Film Review Metro …. These Days in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | फिल्म रिव्यु मेट्रो .. इन दिनों

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फिल्म रिव्यु मेट्रो .. इन दिनों

                                                             फिल्म रिव्यु  मेट्रो  .. इन दिनों   

अभी हाल में ही एक हिंदी फिल्म रिलीज हुई है “ मेट्रो  … इन दिनों “  . इस फिल्म के  कहानीकार , पटकथा , लेखक , निर्देशक  और सह निर्माता अनुराग बसु हैं  . इस फिल्म के अन्य निर्माता  भूषण कुमार , कृष्ण कुमार और तानी बसु हैं  .  इसका निर्माण टी सीरीज के बैनर के तले हुआ है . वैसे अनुराग बसु की एक फिल्म  “ लाइफ इन ए मेट्रो “ 2007 में आयी थी  .  “ मेट्रो  … इन दिनों “ को  उसी  फिल्म की अगली कड़ी कहा जा सकता है  . 

मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी का एक शेर है -  ये इश्क नहीं है आसां बस इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है “ .  कहने को इश्क़ या प्यार  में बहुत कुछ कहा जाता है - प्यार इबादत है ,जिंदगी में  प्यार नहीं है तो कुछ भी नहीं है आदि  . पर सच तो यह  भी है कि प्यार सब कुछ नहीं है जिंदगी के लिए  . यह प्यार कहने सुनने में जितना सहज या सरल है वास्तव में उतना ही जटिल भी है  . प्यार के साथ जिंदगी में और भी बहुत कुछ चाहिए , जैसे बंगला , गाड़ी , बैंक बैलेंस  , इज्जत और सुकून होना भी जरूरी है  . दूसरी तरफ कुछ लोगों , ख़ास कर नए जेनरेशन , का कहना है कि किसी एक के प्यार में फंसे रहने से बेहतर है स्वछंद और मुक्त रहते हुए मौज मस्ती भरी जिंदगी जीना  .   इस फिल्म में लेखक  निर्देशक ने जंदगी की हक़ीक़त  दिखाने का बेहतरीन प्रयास किया है  . 

कहानी -  मेट्रो  .. इन दिनों की कहानी में अनेक किरदार हैं जिन्हें प्यार भी मिलता है फिर भी हक़ीक़त में जिंदगी उलझनों से भरी है , उसे निभाना उतना आसान भी नहीं है  . फिल्म में चार अलग अलग उम्र के परिवार की कहानी दिखाई गयी है  . रिश्ता  उलझनों से भरी एक नाजुक चीज है जो टूट जाती है फिर जुड़ती नहीं है और अगर जुड़ती है तो वह पहले जैसी नहीं रह जाती है क्योंकि उसमें एक गाँठ आ जाती है  .  

मेट्रो  .. इन दिनों की कहानी में भारत के चार बड़े मेट्रो कोलकाता , मुंबई , दिल्ली , बेंगलुरु जैसे अलग शहरों में अलग उम्र की जोड़ी के जीवन दर्शन का सामना होगा , यूं समझें आप चार कहानियां देख सुन रहे हैं   . इन चारो जोड़ियों में एक बात जो सब में मिलती जुलती है वह यह है कि वे सभी प्यार और रिश्तों को लेकर  परेशान रहते हैं . 

पहली कहानी मुंबई के मोंटी ( पंकज त्रिपाठी ) और काजोल ( कोंकणा सेन शर्मा )  देखने में सालों से शादीशुदा  जिंदगी गुजार रहे होते हैं पर जिंदगी में सुकून नहीं है बल्कि उलझन है  . उनकी  15 साल की एक बेटी है  पिहु ( अहाना बसु ) जो खुद भी उलझन में है कि कहीं वह लेस्बियन तो नहीं है  . मोंटी को बोरियत से बचने के लिए उसका एक मित्र उसे डेटिंग की सलाह देता है पर यहाँ भी उसकी पत्नी ही उसकी डेटिंग पार्टनर बन कर जासूसी करती है  .

दूसरी जोड़ी की कहानी कोलकाता में चल रही है  . काजोल की माँ शिवानी ( नीना गुप्ता ) अपने पति संजीव ( शाश्वत चटर्जी ) 40 साल से शादीशुदा हैं  . उनकी एक छोटी बेटी चुमकी ( सारा अली खान ) भी है  .  एक ही छत के नीचे रहते हुए भी शिवानी  खुद को अकेला महसूस करती है  . दूसरी तरफ शिवानी को कॉलेज में री यूनियन के समय परिमल ( अनुपम खेर ) की याद आती है   . परिमल अपनी बीबी और बेटे को खोने के बाद अपनी बहु झिनुक  ( दर्शन बानिक ) के साथ रहता  है  . वह अपने अकेलापन और बहु के भविष्य को लेकर चिंतित रहता है  . दरअसल झिनुक अपने पति से किये गए वादे के चलते ससुर के साथ रहती है  .  परिमल को  अफ़सोस है कि उसकी वजह से बहु का जीवन बर्बाद हो रहा है  . .

तीसरी  कहानी चुमकी , शिवानी की छोटी बेटी और काजोल की छोटी बहन की है  . वह दिल्ली में नौकरी करती है जहाँ उसका बॉस उसे तंग करता है  . चुमकी की शादी उसके बॉय फ्रेंड आनंद ( कुश जोतवानी ) से होने वाली है पर चुमकी  खुद असमंजस में  है कि उसे क्या चाहिए  . उसकी मुलाक़ात बेंगलुरु वासी पार्थ ( आदित्य रॉय कपूर ) से होती है जो एक मस्तमौला फ्री स्टाइल में रहने वाला होता है  . उसे किसी एक के साथ  बंधे रहना पसंद नहीं है  . 

अंतिम कहानी मुंबई की ही है  . यहाँ पार्थ के मित्र  आकाश ( अली फजल ) और श्रुति ( फातिमा सना शेख ) लॉन्ग डिस्टेंस लव के बाद एक दूसरे के हो जाते हैं  . वे अपने करियर , अपने भविष्य के सपनों और निजी जिंदगी सब में उलझ कर रह जाते हैं  . श्रुति माँ बनना चाहती है जबकि आकाश को अपने  म्यूजिक करियर से प्यार है और वह इस झंझट में नहीं फंसना चाहता है  . 

उपरोक्त चार कहानियां अलग अलग हैं पर सभी में प्यार , शादी , परिवार , करियर और रिश्तों के बीच जिंदगी की जद्दोजहद को बखूबी दिखाया गया है  . 

अभिनय की  दृष्टि से देखा जाये तो , अनुपम खेर , पंकज त्रिपाठी और नीना गुप्ता सभी अनुभवी  एक्टर हैं   .  डेटिंग के दौरान पंकज की चीटिंग का दमदार अभिनय रहा है  . कोंकणा ने भी एक सधा हुआ अभिनय किया है  . सारा अली खान ने मॉडर्न गर्ल की अच्छी भूमिका निभाई है  . आदित्य ने भी मस्तमौला नए जेनरेशन के लड़के का अच्छा रोल किया है  . कुल मिलकर कहा जा सकता है कि  इस फिल्म में सभी एक्टर ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभायी है  . 

निर्देशन -  अनुराग बसु एक मशहूर  निर्देशक हैं और ‘ मेट्रो  …इन दिनों ‘  में उन्होंने अपनी परिपक्वता का परिचय दिया है  . फिर भी कहीं कहीं डायलॉग नाटकीय लगते हैं तो कभी लगता है कोई कहानी अधूरी रह गयी है  .  निर्देशक ने फिल्म में प्यार , प्यार में बेवफाई , पारिवारिक जीवन के  भावनात्मक पहलू और जीवन की उलझनों को मेच्योर्ड  और सरल तरीके से पेश किया है  . अनेक पात्रों  और अनेक कहानियों को जिनमें  कॉमेडी और सीरियस - नेस  है , एक साथ  जोड़ कर पेश किया है  . डायरेक्टर ने फिल्म को  संगीतकार प्रीतम के निर्देशन में  संगीतमय  बना कर और रोचक बनाने का प्रयास किया है  . 

इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस की नजरिये से हिट नहीं कहा जा सकता है पर देश विदेश में इसे मिक्स्ड  रिस्पांस मिल रहा है  . 

‘ मेट्रो  …इन दिनों  ‘  को शुरू में सिनेमा हॉल में रिलीज किया गया था पर 29 अगस्त 2025 के बाद  इसे नेटफ्लिक्स OTT पर देखा जा सकता है  . 

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