a compromise in Hindi Love Stories by Agastya Moga books and stories PDF | एक समझौता

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एक समझौता

कभी-कभी एक नजारा बीती हुई जिंदगी को ऐसे सामने लाकर खड़ा कर देता है, जैसे सब कल की ही बात हो।चतुर्दशी की सुबह अभिषेक अपनी पत्नी दिव्या और पांच साल की बेटी के साथ माता के दर्शन के लिए मंदिर में लाइन में लगा था, भीड काफी थी तो उसने अपनी बेटी को गोद में उठा लिया।

              सब लोग दर्शन करके आगे निकलते गए, तभी अभिषेक को अपने से कुछ आगे एक जाने-पहचानें चेहरे की झलक दिखी उस झलक को देखने के बाद वो बेचैन-सा हो गया क्योंकि उसे वो चेहरा सही से नहीं दिखा। वो किसी तरह उसे देखने की कोशिश करने लगा, और जब दर्शन करके वो जाने लगी तो अभिषेक उसको देखता ही रह गया। वो काजल थी उसका पहला प्यार, जो अपने पति और बेटे के साथ मंदिर आयी थी, वो उसे लगभग दस सालों के बाद देख रहा था।

       काजल ने उसके साथ लगभग 2 साल तक उस कंपनी में काम किया था जहाँ पर अभिषेक ने अपने कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद पहली बार नौकरी की थी। काजल ने उससे कुछ महीने पहले ही ऑफिस ज्वाइन किया था और इस प्रकार से वो उससे थोडा सीनियर थी। जब ऑफिस में अभिषेक नया-नया आया था तो काफी उलझा हुआ-सा रहता था उसे ऐसा देखकर काजल ने ही उसे ऑफिस का सारा काम समझने में मदद की थी।

ऑफिस में काम करते-करते दोनों के बीच दोस्ती हो गई और कभी-कभी ऑफिस के बाहर भी मुलाकात होने लगी। इन्हीं सब मुलाकातों के बीच अभिषेक के दिल में प्यार पनपने लगा और उसने हिम्मत दिखाकर काजल के सामने इजहार कर दिया। काजल ने उसके इजहार को कबूल किया और दोनों साथ जीने के सपने सजाने लगे।

          लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। काजल की एक बड़ी बहन थी जिसकी शादी को कुछ साल ही हुए थे उसकी और उसके पति की एक दुर्घटना में मौत हो गई खुशकिस्मती से उसकी सालभर की दो जुडवा भांजियां ही जिंदा बच पाई, काजल की मां नहीं थी और ना ही उसकी बहन की ससुराल में कोई ऐसी महिला जो उन्हें संभाल सके इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी परवरिश का सारा जिम्मा काजल को उठाना पडा। वक़्त बीतता गया और अभिषेक के मां-बाप उस पर शादी का दबाव बढ़ाने लगे, लेकिन वह काजल के सिवा किसी और से शादी नहीं करना चाहता था। उसने सारी बात काजल को बताई तो काजल ने इतना ही कहा कि अगर तुम्हारे परिवार वाले मुझे इन दोनों बच्चियों के साथ स्वीकार कर सकते हैं तो मैं शादी के लिए तैयार हूँ, क्योंकि मेरी बहन की मौत के बाद मैं ही इनकी मां हूँ। अभिषेक को कोई समस्या नहीं थी लेकिन उसके परिवार वाले इसके लिए तैयार नहीं थे।

अभिषेक ने उनको समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं माने, वो चाहते थे कि ये जिम्मेदारी काजल की भाभी संभाले लेकिन काजल की अपनी भाभी से कुछ खास नहीं बनती थी इसलिए उसने ऐसा करने से मना कर दिया।

इन सब हालातों को समझते हुए दोनों ने एक समझौता किया कि अपने प्यार को खुशी-खुशी एक नया मोड देंगे और अपने-अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगें। दोनों ने ऐसा ही किया और खुशी से एक-दूसरे के प्यार की इज्ज़त करते हुए अपनी कहानी को अधूरा छोड दिया।

मंदिर के बाहर सड़क के किनारे दोनों ने जब एक-दूसरे को आमने-सामने पाया तो चाहते हुए भी कुछ बोल नहीं सके और दूर से ही आंखों में थोड़ी-सी नमी लिए एक बार फिर से अलविदा कह दिया।