वजन कम करना मतलब शरीर की चर्बी घटाना
वजन घटाने का असली मतलब है — शरीर की अतिरिक्त चर्बी को जलाना,
न कि मांसपेशियों को कम करना।
अगर कोई व्यक्ति नियमित व्यायाम करता है और मसल्स बनाता है,
तो उसका वजन बढ़ना खराब नहीं है।
खराब वजन वही होता है, जो शरीर में फैट के रूप में जमा होकर बीमारियाँ पैदा करता है।
थोड़ी चर्बी शरीर के लिए ज़रूरी होती है,
क्योंकि यही हमारी एनर्जी का भंडार है।
पर जब यही चर्बी ज़रूरत से ज़्यादा हो जाती है,
तो यही बनती है इंसुलिन रेजिस्टेंस, ब्लड प्रेशर, थायरॉयड,
फैटी लिवर और दिल की बीमारियों की जड़।
अब सवाल है — स्वस्थ वजन क्या है?
पुरुष अपनी ऊंचाई (से.मी.) में से 100 घटाएं,
तो वही आदर्श वजन है।
जैसे 175 से.मी. वाले पुरुष का आदर्श वजन 75 किलो होगा।
महिलाओं के लिए ऊंचाई में से 105 घटाएं —
160 से.मी. वाली महिला का सही वजन 55 किलो।
इससे ज़्यादा जो भी है, वही अतिरिक्त फैट है —
जिसे घटाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
अब समझिए — वजन बढ़ता क्यों है?
मनुष्य का शरीर एक स्मार्ट और ऑटो–हीलिंग सिस्टम है।
पुराने समय में जब लोग भूखे रहते थे,
तो शरीर अपनी जमा चर्बी को ऊर्जा में बदल देता था।
इसी कारण पेट और लिवर के पास चर्बी जमा होती है —
यह शरीर की एनर्जी बैंक है।
लेकिन आज के समय में भूख से नहीं,
बल्कि अधिक खाने से संकट है।
सुबह का नाश्ता 500 कैलोरी,
दोपहर का खाना 2000 कैलोरी,
शाम को फास्टफूड 1000 कैलोरी,
रात का खाना 500 कैलोरी —
कुल मिलाकर 4000 कैलोरी इन!
और खर्च? मुश्किल से 2000 कैलोरी।
बाकी 2000 कैलोरी रोज़–रोज़ फैट बनकर जमा होती जाती है।
इसके साथ जुड़ता है इंसुलिन रेजिस्टेंस,
थायरॉयड की समस्या,
स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल),
और नींद की कमी।
साथ ही बार–बार खाने की आदत –
हर बार खाने पर इंसुलिन निकलता है,
और जितना ज्यादा इंसुलिन, उतनी ज्यादा चर्बी।
इसलिए वजन घटाना केवल डाइट नहीं,
एक लाइफस्टाइल चेंज है।
जब हम शरीर को उसकी प्राकृतिक अवस्था में लाते हैं,
तो वही शरीर खुद फैट को जलाना शुरू कर देता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज़्यादातर लोग
तनाव, अनियमित दिनचर्या और मोबाइल पर देर रात तक
जागने की वजह से अपने शरीर की "बायोलॉजिकल क्लॉक" बिगाड़ देते हैं।
नींद पूरी न होना और देर रात खाना –
दोनों ही मेटाबॉलिज़्म को धीमा कर देते हैं।
धीमा मेटाबॉलिज़्म मतलब शरीर में कैलोरी जलने की प्रक्रिया रुक जाना।
वजन घटाने के लिए जरूरी है कि हम
अपने शरीर को "नेचुरल रिद्म" पर वापस लाएं।
सुबह सूर्योदय के साथ उठना,
दिन में हल्की शारीरिक गतिविधि करना,
पानी पर्याप्त मात्रा में पीना,
और रात को सही समय पर सो जाना –
ये सब चीजें मिलकर शरीर को
फैट–बर्निंग मोड में डाल देती हैं।
कई लोग सोचते हैं कि वजन कम करना बहुत मुश्किल है,
पर असलियत यह है कि जब आप शरीर को
सही टाइम पर सही संकेत देना शुरू करते हैं,
तो शरीर खुद ही सहयोग करने लगता है।
हमारा शरीर कोई दुश्मन नहीं है –
बल्कि यह सबसे आज्ञाकारी साथी है,
बस इसे समझने की जरूरत है।
आने वाले भागों में हम जानेंगे –
शरीर में फैट क्यों जमा होता है,
और उसे कैसे सरल और प्राकृतिक तरीके से
घटाया जा सकता है।
क्योंकि सच यह है –
वजन घटाना केवल शरीर को बदलना नहीं,
बल्कि आत्म–नियंत्रण और नए जीवन की शुरुआत है।
इसके साथ जुड़ता है इंसुलिन रेजिस्टेंस,
थायरॉयड की समस्या,
स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल),
और नींद की कमी।
साथ ही बार–बार खाने की आदत —
हर बार खाने पर इंसुलिन निकलता है,
और जितना ज्यादा इंसुलिन, उतनी ज्यादा चर्बी।
इसलिए वजन घटाना केवल डाइट नहीं,
एक लाइफस्टाइल चेंज है।
जब हम शरीर को उसकी प्राकृतिक अवस्था में लाते हैं, तो वही शरीर खुद फैट को जलाना शुरू कर देता है।
आने वाले भागों में हम जानेंगे —
शरीर में फैट क्यों जमा होता है,
और उसे कैसे सरल और प्राकृतिक तरीके से
घटाया जा सकता है।
क्योंकि सच यह है —
वजन घटाना केवल शरीर को बदलना नहीं,
बल्कि आत्म–नियंत्रण और नए जीवन की शुरुआत है।