RAJA KI AATMA - 1 in Hindi Fiction Stories by NOMAN books and stories PDF | RAJA KI AATMA - 1

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RAJA KI AATMA - 1

शैली: हॉरर / थ्रिलर / रहस्य / अलौकिक

Genre: Horror / Thriller / Supernatural / Mystery


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कहानी का सार

1920–1922 के दौरान एक राजा और एक तांत्रिक के बीच का वो रहस्य,
जो 100 साल बाद — 2022 में — फिर से ज़िंदा हो गया।
एक ऐसी आत्मा जो केवल मरे हुओं में जा सकती है...
क्या आधुनिक दुनिया उसे रोक पाएगी?


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अस्वीकरण (Disclaimer):

यह कहानी एक काल्पनिक कथा है। इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति, धर्म या समाज से कोई संबंध नहीं है।


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भाग 1 – शुरुआत

भारत, 1920।

राजा के अत्याचार से लोग बहुत परेशान थे।
लोग अंग्रेजों से नहीं, बल्कि उस राजा से डरते थे।
अंग्रेज़ उसके राज्य में ज़्यादा नहीं रहते थे — बस टैक्स ले लेते थे।
पर राजा अपनी प्रजा से और भी ज़्यादा कर वसूल करता था।

बारिश न होने के कारण फसलें बर्बाद हो गई थीं।
लोग भूख से मरने लगे, और जब हालात हद से गुज़र गए,
तो प्रजा ने तय किया — अब कुछ करना ही पड़ेगा।

लोग एक तांत्रिक के पास गए और मदद मांगी।
तांत्रिक के शिष्य पहले मना कर देते हैं,
पर जब गुरु बाबा आंख खोलते हैं,
तो धीरे से कहते हैं —
“उन्हें अंदर भेज दो।”

गाँव के लोग अपनी सारी पीड़ा बाबा को बताते हैं।
बाबा शांत होकर बोलते हैं,
“मैं राजा को मार नहीं सकता,
पर उसकी आत्मा को क़ैद कर सकता हूँ।”

सब लोग मान जाते हैं।
पर बाबा कहते हैं,
“इसके बदले मुझे कुछ देना होगा...
छः बच्चे।”

सब हैरान हो जाते हैं।
फिर सोचकर कहते हैं,
“राजा सब कुछ ले जाता है,
अगर एक बच्चा गया तो क्या फ़र्क पड़ेगा।”

बाबा पूछते हैं, “तुम मान गए?”
वो सब एक साथ बोलते हैं, “हाँ, बाबा।”

बाबा कहते हैं,
“तो जाओ, राजा के शरीर पर
कितने घावों के निशान हैं,
पता करो।”

लोग राजा के नौकर के पास जाते हैं,
जो उसे नहाने का पानी देता है।
पहले वो आदमी मना करता है,
पर उनका हाल देखकर मदद कर देता है।

अगली सुबह, जब राजा नहा रहा होता है,
वो आदमी ध्यान से उसके शरीर के निशान देख लेता है।
हर घाव का निशान लिख लेता है...
सिर्फ़ एक जगह छूट जाती है —
उसके पेट के बाएँ निचले हिस्से पर।

वो लोग बाबा के पास जाकर सब बताते हैं।
बाबा कहते हैं,


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पूर्णिमा का दिन आता है।
गाँव वाले रोते हुए अपने बच्चों को ले आते हैं।
बच्चे पूछते हैं,
“बाबा, हमें खाना मिलेगा?”
माता-पिता आँसुओं के साथ कहते हैं,
“हाँ बेटा… पेट भर।”

दृश्य बेहद भावुक हो जाता है।

बाबा यज्ञ शुरू करते हैं।
आसमान में बादल घिर आते हैं,
हवा तेज़ चलने लगती है।

उसी समय राजा भी अपने पुजारी के साथ
अपने महल में यज्ञ कर रहा होता है।
अचानक उसे अजीब-सा दर्द महसूस होता है।
वो तड़पने लगता है।

पुजारी घबराकर कहता है,
“कोई तुम्हारी आत्मा को क़ैद कर रहा है, महाराज!”

राजा तुरंत एक चाकू आग में गर्म करता है,
और अपने पेट के बाएँ नीचे वाले निशान पर जला देता है।

बाबा गुस्से में चिल्लाते हैं,
“मूर्ख! तुमने क्यों नहीं बताया कि पेट पर भी निशान था?!”

राजा बच जाता है।
बाबा लोगों से कहते हैं,
“यहाँ से भागो! उस निशान ने राजा को बचा लिया है!”


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राजा अपने मंत्री और पुजारी के साथ
एक बड़ी दावत रखता है।

जो लोग उससे आँख मिलाने से डरते हैं,
या बात करते समय नज़रें झुका लेते हैं,
राजा उन्हें तुरंत मौत की सज़ा दे देता है।

उसे लगता है — वही लोग उसके ख़िलाफ़ साज़िश कर रहे हैं।

दावत के दौरान, एक आदमी चुपचाप खड़ा रहता है।
राजा उसे देखता है और पूछता है,
“तू कौन है?”

तांत्रिक शांत आवाज़ में कहता है,
“हम तो एक फ़कीर हैं… भीख माँगकर
अपनी ज़िंदगी चलाते हैं।”

राजा शक भरी नज़रों से कहता है,
“तुम तांत्रिक तो नहीं हो?”

तांत्रिक हल्के से मुस्कुराता है…
और कहता है,
“तांत्रिक नहीं, प्रजा का दुख भोगता हूँ।”