Story of Chhath Puja (Mythological and Folklore) in Hindi Drama by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | छठ पूजा की कहानी (पौराणिक और लोककथा )

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छठ पूजा की कहानी (पौराणिक और लोककथा )

छठ पूजा की कहानी (पौराणिक और लोककथा)

छठ पूजा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया (उषा या प्रकृति माता) को समर्पित है।

पौराणिक कथा

1. महाभारत काल की कथा
महाभारत में वर्णन है कि जब पांडव सबकुछ हार गए तो द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। सूर्य देव की पूजा और छठी मैया के आशीर्वाद से पांडवों को पुनः राज-पाट और सम्मान मिला।


2. रामायण काल की कथा
रामायण के अनुसार जब भगवान राम और माता सीता अयोध्या लौटे, तो उन्होंने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की। तभी से इस पर्व की परंपरा शुरू हुई।


3. सूर्य पुत्र कर्ण की कथा
कर्ण, जो सूर्य देव का पुत्र था, प्रतिदिन सूर्य देव की उपासना करता था और उन्हें अर्घ्य अर्पित करता था। उसकी शक्ति और वीरता का कारण यही छठ पूजा थी।



लोककथा

कहा जाता है कि बहुत प्राचीन समय में एक राजा था, जिसके कोई संतान नहीं थी। किसी साधु ने उसे छठी मैया का व्रत रखने को कहा। रानी ने छठ का व्रत किया और सूर्य देव की उपासना की। छठी मैया की कृपा से उन्हें संतान प्राप्त हुई। तभी से यह व्रत संतान सुख और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए किया जाने लगा।

छठ पूजा की परंपरा

यह व्रत चार दिन तक चलता है।


1. नहाय-खाय – व्रती शुद्ध होकर नदी या तालाब से स्नान कर भोजन बनाते हैं।


2. लोहंडा और खरना – व्रती उपवास कर शाम को प्रसाद ग्रहण करते हैं।


3. संध्या अर्घ्य – अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।


4. प्रातः अर्घ्य – उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत की पूर्णाहुति की जाती है।



मान्यता

छठ पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और संतान सुख मिलता है।

यह पर्व प्रकृति, जल, सूर्य और शुद्धता के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है।



🌞 छठ मैया की कथा  🌞

बहुत-बहुत पुराने समय की बात है बेटा… एक राजा था, उसका नाम था प्रियव्रत। राजा बहुत अच्छे और धर्मपरायण थे, लेकिन उनकी एक बड़ी चिंता थी—उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण रानी दिन-रात उदास रहती थीं और राजा का भी मन राज्य में नहीं लगता था।

एक दिन दुखी होकर राजा ने संतान की इच्छा में यज्ञ करवाया। यज्ञ की कृपा से रानी को संतान तो हुई, लेकिन बच्चा जन्म लेते ही मर गया। यह देख कर राजा और रानी दोनों और भी दुखी हो गए।

रानी रोते-रोते सो गईं। तभी आधी रात को उनके सपने में एक दिव्य रूप वाली देवी प्रकट हुईं। देवी ने कहा—
“हे रानी! मैं छठी मैया हूँ, सृष्टि की प्रकृति माता और सूर्य देव की बहन। यदि तुम सच्चे मन से मेरा व्रत करोगी और सूर्य देव को अर्घ्य दोगी, तो तुम्हें संतान सुख मिलेगा और तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाएगा।”

सुबह होते ही रानी ने राजा से यह बात कही। फिर दोनों ने पूरे विधि-विधान से कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की। उनकी सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें स्वस्थ और सुंदर संतान का आशीर्वाद दिया। तभी से यह व्रत शुरू हुआ और आज तक आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है।



✨ कहानी की सीख
छठ मैया की पूजा करने से दुख दूर होते हैं, संतान सुख मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यह पर्व हमें प्रकृति, सूर्य देव और जल का सम्मान करना भी सिखाता है।



👵 दादी और पोते-पोती की बातचीत 👦👧

पोती: दादी… छठ मैया की पूजा क्यों करते हैं?
दादी: अरे बबुआ, बहुत पुरानी कहानी है। सुनो, ध्यान से…

बहुत साल पहले एक राजा था – प्रियव्रत। राजा बड़े नेक थे, लेकिन उनके घर कोई संतान नहीं थी। राजा और रानी बहुत दुखी रहते थे।

पोता: फिर दादी, उन्होंने क्या किया?

दादी: राजा ने यज्ञ करवाया। रानी को बच्चा तो हुआ, लेकिन बच्चा जन्म लेते ही मर गया। यह देखकर रानी फूट-फूट कर रोने लगी।

पोती: ओह! कितना दुख हुआ होगा दादी।

दादी: हाँ बिटिया, रानी तो रोते-रोते बेहोश हो गई। तभी रात को उनके सपने में एक सुंदर देवी आईं। वो बोलीं—
“मैं हूँ छठी मैया, सूर्य देव की बहन। अगर तुम कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सच्चे मन से व्रत करोगी, सूर्य देव को अर्घ्य दोगी, तो तुम्हें संतान सुख मिलेगा।”

पोता: फिर दादी, रानी ने व्रत किया?

दादी: हाँ रे ललना, रानी ने नहाय-खाय से व्रत शुरू किया। खरना किया, फिर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया। अगले दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर छठी मैया से संतान का वरदान माँगा।

पोती: और मैया ने वरदान दिया?

दादी: हाँ बिटिया, छठी मैया प्रसन्न हुईं। उन्होंने रानी को सुंदर बेटा दिया। तब से लोग मानते हैं कि छठ मैया जो भी सच्चे दिल से माँगा जाए, जरूर पूरा करती हैं।

पोता: वाह दादी! इसलिए तो लोग गाना गाते हैं— “छठी मैया सब सुख-संपत्ति दीं…”

दादी (मुस्कुराते हुए): हाँ बबुआ… छठ पूजा सिर्फ संतान सुख के लिए नहीं, बल्कि परिवार की खुशी, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है।


🌸 कहानी की सीख
छठ पूजा हमें बताती है कि अगर मन साफ हो और श्रद्धा सच्ची हो, तो भगवान और माँ छठ हर मनोकामना पूरी करती हैं।