Saza e Ishq - 1 in Hindi Love Stories by A S H books and stories PDF | Saza e Ishq - 1

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Saza e Ishq - 1

एक बड़े से महल जैसे घर में एक बड़े से कमरे में एक बड़े से मिरर के पास एक लड़की दुल्हन के जोड़े में बैठी हुई थी। 
उसके चेहरे पर खुशी की चमक साफ दिख रही थी, जैसे उसका कोई सपना सच हो रहा हो। उसकी आंखे शर्म से थोड़ी झुकी हुई थी, और गाल उसके लाल गुलाबी हो गए थे। होठों पर हल्की मुस्कान थी, जैसे वह मन ही मन कोई मीठी बात सोच रही हो। ऐसा लग रहा था कि ये शादी सिर्फ दिल से दिल का मिलन हो। 
वह अपने हाथों की मेहंदी को देख रही थी, जिसका गहरा रंग उसकी खुशी को और गहरा रहा था। 
तभी उस कमरे का दरवाजा खुला। और एक औरत जिनका ना। डिंपल था। वो लगभग 45 या 46 साल की दिख रही थी वो अंदर आई। उनके चेहरे पर भी खुशी थी, जो जो मां के दिल में अपनी बेटी की शादी की दिन झलकती है। वह हल्के, नीले रंग की साड़ी में थी। उनकी आखों में प्यार भरा हुआ हा। वो अंदर आई और बड़े ही प्यार से बोली," आरती बेटा, तुम तैयार हो गई?"
वो लड़की जिसका नाम आरती थी उसकी आज शादी हो रही थी, आरती ने आखें उठा कर उस औरते की और देखी। उसके दुल्हे का नाम यश था, यश जिसे आरती 5 साल से दिल से चाहती थी, आज यश उसका हमेशा के लिए होने वाला था। दोनो का प्यार इतना गहरा था की हर मुस्कील को पार करके वे इस दिन तक पहुंचे थे। 
आरती ने हल्की सी मुस्कान के साथ, बड़े प्यार से कहा," हाजी, मां, हम तैयार है।"
डिंपल जी ने आरती की तरफ देखा और बड़े प्यार से बोली," ठीक है बेटा, अब तुम्हारी तबियत कैसी है?" बारात 1 घंटे में आ जाएगी, तब तक आराम कर लो। पहले ही तुमको 3-4 दिन से फीवर था। 
आरती धीरे ने धीरे से अपनी नरम आवाज में जवाब दिया," जी मां, हम आराम कर लेंगे, और आप चिंता मत करिए, हम बिलकुल ठीक है। सुबह से तो बस आराम ही कर रहे है।"
डिंपल जी ने पास आ कर आरती के गाल पर प्यार से हाथ फेरा और मुसकुराते हुए बोली," चिंता तो होगी ही ना बेटा! नीलिमा मुझे तुम्हें सोफ़ा था, तो चिंता तो होगी ही ना। और अब तो यश भी हो जाएगा, आपकी केयर करने वाला।"
आरती ने तुरंत डिंपल जी का हाथ पकड़ लिया और झूठी नाराज़गी से बोली," तो क्या, अब आप हमारी केयर करना छोड़ देंगी?" इतना कह कर आरती ने झूठ-मूठ का मुंह फूला लिया। 
डिंपल जी आरती की बात सुन कर नाम आवाज में बोली," एक मां कभी अपने बच्चों की केयर करना छोड़ सकती है क्या, भला? हा, मैं तुम्हारी सगी मां नहीं हूं, पर…"
उनके शब्द पूरे होने से पहले ही आरती खड़ी हुई और झट से डिंपल जी के गले लग गई। डिंपल जी के शब्द उनके मुंह में ही रह गए। आरती ने गले लगते हुए, थोड़ा रुंधे गले से कहा, "मां, आज तो आपने ये बोल दिया, आगे से मत बोलना! आप हमारी मां हैं, सगी, सौतेली, ये सब क्या है? मेरे लिए ये मायने नहीं रखता। मायने रखता है तो बस ये कि आप हमारी मां हैं, और हमें पता है आप हमारी कितनी केयर करती हैं।"
फिर आरती थोड़ा पीछे हटी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली, "हम तो मज़ाक में बोल रहे थे।"
डिंपल जी ने ये सुनते ही प्यार से आरती का कान पकड़ लिया और बोलीं, "ऐसा मज़ाक फिर कभी सपने में भी मत करना! तुम्हें पता है, ये सुनते ही मुझे कितना बुरा लगा।" फिर उन्होंने हल्के से उसका कान छोड़ दिया और प्यार से उसकी ओर देखा, जैसे कह रही हों कि उनका दिल अब भी थोड़ा भारी है।
आरती ने तुरंत अपने दोनों कान पकड़ लिए और डिंपल जी की ओर देखकर बोली, "सॉरी मां! और आप भी ये सगी-सौतेली वाली बात नहीं कहेंगी, समझी? आप बस हमारी माँ हैं। सगी मां तो हमें छोड़ गई… उसने तो मुझ रोती हुई को छोड़ दिया, उस आदमी के चक्कर में।" इतना कहते-कहते आरती की आँखें भर आईं। और दो आशू उसके गालों पर लुढ़क आए।
वही आरती की ये बात सुन कर डिंपल जी हैरान हो गई और हैरनी से आरती को और देखते हुए बोली,"बेटा, ये क्या बोल रही हो? ये सब झूठ है! वो तो इस दुनिया में ही नहीं रही…" उनकी आवाज़ कांप रही थी, और फिर वे आरती के आसुओं को पोंछने लगीं।
आरती ने डिंपल जी के आसुओं को भी पोंछा और रुंधे गले से बोली, "मां, हमें सब पता है। वो ज़िंदा है और किसी गैर आदमी के साथ चली गई। मैंने आपकी और राजेश डैड की बातें सुन ली थीं। मुझे पता है आप ये बात छुपाती थीं ताकि मेरी नज़रों में मेरी मां ना गिरे, पर मुझे सच पता लग गया।" उसकी आँखों में दर्द था, पर प्यार भी। "अब आप उनकी वजह से ये आसू नहीं बहाएगी!" इतना कहकर आरती ने डिंपल जी को गुदगुदी कर दी। डिंपल जी हस पड़ीं, और उनकी हसी देखकर आरती भी मुस्कुरा दी।
डिंपल जी ने नरम स्वर में कहा, "अब तुम आराम करो, ठीक है? मैं बारात के स्वागत की तैयारी करती हू।"
आरती ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "ठीक है, आप जाइए।" डिंपल जी जैसे ही दरवाज़े की ओर बढ़ीं, आरती ने अचानक पुकारा, "रुकिए मां…"
डिंपल जी रुक गईं और पीछे मुड़कर बोलीं, "हा बेटा, क्या हुआ?"
आरती अपने भारी लहंगे को सभालती हुई उनके पास आई और धीरे से बोली, "मां, रितिविक कहा है?"
डिंपल जी का चेहरा थोड़ा उदास हो गया। "पता नहीं बेटा, तुम्हारी सगाई वाले दिन से वो गायब है। ना फोन करता है, ना उठाता है। मेरा तो छोड़ो, राजेश जी का भी फोन नहीं उठा रहा। पता नहीं कहा गया।" उन्होंने एक गहरी सास ली और बोलीं, "अब मैं जाती हू, तुम आराम करो।" इतना कहकर डिंपल जी चली गईं।
उनके जाने के बाद आरती बिस्तर पर जाकर बैठ गई। उसने अपना फोन उठाया और स्क्रीन ऑन की। उसकी नज़र वॉलपेपर पर ठहर गई एक फोटो, जिसमें रितिविक उसका पीछे से बाहों में थामे मुस्कुरा रहा था। उसकी आँखें नम हो गईं। धीरे से, कापती आवाज़ में वो बोली, "रितिविक, तुम कहा हो? तुमने तो कहा था कि शादी वाले दिन तुम मेरा हाथ पकड़कर मुझे मंडप तक ले जाओगे और यश को सौंप दोगे। अब तुम कहा हो? आ जाओ ना…" एक आशू उसकी गाल पर लुढ़क गया।
रितिविक कौन है? क्या है उसका और आरती का रिश्ता? और वह कहाँ गायब हो गया? जानने के लिए पढ़ते रहिए…