Ports of the Heart in Hindi Love Stories by ADITYA RAJ RAI books and stories PDF | दिल के बंदरगाह

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दिल के बंदरगाह

गोवा का पुराना बंदरगाह उस शाम कुछ अजीब लग रहा था। लहरें बेचैनी से किनारों से टकरा रही थीं, जैसे किसी गहरे राज़ को छिपाए हुए हों। हवा में नमी और दर्द दोनों घुले थे। उसी पुराने पत्थर के किनारे पर, जहाँ कभी भीड़ होती थी, आज सिर्फ़ एक लड़की बैठी थी — आर्या।

उसके हाथ में एक नीली चमड़े की डायरी थी। उस पर हल्के नमक के धब्बे थे, और ऊपर लिखा था —


> “आरव की यादें।”

आर्या की उंगलियाँ काँप रही थीं। वह हर शब्द को ऐसे छू रही थी, जैसे किसी पुराने ज़ख्म को कुरेद रही हो।

दो साल बीत चुके थे आरव को गुम हुए। वही आरव जिसने इस बंदरगाह पर उससे पहली बार मुलाकात की थी। समुद्र की लहरों से खेलता, मासूम हँसी लिए लड़का… जो कहता था,

> “अगर कभी मैं चला जाऊँ, तो इस बंदरगाह पर आना। यहाँ की लहरें मेरा पता बताएँगी।”

उस वक़्त आर्या ने इसे मज़ाक समझा था। लेकिन अब, जब आरव सच में कहीं खो गया था — यह हर लहर जैसे उसकी तलाश में पुकार लगाती थी।

आज, दो साल बाद, वही बंदरगाह उसे फिर बुला रहा था। सुबह जब वो यहाँ आई, तो उसके पैर के पास वही डायरी पड़ी थी। उसने काँपते हाथों से उठाई… और दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

डायरी खोली। पहले पन्ने पर आरव की लिखावट थी —

> “अगर यह डायरी तुम्हारे हाथों में है, तो समझो मैं अब तुम्हारे पास नहीं हूँ। लेकिन मेरा प्यार यहीं है… इस समुद्र में, इन हवाओं में, इन लहरों में।”

आर्या की आँखें भीग गईं। उसने अगला पन्ना पलटा — वहाँ उनकी पुरानी यादें थीं: वो पहली बारिश में भीगा दिन, जब आरव ने कहा था कि प्यार किसी किनारे की तलाश नहीं करता, बस लहरों की तरह बहता है।

लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ी, डायरी का स्वर बदलने लगा। आरव के शब्दों में डर उतर आया था।

> “यह बंदरगाह वैसा नहीं है जैसा दिखता है। यहाँ रातों में जहाज़ नहीं, साये उतरते हैं… कुछ लोग हैं जो इस पानी के रास्ते मौत की तस्करी करते हैं।”

आर्या का दिल सन्न रह गया। और आख़िरी पन्ने पर बना था एक नक्शा — बंदरगाह के नीचे बने एक पुराने गोदाम का रास्ता।

रात गहरी हो चुकी थी, लेकिन आर्या रुक नहीं पाई। वह नक्शे का पीछा करती उस सुनसान हिस्से तक पहुँची जहाँ कोई आता नहीं था। वहाँ एक टूटा हुआ गेट था, जिस पर जंग लगी तख्ती लटक रही थी — “प्रवेश वर्जित।”

वह अंधेरे में दाखिल हुई। अंदर बदबू थी, सीलन थी, और हर कोने में खामोशी। अचानक टॉर्च की रोशनी में कुछ चमका — एक पुराना ट्रंक।

ट्रंक खोला तो अंदर वही नीली जैकेट थी जो आरव ने उस आख़िरी दिन पहनी थी। जैकेट के नीचे एक यूएसबी ड्राइव रखी थी।

आर्या का दिल थम गया। वह गोदाम के बाहर आई, पास के गार्ड रूम में पुराना कंप्यूटर पड़ा था। उसने यूएसबी लगाई। स्क्रीन झिलमिलाई — और आरव का वीडियो खुल गया।

आरव थका हुआ लग रहा था, आँखों के नीचे काले घेरे थे।

> “आर्या… अगर तुम यह देख रही हो, तो मैं अब ज़िंदा नहीं हूँ। मैंने कुछ ऐसा देख लिया है जो मुझे नहीं देखना चाहिए था। यह बंदरगाह सिर्फ़ जहाज़ों का नहीं, अपराधों का ठिकाना है। रात में यहाँ नशे और हथियारों की खेप उतरती है… और इसके पीछे वही लोग हैं जिन पर हमें भरोसा है। अगर मैं बचा नहीं… तो तुम ये सब बाहर लाना। बस इतना वादा करना कि डरना मत।”

वीडियो अचानक कट गया।

आर्या की साँसें रुक गईं। तभी पीछे किसी के कदमों की आहट हुई। उसने पलटकर देखा — वही चेहरा, वही आँखें… आरव।

“आरव?” वह काँप गई, “तुम… ज़िंदा हो?”

आरव मुस्कुराया, लेकिन मुस्कान में थकान थी।“मरना पड़ा, आर्या… ताकि सच ज़िंदा रह सके। मुझे लगा वो लोग मुझे नहीं छोड़ेंगे, इसलिए छिप गया। लेकिन अब वक़्त आ गया है — इस सच्चाई को उजागर करने का।”

आर्या ने उसकी आँखों में देखा — वहाँ डर भी था, और प्यार भी।
“कौन लोग हैं ये?”

आरव ने जवाब देने से पहले एक गहरी साँस ली —“तुम्हारे पापा…”

आर्या की दुनिया जैसे रुक गई।
“क्या?”

“हाँ,” आरव बोला, “तुम्हारे पापा इस बंदरगाह के मालिक हैं, और इन्हीं के नाम पर ये तस्करी चलती है। मैं सच्चाई सामने लाना चाहता था, इसलिए उन्होंने मुझे मरवाने की कोशिश की।”

आर्या की आँखें आँसुओं से भर गईं। वह विश्वास नहीं कर पा रही थी कि उसका प्यार और उसका परिवार एक ही जंग में दुश्मन बन गए थे।

तभी बाहर से पुलिस की सायरन गूँजी। आरव ने उसका हाथ थाम लिया —
“वक्त नहीं है। या तो भाग चलो, या सच्चाई दुनिया के सामने रख दो।”

आर्या ने एक पल उसकी आँखों में देखा। वह समझ गई कि अब पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं।

वह बाहर निकली, ट्रंक से यूएसबी उठाई, और सीधे पुलिस के सामने फेंक दी।

“यह सबूत है!” वह चिल्लाई, “मेरे आरव ने सब उजागर कर दिया है!”

भीड़, आवाज़ें, गोलियों की गूँज — और फिर सन्नाटा।

कुछ देर बाद जब सब थमा, वहाँ सिर्फ़ एक नीली डायरी गीली रेत पर पड़ी थी।

अगले दिन अख़बार की हेडलाइन थी —
“गोवा बंदरगाह स्कैंडल का पर्दाफाश: दो प्रेमियों ने खोला भ्रष्टाचार का काला सच।”


लेकिन कहते हैं, उस बंदरगाह पर आज भी हर रात दो परछाइयाँ दिखती हैं —

एक लड़की, जिसके हाथ में डायरी है,
और एक लड़का, जिसकी आँखों में अब भी वही मुस्कान है।
लहरों के बीच उनकी आवाज़ गूँजती है —

> “कुछ कहानियाँ खत्म नहीं होतीं, वो बस समुद्र में मिल जाती हैं…

वहीं जहाँ पहली बार धड़कन ने ‘प्यार’ कहा था —
दिल के बंदरगाह पर।” 🌊💔