Cleopatra and Mark Anthony in Hindi Fiction Stories by इशरत हिदायत ख़ान books and stories PDF | क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी

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क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी

**क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी**       

                    - इशरत हिदायत ख़ान


क्लियोपेट्रा की पसंद मार्क एंटनी पर गिर गई।  वह उन दिनों रोमन कमांडरों में सर्वश्रेष्ठ था।  यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विवरण के आधार पर मार्क एंटनी एक असाधारण, अशिष्ट आदमी, जो मदिरा और मादक द्रव्यों  का प्रेमी था, यही कारण है कि उसे पूर्व में डायोनियस कहा जाता था ...जब एंथनी को पहली बैठक में क्लियोपेट्रा ने  बुलाया तो उसे उसकी बहुत जरूरत थी, उसने क्लियोपेट्रा के आमंत्ररण को  बार-बार ठुकरा दिया।  जिससे वह खतरे में पड़ गया। पर मौके की नजाकत को दृष्टिगत रखते हुए क्लियोपेट्रा ने अंततः उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। वह निश्चिंत हो गया।  लेकिन उसी  समय, क्लियोपेट्रा के आदेश पर, एक भव्य अद्वितीय जहाज गुप्त रूप से बनाया गया था। जब वह गुप्त बंदरगाह से निकल कर खुले समुंदर की लहरों पर दिखा तो लोगों के आश्चर्य और कौतूहल का विषय हो गसा। स्कार्लेट पाल के नीचे कीमती लकड़ी का एक विशाल पोत, जो वास्तव में सागर की सतह पर तैरता एक ख़ूबसूरत और शानदार महल था। मोहक सुगंधों  और मनोरम संगीत की ध्वनि बिखेरता हुआ। रोम की एक मादक  शाम को एंथनी के पास पहुंचा। जब एंथनी ने देखा कि क्लियोपेट्रा स्वयं चल कर उसके पास आयी है, तो उसे गहरा सदमा हुआ।  उसके तो ह्रदय पर जैसे सांप ही गिर गया। जहाज पर आँखों को चौंधिया देने वाली  रोशनी से जगमगा रहा था। मिस्र से आयी चुनिंदा नृत्यांगनाएं पारदर्शी सोने-चांदी के तारों और मोतियों जड़ित कलाबत्तूर से कढ़े बारीक वस्त्रों और बहुमूल्य आभूषणों में सजी-धजी अप्रितम सौन्दर्य वाली बालाएं अपनी रुप-राशि एवं बेजोड़ नृत्य कला की आभा बिखेर कर मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार थीं। इसके साथ ही भांति-भांति की दुर्लभ पुरानी शराब की स्वर्ण सुराहियां और जाम सुव्यवस्थित थे। कई सुराहियां सुन्दरियां अपने वक्षों पर उठाए खड़ी थीं, जिन्होंने अपने सुडौल बदन पर केवल बेशकीमती आभूषण भर पहने हुए थे। कमांडर एंथनी स्वागत और आवभगत की ऐसा अनुपम आयोजन देख अभिभूत हो गया। उसकी तो जैसे सांस ही रुक गयी थी। फिर उसने गहरी सांस ली। क्लियोपेट्रा से वार्ता से पहले ही  उसे  एहसास हुआ कि महारानी के आथित्य का आयोजन करना वास्तव में उसी का दायित्व था। वह सोचने पर विवश हो गया कि दोनों में विशिष्ट और महान कौन है?  और फिर जब रस और रंग का कार्यक्रम मंद पड़ा ,तो थेबान पुजारी के जादुई व्यंजनो और पेय पदार्थों का कार्यक्रम चल पड़ा। जल पोत पर साथ आए महारानी के खूंखार एवं कठोर अंगरक्षकों,  सलाहकारों , सेना नायक, अधिकारियों और बहादुर योद्धाओं ने अवसर का भरपूर लाभ उठाया। कई सैन्य अधिकारियों में एक ही सुन्दरी को लेकर विवाद छिड़ गया। और यह विवाद तब ही शांत हुआ, जब कई योद्धाओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ गया। उनके मृत शरीर को जहाज से उठा कर समुंदर में फेंक दिया गया।राज ज्योतिषी ने नक्षत्रों की चाल देख कर शुभ मुहूर्त के संबंध में ज्ञात कर महारानी को अवगत कराया। तब एंथनी को सादर रानी के खास शयन कक्ष में भेंटवार्ता के लिए ले जाया गया।  पोत पर बने उस सुन्दर महल को सैकड़ों सशस्त्र योद्धाओं ने सुरक्षा के घेरे में लिया हुआ था। क्लियोपेट्रा ने एंथनी का अभिवादन किया और दशक पुराना दुर्लभ मादक पेय स्वागत में अर्पित किया। जिसे पीने के उपरांत वह  तुष्टि एवं आनंद के चरम अनुभव से भर कर भाव-विहल हो उठा था।  क्लियोपेट्रा संपूर्ण मिस्र में अद्वितीय सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति साम्राज्ञी तो थी ही। क्रूरता और चतुराई में भी  उसे कोई नही छू सकता था। बड़े-बड़े  पाषाण ह्रदय कठोर योद्धा भी उसके सामने पानी-पानी हो जाते थे। उसने इस अवसर पर कोई चूक नही की। एंथनी का दिल उछल कर सुन्दरता की देवी की भाव-भंगिमाओं के मायामोह में जा फंसा और वह उसके चरणों में बैठ गया।  क्लियोपेट्रा ने नारी आकर्षणों का उपयोग करके रोमन पर विजय प्राप्त की।  रोमन इतिहासकार एपियन ने तो  आंकलन यूं किया, "मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा ने उससे मुलाकात की और वह तुरंत रोम हार गया। क्लियोपेट्रा ने पहली नज़र में उसके  दिल पर कब्जा कर लिया। यह प्यार उनके और सभी मिस्र के लोगों के लिए चरम आपदाओं को लाया। पर यह प्रेम स्थायी न होकर महारानी की कूटनीति का हिस्सा भर था। विलासी रानी एंथनी का ख़ून चूसने में लग गयी। अतृप्त तृषाग्नि से दहकती क्लियोपेट्रा के समीप एंथनी का अस्तित्व ऐसे था जैसे वैशाख के सूर्य की लपटों में धू-धू तपती धरती पर यदि वर्षा की चन्द बूँदें पड़ जाएं तो उसकी प्यास भड़क उठती है और उसमें चटख कर दरारें पड़ जाती हैं।वर्ष बीतते-बीतते एंथनी से रानी ऊब गयी। उसके समीप वह युद्ध भूमि के घायल उस घोड़े सा था, जो जंग में साथ नही दे पा रहा हो और जिसकी हत्या भी नही की जा सकती थी। इस लिए उसने युवा और सुन्दर ज्योतिषी हर्मैन को अपनी रुप-राशि के चंगुल में फंसा लिया था, जो ग्रहों की चाल और उनके शुभाशुभ प्रभावों से अवगत कराने के लिए सदैव राज महल में रहता था। महल की सुरक्षा कर रहे सैनिकों को यह अधिकार नही था कि वे राज ज्योतिषी के क्रिया-कलापों को संज्ञान में लें। इस लिए वह कभी भी कही स्वतंत्र विचरण कर सकता था । यहाँ तक कि वह रानी के एकांतवास में भी बे रोक-टोक जा सकता था। पर एंथनी की बात अलग थी। उनका स्थान तो रानी के उत्तराधिकारी का था। यह अलग बात थी कि उसका प्रभाव नगण्य था।एक रात्रि एंथनी ने क्लियोपेट्रा को राज ज्योतिषी के सानिध्य में देखा। उन्हें अन्तरंग संबंध में देखना उसे अखर गया। पर वह शांत था क्योंकि अवसर अनुकूल नही था। जान तो क्लियोपेट्रा ने भी लिया लेकिन उसे पता था, वह कर क्या सकता है। एंथनी ऊचित अवसर की तलाश में रहने लगा ,पर वह अवसर नही आया! सदैव की तरह सुबह तड़के एंथनी अपनी तलवार उठा अस्तबल की ओर गया और घोड़े की पीठ पर सवार हो अभ्यास के लिए निकलना ही चाह रहा था। तभी सैनिकों की एक घुड़सवार टुकड़ी ने चारों ओर से घेर लिया। वह कोई पचास सैनिक थे। एंथनी के अंग रक्षक सैनिक भी उन्हीं सैनिकों के साथ जा मिले। वह सहसा क्रोध से भर उठा और शेर की भांति दहाड़़ा, " यह दुस्साहस, तुम सब मारे जाओगे। तुम क्या समझते हो। मुट्ठी भर विद्रोही विशाल मिस्र के साम्राज्य का पत्तन कर देंगे। तुम्हें सूर्य देवता कभी भी क्षमा नही करेंगे। मिस्र के साम्राज्य पर सब देवताओ की विशेष दया है।"" सूर्य देवता की दया नील के मैदानो पर बनी रहे!  यह सब देवताओं के देवता,  सूर्य की ही इच्छा है  कि तेरे जैसे राज्यद्रोही का षडयंत्र विफल हुआ।"  सेना नायक ने भी दहाड़ते हुए कहा।" अरे दुष्टो, मत लो सूर्य देवता का नाम। सूर्य पुत्री क्लियोपेट्रा तुम सब के सिर काट कर नील को भेंट चढ़ा देगी। ठहर जाओ, अभी तुम्हें मजा चखाते हैं!" " मार्क एंथनी, तुम्हारा अन्त समीप आ गया है। बेवकूफी करने का कोई फायदा नही। महारानी क्लियोपेट्रा के आदेश से ही तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है। ऊपर देखो, महारानी हमारी वफादारी की गवाह हैं। वह ख़ुद ही सेना की कार्यवाही को देख रही हैं।" सेना नायक ने ऊँगली से संकेत किया। एंथनी ने ऊपर दृष्टि उठाई और उसका सारा साहस ठंडा पड़ गया। महल की डयूढ़ी पर खड़ी क्लियोपेट्रा के चेहरे पर एक कुटिल विजय मुस्कान थी। उसे लगा जैसे धमनियों में रक्त प्रवाह ठहर गया है।नगर की सड़कें दोनो ओर भीड़ से खचाखच भरी थीं। महिलाएं छतों पर खड़ी तमाशा देख रही थी। क्लियोपेट्रा सूर्य रथ पर सवार थी। जिसको सात घोड़े खींच रहे थे। रथ के पीछे नंगे बदन मोटी-मोटी जंजीरों से मार्क एंथनी जकड़ा हुआ था। उसकी पीठ पर दो सैनिक चमड़े के कोड़े से पीटते जा रहे थे। कई लोग भीड़ से आगे बढ़कर घृणा से उसके मुँह पर थूक रहे थे। वह रथ के पीछे लगभग घिसटता हुआ चल रहा था। रथ के आगे और पीछे घुड़ सवार सेना की दो बड़ी टुकड़ी चल रही थीं। नगर की सड़कों से गुजरते हुए सेना उसे लेकर राज महल के सामने विशाल मैदान में पहुँची। हजारों मीटर लंबे मैदान में जन-सैलाब उमड़ा पड़ रहा था। राज महल के ठीक सामने  के किनारे पर  सूर्य देवता की गगनचुंबी प्रतिमा बनी थी और उसके सामने  पत्थर के दो मजबूत स्तम्भ थे। मार्क एंथनी को उन स्तम्भ के साथ जंजीरों से जकड़ दिया गया।महारानी क्लियोपेट्रा सूर्य के सात घोड़ों वाले रथ से उतरकर धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ती हुयी सूर्य देवता की प्रतिमा के सामने पहुँचीं। वहाँ पर प्रधान न्यायाधीश और सेनापति तथा बहुत से राज्य पदाधिकारी पहले से मौजूद थे। महारानी के आदेश पर न्यायाधीश ने एंथनी को अभियोग पढ़कर सुनाया।" मार्क एंथनी,  तुम्हारा अपराध यह है कि तुमने महामहिम मिस्र साम्राज्य की कृपाशील, दयालू, प्रजापालक प्रेम और निष्ठामूर्ति की साक्षात देवी को अपने झूठे प्रेम में मोहित करके रोम का विलय किया। ऐसा करने के पीछे तुम्हारा उद्देश्य षडयंत्र करके मिस्र साम्राज्य का तख़्तापलट कर स्वयं सम्राट बनने का दुस्साहस था। तुमने सेना के बहुत से अधिकारियों को भी प्रलोभन देकर षडयंत्र के लिए उकसाया। तुमने एक विशाल साम्राज्य का सम्राट बनने का दिवास्वप्न देखते हुए राज्यद्रोह का भंयानक और अक्षम्य अपराध किया है।  सबसे बढ़कर तुम्हारा अपराध यह है कि तुमने महारानी क्लियोपेट्रा के असीम प्रेम और समर्पित भावनाओ को न केवल ठेस पहुँचायी है बल्कि उनके कोमल ह्रदय को आहत करने का जघन्यतम गुनाह किया। इस लिए मुख्य न्यायलय संपूर्ण विधि विधान को दृष्टिगत रखते हुए। सूर्य देवता के सम्मुख तुम्हें मृत्यु दण्ड देता है। और यह दण्ड महारानी स्वयं अपने हाथों से देंगी क्योंकि उनके मन में तुम्हारे प्रति घृणा और दु:ख भरा है।" पर एंथनी एकदम पाषाण शिला सा भाव-शून्य था।महारानी क्लियोपेट्रा ने ढ़ाल के साथ रखी तलवार को खींचा और एंथनी की ओर बढ़ गयी। फिर तीख़े स्वर में बोली, " एंथन, तुमने प्यार को देवी का वरदान समझने की भूल की और तुम भूल गए यह प्रेम बड़े-बड़े योद्धाओं के अहम को चकनाचूर कर देता है। यह वरदान ही नही अभिशाप भी हो सकता है। यह न तो किसी का बनता है और न किसी को बनता है। क्या तुमने किसी तितली को देखा, जो किसी एक फूल से ही चिपक कर रह जाती हो ? याद रखो, जो प्यार किसी के ह्रदय का सम्राट बनाता है वही प्यार सूली के फंदे पर भी चढ़ा सकता है। यह सदैव किसी के प्रतिै निष्ठावान नही रहता। तुम तो एक झोंक में बह रहे थे कि तुम्हारे सिवा सारे संसार के सौन्दर्य से आँखे मूंद लूँ। कम से कम मैं  ऐसा नही कर सकती।  तुम्हारी इसके बारे में चाहें जैसीै आस्था हो, पर मेरे लिए प्यार भी एक नशा है। जिस प्रकार से भांति-भांति की मदिरा एक दूसरे से अलग तुष्टि का आभास देती है। वैसे ही हर व्यक्ति एक अलग आनंद का अनुभव है। मैं सोच  रही थी आखिर तुम्हारा क्या करूँ? पर तुम्हारे हाव-भाव और बदले तेवरों ने मुझे संशय में डाल दिया। मेरी ओर से तुम जहन्नम में जाओ!" और इसके साथ ही क्लियोपेट्रा ने कठोरता से एक के बाद एक कई बार तलवार उसके सीने में घोंप दी। एंथनी की चीख के साथ रक्त का फव्वारा फूट पड़ा। क्लियोपेट्रा की सफेद पोशाक और चेहरा उसके लहू से भयानक लाल हो उठा। सिर निढ़ाल होकर एक ओर ढ़ुलक गया। शरीर ठंडा पड़ते-पड़ते उसके मुँह से एक धीमा स्वर और निकला,  " " क्लियोपेट्रा....!"                - इशरत हिदायत ख़ान

Email : Ishratkhan968@gmal.com संपर्क सूत्र : -चुंगी नंबर 1.शिक्लापुरपो.  मोहम्मदी जिला खीरी उ. प्र.