Me and My Feelings - 136 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 136

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में और मेरे अहसास - 136

सफाई 

वो दोस्ती ही क्या जिसमें सफाई देनी पड़ेगी l

सच साबित करने के लिए सौगंध लेनी पड़ेगी ll

 

वादा देकर मुकर जाने की कोशिश ना करना l

नहि तो मोहब्बत की अदालत में पेशी पड़ेगी ll

 

महफिल में भीड़भाड़ में कमी महसूस न होगी l

अक्कल ठिकाने आएंगी हुस्न अकेली पड़ेगी ll

 

जाना चाहो तो शोख़ से चलें जाओ न रोकेंगे l

समझ में आएगा जब तन्हाइयाँ घेरी पड़ेगी ll

 

नई दुनिया बसाने जा रहे हो ख़ुदा हाफ़िज़ l

अकेलेपन में चाँदनी रातों को झेली पड़ेगी ll

१-१०-२०२५ 

 

सैयारा

ईश की दरियादिली से सैयारा गोद में आ गिरा l

बहुत शुक्रिया बेनमून ओ अनमोल तोहफ़ा है मिला ll

 

अब ज़िंदगी खुशी खुशी बीत जाएंगीं जब के l

सुने सुमसाम गुलशन में खूबसूरत गुल है खिला ll

 

जिस अलौकिक प्यार की तमन्ना ताउम्र रही थी l

देर से बेहतरीन दिया, अजीब है कुदरत की लिला ll

 

बिना शिकायत ओ बैचेन हुए वक़्त की राह देखो l

आज यकी हो गया मिलता है इंतजार का सिला ll

 

तन्हाईयाँ और सूनेपन को कोई न रहा अब गिला l

सैयारा की चमक ओ धमाका सुन रोम रोम हिला ll

२-९-२०२५ 

 

राज-ए-दिल 

राज-ए-दिल को ज़माने से छुपाए जाते हैं l

हाले दिल हर किसीको नहीं बताए जाते हैं ll

 

गैरो को तो मजा आ जायेगा सुनकर दास्ताँ l

अपनों के दिये ज़ख्म नहीं सुनाए जाते हैं ll

 

दर्दों ग़म के कारवाँ के साथ चलते चलते l

सालों से दिल में जुदाई बोझ उठाए जाते हैं ll

 

ख़ुद ही लेखक बनकर खुद की कविता को l

अपनी मस्ती में मस्त गुनगुनाए जाते हैं ll

 

सुख का सूरज एक दिन जरूर उगेगा ओ l

उजाला होगा वो दिलासा दिलाए जाते हैं ll

 

नई मंज़िल नए हमसफ़र की तलाश में l

आगे ही आगे क़दमों को बढाए जाते हैं ll

 

यार दोस्तों की महफिल में सूर ताल को l

दिल से दिल को छू लेने मिलाए जाते हैं ll

 

जिंदगी में चैन और सुकून के वास्ते ही l

नशीले प्यार का दरिया बहाए जाते हैं ll

 

जीवन के गुलज़ार को हरा भरा करने l 

मोजिले ओ रंगीन दोस्त बनाए जाते हैं ll

 

संबंध की फूल वाडी को महकाने को l

खुद हारकर अपनों को जिताए जाते हैं ll

३-१०-२०२५ 

 

मिजाज 

मिजाज मौसम का बेईमान हो गया हैं l

अपनी ही मस्ती में सुधबुध खो गया हैं ll

 

बेलगाम रफ़्तार में आकर चौतरफ़ा से l 

सन्नाटा फैलाके क़ायनात धो गया हैं ll 

 

कई बार उफान का रूप ले लेता है कि l

उसके झपट में जो आया वो गया हैं ll

 

इंसान को पाठ पढ़ाने रुद्र रूप धरकर l

डर और दहशत का माहौल बो गया हैं ll

 

हस्ती जो यूरी तरह से हचमचा गई तो l

छोटा और बड़ा हर आदमी रो गया हैं ll

४-९-२०२५ 

 छुपा 

पर्दा ना करो दुनिया से छुपा ही नहीं कुछ भी l

दोनों की मोहोब्बत में जुदा ही नहीं कुछ भी ll

 

न जाने कौन सी धुन सवार थी दिमाग़ में l

यार ने दूर जाते वक्त कहा ही नहीं कुछ भी ll

 

आज समय ने उस मोड़ पर खड़ा किया कि l

बातचीत करने जैसा बचा ही नहीं कुछ भी ll

 

राब्ता करते रहे रिश्ता बनाये रखने के लिए l

कोशिशों के बाद आगे बढ़ा ही नहीं कुछ भी ll

 

फ़िर दिल की दुनिया नहीं बसाना चाहते कि l

आशिकी में पहेले जैसे मजा ही नहीं कुछ भी ll

५-९-२०२५ 

जिंदगी के सफ़र

जिंदगी के सफ़र का लुफ़्त उठा लेना चाहिए l

प्यार को दोनों हाथों से लुटा देना चाहिए ll

 

चार दिन की जिंदगी में जी भरके जी लो ओ l

जो भी गिला शिकवा हो मिटा देना चाहिए ll

 

एक एक मुकाम हौसलों के साथ बिताकर l

बिना शिकायत जीकर दिखा देना चाहिए ll

 

हसते गाते बसर करने का नुस्खा देकर l

ममता का नशीला जाम पिला देना चाहिए ll

 

सफ़र जारी रख मंज़िल मिलेगी जरूर तो l

ईश साथ है ये भरोसा दिला देना चाहिए ll

 

जब हिम्मत टूटने लगे तब खामोशी से l

सर को ईश के सामने झुका देना चाहिए ll

 

हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा l

बिछड़े हुए दिलों को मिला देना चाहिए ll

 

प्यारा सा रसीला मीठा नगमा गुनगुनाते l

जिंदगी के सफ़र को बिता देना चाहिए ll

 

एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते हुए l

कारवाँ को मंज़िल से मिला देना चाहिए ll

६-९-२०२५ 

आदत हो गई हैं

बिना बात के मुस्कराने की आदत हो गई हैं l

कौअे के का का से घर में दावत हो गई हैं ll

 

बातचीत की जगह सोसियल मीडिया ने ली l

खामोशी और सन्नाटे से चाहत हो गई हैं ll

 

संगदिल, बेदिल औ बेदर्द क़ायनात में जब l

थोड़ी सा प्यार दिया तो सआदत हो गई हैं ll

 

जुदाई के अकेलेपन का एक आखरी सहारा l

इंतिहा देखो तसवीरों से बगावत हो गई हैं ll

 

जुदा होते वक्त सच कहा था संभालकर रखना l

भीगी शाम में यादों से सजावट हो गई हैं ll

७-१०-२०२५ 

 

उम्र बढ़ रही हैं 

उम्र बढ़ रही है चलो गिले शिकवे दिल से छोड़ देते हैं l

भाईचारा के साथ सुकून की ओर रास्ते मोड़ देते हैं ll

 

मन के हारे हार और मन के जीते जीत यहीं सत्य l 

अब हो ना पाएगा कुछ भी ख्यालों को झँझोड़ देते हैं ll

 

शरीर के अंगोमें सारे बदलाव को स्वीकार कर l

सभी नकारात्मक विचारों की बेड़ियों को तोड़ देते हैं ll

 

पुरानी ग़लतियों से सिख लेकर आगे बढ़के और l

सभी छोटे बड़ों को एक साथ मिलाकर जोड़ देते हैं ll

 

नए जीवन की शुरुआत करने के दिन आ गये है ओ l

पुराने रीति रिवाजों की मानसिकता को फोड़ देते हैं ll

८-१०-२०२५  

 

अंधेरा हो रहा हैं

अंधेरा हो रहा हैं l

चमक खो रहा हैं ll

 

नई शुरुआत होगी l

उजाला बो रहा हैं ll

 

सुबह की आश में l

जहां सो रहा हैं ll

 

रोशनी खो जाने से l

अगिया रो रहा हैं ll

 

दिन भरके काम की l

थकान धों रहा हैं ll

९-१०-२०२५ 

 

अहबाब

छुपाकर रखना अहबाब अनमोल हैं l

हमसफ़र के साथ जीवन समतोल हैं ll

 

चेहरे पर मुस्कान देकर खुश रखता l

वो जिंदगी में सब से बड़ा तोल हैं ll

 

चैन और सुकून में इजाफ़ा कर के l

सुबह शाम सुमधुर बजाता ढ़ोल हैं ll

 

ईश ने बख्शा हुआ नायाब रत्न है l

उस के माशवरे का बहुत मोल हैं ll

 

सदा पूरी तरह से भरोसा करना l

अहबाब जो कहें सच्चा बोल हैं ll

१०-९-२०२५ 

बाढ़ के प्रकोप

यादों की बाढ़ के प्रकोप से आँखों में सुनामी आई है l

साथ अपने आंसुओं की तेज बारिश को भी लाई हैं ll

 

अब तो आदत सी हो गयी है दर्द सहने की क्योंकि l

कोई नई बात नहीं है कि दर्द से सालों पुरानी शनाशाई हैं ll 

 

सुनो एक हम ही नहीं शिकार इस लाइलाज मर्ज के l

आज तक प्यार करने वाले मोहब्बत में ठोकर पाई हैं ll

 

रफ़्तार बाढ़ की इतनी तेज और असर कर्ता थी के l

दिल पर न मिटने वाली बहुत बड़ी चोट गहरी लगाई हैं ll

 

हालात ही ऐसे पैदा कर दिए है कि तहस नहस हो l

बूरी तरह से ज़ख्मी करने की ये अदा खुब भाई हैं ll

१२-१०-२०२५ 

  मंज़िल

गम न कर मंज़िल का रास्ता मिल जाएगा l

चाहत से भरपूर साथी नया मिल जाएगा ll

 

यू इधर उधर घूमने की जरूरत क्या है कि l

दिलबर के घर का जल्द पता मिल जाएगा ll

 

फ़िक्र ना कर दुनिया गोल है इतना जान ले l

एक बंध हो तो दरवजा दूसरा मिल जाएगा ll

 

खुल्ले आम मुलाकात की बातें न किया करो l

लोगों को बात करने का मुद्दआ मिल जाएगा ll

 

गर हुस्न की परियाँ बेपरदा निकलेगी तो l

हर कोई खिड़की से झाँकता मिल जाएगा ll

 

ईश्वर के यहाँ देर है पर अंधेर बिल्कुल नहीं l

अच्छे सच्चे कर्मो का सिला मिल जाएगा ll

 

सुबह सुबह की पहली किरण निकलते ही l

पनघट पर मुखड़ा चाँद सा मिल जाएगा ll

१२ -१०-२०२५ 

सखी 

डॉ. दर्शिता बाबूभाई शाह 

 

हर ग़ज़ल में ढूँढता हूँ 

 

हर महफ़िल में हर ग़ज़ल में ढूँढता हूँ तूझे l

ये खुलखकर कहने की कोशिश नहीं की ll

 

न जा छोड़कर य़ह कहने गुज़ारिश नहीं की l

फिर से मुलाकात की भी ख़्वाहिश नहीं की ll

 

जिसने जाने का मन बना लिया हो उस को l

दिल की बात बताने की जुम्बिश नहीं की ll

 

जिस तरफ़ महक थी वहां जाने निकल पडी l

आज बयारों ने भी कम साज़िश नहीं की ll

 

क्या जाने कौन सी धुन और अल्लडपन में l

बादलों ने कई दिन हो गये बारिश नहीं की ll

 

बिना मन के रुकने का कोई भी फायदा नहीं l

उसे जाते हुए रोक ने के लिए गर्दिश नहीं की ll

१३ -१०-२०२५ 

नूर-ए-ख़ुदा

आगे बढ़ता जा मंज़िल को नूर-ए-ख़ुदा मिल जायेगा l

कड़ी लगन औ मेहनत से एक दिन आशनाना पायेगा ll

 

ग़र खुद पे भरोसा होगा तो सारी कायनात साथ होगी l

आत्मविश्वास के दम से शख्सियत में खुमारी लायेगा ll 

 

अच्छे कर्मों का सिलसिला तों मिलकर रहता है कि l

सच्चाई की राह पर चलने तो वाईज भी साथ आयेगा ll

 

सैयारा होके आसमाँ में सदा के लिए चमकता रहेगा l 

युगों तक ज़माना याद करेगा जब जहाँ से जायेगा ll

 

हुस्न की परियों को बे पर्दा करने के वास्ते आज l

जलवों के सदके में महफिल में राग रागिनी गायेगा ll  

१४-१०-२०२५ 

ज़िंदगी है तो इम्तिहाँ जैसा

ज़िंदगी है तो इम्तिहाँ जैसा सदा ही रहेगा l

हर लम्हा हर पल जीवन इस तरह बहेगा ll

 

सुबह शाम दिन रात मुस्कराते रहते है पर l

एक मकाम पर आकर थकान सा लगेगा ll

 

एक बात मन में ठान ली है जीत जाएंगे l

क़दम तो मंज़िल की और आगे ही बढ़ेगा ll

 

हाथ पे हाथ रख बैठे रहने से क्या होगा l

मेहनत करने वाला ऊँचाइयों पर चढ़ेगा ll

 

मुकम्मल कोशिश ही कामयाबी देती है तो l

जीतेगा वहीं जो इम्तिहाँ का हौसला करेगा ll

१५-१०-२०२५ 

सखी

डॉ. दर्शिता बाबूभाई शाह