Tere Naam Ka Mausam in Hindi Love Stories by Kaushik dave books and stories PDF | तेरे नाम का मौसम

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तेरे नाम का मौसम

बिलकुल ❤️
यह रही एक 500 शब्दों की लव स्टोरी (बुक स्टाइल) —
शीर्षक: 🌹 “तेरे नाम का मौसम”


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अध्याय 1 — पहली मुलाकात

वो सर्दियों की शाम थी। दिल्ली की गलियों में ठंडी हवा बह रही थी।
कॉलेज की कैंटीन में आरव अपनी कॉफी के साथ अकेला बैठा था।
उसी वक्त दरवाज़ा खुला और एक लड़की अंदर आई — लाल स्वेटर, खुले बाल, और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान।

उसका नाम था अनाया।
वो नई-नई कॉलेज में आई थी।
आरव ने बस एक नज़र देखा, और जैसे वक़्त रुक गया।
कभी-कभी ज़िंदगी किसी अजनबी को ऐसे मिलवाती है, जैसे सदियों से जानती हो।

कुछ दिनों बाद दोनों की मुलाकात लाइब्रेरी में हुई।
अनाया एक पुरानी कविताओं की किताब ढूंढ रही थी, और वही किताब आरव के हाथ में थी।
वो बोली — “माफ कीजिए, मुझे यही किताब चाहिए।”
आरव मुस्कुराया — “तो चलिए, हम दोनों साथ पढ़ लेते हैं।”

उस दिन के बाद, दोनों अक्सर लाइब्रेरी में मिलने लगे।
बातें बढ़ीं, हँसी बढ़ी, और धीरे-धीरे एक एहसास ने जन्म लिया।


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अध्याय 2 — इज़हार

एक शाम कैंपस में हल्की बारिश शुरू हुई।
अनाया को बारिश बहुत पसंद थी। वो छतरी फेंककर भीगने लगी।
आरव ने कहा — “पागल हो जाओगी!”
वो मुस्कुराई, “प्यार में पागल होना बुरा नहीं होता…”

उस पल आरव ने उसका हाथ थामा और बोला —
“तो क्या मैं भी पागल हो जाऊँ तुम्हारे लिए?”

अनाया की आँखों में चमक थी। उसने धीरे से कहा,
“अगर ये पागलपन सच्चा हो… तो हाँ।”

वो दिन दोनों के लिए यादगार बन गया।
बारिश ने उनके इज़हार को अमर कर दिया।


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अध्याय 3 — जुदाई

लेकिन ज़िंदगी हमेशा फिल्म जैसी नहीं होती।
कॉलेज खत्म होते ही अनाया को अपने पिता की नौकरी के कारण लंदन जाना पड़ा।
वो चली गई, बिना वादा किए, बिना अलविदा कहे।

आरव रोज़ उसी लाइब्रेरी में बैठता, जहाँ वो दोनों पढ़ा करते थे।
किताबों के पन्नों में अब भी उसकी यादें थीं।

एक दिन उसे एक पार्सल मिला —
अंदर वही कविताओं की किताब थी, और एक नोट लिखा था —

> “कुछ अधूरी कहानियाँ किताबों में नहीं, दिल में रहती हैं।
तुम मेरे दिल का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो।”



आरव ने किताब सीने से लगाई और मुस्कुरा दिया।
प्यार खत्म नहीं हुआ था, बस दूरी में छिप गया था।


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अध्याय 4 — हमेशा के लिए

सालों बाद, उसी लाइब्रेरी में एक महिला आई — वही मुस्कान, वही आँखें।
अनाया लौट आई थी।
आरव ने कहा — “काफी साल लग गए किताब लौटाने में।”
अनाया बोली — “किताब नहीं लौटाने आई हूँ, कहानी पूरी करने आई हूँ।”

दोनों की आँखें नम थीं, पर दिलों में सुकून था।
कभी-कभी मोहब्बत को सिर्फ़ वक़्त चाहिए होता है —
ताकि वो कहानी से ज़िंदगी बन सके।


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📖 “तेरे नाम का मौसम”
एक ऐसी कहानी जो बताती है —

> सच्चा प्यार खत्म नहीं होता, बस लौटने का वक़्त इंतज़ार करता है।
    जिंदगी में सच्चा प्यार किसी को नहीं मिलता
    प्यार को वो ही समझ सकता है जिसे सच्चा प्यार किया हों
   वो लोग बहुत याद आते है जो चले जाते है चोर कर किसी मोड़ पर 
  पर वो मोड़ लौट के वापिस नहीं आता। जो चला गया था उस प्यार के साथ 
   दोस्तो सपोर्ट करना मुझे स्टोरी कैसे लगी बताना  पार्ट २ के लिए कमेंट करना अलविदा शुक्रिया दुआ में याद करना बाय बाय सभी को ओक