Adhura Ishq-2 in Hindi Love Stories by Naina Khan books and stories PDF | अधूरा इश्क़ — हिस्सा 2

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अधूरा इश्क़ — हिस्सा 2

💔 अधूरा इश्क़ — हिस्सा 2
जुदाई की चुप्पी
लेखिका: नैना ख़ान

कोचिंग सेंटर की वो बेंच अब भी वहीं थी —
वो बेंच, जहाँ कभी दो दिलों ने खामोशियों में मोहब्बत का इकरार किया था।
मगर अब वहाँ सिर्फ़ यूसुफ बैठता था,
एक ऐसा इश्क़ जो अब याद बन चुका था, और एक इंतज़ार जो कभी ख़त्म नहीं हुआ।

समा की गैर-मौजूदगी अब कोचिंग की दीवारों को भी सूनी बना चुकी थी।
हर रोज़ वही क्लास, वही टीचर, वही नोट्स…
बस वो चेहरा नहीं था जो हर सुबह रोशनी बिखेर देता था।

🌧️ खामोशी का पहला दिन
समा अचानक गायब हुई थी।
न कोई कॉल, न कोई मैसेज, न कोई अलविदा।
यूसुफ को पहले दिन लगा — शायद बीमार होगी।
दूसरे दिन लगा — कोई पारिवारिक काम होगा।
तीसरे दिन दिल ने कहा — “अब शायद वो नहीं आएगी…”

उसकी सीट अब खाली रहने लगी।
यूसुफ हर क्लास में वही जगह देखता,
जहाँ कभी समा अपनी पेंसिल घुमाती, नोट्स में फूल बनाती थी।

"तुम आई क्यों नहीं आज?" — वो मन ही मन पूछता।
मगर जवाब में बस खामोशी थी।

🌙 यादों की परछाइयाँ
रातों को यूसुफ अब जल्दी नहीं सोता था।
वो अपनी कॉपी पलटता, समा की लिखावट को छूता।
हर अक्षर में उसे उसकी मुस्कान नज़र आती।

कभी-कभी वो सोचता —
“शायद मैंने कुछ गलत कहा… या फिर वो डर गई?”
मगर फिर याद आता —
समा ने कभी उसे नफ़रत से नहीं देखा, बस एक खामोश मोहब्बत थी दोनों के बीच।

यूसुफ की माँ ने पूछा —
“बेटा, आजकल तू बहुत चुप रहता है, सब ठीक है?”
वो मुस्कुरा कर कहता, “हाँ अम्मी, सब ठीक है…”
मगर अंदर से वो टूट चुका था।

🕯️ समा का फैसला
उधर समा भी चैन में नहीं थी।
उसने कोचिंग छोड़ दी थी, मगर यूसुफ की याद से नहीं बच पाई थी।
हर सुबह जब किताब खोलती, तो उसकी आँखों के सामने यूसुफ का चेहरा आ जाता।
वो खुद को समझाती,
“मुझे भूल जाना चाहिए… ये रिश्ता कहीं नहीं जाएगा।”

उसके अब्बू की सख्त नज़रों में जात की दीवारें थीं —
“हमारे खानदान में नीचे वालों से रिश्ता नहीं होता,”
उनकी आवाज़ आज भी उसके कानों में गूंजती थी।

समा जानती थी, अगर उसने यूसुफ से इज़हार किया,
तो वो सिर्फ़ उसे नहीं, अपने पूरे परिवार को खो देगी।
और शायद यूसुफ भी ताउम्र इस ताने के साथ नहीं जी पाएगा।

इसलिए उसने फैसला किया —
“कभी वापस नहीं जाऊँगी, ना ही उससे मिलूँगी।”
मगर ये फैसला उसकी रातों की नींद छीन ले गया।

💌 अधूरी चिट्ठी
एक शाम समा ने एक चिट्ठी लिखी —
"यूसुफ, मुझसे नफरत मत करना।
मैं तुम्हें छोड़ नहीं रही, बस अपने घर की इज़्ज़त को बचा रही हूँ।
तुमसे मिलना मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था,
लेकिन अब वही लम्हा मेरी कमज़ोरी बन गया है।
कभी मुझे याद करना, तो ग़ुस्सा मत होना…
बस ये समझना कि मैं मजबूर थी।"

उसने वो चिट्ठी लिखकर फाड़ दी।
क्योंकि वो जानती थी — अगर भेज दी, तो फिर खुद को रोक नहीं पाएगी।

⏳ वक़्त का सन्नाटा
दिन महीने बने, महीने साल में बदले।
यूसुफ अब भी उसी कोचिंग सेंटर में आता, पढ़ाई पूरी करता, मगर दिल वहीं रुका रहा जहाँ समा ने छोड़ा था।

कभी कोई लड़की उससे बात करती तो वो मुस्कुरा देता,
मगर उस मुस्कान के पीछे सिर्फ़ एक नाम था — समा।
वो किसी और को जगह ही नहीं दे पाया।

उसकी आँखों में हमेशा एक सवाल था —
"क्या वो खुश होगी?"
और हर बार जवाब मिलता — “पता नहीं…”

🌌 यादों का सिलसिला
कभी-कभी वो उसी बेंच पर बैठकर कॉफी पीता,
बारिश की बूंदों को गिरते देखता,
और सोचता — “अगर वो आज यहाँ होती…”

एक बार उसने अपनी डायरी में लिखा —

“वो चली गई, मगर उसकी खुशबू अब भी है।
हर किताब के पन्ने में उसकी हँसी सुनाई देती है,
और हर शाम उसके बिना अधूरी लगती है।”
क्लास खत्म होने के बाद भी यूसुफ वहीं बैठा रहता।
टीचर कहते, “यूसुफ, घर नहीं जा रहे?”
वो बस सिर झुका कर कहता, “थोड़ी देर और…”

💔 जुदाई की चुप्पी
समा अब पूरी तरह उसकी ज़िंदगी से जा चुकी थी,
मगर उसकी यादें अब भी ज़िंदा थीं।
कभी-कभी यूसुफ सोचता,
“काश उसने एक बार कहा होता — रुक जाओ…”
तो शायद ज़िंदगी कुछ और होती।

वो अब एक नया कोर्स जॉइन करने वाला था।
उसने कोचिंग सेंटर की आखिरी शाम उस बेंच को छुआ और कहा —
"ख़ुदा हाफ़िज़, समा।"

आँखों से एक आँसू गिरा,
और उसके साथ खत्म हुई एक मोहब्बत की कहानी —
कम से कम, बाहरी दुनिया के लिए।

मगर दिल के अंदर वो कहानी आज भी चल रही थी —
हर धड़कन में, हर साँस में, हर खामोशी में।

🌠 समा की तरफ़ से
सालों बाद, एक दिन समा अपनी अलमारी साफ़ कर रही थी।
किताबों के ढेर के बीच उसे एक पुराना नोट मिला —
यूसुफ की लिखावट में लिखा था:
"Some love stories never end, they just change their silence."

समा के हाथ काँप गए।
उसकी आँखों से आँसू टपके —
वो जानती थी, वो आज भी वहीं है जहाँ उसने छोड़ा था।

उसने आसमान की तरफ देखा और धीमे से कहा —
"माफ़ करना यूसुफ, मैंने तुम्हें छोड़ा नहीं था… खुद को बचा रही थी।"


कुछ मोहब्बतें जुदाई के बाद भी मरती नहीं,
वो बस चुप हो जाती हैं —
मगर उनकी खामोशी हर धड़कन में गूंजती रहती है।

"उसकी खामोशी ने मुझे तोड़ दिया, मगर उसकी यादों ने मुझे ज़िंदा रखा।"


(समाप्त — हिस्सा 2)
आगे पढ़ें: हिस्सा 3 — “एक मैसेज, एक तूफ़ान” 📱

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