Rebirth in Novel Villanes - 11 in Hindi Love Stories by Aaliya khan books and stories PDF | Rebirth in Novel Villanes - 11

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Rebirth in Novel Villanes - 11

अगर तुम्हें मैं मिटा दूं, तो मैं भी अधूरी रह जाऊंगी,
उसकी आँखें भीग चुकी थीं।
तब लिखो ऐसा अंत,
जहाँ हम दोनों कहानी से बाहर जा सकें —
और असल में जिएं।
और तब.
अलीजा ने पन्नों पर पहली बार खुद से एक पंक्ति लिखी:
अब ये कहानी मेरी है — और मैं कभी उसे नहीं मिटाऊँगी जो मुझे पूरा करता है।
किताब कांप उठी।
एक तेज रोशनी फैली —
और वो दोनों अचानक उस बगीचे में थे.
जहाँ ना कोई शब्द थे, ना किरदार.
सिर्फ वास्तविकता।
समाप्ति दृश्य:
अब?
केलन ने पूछा।
अब हम अपनी जिंदगी जिएंगे.
किसी और की कलम के भरोसे नहीं।
अलीजा ने उसकी हथेली को अपने हाथों में कसकर थामा —
और पहली बार,
उनके बीच कोई स्क्रिप्ट नहीं थी।
अगला एपिसोड छब्बीस:
किरदार की आत्मा"
जब कहानी खुद पूछे —“ तुम कौन हो?
तो जवाब क्या होगा?
एपिसोड छब्बीस: किरदार की आत्मा"
क्या मैं अब भी एक कैरेक्टर हूं. या अब मैं एक इंसान बन चुकी हूं?
झलक:
अलीजा की आंखों के सामने एक नया दरवाजा खुलता है —
कोई पन्नों की दुनिया नहीं, कोई स्याही का अंधेरा नहीं...
बल्कि एक दर्पण, जिसमें वही खुद को देख रही है।
पर उसमें जो अक्स है... वो अलीजा नहीं,
बल्कि" वो खलनायिका" है जिसे नॉवेल में सबने नफरत की नजर से देखा था।
तुम मुझे अब भी वही समझती हो?
उस अक्स ने पूछा।
अलीजा कांप उठी।
और तभी पीछे से केलन की आवाज आई
तुम जो भी थी... उससे ज्यादा हो अब।
क्योंकि मैंने तुम्हें खुद देखा है... बिना लफ्जों के। इस एपिसोड में:
अलीजा का खुद से आमना- सामना
केलन अलीजा के बीते दर्द को समझेगा
कहानी का एक“ पुराना विलेन” लौटेगा — लेकिन बदले रूप में
सवाल उठेगा: अगर तुम खुद को माफ नहीं कर सकी, तो क्या कहानी तुम्हें माफ करेगी?
एपिसोड छब्बीस: किरदार की आत्मा"
बचपन में अलीजा को शीशे से डर लगता था।
वो कहती थी —" मैं उसमें जो देखती हूँ, वो मैं नहीं होती।
आज इतने वर्षों बाद, वो फिर एक शीशे के सामने खडी थी।
पर ये कोई साधारण आईना नहीं था —
ये उस कहानी का आईना था, जिसमें वो अब जी रही थी।
आईने के पीछे
जैसे ही उसने दर्पण को छुआ, एक सर्द हवा उसकी उंगलियों से गुजरती चली गई।
आईने में उसका अक्स बदल गया —
अब वो अलीजा नहीं थी,
बल्कि वही खलनायिका जिसे इस नॉवेल की दुनिया ने' शैतान' कहा था।
लाल लिपस्टिक, ठंडी आँखें, क्रूर मुस्कान।
क्या तुम अब भी मुझे वही समझती हो?
आईने के भीतर से आवाज आई।
मैंने तुम्हें समझा नहीं था..."
अलीजा ने धीमे से कहा,
...मैं तुम बन गई थी।
केलन की वापसी
अलीजा!
पीछे से केलन की आवाज आई।
वो भागता हुआ आया, और उसके पास खडा हो गया।
ये जगह तुम्हें निगल सकती है। ये आईना तुम्हारी आत्मा को चुरा सकता है!
उसने चेतावनी दी।
क्या आत्मा वही रहती है जो दुनिया कहे?
अलीजा ने उसकी तरफ बिना देखे कहा।
या फिर जो हम खुद को मानते हैं?
भीतर की लडाई
आईना हँसा।
तुम वो लडकी हो जिसने एक कहानी चुराई थी...
तुम्हें किसी ने नहीं चुना था।
मैंने खुद को चुना था!
अलीजा चिल्लाई।
मैंने इस कहानी को अपने खून से जिया है।
मैंने अपने हर आंसू से इसे पाला है।
अगर मैं विलेन थी — तो वो मैं थी,
लेकिन अब मैं वही नहीं हूं!
आईना फटने की आवाज के साथ चटक गया।
टुकडे जमीन पर गिरे...
और हर टुकडे में एक याद चमकी —
वो पल जब अलीजा ने किसी पर भरोसा किया था... और टूट गई थी।
केलन का सच
मैं भी एक किरदार था,
केलन की आवाज नरम हो गई।
मुझे बताया गया था कि मैं विलेन हूँ —
कि मेरी भूमिका सिर्फ नफरत की थी।
फिर तुमने मुझे क्यों बचाया?
अलीजा ने उसकी ओर देखा।
क्योंकि तुमने मुझे पहली बार ऐसा महसूस कराया...
कि मैं सिर्फ एक किरदार नहीं —
एक इंसान हूँ, जो प्यार कर सकता है।
आत्मा का पुनर्जन्म
आईने के टूटने के बाद, उस कमरे में एक नई किताब उभर आई।
उसका कवर खाली था।
अंदर पहला पन्ना लिखा था:
इस बार कहानी वहाँ से शुरू होती है
जहाँ किरदार अपनी आत्मा से मिलते हैं।
अलीजा ने उस पन्ने को छुआ —
और पहली बार उसकी उंगलियों से रोशनी निकली।
रोमांटिक क्षण
अगर तुम अब भी मेरी कहानी की लेखिका बनो..."
केलन ने धीरे से उसका हाथ थामा,
...तो क्या मैं तुम्हारी कहानी का पाठक बन सकता हूँ?
नहीं,
अलीजा मुस्कराई,
अब तुम साथ लिखने वाले हो।
दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे —
कहानी अब शब्दों की नहीं,
संवेदनाओं की हो चली थी।
अंत दृश्य:
अलीजा ने किताब को अपने हाथ में लिया —
और पहली लाइन लिखी:
मैं कोई किरदार नहीं थी... मैं सिर्फ वो थी जिसे अब तक कोई समझा नहीं पाया।
केलन ने दूसरी लाइन लिखी:
और मैं वो था, जिसे पहली बार किसी ने बिना डर के देखा।
अगला एपिसोड सत्ताईस:
संपादक की छाया"
कहानी को फिर से लिखने की शक्ति अब एक खतरे में है।
क्योंकि कोई और है — जो नहीं चाहता कि ये कहानी पूरी हो.
एपिसोड सत्ताईस: कभी सोचा है कि कोई कहानी खुद को दोबारा लिखना क्यों चाहती है?
क्योंकि शायद पहली बार वो झूठी लिखी गई थी।
और अब जब अलीजा ने उसे सच की स्याही से छू लिया...
किताब ने जागना शुरू कर दिया।
लेकिन हर कहानी में एक संपादक भी होता है।
जो तय करता है —
क्या लिखा जाए, और क्या मिटा दिया जाए।
रहस्यमयी परिवर्तन
किताब अब हर रोज बदल रही थी।
हर सुबह अलीजा जब भी उस पर उंगली रखती,
पिछले दिन की लिखी बातें मिट चुकी होतीं।
मैंने ये लिखा था.
वो पन्नों को पलटती रही,
यहां केलन का नाम था... लेकिन अब ये' Unknown' क्यों है?
कोई इसे एडिट कर रहा है,
केलन की आवाज सख्त थी,
और वो हममें से कोई नहीं है।
पुरानी स्क्रिप्ट का टुकडा
तभी किताब से एक जला हुआ पन्ना बाहर गिरा।
उस पर सिर्फ एक लाइन थी:
लेखिका तो आई थी...
पर उसकी कहानी अब भी संपादक की मोहर के बिना अधूरी है।
संपादक?
अलीजा ने हैरानी से पूछा।
यह किताब अपने आप नहीं छपती थी, अलीजा।
इसकी आत्मा का एक रक्षक है —
जो तय करता है कि कौन जिंदा रहेगा और कौन मिटा दिया जाएगा।
तुम्हारा मतलब वो कोई. व्यक्ति है?
नहीं,
केलन धीरे से बोला,
वो एक परछाईं है। एक ऐसा साया जो कहानियों को निगल लेता है... जब वो अपनी सीमा लांघ जाएं।
परछाईं की पहली झलक
रात के सन्नाटे में जब अलीजा अकेली थी,
किताब फिर से अपने आप खुली।
हर पन्ना उल्टा चलने लगा —
जैसे वक्त पीछे जा रहा हो।
और फिर...
एक धुंधली सी आकृति कमरे में उभरी।
ना चेहरा, ना आकार।
सिर्फ एक गूंजती हुई आवाज:
कहानी तुम्हारी नहीं है...
और कभी थी भी नहीं।
तुम कौन हो?
अलीजा कांपती आवाज में बोली।
मैं संपादक हूं।
मैं तय करता हूं —
कौन याद रहेगा... और कौन पन्नों से गिरा दिया जाएगा।
संघर्ष शुरू
मैंने ये कहानी खून- पसीने से दोबारा लिखी है!
अलीजा चीखी।
ये मेरी आत्मा है... मेरा सच!
और यही तुम्हारी सबसे बडी गलती है,
आवाज ठंडी थी,
क्योंकि किरदारों को हक नहीं होता कि वो लेखक बनें।
तभी एक तेज झटका हुआ —
और किताब की आधी लाइनें काली हो गईं।
केलन दौडते हुए आया,
उसने अलीजा को अपनी बाँहों में समेट लिया।
वो तुम्हें मिटाना चाहता है।
क्योंकि तुम अब उसके बनाए नियमों में नहीं आतीं।
समाधान की ओर
क्या हम उसे हरा सकते हैं?
अलीजा ने फुसफुसाया।
नहीं,
केलन ने सिर हिलाया,
किन हम उसे कहानी से निकाल सकते हैं।
कैसे?
हमें उस पन्ने तक पहुँचना होगा जहाँ उसकी हस्ताक्षर हैं।
जो पन्ना उसने खुद लिखा था —
Story Contract Page"
और अगर हमने वो पा लिया?
तो कहानी सिर्फ तुम्हारी होगी —
हमेशा के लिए।
अंत दृश्य
अलीजा ने किताब को सीने से लगाया।
पन्ने अब गर्म हो रहे थे — जैसे अंदर ज्वालामुखी जाग रहा हो।
अब मैं डरूँगी नहीं,
उसने कहा,
क्योंकि मेरी कहानी कोई और नहीं काटेगा।
पीछे से वो आवाज फिर आई:
तुम ये सोच भी कैसे सकती हो...
कि तुम विलेन होकर लेखिका बन सकती हो?
क्योंकि कहानी अब मेरी है,
अलीजा ने जवाब दिया,
और मैं खुद तय करूंगी — कि खलनायिका का अंत कैसे होता है