Incomplete Love: The Last Letter of Love in Hindi Love Stories by Vishal Singh Rathore books and stories PDF | अधूरी मोहब्बत: इश्क़ का आख़िरी खत

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अधूरी मोहब्बत: इश्क़ का आख़िरी खत

प्रियांश-  सुनो तुम मुझे कभी छोड़कर मत जाना प्लीज ।

चाहत-   अरे ये क्या बोल रहे हो तुम 
कितनी बार कहूँ कि मैं जीना छोड़ सकती हूँ पर तुम्हें नहीं ।

प्रियांश- हाँ वो तो है पर फिर भी एक डर मुझे हमेशा सताता रहता कि अगर तुम चली गई तो मैं जी कैसे पाऊंगा।

चाहत-  अरे छोड़ो तुम ये फालतू बातें 
मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ और तुम मेरे हो ।
चलो कहीं घूमने चलते हैं  वैसे भी काफी दिन हो गए हैं ।

प्रियांश-  हाँ चलो । 

दोनों आज वहीं जाते हैं जहां वो पहली बार मिले थे ।
फिर कुछ देर वहाँ घूमने के बाद वो दोनों अपने घर को लौट जाते हैं ।
घर आते ही चाहत की माँ बोली- जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हें देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं । 

यह सुनते ही  लड़की को ऐसा लगा कि उसकी दुनिया उजड़ने लगी हो, उसका सजाया हुआ सपनों का महल टूट सा रहा । सोचती है कि अब मैं अपने उस पागल को क्या कहूँगी, जो सिर्फ मेरे लिए ही पागल है |

सूरज ढलता गया  कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजती है।
आज वो घंटी की आवाज  चाहत के दिल में एक तीर की तरह चुभ रही है ।
देखा तो  लड़के वाले आ चुके हैं।
और कुछ बातों के सिलसिले के बाद रिश्ता तय हो गया ।
और जल्द ही शादी का दिन भी करीब आ गया। 

उधर प्रियांश को पता चलता है कि चाहत को शादी हो रही है,
वो ये खबर सुनते ही पागल सा हो जाता है और जहर पी लेता है ।
ऊधर चाहत के 7 फेरे पूरे हो चुके थे 
इधर प्रियांश को मरे हुए 7 घंटे हो चुके थे।
फिर उधर चाहत की डोली को सजाया जा रहा था 
इधर प्रियांश की अर्थी को उठाया जा रहा था ।
उधर चाहत घर से बिदा हो रही है 
इधर प्रियांश दुनिया से बिदा हो रहा है ।
~~~~~

आज 2 साल बीत चुके हैं, चाहत की शादी को और प्रियांश को मरे हुए ।
चाहत अपने पति के साथ खुश थी
वह प्रियांश को लगभग भूल सी चुकी थी ।

वैसे आज चाहत बहुत खुश लग रही है क्योंकि आज काफी दिनों बाद अपने मायके जा रही है ।
धीरे-धीरे दिन कट गया और रात के 9 बज चुके थे।
ट्रेन जबलपुर स्टेशन पर पहुँच चुकी है।

जैसे ही वो जबलपुर स्टेशन पर उतरती है तो वो देखती है कि 
प्रियांश उसके सामने खड़ा है ।
चाहत दौड़ कर जाती है और प्रियांश के सीने से चिपक जाती है । फिर प्रियांश से कल मिलने का वादा करके वह अपने मायके आ जाती है ।


खाने-पीने में और बातों में रात के 1 बज चुके थे।
जब सब सोने चले गए तब चाहत की छोटी बहन चाहत से बोली- दीदी ! मैं आपको एक चीज दिखाना चाहती हूँ।
चाहत बोली-   हाँ रितु । दिखाओ क्या दिखाना चाहती हो।

रितु ने एक लैटर निकाल कर चाहत के हाथ में दे दिया ।

चाहत ने लैटर को खोला और पढ़ने लगी-

         " मेरी चाहत ! मैं तुमसे खुद से भी ज्यादा प्यार करता हूँ । ये सच है कि तुम मेरी जिंदगी हो पर जब अब तुम ही नहीं हो तो फिर ये जिंदगी भी मेरे किस काम की है।
सुना है आज तुम्हारी शादी है ।
वैसे तो मेरे जैसे गरीब के पास तुम्हें देने के लिए कोई तोहफा नहीं है फिर भी एक छोटा सा सस्ता तोहफा है  वो है मेरी जान । जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ ।

अच्छा सुनो ना । हर बार तुम कहती थी कि
मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ और तुम मेरे हो ।
लो आज मैं कहता हूँ- 
तुम किसी और की हो 
और मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ । 

वो रात दर्द और सितम की रात होगी
जिस रात रुकसत तुम्हारी बारात होगी
कैसे सोचूँ वो पल अपनी आँखों में
 एक गैर  कि बाहों मे 
मेरी सारी कायनात होगी

चाहत रात भर उस लेटर को बार बार पढ़ती हुई रोती रही
सुबह होते ही जब चाहत, प्रियांश के घर पहुँच जाती है
और इस उम्मीद मे दरवाजा जोर जोर से खटखटाये जा रही है कि शायद उसका प्रियांश दरवाजा खोलने आयेगा और आकर मुझे अपने सीने से चिपका लेगा
मन ही मन बोलती जा रही है कि इस बार अपने प्रियांश को दूर नहीं जाने दूँगी... 

परन्तु अंदर से एक वृद्ध महिला आती है दरवाजा खोलने.. 
उसे देख कर चाहत अपने प्रियांश की पूछती है तो वो महिला बोलती है
तुम्हारा प्रियांश तुम्हारा अंदर इंतजार कर रहा है

ये सुनके चाहत के दिल मे प्रियांश से मिलने की उम्मीद और बढ़ गयी



वह पागलों की तरह अंदर जाती है और देखती है कि 
कि प्रियांश कि तस्वीर पर माला टंगी हुई है और उसके नीचे लिखा है- 

" काश ! तुम एक बार आ जाते 
तो हम एक बार फिर से जी लेते । "

यह पढ़के चाहत के आसुँ रुक नहीं रहे
सोचने लगी
शायद मैं वो खो चुकी
जो सिर्फ मेरा ही था

                                     ~अधूरी मोहब्बत