ाई चल रही थी—
“बोल दूँ?
या चुप रहूँ?”
पर वो चुप रहा।

और यही चुप्पी
अनिका के लिए फ़ासला बन चुकी थी।

अगले कुछ दिनों में दूरी बढ़ती गई।
क्लास में भी,
library में भी,
canteen में भी…
उनकी दुनिया एक जैसी थी,
पर अब वो दो अलग-अलग रास्तों पर चल रहे थे।

अनिका उसे देखकर smile देती,
पर वो नज़रें फेर लेता।
अनिका pass होती,
पर वो फोन में अनदेखा busy हो जाता।
वो हर दिन थोड़ा और दूर होता जा रहा था—
और अनिका हर दिन थोड़ा और टूटती जा रही थी।

एक शाम heavy बारिश हो रही थी।
Campus में पानी भर गया था और लोग shelter ढूँढ रहे थे।
अनिका library के बाहर खड़ी थी।
भीगने से बचने की कोशिश करती हुई
उसने आरव को देखा—
वो भीगता हुआ उसकी तरफ आ रहा था।

पल भर को लगा—
“शायद वो मेरे पास रुक जाए…”
लेकिन वो पास से गुज़र गया।
बिना रुके।
बिना बोले।
जैसे वो उसे देख ही नहीं रहा हो।

और पहली बार
अनिका की आँखों में आँसू आ गए।
बारिश ने छुपा लिए—
पर दिल ने नहीं।

उस रात diary का एक नया पन्ना भीग गया—

“Kabhi-kabhi dooriyan zaroori hoti hain,
par kabhi-kabhi woh sirf dil tod deti hain.”

अब वो दोनों एक-दूसरे से दूर थे—
पर उनकी कहानियाँ एक-दूसरे से बंधी हुई थीं।
जो खत्म नहीं हो सकती थीं…
बस उलझ सकती थीं।

इन फ़ासलों के पीछे कारण क्या था?
किस दर्द में आरव छुपा बैठा था?
कौन-सी बात उसे बोलने नहीं दे रही थी?

कहानी अब एक मोड़ पर थी—
जहाँ दोनों चुप थे,
पर दोनों तड़प रहे थे।

और आने वाला episode
यही सच्चाई खोलेगा।



✨ To be continued…
💔 Next Episode: “चुप्पी का दर्द”
जहाँ पहली बार आरव की दूरी के पीछे का असली reason सामने आएगा…
और अनिका की दुनिया हिल जाएगी।