🌸 "तेरी यादें मेरी दुनिया हैं" 🌸☀️ शुरुआत — वो मुलाक़ात जो ज़िंदगी बदल दे
कभी-कभी ज़िंदगी में कोई ऐसा इंसान मिल जाता है, जिससे मिलकर लगता है कि बस अब और कुछ नहीं चाहिए।
आरव के लिए वो एहसास तब आया जब उसने पहली बार रिधिमा को देखा।
कॉलेज का पहला दिन था — चारों ओर शोर, हँसी, नए चेहरे, और अनगिनत सपने।
आरव अकेला खड़ा था, अपनी पुरानी आदत के मुताबिक हर चीज़ को बस खामोशी से देख रहा था। तभी सामने से एक लड़की भागती हुई आई, हाथ में किताबें, बाल हवा में उड़ते हुए, और आँखों में मासूम घबराहट।
वो गलती से आरव से टकरा गई — किताबें नीचे गिर गईं।
“सॉरी! मुझे बहुत जल्दी थी…” वो झुकी किताबें उठाने, और आरव बस उसे देखता रह गया।
उस पल में उसे पहली बार एहसास हुआ —
“शायद, कुछ कहानियाँ ऐसे ही शुरू होती हैं…”
🌼 नई दोस्ती, नया रिश्ता
अगले कुछ हफ्तों में रिधिमा और आरव अच्छे दोस्त बन गए।
वो दोनों एक-दूसरे से बिलकुल अलग थे —
रिधिमा बहुत बातें करने वाली, हँसने-मुस्कुराने वाली लड़की थी, जबकि आरव शांत, सोचने वाला, और अंदर से बहुत गहरा इंसान।
फिर भी दोनों में एक अजीब-सा कनेक्शन था।
लाइब्रेरी में पढ़ते-पढ़ते, कैंटीन में कॉफी शेयर करते हुए, और शाम को कैंपस की बेंच पर बैठकर बातें करते हुए — उनका रिश्ता दोस्ती से कुछ ज़्यादा हो गया था।
एक शाम रिधिमा ने पूछा,
“तुम हमेशा इतने चुप क्यों रहते हो?”
आरव मुस्कुराया —
“शायद मैं बोलता कम हूँ, महसूस ज़्यादा करता हूँ।”
वो पल कुछ अलग था। रिधिमा ने उस मुस्कान में कुछ ऐसा देखा जो उसे अपनी ओर खींच रहा था।
🌧️ एहसास — जब दोस्ती प्यार बन जाए
एक दिन बहुत तेज़ बारिश हो रही थी।
कॉलेज में छुट्टी थी, लेकिन रिधिमा और आरव वहीं थे — क्योंकि दोनों को बारिश पसंद थी।
रिधिमा ने हाथ फैलाए, और बोली,
“बारिश में भीगना दुनिया की सबसे खूबसूरत फीलिंग है!”
आरव बोला,
“शायद, पर मेरे लिए खूबसूरत चीज़ बारिश नहीं, तुम हो।”
रिधिमा ने उसकी आँखों में देखा — पहली बार किसी ने उसे इतनी सच्चाई से देखा था।
वो पल जादू जैसा था।
बारिश, हवा, और दो धड़कनें — जो अब एक रिदम में धड़क रही थीं।
❤️ प्यार का इज़हार
कुछ दिन बाद, रिधिमा को आरव की नोटबुक में एक पेज मिला —
उस पर लिखा था:
“कभी किसी को इतना मत चाहो कि वो तुम्हारे बिना तुम्हारा होना अधूरा लगे…
और मैंने तुम्हें उतना चाह लिया है।”
वो पढ़ते-पढ़ते मुस्कुराई, फिर उसी पन्ने पर लिखा —
“फिर देर किस बात की?”
शाम को जब दोनों मिले, आरव ने धीरे से कहा —
“क्या तुम्हें पता है, तुम मेरी हर सोच में शामिल हो?”
रिधिमा ने मुस्कुराते हुए कहा —
“और तुम मेरी हर मुस्कान में।”
उस दिन दोनों ने बिना कुछ कहे, एक-दूसरे का हाथ थामा — और ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत शुरुआत की।
🌹 प्यार के वो दिन
अब उनकी हर सुबह एक-दूसरे के मैसेज से शुरू होती थी।
हर दिन, हर शाम एक नए ख्वाब से भर जाती।
कभी सिनेमा, कभी झील के किनारे बैठना, कभी बस चुपचाप एक-दूसरे को देखना — सब कुछ परफेक्ट था।
रिधिमा अक्सर कहती,
“तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज़्यादा सुकून तुम्हारे पास बैठकर मिलता है।”
और आरव जवाब देता,
“क्योंकि मेरी दुनिया यहीं है — तुम्हारे पास।”
लेकिन ज़िंदगी हमेशा परियों की कहानी नहीं होती।
कभी-कभी किस्मत वो लिख देती है जो हम सोच भी नहीं सकते।
💔 वो दिन जो सब बदल गया
रिधिमा का फोन कई दिनों से बंद आ रहा था।
कॉलेज में नहीं आई, न कोई मैसेज, न कॉल।
आरव बेचैन था — हर जगह ढूंढा, पर कुछ पता नहीं चला।
एक हफ्ते बाद रिधिमा की फ्रेंड ने बताया —
“रिधिमा दिल्ली चली गई है, अचानक। उसके पापा की तबियत बहुत खराब है।”
आरव ने कॉल किया — पर कोई जवाब नहीं।
हर दिन बेचैनी बढ़ती गई।
फिर एक दिन, एक अनजान नंबर से मैसेज आया —
“आरव, मुझे कुछ वक्त चाहिए। प्लीज़ मुझे ढूंढो मत।”
बस इतना ही लिखा था।
आरव की दुनिया रुक गई।
हर वो जगह जहाँ वो दोनों साथ गए थे, अब खाली लगने लगी।
🕰️ वक़्त का फ़ासला
तीन साल बीत गए।
आरव अब शहर छोड़ चुका था, नौकरी में व्यस्त था, पर दिल अब भी वहीं अटका था — उस लड़की की यादों में।
हर शाम वो उसी झील के पास आता, जहाँ दोनों आखिरी बार बैठे थे।
वहीं बैठकर उसने एक डायरी लिखनी शुरू की — “तेरी यादें मेरी दुनिया हैं।”
हर पन्ने में रिधिमा की मुस्कान, हर शब्द में उसका नाम था।
लोगों के लिए वो एक डायरी थी, पर आरव के लिए वो उसकी ज़िंदगी थी।
🌙 मुलाक़ात — किस्मत फिर मिली
एक दिन ऑफिस में नए कर्मचारियों की मीटिंग थी।
आरव ने जैसे ही नया नाम सुना — “डॉ. रिधिमा मल्होत्रा”…
वो कुछ पल के लिए सांस लेना भूल गया।
दरवाज़ा खुला — और वो सामने थी।
वो ही मुस्कान, वो ही आँखें… बस थोड़ा थका चेहरा।
“आरव…” उसकी आवाज़ वही पुरानी थी।
आरव बोला, “तीन साल… और तुम एक शब्द भी नहीं बोलीं।”
रिधिमा की आँखों में आँसू थे।
“माफ़ करना, आरव। पापा को कैंसर था। मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकती थी। और जब सब खत्म हुआ… तो खुद को संभालने में वक्त लग गया।”
आरव बस खामोश रहा, पर उसकी आँखें सब कह रही थीं — तुम्हारे बिना सब खाली था।
💞 फिर से साथ
धीरे-धीरे दोनों फिर मिलने लगे।
अब रिधिमा डॉक्टर थी, आरव इंजीनियर।
वक़्त ने बहुत कुछ बदल दिया था, पर एहसास वही था।
एक दिन रिधिमा ने कहा,
“शायद हमें वक्त ने अलग किया था, पर अब वक्त ही हमें मिलाने आया है।”
आरव ने उसका हाथ थामा,
“इस बार अगर तुम जाओगी… तो मैं साथ चलूंगा।”
दोनों हँसे — और ज़िंदगी फिर मुस्कुराने लगी।
💔 किस्मत का आखिरी मोड़
एक साल बाद — शादी की तैयारी चल रही थी।
सब खुश थे, पर रिधिमा कुछ कमजोर लगने लगी।
चेकअप में रिपोर्ट आई — leukemia (blood cancer)।
डॉक्टर ने कहा — “Treatment possible है, पर देर नहीं करनी चाहिए।”
आरव ने हर चीज़ छोड़ दी, बस रिधिमा की देखभाल में लग गया।
रिधिमा हँसते हुए कहती,
“तुम पागल हो… अपनी ज़िंदगी छोड़ दी मेरे लिए?”
आरव मुस्कुराता,
“तुम ही तो मेरी ज़िंदगी हो।”
🌹 आख़िरी दिन
कुछ महीनों बाद रिधिमा बहुत कमजोर हो गई।
आरव उसके पास बैठा था, आँखों में आँसू, पर मुस्कुराने की कोशिश में।
रिधिमा ने कहा,
“अगर मैं चली गई… तो उदास मत होना।”
आरव बोला,
“तुम नहीं जाओगी। तुम मुझमें रहोगी — मेरी हर सांस में।”
वो हल्के से मुस्कुराई,
“फिर भी… अगर कभी अकेलापन लगे… तो अपनी डायरी खोल लेना —
क्योंकि उसमें मैं हूँ… तेरी यादों में, तेरी दुनिया में।”
उसने धीरे-धीरे आँखें बंद कर लीं।
🌤️ आज भी…
पाँच साल बीत चुके हैं।
आरव अब एक मशहूर लेखक है।
उसकी पहली किताब का नाम है —
“तेरी यादें मेरी दुनिया हैं” 💔
लोग कहते हैं, किताब बहुत खूबसूरत है।
पर किसी को नहीं पता, वो किताब सिर्फ़ एक कहानी नहीं — एक पूरी ज़िंदगी है।
हर सुबह आरव बालकनी में बैठता है, कॉफी पीते हुए आसमान की ओर देखता है, और मुस्कुराता है —
क्योंकि उसे महसूस होता है कि वो अब भी वहीं है,
हवा में, धड़कनों में, और उसकी हर सांस में।
“कभी-कभी प्यार खत्म नहीं होता, बस रूप बदल लेता है —
वो याद बनकर जीता रहता है… और वही याद, हमारी दुनिया बन जाती है।” 🌙