womb of humanity in Hindi Moral Stories by mukesh more books and stories PDF | मानवता की कोख

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मानवता की कोख

मालती गांव में रहने वाली एक सीधी शादी महिला थी, उसका घर, गाँव के उस सिरे पर था जहाँ अभी भी कच्चे रास्ते हैं और बिजली सिर्फ शोभा के लिए आती है। उसका पति मजदूरी के लिए शहर गया था उसकी एक बेटी थी जिसका नाम था स्नेहा उसकी उम्र लगभग 7 वर्ष की थी, मालती उसे बहुत लाड प्यार से रखती मानो उसकी जान उसी में बस्ती हो। एक दिन स्नेहा नीम के पेड़ के नीचे खेल रही थी, जब उसकी चीख सुनाई दी “माँ... ओ माँ... कुछ काट लियो रे...!” मालती दौड़ती आई। देखा, पैर पर दो नीले दाग थे। पड़ोसी ने तुरंत कहा “साँप है रे! जल्दी कर, अस्पताल ले जा!”लेकिन अस्पताल? गाँव में कोई व्यवस्था नहीं। जिला अस्पताल तीस किलोमीटर दूर था। वह स्नेहा को गोद में लेकर बस स्टैंड की ओर दौड़ी धूप सिर पर चढ़ रही थी। एक पुरानी बस मिली बैठने की जगह नहीं थी, फिर भी मालती किसी तरह भीड़ में समा गई।बिटिया की साँसें धीमी हो रही थीं।बस हिचकोले मारते चल रही थी। स्नेहा का गला सूखा था, होंठ सफेद हो चले थे।किसी ने पानी दिया फिर स्नेहा ने धीरे से कहा“माँ... घर चलें...।मालती ने आँखों में आँसू भरकर कहा, “बस थोड़ी देर में पहुंचने वाले हैं बेटा... डॉक्टर सब ठीक कर देंगे।”
बस से उतरकर फिर पैदल चलना पड़ा। अस्पताल की इमारत दिखने लगी थी, लेकिन मालती की गोद में स्नेहा अब बिल्कुल हल्की लगने लगी थी जैसे वह कोई बोझ नहीं, सिर्फ एक स्मृति हो।अस्पताल की सीढ़ियाँ चढ़ते समय मालती चिल्ला रही थी “कोई देखो रे! साँप काट लियो है... मेरी बिटिया के जान बचा लो...!”नर्स धीरे से आई“पहले पर्ची बनवाओ बहन, नहीं तो डॉक्टर नहीं देखेगा।”मालती गिड़गिड़ाई “माई बाप... बिटिया को साँप काट लियो है... साँस चल रई है... बाद में बनवा लुंगी पर्ची, पहले देख लो न...”नर्स ने मुंह बिचकाया और कहा पर्ची तो बनवाना पड़ेगी।”मालती पर्ची की लाइन में खड़ी हुई। पांच रुपये का सिक्का लेकर काँपते हाथों से काउंटर पर रखा और पर्ची बनवाई,उसी समय एक सफेद कोट वाला डॉक्टर आता दिखा मालती दौड़ी“डॉक्टर साहेब... डॉक्टर साहेब... मेरी गुड़िया... बहुत तकलीफ में है...”डॉक्टर ने नज़र उठाई, फिर मुँह फेरते हुए कहा “मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है। इमरजेंसी में कॉल करिए।”मालती फूट पड़ी “कौन सा कॉल? कौन सा फोन? मैं तो पैदल चली आई हूँ... मेरी बच्ची मर जाएगी...”डॉक्टर ने पीछे मुड़ते हुए सिर्फ इतना कहा “मरने से पहले आती तो बच जाती।“ मालती वहीं ज़मीन पर बैठ गई। उसका सिर स्नेहा की देह पर झुका और उसने पहली बार महसूस किया बिटिया अब कुछ नहीं कह रही थी। चुप थी बिल्कुल चुप। उसी वक्त अस्पताल में वार्ड बॉय चीखा “फूल सजाओ, फोटो रेडी करो, नेताजी आ रहे हैं!”नेता जी अस्पताल के पीछे वाले वीआईपी गेट से आए। उनके साथ पूरा लाव-लश्कर। एक टेबल पर केले और सेब रखे गए। कैमरे के सामने वे बोले “हमारा संकल्प है कि हर गरीब को इलाज मिलेगा और थोड़े बहुत मरीजों को फल फ्रूट और कंबल बाट दिए और उस भीड़ में, एक कोने में पड़ी स्नेहा की मृत देह को कोई नहीं देख रहा था। मालती ज़मीन पर बैठी थी, फटी हुई आँखों से नेताजी की बातें सुन रही थी। उसके सामने उसकी बच्ची मृत पड़ी थी और पीछे से तालियाँ बज रही थीं। घर की ओर लौटने से पहले मालती ने अस्पताल की दीवार पर कोयले से लिखा “यहाँ मानवता मर चुकी है।”कोई नारा नहीं, कोई भाषण नहीं।बस यही पाँच शब्द जो पूरी व्यवस्था को नंगा कर गए। उसी रात को अंधेरे में चौकीदार ने देखा एक महिला अपने मृत बच्चे को गोद में लेकर अस्पताल से बाहर निकल रही है। पूछने पर बस इतना कहा “अब कोई डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है... भगवान से सीधे मिलवाना है।”वह चलती गई... चुपचाप। अगले दिन अस्पताल प्रशासन बोला “यह दीवार पर लिखे हुए शब्द तो हमारी छवि खराब कर रहा है।” दीवार पर सफेदी की गई। उसी दिन अख़बार में एक छोटी सी खबर छपी “ग़रीबी, उपेक्षा और सरकारी लापरवाही का शिकार हुई बच्ची माँ ने उठाए सवाल।”टीवी पर बहस चली “क्या भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था फेल हो गई है?”लेकिन अगली सुबह, नेताजी ने अस्पताल के बाहर अपना होर्डिंग लगवाया“आपके स्वास्थ्य की चिंता हमें है। नया अस्पताल जल्द।”कई बार सफेदी की गई कई बार पोत दिया गया। लेकिन हर बार किसी ने वही लिखा:“यहाँ मानवता मर चुकी है।”वक्त बीतता गया, नेताजी मंत्री बन गए, अस्पताल का नाम बदल गया, लेकिन वो दीवार और वो वाक्य वहीं रहा।क्योंकि वह सिर्फ एक माँ का दर्द नहीं था वह पूरे देश की एक चुप चीख थी, जिसे कोई सुनना नहीं चाहता था।
लेखक टिप्पणी
यह कहानी किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे देश की है, जहाँ स्वास्थ्य, शिक्षा और संवेदना अब योजनाओं में दर्ज हैं, लेकिन ज़मीन पर दम तोड़ते हैं। जब तक अस्पतालों में पर्ची जीवन से ज़्यादा कीमती होगी, तब तक यह दीवारें चीखती रहेंगी कि “यहाँ मानवता मर चुकी है।”