अविनाश और मुस्कान की प्रेम गाथा । in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | अविनाश और मुस्कान की प्रेम गाथा ।

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अविनाश और मुस्कान की प्रेम गाथा ।

दृश्य 1


पाकिस्तान का हेड क्वाटर ।

पाकिस्तान का हेड क्वाटर जहां पर पाकिस्तान के कुछ बड़े ऑफिसर बेठे थे वहां पर हैदर अली कुछ फाईलों के साथ आता है और वो फाईल उन सबको दे देता है । फाइल को दैखकर एक ऑफिसर कहता है ।

उस्मान  :- मेजर हेदर अली । आपने ये जो मेजर गौतम के खिलाफ शिकायत दिया है । आपको पता है मेजर गौतम ने पाकिस्तान के सिपाहियों को कैसे बचाया था । वो एक इनामदार ऑफिसर है । और आप चाहते हो के हम उनके गिरफ्तारी का वारेंट आपको दूं ।

हैदर अली :- आप बिलकुल सही कह रहे है जनाब । गौतम एक इमानदार ऑफिसर है । पर सबसे बड़ी बात ये है जनाब के वो एक हिंदू है । देश के बंटवारे का 14 साल हो चुका है । और इन 14 साल मे आपको पता है उस गौतम ने क्या किया है ।

उस्मान :- क्या किया है गौतम ने । आप ही बताओ ।

हैदर :- जनाब , हमारे जितने भी ऑफिसर उन हिंदूओ को मुसलमान बनने के लिए कहता या इस देश को छोड़कर जाने के लिए कहता है । तो वो गौतम उन हिंदूओ का मसिहा बनकर खड़ा हो जाता है । 

उस्मान  :- हैदर अली साहब । गौतम सिर्फ एक हिंदू है और पाकिस्तानी हिंदूओ का साथ देता है इसिलिए आप चाहते हो के मैं उसके खिलाफ एक्सन लु । तो आपकी ये सौच गलत है । गौतम एक काबिल ऑफिसर है और मैं जानता हूँ के वो एक सच्चा और इमानदार ऑफिसर है । पाकिस्तान उन हिंदूओ का भी है । इसलिए हैदर अली साहब , देश को मजहब के नाम पर मत बांटो वरना आपके लिए ठिक नही होगा ।

वे सारे पाकिस्तानी ऑफिसर और उस्मान हैदर अली को धमकी दैकर वहां से चला जाता है । गौतम के खिलाफ कोई एक्सन ना लेने के वजह से हैदर बहोत गुस्सा हो जाता है और वहा से चला जाता है । हैदर अली हर हाल मे गोतम का गिरफ्तारी चाहता था । क्योंकी गौतम के रहते हैदर अली आंतकी संगठनो का साथ नही दे पा रहा था । हैदर अली कशमीर मे आंकती संगठनो को बढ़ावा देना चाहता था । और फिर सियाचिन ग्लेशियर को कब्जे मे लेना चाहता था । 



दृश्य 2



उस्मान के घर मे पार्टी थी ।

शाम का समय था उस्मान ने एक पार्टी रखी थी । क्योकी वो पाकिस्तानी कमांडर चीफ बना था । उस्मान को बधाई देने के लिए बहोत सारे लोग आये थे । तभी वहां पर हैदर हाथ मे गुलदस्ता लिए मन ही मन उस्मान के लिए गुस्सा लिए उस्मान के पास आता है ।

हैदर अली :- बधाई हो जनाब । आप हमारे नए चीफ बन गए ।

उस्मान हैदर अली के कंधे पर हाथ रखता है और कहता है । 

उस्मान :- थैंक यू वेरी मच हैदर । मुझे तो लगा था के आप मुझसे नाराज होगें और शायद पार्टी मे नही आएगें । पर आप यहां पर आकर मुझे जो खुशी दी है । वो मैं आपको बता नही सकता । और हां यहां पर हम घर वाले है , ड्युटी वाले नही । इसिलिए आप मुझे जनाब नही , चाचा जान कह कर बुलाईए ।

हैदर :-  जी कैसे नही आता चाचा जान । ड्युटी की बात और है । वैसे आपतो मेरो वालीद के दोस्त है । आज मैं जो कुछ भी हूँ आपके वजह से ही तो हूँ । मेरे वालीद  के जाने के बाद आपने ही तो मुझे पड़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया के मैं अपने देश की सेवा कर सकु ।

उस्मान :- मुझे तो लगा था के तुम अपने चाचा जान से नाराज होगें । के चाचा जान आज पहले ही दिन मुझे डांट लगा दिया । हैदर । तुम गौतम कि चिंता छोड़ दो । वो एक इनामदार ऑफिसर है । उसकी गारंटी मैं लेता हूँ । 

हैदर :- नही नही चाचा जान । ऐसी कोई बात नही है । आप ऐसा सोचियेगा भी नही । आप तो बड़े है , आपकी डांट ही तो हमे सही गलत का रास्ता दिखाएगा ।

हैदर के इतना कहने पर वहां गौतम आने लगता है । गौतम को दैखकर उस्मान हैदर के पास से गौतम की और जाने लगता है , हैदर ये दैखकर बहोत गुस्सा आता है के उस्मान हैदर की बात को पुरा सुने बिना ही वहां से चला जाता है ।

उस्मान :- हेय गौतम , माय बॉय ।

गौतम उस्मान को गुलदस्ता देते हूए कहता है ।

गौतम :- CONGRATULATION SIR ।

उस्मान :- थेंंक यू गौतम । आओ तुम्हें सबसे मिलाता हूँ ।

उस्मान और गौतम को दैखकर हैदर बहोत गुस्सा होता है । तभी हैदर उस्मान और गौतम के पास जाता है ।

उस्मान :- भई गौतम तुम जरा इनसे बच के रहना । इनको तुमसे बहोत शिकायतें है । अच्छा आप दोनो बात करो  , मैं अभी आता हूँ ।

इतना बोलकर उस्मान वहां से चला जाता है । 

गौतम :- जी हैदर भाई । बोलिए , क्या शिकायत है आपको मेरे से ।

हैदर :- पहली बात तो ये , के मैं तेरा भाई नही हूँ । दुसरी ये के मुझे तुमसे शिकायत नही । तुम्हें पाकिस्तान से खदेड़ना है ।

गौतम :- अच्छा , तो तुझे ये दिक्कत है आपको । वैसे भी ठिक ही कहा तुमने तुझ जैसा मेरा भाई हो भी नही सकता । और हां ये पाकिस्तान सिर्फ तुम्होरा ही नही है । हमारा भी है ।

हैदर :- पाकिस्तान सिर्फ मुसलमानों का है । हिंदूओ का नही । हिंदू को उसे उसका देश हिन्दुस्तान दे दिया गया है । ये पाकिस्तान मुसलमानों का है ।

गौतम :- अगर हिदुंस्तान मे मुसलमान रह सकता है तो पाकिस्तान मे हिंदू क्यों नही । और फिर अगर पाकिस्तान मुसलमानों को दे दिया गया है तो फिर तुम कमशीर मे आंतक वाद को क्यों बड़ाना चाहते हो ?

गौतम और हैदर बात कर ही रहे थे के तभी वहां पर उस्मान आ जाता है । 

उस्मान :- माहोल कुछ गरम लग रहा है । सब ठिक है ना माय बॉय ।

गौतम :- जी सब ठिक है । अ...सर मुझे जाना होगा ।

उस्मान :- इतनी जल्दी । अरे पार्टी तो अभी सुरु हूई है । इंज्वाई करो ।

गौतम :- नही सर । घर मे अविनाश अकेला है । इसिलिए मुझे जाना होगा । 

उस्मान  :- अच्छा ठिक है । चलो मैं तुम्हें गेट तक छोड़ देता है ।

गौतम :-  कोई बात नही सर ।

उस्मान :- कोई बात नही चलो ।

इतना बोलकर उस्मान गोतम के साथ गोतम के गाड़ी तक उसे छोड़ने के लिए जाता है । हैदर भी दोनो के साथ जाता है । अविनाश उस्मान को बाय बोलकर वहां से चला जाता है ।

कुछ दुर जाने के बाद गौतम जैसे ही अपनी गाड़ी लेकर घर जा रहा था के तभी वो दैखता है के रास्ते मे एक कार की एक्सीडेंट हो गई है । गौतम अपनी गाड़ी रोकता है और कार के पास जाता है तो दैखता है के वहां पर एक आदमी जिसका नाम फारुकी था वहोत बुरी हालत मे घायल पड़ा था । फारुकी एक पॉलिटिसन था  । गोतम उसके पास जाता है और उठाता है । 

गोतम :- अरे फारुकी सर आप ?  आप ठिक तो है ? 

फारुकी :- प्लिज मेरी मदद करो ।

गोतम :- हां सर ।

गोतम फारुकी को वहां से उठाता है और फिर अपनी कार मे लेकर हॉस्पिटल की और जाने लगता है ।

गोतम :- सर चितां मत करो आपको कुछ नही होने दुगां । हॉस्पिटल पास मे ही है ।

फारुकी :- मैं उस्मान के घर जा रहा था । रास्ते मे एक कार मेरी कार को टक्कर मार कर भाग गया । 

गोतम :- सर मैं भी वही से आ रहा हूँ । मैं मेजर गोतम । 

फारुकी :- थेंक्यू मेजर ।

इतना बोलतर फारुकी बोहोश हो जाता है । अविनाश उसे हॉस्पिटल लेकर जाता है । जहां पर गोतम फारुकी को अपना खुन भी देता है । और फिर वहां से चला जाता है ।

पार्टी से अब लगभग सभी चले गए था वहां पर सिर्फ हैदर अली और उसके साथी थे  हैदर अपने साथीयों को इशारा करता है । के तभी हैदर उस्मान को पकड़कर एक गाड़ी मे बैठा देता है और गाड़ी को वहां से भेज देता है । 

इधर पार्टी मे हैदर पार्टी मे अपने दोनो साथी के साथ उस्मान साथ रहता है । हैदर अली  उस्मान के साथी ऑफिसर को  मार देता है । उनके मरने के बाद इनके जगह पर हैदर अपने आदमी को बेठाना चाहता है । वो लोग भी उस पार्टी मे मौजूद था । वो लोग भी उस्मान के साथी को मारने मे साथ देता है । वो लोग थे हैदर अली  ,  सिद्दीकी और जाहिर ।

इधर गौतम अपना घर पहूँचता है और गाड़ी को घर के बाहर रोकता है । के तभी गौतम का कॉल आता है । गौतम फोन रिसिव करता है ।

गौतम :- हलो ।

उधर से एक पाकिस्तानी ऑफिसर का आवाज आता है जिसे हैदर मरा हूआ समझकर छोड़ दिया है ।

पाकिस्तानी ऑफिसर :- गौतम , तुम वहां से जल्दी निकल जाओ । समय बहोत कम है । 

गौतम :- क्यों क्या हूआ सर आप ठिक तो है । मैं अभी आता हूँ आपके पास ।

पाकिस्तानी ऑफिसर :- बेवकूफी मत करो गौतम । मेरे पास बस कुछ ही सांसे बची है । वो हेदर अली , इंसान नही है , हेवान है वो । वो पाकिस्तान मे अमन नही चाहता वो पाकिस्तान को हिंदुस्तान का दुश्मन और हर हिदुं को पाकिस्तान का दुश्मन बताकर नफरत फेलाना चाहता है । 

उस ऑफिसर ने गौतम को सारी बात बोलकर सुना दिया के हैदर अली सुबह हेड क्वाटर आकर गौतम का अरेस्ट वारेटं चाहता था । और वारंट नही देने पर उसने सबको मार दिया और उस्मान और बाकी के कत्ल के जुर्म मे गौतम को अरेस्ट करेगा ।

इतना बोलकर वो आदमी वही पर मर जाता है । गौतम जल्दी से फोन गुलाम खान को लगाता है । गुलाम खान गौतम का दोस्त है । गोतम गुलाम को सब कुछ बोलकर सुनाता है । गुलाम कहता है ।

गुलाम :- अरे भाईजान क्या बात है । तुम्हें ही याद कर रहा था ।

गौतम :- गुलाम भाई आपसे एक मदद चाहिए ।

गुलाम :- क्या बात है भाईजान,  आप परेशान लग रहे हो ।

गुलाम खान के पुछने पर गौतम गुलाम खान को सब कुछ बोलकर सुनाता है । तो गुलाम कहता है ।

गुलाम :- आप चिंता ना करो भाईजान,  मैं अभी वहां पर आता हूँ । आपको और अविनाश को मेरे रहते कोई हाथ तक नही लगा सकता ।

गौतम फोन काट देता है । गौतम घरके अंदर चला जाता है अंदर जाकर गौतम दैखता है के अविनाश सो रहा था । गौतम अविनाश के पास बैठता है और उसके सर पर हाथ फेरता है और उसे दैखते रहता है फिर गौतम अविनाश को एक किस करता है । तभी वहां पर गुलाम खान का गाड़ी आ जाता है । गौतम जल्दी जल्दी उठता है और सब सामान पेक करने लगता है । तब अविनाश उठ जाता है ।

अविनाश :- बाबा । ये आप क्या कर रहे हो ? हम कही जा रहै है क्या ?

गौतम  :- हम हिदुंस्तान जा रहे है बेटा ।

अविनाश :- पर क्यों बाबा । ये तो हमारा ही घर है ना । 

गौतम :- नही बेटा । ये देश हमारा नही है । 

तभी वहां पर कुछ गाड़ीयो के रुकने का आवाज आता है । तो गौतम गुलाम के पास जाकर कहता है ।

गौतम :- गुलाम भाई । अविनाश को लेकर आप यहां से निकल जाईए । आप मेरा रेलवे स्टेशन के पास सुबह तक का इंतजार करना । अगर मे नही पहूँचा तो आप मेरे बेटे को लेकर हिदुंस्तान चले जाना और इसे दिल्ली मे विजय को पास पहूँचा देना ।

गुलाम :- ओय भाईजान,  मैं तुम्हें ऐसे छोड़कर नही जा सकता । उस हैदर की तो मैं ।

गौतम :- नही गुलाम भाई । हैदर अकेला नही है पुरी फोज है उसके पास ।

अविनाश :- बाबा । मैं आपको छोड़कर कही नही जाउगां । मैं आपके बिना नही रह सकता ।

गौतम अविनाश के पास बैठता है , गौतम अविनाश को एक लॉकेट पहनाता है जिसे खोलो तो एक तरफ भोलेनाथ और एक तरफ माँ दुर्गा था । गौतम अविनाश के गाल पर हाथ रखकर कहता है ।

गौतम :- बेटा ये है ना ये तुम्हारा रक्षा करेगा । तुम मेरा बहादुर बेटा हो और फौजी का बेटा भी हो । मैने तुमसे क्या कहा है । 

जिदंगी एक जंग है ।

तु इसे जिये जा ।

हार ना मान इससे । 

तु हर कदम लड़े जा ।

मैं रहूँ या ना रहूँ ।

तुझ मे ही मैं हूँ ।

तु जंग लड़े जा ।

अगर मैं सूबह तक नही पहूँचा तो बेटा समझ जाना के तेरा बाबा जिदंगी का जंग हार गया है , पर तु घबराना मत तुझ मे ही मैं रहूगां । 

गौतम अविनाश के गाल और माथे पर किस करता है और उसे जाने को कहता है ।

गौतम :- जा बेटा ।

अविनाश अपनी आंखो मे आंशु लिये वहां से जाने लगता है फिर भागकर अविनाश के पास आता है और अविनाश को गले लगा लेता है । और कहता है ।

अविनाश :- LOVE  YOU BABA .

गौतम :- LOVE YOU TOO बेटा ।

अविनाश : - मैं आपका इंतजार करुगां बाबा ।

अविनाश नम आंखो से वहां से चला जाता है । जैसे ही वो दोनो वहां से दुसरे दरवाजे से निकलता है । तभी वहां पर सामने दरवाजे पर हैदर आ जाता है । हैदर इधर उधर दैखता है और कहता है ।

हैदर :- ओ । तो तुने तेरे बेटे को भगा दिया । तो तुझे पहले ही पता चल गया के मैं आ रहा हूँ । दैख मैं तेरे लिए एक तोहफा लाया हूँ ।

हैदर के इतना कहने पर कुछ आदमी उस्मान को लेकर आता है । उस्मान का हाथ बंधा था । 

गौतम उस्मान को दैखकर हैरान था । तब हैदर कहता है ।

हैदर :- तुम यही सौच रहे हो ना के मैं इसे यहां पर क्यों लाया ।

वो क्या है ना । इन्हें सबुत चाहिए तुम्हारी गिरफ्तारी का तो ठिक है । अब ये उस्मान चाचाजान ही मेरा सबुत है । मैं इसे यहां मार दूगां । और तुम्हें इसके मर्डेर केस मे देशद्रोही साबित करके फांसी दिला दुगां । एक भी हिदूं को नही रहने दूगां इस पाकिस्तान की पाक जमीन पर । पाकिस्तान मुसलमानों का है और मुसलमानो का ही रहेगा ।

इतना बोलतर हैदर जैसे ही उस्मान को तरवाल से उसका सर काटने जाता है  के तभी अविनाश हाथ मे तलवार लिये उछलकर जय श्री राम का नाम लोकर हैदर पर वार करता है । 

अविनाश : - जय श्री राम ।

हैदर अविनाश को दैख लेता है और वहां से हटने की कोशिश करता पर अविनाश हैदर के चेहरे पर तलवार से वार करता है । जिससे हैदर को चेहरे पर गहरी चोट लगती है । अविनाश उसके बाबा के पास जाता है और अपनी तलवार गौतम को दे देता  है ।

गौतम :- तु यहां क्यों वापस आया बेटा । अगर तुझे कुछ हो गया तो ।

अविनाश : - आप एक सिपाही और मैं एक सिपाही का बेटा । अगर मुझे कुछ हो भी जाए तो गम मत करना , क्योंकि तुझमे ही मैं ही हूँ ।

अविनाश के इतना कहने के बाद हैदर अपने चेहरे पर हाथ लगाकर दैखता है के उसके चेहरे से बहोत खुन निकल रहा था । जिसे दैखकर हैदर गुस्से से लाल हो जाता है ।

 हैदर जैसे ही उठकर उस्मान को मारने के लिए जाता है के तभी गौतम उठकर हैदर को मारने लगता है । गुलाम वहां पर बाहर छिपा था ताकी कोई उसे दैख ना ले ।

अविनाश भी हाथ मे तलवार लिये जय श्री राम का नारा लगाते हूए । एक दो को मार देता है । गौतम सभी को मारकर उस्मान , अविनाश और गुलाम को लेकर वहां से भाग जाता है । 

हैदर पाकिस्तान के हर जगह पर उन लोगो को ढुडंता है और जो भी हिंदू उसको हाथ लगता है वो उसे मार देता है । 

हैदर :- ढुडों उन सबको ।

हैदर उसी रेलवे स्टेशन पर पहूँच जाता है जहां पर पहले से ही गौतम , और अविनाश छुपा था । गौतम उस्मान को गुलाम के पास छोड़ देता है । हैदर ट्रेन के आने का वोट कर रहा था । तभी ट्रेन आती है हैदर ट्रेन को रोकता है । 

ट्रेन रोकने के बाद हैदर हर बोगी पर उन लोगो को ढुडंता है । तभी उसे कुछ हिदुं मिल जाता है । जिसमे से एक प्रेगनेंट थी । हैदर उसे दैखकर कहता है ।

हैदर :- तुम लोगो को क्या लगता है । के मैं तुम लोगो को यहां से ऐसे ही जाने दूगां । और वो भी इसके साथ । इसके पेट मे पल रहा बच्चा बड़ा होकर हमारी कोम को गाली देगा । इससे तो अच्छा है मैं इसे यही पर खतम कर दूँ । 

इतना बोलकर हैदर उन सभी को वहां पर मार देता है । तभी एक सिपाही कहता है ।

सिपाही :- जनाब । ट्रेन के छुटने का समय हो गया है । हम इसे इससे ज्यादा दैर तक नही रोक सकते । अगर ये बात उपर तक गयी तो हम सब फंस जाएगे ।

हैदर :- मुझे वो तीनो चाहिए । किसी भी हाल मे । चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े ।

इतना बोलकर वो निचे उतर जाता है । और ट्रेन के चारों और अपना सिपाही लगा देता है ताकी कोई चड़ ना पाए । ये सब दैखकर गौतम समझ गया था के जबतक हैदर यहां पर है तब तक हमलोग ट्रेन पर नही चड़ सकते । 

गोतम अविनाश से कहता है । 

गौतम :- बेटा । मेरी बात को ध्यान से सुनो । ये ट्रेन अब छुटने वाली है । और ऐसे हम दोनो ट्रेन पर नही चड़ सकते । मैं इन लोगो को थोड़ा घुमाकर लाता हूँ । जैसे ही वो लोग मेरे पिछे जाए । तुम ट्रेन मे चड़ जाना । 

अविनाश :- बाबा और आप ?

गौतम :- मैं बस अभी गया और अभी आया । और अगर मैं ना आउ तो तुम दिल्ली मे विजय के पास चले जाना । मैं तुम्हें वही मिलुगां ।

अविनाश के ना चाहते हूए भी उसे हां करना पड़ा तभी ट्रेन की सीटी बजती है । धिरे धिरे ट्रेन चलने लगता है । अविनाश अपने बाबा की और दैखता है , गौतम एक हल्की मुस्कान देता है और ट्रेन की दुसरी और भागने लगता है ।

हैदर गौतम को दैखकर उसको पिछे जाने लगता है । इधर अविनाश ट्रेन मे चड़ जाता है । गोतम हैदर और बाकी सभी को स्टेशन से बाहर लेकर चला जाता है फिर गोतम इन सबको चकमा देकर ट्रेन के पिछे भागता है । ट्रेन रफतार पकड़ लिया था । अविनाश अपने बाबा को ढुंड रहा था तभी अविनाश गोतम को दैखकर खुश हो जाता है । गोतम भी अविनाश को दैखकर खुश हो जाता है । 

गौतम जैसे ही ट्रेन को पकड़ा तभी हैदर गौतम पर गोली चला देता है । गोली गौतम को कंधे पर लगता है और गोतम से ट्रेन छुट जाता है । अविनाश गौतम को दैखकर चिल्लाता है ।

अविनाश :- बाबा ........! 

गौतम अविनाश को नम आंखो से दैखता है , अविनाश भी गोतम को दैखता है । गौतम हल्की मुस्कान दैकर दैखता है । क्योकी गौतम ने अविनाश को ट्रेन मे चड़ा दिया था । तभी हैदर एक और गोली चलाता है , जो गौतम के पास से गुजरता है । अविनाश को लगता है को गोली गौतम को लग गई है । अविनाश अपने बाबा को दैखने लगता है । फिर गौतम अविनाश के आँखो से ओझल हो जाता है ।

अविनाश :- बाबा ...! 

अविनाश अपने आंखो मे आंशु लिए ट्रेन से अपने बाबा को ढुडंता है और ट्रेन वहां से चला जाता है ।



दृश्य 3 




22 साल बाद रॉ आफिस ।

रॉ आफिस जहां पर  रॉ के आफिसर  से बात कर रहे थे । किडनेपर ने रॉ आफिसर विजय , गृह मंत्री की बेटी मोहिनी और मॉस मे गए लोगो को एक मॉल मे बंदी करके रखा था ।

राकेश :- तुम जानते भी हो तुमने किसे किडनेप किया है ।

किडनैपर :- जानता हूँ , तभी तो किडनेप किया है ।

राकेश :- क्या चाहिए तुम्हें ?

किडनैपर :- आजादी ।

राकेश :- आजादी ? किसकी , किससे ?

किडनैपर :- क्यों ऑफिसर, भूल गए ना । तुमलोगो ने मिलकर , नही तुम लोगो नही वो अकेला तेरा वो कौन सा ऑफिसर था जो उस ग्रुप को लिड कर रहा था । उसने हमारे लिडर मुस्ताक को गिरफ्तार किया था और हमारे कई साथी को मार डाला था । हमे उससे बदला लेना है और मुस्ताक की आजादी ।

रक्षा मंत्री :- तुम जानते हो मुस्ताक हमारे पास नही है । हम ये नही कर सकते । 

किडनैपर :- तो फिर ठिक है , मैं भी कुछ नही करुगां । शाम तक का वक्त देता हूँ , मुझे मुस्ताक और वो तेरा ऑफिसर दोनो मेरे हवाले कर देना वरना शाम तक तेरे इस ऑफिसर को साथ इन लोगो की लाश मिलेगी और तेरे मंत्री की बेटी की जवनी मेरी बनेगी  । ( तभी मोहिनी का चेहरा दिखता है ) ।  सौच समझ कर जवाब देना । मैं फिर कॉल करुगां ।

विजय :- तुम लोग जानते नही , के तुमलोग कितनी बड़ी गलती कर रहे हो । आखिर क्यों कर रहे हो ये सब । तुमलोग भी तो इस देश के हो । और वो मुस्ताक वो एक आतंकी है । एक आंतकी के लिए क्यों कर रहे हो ऐसा ।

किडनैपर :- वो आतंकी नही , वो जिहाद कर रहा है । वो हमारे लिए लड़ रहा है , हमारे हक के लिए लड़ रहा है । अगर हम उसके लिए अपनी जान भी दे दे ना तो ये हमारे लिए बड़े फक्र की बात होगी ।

विजय :- अरे जाहिलो । वो लोग तुम्हें भड़का रहे है । तुम्हार इस्तेमाल कर रहे है ,   कम से कम इन मासुमो को तो छोड़ दो । इन्होंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा । अरे वो लोग किसीके नही है , वो सिर्फ और सिर्फ अपने मतलब के लिए तुमलोगो का इस्तेमाल कर रहे है । और कौन से हक की बात कर रहे हो तुम लोग । इस देश मे सभी को बराबर का हक दिया गया है । इस देश मे शांति ही शांति होती । अगर तुम जैसे जाहिल और गवार इस देश मे ना होते तो ।

किडनैपर गन लिए विजय के कनपट्टी पर रखता है ।

किडनैपर :-  बस । बहोत बोल दिया । अब अगर एक भी शब्द निकला तो गोली तेरे सर के पार होगी । हमे मुस्ताक और वो तेरा ऑफिसर दोनो चाहिए ।

विजय :- खुद ही अपने मौत को बुला रहा है । अच्छा है बुला लो । कमसे कम कुछ जाहिल तो कम होगें ।

विजय के किडनेप होने से सारे डिपार्टमेंट मे खलबली मची हूई थी । रक्षा मंत्री और गृह मंत्री मिलकर फैसला लेते है के मुस्ताक को और  उस ऑफिसर को उस किडनैपर के पास भेजा जाए । और बेक अप पर कुछ स्पेशल ऑफिसर को भेजा जाए । ये बात सुनकर वो ऑफिसर घबरा जाता है ।

गृह मंत्री :- नही नही हम उनकी मांगो को पुरा नही कर सकते । अगर वो मुस्ताक बाहर आ गया तो बहोत बड़ा नुकसान करेगा । वो हमारे देश और देश मे रह रहे नौजवानो के लिए खतरा है । हमे कुछ और सोचना होगा । 

रक्षा मंत्री :- हमारे पास और कोई रास्ता नही है । हमे मुस्ताक को छोड़ना ही होगा । हम विजय , मोहिनी और बाकियों की जान को खतरे मे नही डाल सकते । 

गृह मंत्री :- पर वो हमारे एक ऑफिसर की जान मांग रहे है । हम ये कैसे कर सकते है ।

रक्षा मंत्री :- आप टेंशन मत लिजिये,  हम वहां पर किसी और को भेजेगें । जो अकेले ही उन सबकी वाट.......! 

इतना बोलतर रक्षा मंत्री चुप हो जाता है क्योकी ये उनके मुह से गुस्से से निकल गया था ।

 तभी किडनैपर का कॉल आता है ।

किडनैपर :- तो क्या फैसला किया तुम लोगो ने । वो दोनो आ रहे है या इस ऑफिसर का लाश भेजु ?

रक्षा मंत्री :- हमे तुम्हारी मांग मंजूर है । हम 1 घंटे मे आ रहे है ।

किडनैपर :- मेरी बात ध्यान से सुनो । मुस्ताक को वो तेरा ऑफिसर ही ले कर आएगा और दुसरा कोई नही आएगा । समझ गया । कोई होसियारी नही । वरना अनजान तो तुम लोग जानते ही हो । 

इतना बोलकर किडनैपर फोन काट देता है । तभी वहां पर मौजूद सभी से वो किडनैपर कहता है ।

किडनैपर  :- सुनो सबलोग । सरकार ने हमारी बात मान लि है । मुस्ताक को लेकर वो आ रहे है । 

उस किडनैपर से इतना कहते ही सभी अल्ला हू अकबर का नारा लगाना सुरु कर देता है ।

इधर मुस्ताक को कुछ सिपाही हाथ मे हथकड़ी लगाये बाहर ला रहा था । मुस्ताक हल्की हल्की मुस्कान लिये आगे बड़ रहा था । जब मुस्ताक गाड़ी के पास पहूँच जाता है तब मुस्ताक वहां पर मौजूद ऑफिसर से कहता है । 

मुस्ताक :- दैखा ऑफिसर , मैने कहा था ना , तुम लोग मुझे ज्यादा दिन जेल मे नही रख सकते । हा हा हा हा । पता है क्या , तुमलोगो का सिस्टम ही कमजोर है । और हम ताकतवर । तुमलोग हमारा कुछ नही बिगाड़ सकते । पर अगर हमलोग चाहे तो कुछ भी कर सकते है कुछ । हा हा हा हा ।

मुस्ताक से इतना सुनकर वो एक आफिसर गुस्से से उसे मारने जाता है तभी उसे एक दुसरा आफिसर रोक लेता है । मुस्ताक गाड़ी पर बैठता है और वहां से चला जाता है । तभी कुछ दैर बाद वहां पर वो ऑफिसर राकेश  आता है जिसे मुस्ताक से साथ भेजना था । 

उस ऑफिसर राकेश को दैखकर गृह मंत्री हैरान हो जाता है और रक्षा मंत्री से कहता है ।

गृह मंत्री :- ये राकेश तो यहां पर है तो , मुस्ताक के साथ कौन गया ।

रक्षा मंत्री गृह मंत्री की बात को सुनकर हल्की मुस्कान देता है । इधर गाड़ी मे आराम से बैठे मुस्ताक अविनाश से कहता है । मुस्ताक को ये नही पता होता है के राकेश के जगह पर अविनाश जा रहा है । अविनाश का मुह एक कपड़ा से नाक तक ढका था । 

मुस्ताक :-  सिगरेट है क्या ! 

अविनाश सिगरेट निकाल कर देता है । मुस्ताक सिगरेट जलाता है और सिगरेट का कस्त लगाते हुए कहता है ।

मुस्ताक :-  । हा हा हा हा । अजीब लगता है ना । तुमलोग हमे पकड़ते हो और फिर हमे छोड़ने भी खुद ही आते हो ।  ( तभी आगे एक गाड़ी आती है और अविनाश बहोत ही स्पीड से गाड़ी को पास कर लेता है जिसे दैखकर मुस्ताक घबरा जाता है फिर कहता है )  ऐ दैख कर चला रे । अगर मुझे कुछ हो गया ना तो सारा शहर तबाह हो जाएगा । 

तभी वो लोग मॉल मे पहूँच जाता है । गाड़ी को दैखकर अंदर से कुछ आंतकी हाथ मे गन लिये मुस्ताक के पास आता है । तभी अविनाश गाड़ी से उतरता है । मुस्ताक वहां पर पहूँच कर बहोत खुश हो जाता  है और अंदर जाने लगता है । वहां मौजूद आंतकी अविनाश को गन के नोक पर धक्का देते हूए अंदर लेकर जाता है ।

अंदर मे बहोत से आदमी , औरते , बच्चे , बुड़े और एक कुर्सी पर विजय को बांध कर रखा था । तभी वहां पर मुस्ताक और अंदर आता है , मुस्ताक को दैखकर वहां पर मौजूद सभी आंतकी खुश हो जाता है । और इनमे से एक मुस्ताक को गले लगा लेता है । 

मुस्ताक :- मुझे मालुम था के तुमलोग मुझे ज्यादा दिन तक जेल मे रहने नही दोगे । साबास ।

किडनैपर :- भाईजान, आप जल्दी यहां से निकलो हमने आपके लिए सारा इंतजाम कर दिया है । भाईजान आप अकेले आए हो , उस ऑफिसर को नही भेजा उन्होंने । 

उस किडनैपर के इतना कहने पर सभी अविनाश को ढुडता है । पर अविनाश वहां पर नही था ।

मुस्ताक :- वो तो मेरे पिछे ही था । कहां गया वो ।तुमलोग दैखो जा के ।

इधर अविनाश उसके साथ आ रहे दोनो आंतकीयो को वही पर मार देता है । तभी वहां पर दो और आंतकी जाता है । वो दोनो अविनाश को ढुडता है तब अविनाश उन दोनो के सामने आता है और दोनो को मार देता है । दोनो को मारने के बाद अविनाश अदर चला जाता है ।

मुस्ताक और बाकी सभी बाहर गये अपने आदमियों का इंतजार कर रहा था । 

मुस्ताक :- ये लोग अभी तक वापस क्यों नही आए । जाओ जा के ढुडो उसे और दैखते ही गोली मार दो ।

सभी वहां से इधर उधर अविनाश को ढुडने के लिए चला जाता है , वहां पर सिर्फ मुस्ताक और दो और आंकती थे । तभी अविनाश मुस्ताक के पिछे खड़ा था । मुस्ताक को ये पता चल जाता है के उसके पिछे कोई है । 

अविनाश जैसे ही मुस्ताक को पकड़ने जाता है के तभी मुस्ताक वहां से हट जाता है और मुस्ताक का हाथ अविनाश के मुह मे बंधा कपड़े को हटा देता है । तब अविनाश का चेहरा दिखता है । अविनाश को दैखकर वहां पर मौजुद गृह मंत्री की बेटी मोहिनी एंप्रेस हो जाती है और वो अविनाश को दैखती रहती है । दोनो ही एक दुसरे के विपरीत घुमा रहता है । तभी उनमे से एक आंतकी अविनाश को मारने के लिए आता है । अविनाश और उसका कुछ दैर तक फाईट होता है । फिर मुस्ताक के साथ अविनाश का टक्कर होता है । मुस्ताक पहले अविनाश को दो तिन फाईट मारता है । जिससे अविनाश को हल्की चोंट आती है । 

मुस्ताक हल्की मुस्कान देता है जिससे अविनाश को गुस्सा आता है । मुस्ताक फिर से अविनाश को मारने जाता है तो अविनाश मुस्ताक को जौर से मारता है जिससे मुस्ताक दुर जा गिरता है और मुस्ताक के आगे अंधेरा छा जाता है ।

फिर बाकी सभी आंतकी वहां पर आता है और अविनाश सभी को मार देता है । मुस्ताक को होश आता है और वो मोहिनी को पकड़ लेता है , मुस्ताक गन को मोहिनी के कनपट्टी पर रखता है और कहता है ।

मुस्ताक :- रुक जाओ ऑफिसर । बहोत मारा मारी कर ली तुमने । अब अगर एक भी कदम आगे बड़ाया तो इसे गोली मार दूगां ।

अविनाश मोहिनी को दैखकर रुक जाता है । अविनाश मोहिनी के चेहरे को दैखते रहता है । मोहिनी बहोत डरी हूई थी । 

मुस्ताक :- तु आदमी है जानवर । सबको मार दिया । मोरा थोबड़े का बुरा हाल कर दिया । पर अब बस । अब तुम सब मरोगे । 

अविनाश मुस्ताक की और जाने लगता है तो मुस्ताक अविनाश को रोकते हूए कहता है ।

मुस्ताक :- ना ना । कोई होशियारी नही वरना ये लड़की जान से जायेगी । चल पिछे हट । ( अविनाश कुछ कदम पिछे चला जाता है ) अब दैखो तुम सब,  कैसे मैं इस ऑफिसर को मारता हूँ । 

इतना बोलकर मुस्ताक अविनाश पर गोली चला देता है , गोली अविनाश के कंधे पर लगता है और अविनाश वही पर गिर जाता है । अविनाश को गिरते हूए दैखकर सभी डर जाते है , मोहिनी भी डर जाती है । 

तब मुस्ताक मोहिनी के बालो को सुंघता है और कहता है । 

मुस्ताक :- ये तो गया । अब तु मेरी बनेगी । दैखा तुमलोगो ने । ये है इंडियन ऑफिसर । जो एक ही गोली मे खतम । हा हा हा हा ।

इतना बोलकर मुस्ताक अविनाश की और बड़ता है । मुस्ताक अविनाश की और दैखता है । तभी अविनाश मुस्ताक के हाथ मे लात मारता है जिससे मुस्ताक के हाथ ये गन गिर जाता है । 

मुस्ताक दोबारा गन को उठाने जाता है तो अविनाश मुस्ताक को लात मारता है जिससे मुस्ताक गिर जाता है । अविनाश उठकर गन लेना चाहता है पर मुस्ताक अविनाश को भी मारकर गिरा देता है । 

विजय मोहिनी को उसका हाथ खोलने के लिए इशारा करता है । मुस्ताक और अविनाश मे कुछ दैर तक लड़ाई होती है । मुस्ताक अविनाश के गोली वाले जगह को हाथ से दबाता है जिससे अविनाश को दर्द होता है । फिर अविनाश मुस्ताक को मार कर गिरा देता है । और गन लेकर मुस्ताक को मारने जाता है । तभी विजय अविनाश को रोकते हूए कहता है ।

विजय :- नही अविनाश । इसे मत मारो । ये हमे जिंदा चाहिए ।

अविनाश :- जिंदा । किस लिए । ताकी फिर ये लोग कोई मॉल या हॉस्पिटल को हाईजेक करके इसे छुड़ाने का शर्त रखे । अगर ये जिंदा रहा तो आज जो हूआ वो फिर होगा । और जब ये जिंदा ही नही रहेगा तो ये भी नही होगा । I AM SORRY SIR .  पर मैं इसे जिंदा नही छोड़ुगां । 

विजय :- नही रुको । अविनाश ।

इतना बोलकर अविनाश मुस्ताक को गोली मार देता है जिससे मुस्ताक वही पर मर जाता है । विजय अविनाश पर नाराज होता है । अविनाश रक्षा मंत्री को फोन करता है ।

अविनाश :- येस सर । यहां पर कंट्रोल मे है सर ।

रक्षा मंत्री  :- वेल डन अविनाश । मुझे तुम पर पुरा भरोसा था । हमारे मंत्री जी की बेटी , विजय और वहां पर बाकी लोगो की क्या स्टेटस है ?

अविनाश  :- सभी सेफ है सर । 

रक्षा मंत्री :- ( गृह मंत्री से ) :- सभी सेफ है । अविनाश मुस्ताक को लेकर जल्दी आ जाओ । 

अविनाश :- ( विजय की और दैखकर कहता है । ) :- माफ करना सर पर वो अब इस दुनिया मे नही रहा । अगर मैं उसे नही मारता तो वो विजय सर को मार देते । मुझे मजबुरन उसपर गोली चलानी पड़ी ।

अविनाश के झुट पर विजय और मोहिना हैरान था । अविनाश फोन को विजय को दे देता है ।

विजय :- यस सर सब ठिक है । अविनाश को गोली लगी है । हम उसे हॉस्पिटल लेकर जा रहे है ।

तब अविनाश वहां पर फंसे सभी को लेकर बाहर आता है , अविनाश को गोली लगी थी वो लड़खड़ा कर चल रहा था । मोहिनी अविनाश को दैखकर उसके पास जाती है और अविनाश को पकड़कर गाड़ी मे बैठाती है । अविनाश बस मोहिनी को दैखते रहता है । 

इधर सभी विजय , मोहिना और अविनाश का इंतजार कर रहा था । तभी वहां पर एक हेलीकॉप्टर आता है , हेलिकॉप्टर से मोहिना , विजय उतरता है । मोहिना अपने पापा के पास जाती है और उसके गले लग जाती है ।

मोहिना :- पापा ।

रक्षा मंत्री :- मेरी बच्ची । तुम ठिक हो ?

मोहिना :- हां पापा , मैं बिल्कुल ठिक हूँ । पर पापा वो कौन है जिसे आपने भेजा था ।

रक्षा मंत्री  :- वो रॉ के सबसे शातिर और काबिल ऑफिसर अविनाश है ।

रक्षा मंत्री के इतना कहने के बाद अविनाश चश्मा पहने हेलिकॉप्टर से उतरता है । और रक्षा मंत्री दिनेश मिश्रा के पास आता है ।

रक्षा मंत्री  :- वेल डन माय बॉय । मुझे तुम पर पुरा भरोसा था ।

अविनाश  :- थैंक्यू सर ।

रक्षा मंत्री  :- Meet my daughter. 

अविनाश  :- मोहिनी  । उम्र 22 साल । बम्बई मे लॉ की तैयारी कर रही है । खाने मे वेज खाना पंसद है । फेवरेट कलर लाल है और इन्हें नई जगह जाना पंसद है । इन्हें नेचर से प्यार है ।

अविनाश के इतना कहने पर मोहिना हैरान थी पर रक्षा मंत्री हसने लगता है और कहता है ।

रक्षा मंत्री  :- हा हा हा हा । मैने तुमसे कहा था ना बेटी । ये हमारा एक होनहार ऑफिसर है ।

रक्षा मंत्री के इतना कहने पर मोहिना अविनाश को घुरे जा रही थी ।



दृश्य 4



विजय का घर ।

विजय को घर के सामने गाड़ी रुकता है जिसमे से रक्षा मंत्री रमेश पवार , गृह मंत्री दिनेश मिश्रा और मोहिनी थी । सिक्योरिटी गार्ड आकर कार का गेट खोलता है । तब सभी कार से बाहर आते है । सभी घरके अंदर जाते है । 

वो लोग सब आने वाले है इसका पता विजय और अविनाश को नही था । जैसे ही ये लोग घरके अंदर आते है जहां पर । विजय डाईनिगं टेबल पर बैठा था और अविनाश विजय के लिए गर्म दुध और साथ मे कुछ फल ला रहा था । अविनाश के एक हाथ पर बेंडेज किया हूआ था जहां गोली लगी थी । तभी वहां पर सबको दैखकर खुश हो जाता है । 

विजय :- अरे सर आप सब यहां एक साथ ।

गृह मंत्री :- हां सोचा जाकर हाल चाल पूछ आउ । 

अंदर किचन मे अविनाश विजय के लिए टोस्ट लेने गया था , अविनाश अंदर से कहता है ।

अविनाश :- अरे पप्पा । दूध को पिया के नही । जल्दी खतम करो तभी स्ट्रांग बनोगी । वरना कोई भी आपको किडनेप कर ले रहा है आज कल । कमजोर हो गए हो आप ।

अविनाश की बात को सुनकर सभी हंसने लगते है , अविनाश की आवाज सुनकर मोहिनी हैरान थी । उसे पता नही था के अविनाश भी यही रहता है । 

अविनाश :- पप्पा ...! सुनाई दे रही है ।

विजय :- हां हां सुन रहा हूँ । 

रक्षा मंत्री :- कैसा है हमारा हिरो ।

विजय :- आप खुद दैख लिजिए सर ।

तभी अविनाश हाथ मे टोस्ट लिये किचन से बाहर आता है ।

अविनाश :- पप्पा. ...! जल्दी दूध ...। 

इतना बोलकर अविनाश रुक जाता है क्योकी वहां पर मोहिनी और बाकी सभी पहूंच जाता है । गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को दैखकर अविनाश झट से उठ जाता है और सेल्युट करता है । मोहिनी अविनाश को दैखकर मुस्कुरा रही थी । 

अविनाश :- अरे सर आप ! बेठिये ना सर । सर आपलोग यहां पर अचानक । सर मैं आपके लिए कॉफी बना कर लाता हूँ ।

रक्षा मंत्री :- नही उसकी कोई जरुरत नही है । तुम बताओ कैसे हो अविनाश ? 

अविनाश :- ठीक हूँ सर । पर आप सब ऐसे अचानक ।

गृह मंत्री :- कल तुमने जो किया । उसको लिए थेंक्स बोलने आया था । खास करके मेरी बेटी , अविनाश को थेंक्स बोलना है , उसे मेरे वजह सो गोली लगी । मुझे उससे मिलना है । तो मुझे आना पड़ा ।

अविनाश फल को खा रहा था । और मोहिनी की और दैख रहा था ।

अविनाश :- थेंक्स क्यों सर ये तो मेरा फर्ज है । पर ये काम कोई और भी कर सकता है । पर उसके लिए फिट रहना जरुरी है । वरना कोई भी किडनेप कर लेता है ।

अविनाश के इतना कहने पर सभी हंसने लगता है । क्योंकी उसका इशारा विजय की तरफ था ।

विजय :- देख रहे हो सर आप इसको । बाहर मेरा कोई बात नही मानता और यहां मेरे पे आर्डर चला रहा है ।

अविनाश :- पप्पा । ये घर है ऑफिस नही । यहां आप मेरे पप्पा और मैं आपका बेटा हूँ । 

 अविनाश विजय को दूध देता है । और पिने को कहता है ।

गृह मंत्री :- अविनाश हमारे ऑफिसर जो पाकिस्तान मे रह रहे है । उससे पता चला है के मुस्ताक पाकिस्तान के चीफ हैदर अली का सौतेला भाई था और उसके साथ जो लोग मारे गए उनमे से एक को छोड़कर सभी पाकिस्तान के थे । 

अविनाश :- पाकिस्तानी थे ।

गृह मंत्री :- हां अविनाश । मुस्ताक हैदर अली का भाई था । वो लोग हमारे कशमीर मे रह रहे मुसलमानो को हथीयार सप्लाई कर रहा है । वो लोग सभी मुजाहिदीन के लोग है और मुसलमानो को हिंदुओ के खिलाफ भड़का रहा है । ताकी कश्मीर मे दंगे सुरु हो जाए ।

अविनाश :- पर वो लोग बार्डर क्रास कैसे कर रहे है ?

गृह मंत्री :- पाकिस्तानी सैनिक भी उनसे मिला हूआ है । हैदर अली और सिद्दिकी जो की इस काम के लिए मुजाहिदीन से मिला हूआ है ।

अविनाश :- तो पाकिस्तानी फोज अब मुजाहिदीन का साथ दे रही है ।

रक्षा मंत्री :- हां ताकी वहां पर रह रहे मुलसमानो को हिंदु और कश्मीरी पंडित के खिलाफ भड़का सके । मुस्ताक यहां पर उस मिशन को चला रहा था । अब कोई और यहां पर आए हमे कुछ करना होगा ।

अविनाश :- सर । क्यों ना हम पाकिस्तान से एक बार बात करे ।

गृह मंत्री :- कोई फायदा नही होगा । तुम जल्द से जल्द ठिक हो जाओ ताकी जल्दी अपने काम पे आ सको ।

हैदर अली का नाम सुनकर अविनाश को पुराना दिन याद आने लगा । अविनाश झट से कहता है ।

अविनाश :- सर , मैं बिल्कुल ठिक हूँ सर । आप मुझे बस पाकिस्तान जाने की आर्डर दिजिए ।

गृह मंत्री :- पाकिस्तान ! कौन तुम्हें पाकिस्तान भेज रहा है । और तुम बार बार पाकिस्तान जाने की बात क्यों करते हो ? Get well soon and ready for next mission . 

अविनाश :- येस सर ।

गृह मंत्री :- तुम्हें ये पता लगाना है के मुस्ताक के साथ और कौन कौन पाकिस्तान से यहां आया है । तुम्हें कशमीर जाना होगा । वहां जाकर पता करना होगा के और कितने पाकिस्तानी वहां है और कौन उसका मदद कर रहा है । वहां पर तुम्हें राकेश मिलेगा जो वहां पर अनवर नाम से रहता है ।

अविनाश :- येस सर ।

गृह मंत्री :- कोई भी इस देश मे चला आता है और इसका आई डी भी बन जाता है। अरे ये देश है धर्म शाला ! पता नही फ्युचर मे इस देश का होगा । कहां कहां से लोग आऐगें और हिंदुस्तान का आई डी बनाकर रहेगें । ओके यंग मेन अब हम चलते है । अपना घ्यान रखना ।

इतना बोलकर सभी वहां से उठ जाता है । मोहिनी अविनाश को दैखकर हल्की मुस्कान देती है और अपने पापा को अविनाश से कुछ कहने के लिए इशारा करती है ।

गृह मंत्री :- हां , वो मैं एक बात और बताना चाहता था । मेरी बेटी चाहती है के अविनाश आज रात का खाना तुम हमारे साथ खाओगे । मेरी बेटी ने एक पार्टी रखी है , तो आप सबको आना है ।

अविनाश :- जी सर जरुर आउगां । 

अविनाश और मोहिनी एक दुसरे को दैखती है और फिर सभी वहां से सभी चला जाता है ।



दृश्य 5



अविनाश का घर ।

अविनाश अपने बचपन के समय को सौच रहा था । जब वो अपने पापा के साथ रहता था । उसे अपना बचपन याद आ रहा है । तभी वहां पर विजय हाथ मे दो कप कॉफी लिये अविनाश के पास आता है । अविनाश के आंख पर आंसु था । विजय को दैखकर अविनाश अपना आंसु पोछता है ।

विजय :- क्या बात है बेटा । अपने बाबा को याद कर रहे हो ?

अविनाश :- हां पापा , उनकी बहोत याद रही है । पता नही क्यूं मुझे ऐसा लगता है के वो मेरा इंतजार कर रहे है । उन्होंने मुझसे कहा था के मैं वापस जरुर आउगां । वो अपना वादा हमेशा पुरा करते है । उस रात को उस हैदर ने मेरे बाबा को गोली मार दी । और मैं कुछ नही कर सका । बस मैं दैखता रह गया ।

विजय :- इतना मत सोचो बेटा । मैं और तुम्हारे बाबा हम दोनो बचपन मे एक साथ बड़े हूए । पर बंटवारे ने हम दोनो को अलग कर दिया । मैने उसे कहा भी था के हिदुंस्तान चलो । पर उसने कहा के अगर मैं चला गया तो यहां के हिदुंयो का क्या होगा । वो एक बहादुर और नेक इंसान थे । पाकिस्तान मे हिदुुओ को दिक्कत ना हो इसके लिए वो. ही पर रुक गए ।

अविनाश :- कभी कभी तो लगता है के अगर आप मुझे मिले ना होते तो मैं इस शहर मे अकेले कब का मर गया होता । एक 8 साल के बच्चे को क्या पता था इस शहर के बारे मे ।

विजय :- मुझे वो दिन आज भी याद है जब तुम्हारे यहां आए दो दिन हो गए थे और तुम बिना कुछ खाये भुखे थे और सबसे बस एक नाम पुछ रहे थे । विजय कहां रहता है । जब मैने ये नाम सुना तो तुम्हारे पास गया और तुमसे पुछा के तुम कौन हो तब तुमने अपने पापा का नाम बताया ।

अविनाश :- अगर उस दिन ना मिलो होते तो आज पता नही मैं कहां होता । कभी कभी तो लगता है के पाकिस्तान जाके उस हैदर अली को वही गाड़ दू । पापा , आप कुछ किजिये ना ताकी मुझे पाकिस्तान जाने का मौका मिले । मेरे जीने का बस एक ही मकसद है । उस हैदर अली की मौत । जिसने मुझे मेरे बाबा से अलग किया ।



दृश्य 6



पाकिस्तानी जेल ।

पाकिस्तान जेल जहां पर हैदर अली सिगार पिते हूए कार से उतरता है । वहां पर मौजूद सभी सिपाही उसो सेल्युट करता है । हैदर अली बड़े शान से जेल के अंदर जाता है । जहां पर अविनाश के बाबा गौतम को हैदर अली कैद करके रखा था । गौतम दुसरी तरफ मुह करके खड़ा था । गौतम थोड़ा कमजोर हो गया था । उसको कपड़े फटे पुराने थे ।

हैदर अली :- कैसे हो मेजर । 

हैदर अली के इतना कहने पर गौतम हैदर अली की और मुह करता है ।

हैदर अली :- चु चु चु चु । क्या हालत हो गई है तुम्हारी मेजर । एक इनामदार ऑफिसर पर इतना जुल्म पाकिस्तान को नही करना चाहिए था । आई एम सॉरी मेजर । मैं आपके लिए कुछ नही कर सका । पर कोई बात नही मैं तुम्हार ये दुःख कम कर सकता हूँ । बस तुम मुझे ये बता दो के उस्मान को तुमने कहां पर रखा है । मैने उसे खुद गोली मारी थी । पर तुमने उसे बचा लिया था । अगर तुम मुझे बता दोगे तो मैं तुम्हें आसान मौत दुगां । वरना तुझे तड़पा तड़पा कर मारुगां ।

गौतम :- तु मुझे नही मार सकता । अगर तुझे मारना होता तो तु कबका मार चुका होता । तुझे डर के अगर मैं मर गया तो तुझे उस्मान का पता कौन बताएगा । और फिर उस्मान कही वापस आ गया तो । तब तेरा खेल खतम ।

हैदर अली :- बस इसिलिए तुझे जिदां रखा हूँ । वरना कबका मार दिया होता तुझे । बस मुझे दुख: इस बात का है के मैं तुम्हारे बेटे को नही मार पाया । पर कोई बात नही , वो तो ऐसे भी कही ना कही पर मर ही गया होगा । हा हा हा ।

गौतम :- हा हा हा हा । चु चु चु चु । कितना खयाली पुलाव पकाते हो तुम हैदर । वो मेरा बेटा है शेर का । थोड़ा समय जरुर लगा पर वो यहां आएगा जरुर । 

गौतम के हंसने पर हैदर अली हैरान हो जाता है । तभी वहां पर एक सिपाही आता है और हैदर से कहता है । 

सिपाही :- जनाब । वो हिंदुस्तान. ..!

सिपाही इतना बोलकर बार बार गौतम की और दैखता है । तब हैदर कहता है ।

हैदर अली : - क्या बात है खुलकर बताओ ।

सिपाही :- जनाब हिंदुस्तान से खबर आया है के आपका भाई मुस्ताक ।

हैदर अली :- अरे क्या हूआ है बताओगे । (चिल्लाते हूए ) ।

सिपाही :- जनाब वो मुस्ताक को हिंदुस्तानी फोज ने मार दिया है ।

सिपाही की बात को सुनकर हैदर अली बहोत परेशान हो जाता है । तब गौतम कहता है ।

गौतम :- अगर अपने मुल्क और दुसरे मुल्क मे नफरत फेलाओगे तो ऐसे ही एक दिन तुम भी मारो जाओगे ।

गौतम की बात को सुनकर हैदर अली गुस्सा हो जाता है , और अपनी गन को लेकर वो गोतम के कनपट्टी पर सटा देता है ।

गौतम हैदर अली के आंखो से आंख मिलाकर देखता है । हैदर अपनो गुस्से को काबु करता है और वहां से चला जाता है ।



दृश्य 7 



गृह मंत्री का घर मे पार्टी ।

शाम का सनय गृह मंत्री का घर जहां पर कुछ V I P लोग पार्टी को इंज्वाय कर रहे थे । गृह मंत्री सबसे अपनी बेटी मोहिनी को मिला रहा था । पर मोहिनी अविनाश का इतजार कर रही थी । मोहिनी वहां से अपने दुसरी और चली जाती है । तभी वहां पर अविनाश का एंट्री होता है । 

अविनाश को दैखकर वहां मौजूद सभी लड़कियां हैरान हो जाती है । क्योकी अविनाश बहोत हैंडसम लग रहा था । सभी लड़कियां अविनाश को दैखकर उसके बारे मे बात कर रही थी । 

अविनाश को दैखकर मोहिनी उसके पास जा रही थी । अविनाश भी मोहिनी को दैखकर मुस्कुराता है । दोनो को दैखकर विजय उन दोनो को अकेला छोड़कर वहां से चला जाता है । 

अविनाश :- हाय ।

मोहिनी :- हाय ।

अविनाश :- तुम बहोत खुबसूरत लग रही हो ।

मोहिनी :- थेंक्यू । तुम भी बहोत हैंडसम लग रहे हो । इन सभी लड़कियों को दैख रहे हो । सब तुम्हें ही देख रही है ।

अविनाश :- अच्छा । ये मायने नही रखता के मुझे कौन दैख रहा है । मैं किसे दैख रहा हूँ ये मायने रखता है मेरे लिए और वो मुझे दैख रही है या नही ये सबसे बड़ी बात है ।

मोहिनी :- अच्छा । आप ही बता दो के इस पार्टी मे वो कौन है जिसे आप दैख रहे हो ?

अविनाश :- वो मेरे सामने ही है ।

अविनाश की बात को सुनकर मोहिनी शर्मा जाती है । तभी वहां पर गृह मंत्री और रक्षा मंत्री दोनो आ जाता है । 

गृह मंत्री :- और बताओ यंग मेन । केसी लगी पार्टी तुम्हें ?

अविनाश :- OWESOME SIR . बहोत खुबशरत है । पार्टी सर ।

मोहिनी समझ जाती है के अविनाश ने खुबसूरत शब्द उसके लिए कहा है । पार्टी मे सभी एक दुसरे से बात करने लग जाता है । तभी मोहिनी गाना गाने लगती है जिसका साथ अविनाश भी देता है । गाना खतम होने के बाद सभी ताली बजाता है ।

तभी वहां पर रक्षा मंत्री के पास एक आदमी आता है और उसको कान मे कुछ बोलकर चला जाता है । जिससे रक्षा मंत्री घबरा जाता है । अविनाश ये सब दैख रहा था । वो रक्षा मंत्री के पास जाता है और कहता है ।

अविनाश :- क्या हुआ सर ! सब ठिक है ना ?

रक्षा मंत्री अविनाश को साईड मे अकेले मे लेकर जाता है ये दैखकर विजय भी उन दोनो के पिछे आ जाता है । 

रक्षा मंत्री :- अविनाश । एक बहोत बड़ी प्रॉब्लम आ गयी है । 

अविनाश :- बात क्या है सर ।

रक्षा मंत्री :- राकेश ने खबर भेजी है के हमारे ऐजेन्ट जो पाकिस्तान मे रह रहे थे । वो आज पकड़ा गया है । वो अभी हैदर अली के कब्जे मे है ।

अविनाश :- क्या ! 

रक्षा मंत्री: - मुझे तो डर है के वो हैदर उससे कुछ बुलवा ना ले । उसके पास मुजाहिदीन और पाकिस्तान की आगे की प्लानिंग है । 

अविनाश :- वो हमारा सिपाही है सर । वो ऐसा कुछ नही बोलेगा । चाहे कुछ भी हो जाए ।

रक्षा मंत्री :- वो हैदर अलि बहोत ही शातिर और कमिना है । वो कुछ भी करेगा । पर उससे सब बुलवा कर ही रहेगा । और अगर इस ऐजेंट ने सब कबूल कर लिया तो बहोत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी ।

विजय :- तो अब क्या सर ।

रक्षा मंत्री :- राकेश ये भी खबर भोजी है के सिद्दिकी मुजाहीदीन मे कम उम्र के बच्चो को भी जिहाद के नाम पर हिंदुस्तान भेज रहा है ।

विजय :- क्या हम उस सिद्दीकी को मार नही सकते । ना रहेगा सिद्दीकी और ना रहेगी मुजाहीदीन ।

रक्षा मंत्री :- वही तो समझ मे नही आ रहा है । एक बार अगर वो सिद्दिकी और वो कागज हमे मिल जाता । तो हम पाकिस्तान को सबके सामने उसका असली चेहरा दिखा देता ।

अविनाश :- सर । अगर आप ऑर्डर दे तो मैं पाकिस्तान जाकर उसे ला सकता हूँ । और सिद्दिकी को मारकर वापस आ जाउगां ।

विजय :- तु कुछ भी मत बोल । पाकिस्तान के जेल से उसे लाने की बात कर रहे हो । जो नामुमकिन है । पकड़े जाओगे तुम अविनाश ।

रक्षा मंत्री :- नही अविनाश । मैं तुम्हें वहा जाने का परमिशन नही दे सकता । हमारा एक ऑफिसर उनके कब्जे मे है । मैं और रिस्क नही ले सकता ।

अविनाश :- पापा कुछ नही होगा मुझे । प्रॉमिश । मैं उसे लेकर आउगां । सर आप प्लीज मुझे ऑर्डर दिजिए । प्लिज सर , प्लिज पापा ।

रक्षा मंत्री विजय की और दैखता है तो विजय हां कर देता है । तब रक्षा मंत्री कहता है ।

रक्षा मंत्री :- ठिक है । पर , मेरी एक शर्त है । अगर तुम्हें लगे के तुम उसे नही ला पाओगे । तो तुम ऐसा कुछ भी नही करोगे के उन लोगो को तुम पर शक हो या तुम पकड़े जाओ ।

अविनाश :- ओके सर । मैं वादा करता हूँ ।

रक्षा मंत्री :- विजय आप इसके पेपर वर्क पुरा किजिये, मैं बाकी से बात करता हूँ । और तुम्हें अब कश्मीर जाने की जरुरत नही वहां का काम राकेश देख लेगा ।

इतना बोलकर रक्षा मंत्री वहां से चला जाता है । विजय अविनाश के पास आता है और कहता है ।

विजय :- तो फिर वो दिन आ ही गया , जिसका तुम्हें इंतजार था ।

अविनाश :- पापा , आप चितां मत करो । मैं वापस जरुर आउगां , आपके लिए ।

विजय :- बेटा , जिस काम के लिए तुम जा रहे हो , वो नामुमकिन है । पर वहां जाके एक काम जरुर करना । उस हैदर अली को जिंदा मत छोड़ना । उसे ऐसी मौत देना के मौत की भी रुह सांप जाऐ ।

अविनाश विजय के गुस्से को दैखकर हैरान था ।

अविनाश :- पापा ...! 

विजय :- हां बेटा । उस कमिने ने मेरे बीबी और मेरी बेटी को मार डाला था । उस दिन हम सब पाकिस्तान से हिंदुस्तान आ रहे थे । हमलोग ट्रेन पकड़ने ही वाले थे के तभी उस हेदर अली और उसके साथी ने हमपर गोलियां चलानी सुरु कर दी । मैने भी उन पर गोलियां चलायी , पर उधर से आ रही गोलियों से मुझसे मेरा परिवार छिन लिया । तबसे लेकर आज तक मैं कई बार पाकिस्तान जाने की कोशिश की , पर कभी मौका नही मिला । ( विजय अिनाश के कंधे पर हाथ रखकर कहता है ) बेटा तुझे मेरा और तुम्हारा हम दोनो का बदला लेना है । उसे छोड़ना नही बेटा । 

विजय अविनाश को जो बोलकर सुना रहा था वो विजय को धुधंला सा दिखाई दे रहा था ।

अविनाश :- पापा । मैं अपने भाई , अपनी माँ और बाबा का बदला जरुर लुगां । उस हैदर अली का दिन खतम । 



दृश्य 8



पाकिस्तानी जेल ।

पाकिस्तान का जेल जहां पर हैदर अली ने गौतम के सेल मे उस रॉ ऐजेंट को भी धकेल कर घुसाता है । उस ऐजेंट के पुरे शरीर पर घांव के निशान थे । गौतम उसे संभालता है । तभी वहां पर हैदर अली आता है ।

हैदर अली :- क्या बात है । एक हिदुंस्तानी के लिए इतना प्यार ।

विजय :- हिदुंस्तानी ! ( हैरान होकर कहता है ) ।

हैदर अली :- साला पाकिस्तान मे रह कर हिदुंस्तान के लिए जाशुशी कर रहा था । यही बात तो मुझे बुरी लगती है तुमलोगो मे । तु सौच रहा होगा के इसो मैं यहां पर क्यो लेकर आया , दैख रहा है ना इसका हालत । ये मैं तेरे साथ भी कर सकता था । अगर इसने अभी सब नही बताता है तो इसे तेरे सामने गोली मार दूगां । 

हैदर अली के बात पर वो ऐजेंट हल्की मुस्कान दे रहा था ।

गौतम :- नही , तुम इसे ऐसे नही मार सकते । तुम कोर्ट जा सकते हो ।

हैदर अली :- हा हा हा हा । गौतम गौतम । मैं कुछ भी कर सकता हूँ । देखोगे ।

इतना बोलकर हैदर अली अपना गन निकालता है और उस ऐजेंट पर धड़ा धड़ गोली चला देता है । जिससे उस ऐजेंट की वही पर मौत हो जाती है । 

ये दैखकर गौतम गुस्सा जाता है और कहता है ।

गौतम :- हैदर अली । तेरा पाप का घड़ा भर चुका है । ( तभी अविनाश की पाकिस्तान मे एंट्री होता है ।) ये जो तुझे जान लेने मे मजा आता है ना । एक दिन तु अपनी जान के लिए भिख मांग रहा होगा । ( अविनाश पाकिस्तान की गलियों को दैख रहा था ) । और तुझे माफी नही मिलेगी । मैं तेरी आंखो मे तेरी मौत को दैख रहा हूँ । 

हैदर अली :- हा हा हा हा । मेरी मौत । मैं चाहूँ तो तुझे अभी मौत के घाट उतार सकता हूँ । 

गौतम :- तो मार ना , ले मार , अरे मौत से कौन डरता है । अगर किसी दिन मैं यहां से आजाद हो गया ना हैदर अली । तो मौत का डर क्या होता है , मैं तुझे बताउगां । 

हैदर अली :- सपने दैखना अच्छी बात है मेजर । हैदर अली के जेल बाहर का सपना खतरनाक है । क्योंकी जो एक बार हैदर अली के जेल मे आ जाता है , तो फिर वो बाहर तो जा सकता है मगर जिदां नही । तेरा भी दिन आएगा मोजर । तेरी मौत मेरे हाथो ही होगी ।

इतना बोलकर हैदर अली वहां से चला जाता है । इधर अविनाश पाकिस्तान मे अपना नाम बदलकर नकली आईडी बनाकर आ जाता है ।



दृश्य 9



मेहेक को कुछ लोग मारने के लिए आ रहा था ।

अविनाश इधर से जा रहा था तभी एक लड़की जिसका नाम मेहेक है वो अविनाश से आकर टकरा जाती है । वो बहोत डरी हूई थी । वो अविनाश की और दैखती है और कहती है ।

मेहेक :- हेल्प प्लिज । मुझे बचा लिजिए । वो ... वो लोग मुझे मारने आ रहे है ।

अविनाश :- रिलैक्स । कुछ नही होगा । 

तभी वहां पर कुछ लोग अपना मुह ढक के अविनाश को घेर लेता है । उनमे से एक कहता है ।

एक आदमी :- ऐ हिरो , चुप चाप यहां से चला जा । वरना इसके साछ साथ तुझे भी उपर पहुचां देगें ।

अविनाश :- जो लड़कियों और औरतों पर हाथ उठाता है वो अशल मे मर्द ही नही होता । अगर तुमलोग अपनी जान की सलामती चाहते हो तो यहां से चले जाओ ।

एक आदमी :- इसकी हिरो गिरी निकालो रे ।

उस आदमी के इतना कहने पर सभी अविनाश को तलवार से मारना चाहता था । सभी अविनाश को मारने की कोशिश करता है पर अविनाश उन सबसे बच जाता है । तब उनमे से एक मेहेक को तलवार से वार करता है , अविनाश मेहेक को अपनी और खिंच लोता है । जिससे मेहेक बच जाती है पर अविनाश की बाजु मे छोटा सा घांव लग जाता है । तब अविनाश उन सबको बहोत मारता है । और मेहेक को बचा लेता है । 

अविनाश से मार खाने के बाद वो सभी वहां से भाग जाता है ।

सभी वहां से भाग जाता है , मेहेक अविनाश की और दैखती है , अविनाश मेहेक के पास जाता है और कहता है ।

अविनाश :- आप ठिक हो ?

मेहेक हल्की मुस्कान देती है और कहती है ।

मेहेक :- चोट आपको लगी है और आप मुझसे पुछ रहे हो ।

मेहेक अपना दुप्पटा फाड़ती है और अविनाश के हाथ पर बांधती है ।

मेहेक :- खुदा का सुक्र है के आपके वजह से मैं बच गई । पर मेरे कारण आपको चोंट लग गई । उफ् कितना खुन निकलने लगा ।

अविनाश :- इसकी चितां आप ना करे । ये कुछ दिन मे ठीक भी हो जाएगा । पर यो लोग कौन थे और आपको क्यों मारना चाहते थे ।

मेहेक :- होगें मेरे अब्बु के दुश्मन । उनकी इंमारदारी के लिए बहोत लोग उनके दुश्मन बन गए है ।

मेहेक के इतना कहते ही , वहां पर हैदर अली और बहोत सारी गाड़ी खड़ी हो गई । मेहेक और अविनाश वही पर खड़ा था । अविनाश को लगा के ये भी मेहेक को मारने आ रहे है । तो अविनाश मेहेक का हाथ पकड़ा और उसे प्रोटेक्ट करने लगा । 

तभी गाड़ी से हैदर अली उतरता है । हैदर अली को दैखकर अविनाश हैरान हो जाता है और गुस्से से दैखने लगता है । तभी मेहेक हैदर अली को दैखकर उसकी और भागती है ।

मेहेक :- अब्बू ।

मेहेक हैदर अली के गले लग जाती है । अविनाश ये सब दैखकर हैरान था । 

हैदर अली :- आप ठिक तो है ना बेटा ?

मेहेक :- जी अब्बु । अगर वक्त पर ये नही आए होते तो वो लोग तो मुझे ।

हैदर अली अपने सिपाहीयों से कहता है ।

हैदर अली :- तुम लोग जाओ और ढुंडकर लाओ मेरे पास उसे ।

हैदर अली अविनाश के पास ऐसा है और कहता है ।

हैदर अली :- तुम्हारा बहोत बहोत सुक्रिया नौजवान । 

अविनाश :- जी कोई बात नही जनाब । ये तो मेरा फर्ज था ।

मेहेक :- अब्बू इन्हे चोट भी आई है । क्या हम इन्हें अपने घर ले जाकर इनका इलाज करे ।

अविनाश :- अरे नही नही । आप क्यों तकलीफ करेगी मैं कर लुगां । 

हैदर अली :- कोई बात नही नौजवान । मेरी बेटी की जान बचाई है तुमने । वो मेरी जान है और मैं अपनी जान की बात को कभी नही टालता । इसिलिए तुम्हें तो चलना ही पड़ेगा । 

अविनाश :- जी बेहतर ।

हैदर अली अपने सिपाहीयों से कहता है ।

हैदर अली :- इनका सामान गाड़ी मे डालो ।

अविनाश का सामान वो लोग गाड़ी मे डालकर सभी वहां से चला जाता है ।




दृश्य 10



गुलाम खान का घर ।

गुलाम खान का घर जहां पर गुलाम खान कुछ टेंशन मे थे , तभी वहां पर गुलाम खान का बेटा ताहिर आता है । ताहिर को काफी चोंटे आई थी । वो लगंड़ाते हूए वहां पर आता है ।

ताहिर को दैखकर गुलाम खान भागकर ताहिर के पास आता है और उसे पकड़कर अंदर लेकर जाता है ।

गुलाम :- ये सब क्या है । क्या हैदर अली के साथ तुम्हारा लड़ाई हूआ ?

ताहिर :- नही अब्बू । हमलोग बस मेहेक को पकड़ ही लेते पर उसी वक्त एक लड़का आकर अकेले हम सबकी यो हालत कर दी और उसे बचा लिया । पता नही कौन था वो । हमलोग जान बचाकर भागे वहां से । पाकिस्तान मे ऐसा कोई पहली बार दैखा ।

गुलाम :- अल्लाह की मोहरबानी के सब ठिक है और बाकी सब कहां पर है ? 

ताहिर :- मैने सभी को कोठी पर रखा है । वहां पर वो लोग मेहफूज है ।

गुलाम :- या अल्लाह । और कितनी इंतेहा लेगा तु । 



दृश्य 11




हैदर अली का घर ।

हैदर ता घर जहां पर अविनाश बैठा था और मेहेक अविनाश के घांव पर दवाई लगा रहा था । जिससे अविनाश को दर्द हो रहा था ।

मेहेक :- बस थोड़ा सा और । हो गया ।

दवाई लगाने के बाद मेहेक वहां से उठती है और जैसे अपना पांव आगे करती है के वो फिसल जाती है तभी अविनाश उसे संभाल लेता है और उसे गिरने नही देता है । मेहेक बस एक टक अविनाश को ही दैख रही थी । तब हैदर अली आकर कहता है ।

हैदर अली :- संभल कर बेटा ।

हैदर के आने से अविनाश और मेहेक अलग होता है ।

हैदर अली :- दैखकर बेटा । हर वक्त ये आपके साथ नही रहेगें । अरे मैने तो तुम्हारा नाम भी नही पूछा । 

अविनाश :- जी मेरा नाम शाहिद है । मैं आज ही हिंदुस्तान से आया हूँ ।

हिदुंस्तान का नाम सुनकर हैदर अविनाश की और शक की नजरो से दैखता है । 

हैदर अली :- हिदुंस्तान से आए हो ! यहां पर किससे मिलने आए हो ?

अविनाश :- जी वो यहां पर मेरे अब्बु के दोस्त रहते है । गुलाम खान । बंटवारे के बाद अब्बु वही रह गए थे और गुलाम चाचा यहां पर आ गए । अब्बु की तबियत ठिक नही रहती तो मैं ही चला आया । सौचा आखरी बार अब्बु से उनकी मुलाकात करा दूँ ।

हैदर अली :- गुलाम खान कहां रहते है तुम्हें पता है ?

अपने जेब से एक पर्ची निकालता है , जिसमे गुलाम खान का पता लिखा था ।

अविनाश :- जी , ये रही उनका पता । मैं तो वही जा रहा था , तभी वो बदमाश ...! 

हैदर अली :- ठिक है , चलो मैं तुम्हें पहूँचा देता हूँ । मुझे मालूम है वो कहां पर है ।

अविनाश :- जी आप क्यों तकल्लुफ कीजियेगा । मैं खुद चला जाउगां ।

हैदर अली :- अरे मिया , आपने मेरे बेटी की जान बचायी है आपके लिए ये हैदर अली गुलाम खान तो क्या , कहीं भी जा सकता है ।

अविनाश :- ऐसी बात है , तो चलिए ।

मेहेक अविनाश की और प्यार से दैखती है । अविनाश और हैदर वहां से गाड़ी लेकर वहां से चला जाता है ।



दृश्य 12



गुलाम खान का घर जहीं पर गुलाम खान अपने घर पर बेटे ताहिर के साथ बैठा था । तभी वहां पर हैदर अली की गाड़ी रुकती है । गाड़ी की आवाज सुनकर ताहिर बाहर आता है । 

ताहिर दैखता है के गाड़ी से अविनाश उतरता है और उसके साथ हैदर अली भी है । हैदर अली और अविनाश को साथ दैखकर ताहिर समझता है के अविनाश ने ताहिर को पहचान लिया है और हैदर को उसे पकड़ने के लिए लेकर आया है । 

ताहिर भाग कर घर के अंदर जाता है तो गुलाम ताहिर से पूछता है ।

गुलाम खान :- क्या बात है बेटा , कौन है बाहर ?

ताहिर :- अब्बू । बाहर वही लड़का है जो मुस्कान को हमसे बचा लिया था और वो हैदर को साथ मे लेकर आया है ।

गुलाम :- या अल्लाह । 

ताहिर :- अब्बू । लगता है उसने मुझे पहचान लिया है । अब कोई रास्ता नही बचा । अगर हैदर मुझे पकड़ता है तो वो मुझे मार देगा । इससे अच्छा है मैं ही उसे मार दूँ । अब्बू आप बाहर उसे बातो मे उलझाई । मैं हैदर अली को आज यही मार दूगां ।

गुलाम खान :- ठिक है ।

गुलाम बाहर आता है और हैदर को दैखकर थोड़ा घबराता है पर अपने आपको संभालते हूए वो हैदर के पास जाता है ।

गुलाम खान :- जनाब आप यहां ?

हैदर अली :- क्या करु गुलाम साहब । काम ही कुछ ऐसा है के मुझे आना पड़ा । 

गुलाम खान :- बात क्या है जनाब ।

ताहिर अपना बंदुक से हैदर अली को निशाना बनाता है ।

हैदर अली :- इस नौजवान की वजह से आज मेरी मुस्कान महफूज है । इसने मेरी बेटी की जान बचाई है । और पता है ये किससे मिस़लने आया है । ये तुमसे मिलने के लिए हिंदुस्तान से आया है ।

हैदर अली से ये सुनकर ताहिर अपनी बंदूक को रख देता है ।

गुलाम खान :- हिंदुस्तान से । मुझसे मिलने ।

अविनाश गुलाम खान के पास जाता है और कहता है ।

अविनाश :- सलाम वालेकुम गुलाम चाचा ।

गुलाम खान :- वालेकुम अस्सलाम । मैने तुम्हों पहचाना नही बेटा ।

अविनाश :- पहचानोगे कैसै चाचा । हम कभी मिले ही नही । आप मेरे अब्बु को जानते थे अमजद का बेटा हूँ मैं । बंटवारे के बाद वो वही रह गए और आप यहां चले आए । उन्होंने ही मुझे आपके पास भेजा है । उनकी तबियत ठीक नही है तो उन्होंने आखरी बार आपसे मिलने की गुजारिश की है । उन्होने आपको खत भी लिखे पर आपका कोई जवाब नही आया । इसिलिए इन्होनें मुझे भेजा है ।

अविनाश की बात को सुनकर गुलाम खान परेशान हो जाता है । वो समझ नही पा रहा था के अविनाश किसके बारे मे बात कर रहा है ।

तब अविनाश गुलाम खान के हले लगता है और उसको कान मे धिरे सो कहता है ।

अविनाश :- चाचा मैं अविनाश । गौतम का बेटा । बचपन मे मैं हिंदुस्तान चला गया था ।

अविनाश की बात को सुनकर गुलाम खुश हो जाता है । पर गुलाम अविनाश को किस नाम से पुकारे । तब अविनाश कहता है ।

अविनाश :- मैं शाहिद । अमजद खान का बेटा । आपने तो मुझे दैखा भी नही था ।


गुलाम खान :- मासाह अल्लाह, सुभान अल्लाह, तुम इतने बड़े हो गए हो । या अल्लाह, मुझे माफ कर देना बेटा मैं तुम्हें पहचान नही पाया ।

हैदर अली :- चलो अच्छा है , तुम्हें याद तो आया । अच्छा शाहिद मैं चलता हूँ , फिर मुलाकात होगी । 

अविनाश :- जी जरुर । सुक्रिया जनाब ।

हैदर अली वहां ये चला जाता है , तभी वहां पर ताहिर भी आता है और कहता है ।

ताहिर :- अब्बु । आपका कौन सा दोस्त हिंदुस्तान मे रहता है ?

गुलाम खान :- अविनाश ये है मेरा बेटा ताहिर । ताहिर ये है अविनाश, मेरे दोस्त मेरा भाई गौतम का बेटा । हिंदुस्तान से मुझसे मिलने के लिए आया है ।

ताहिर :- क्या ! ये गौतम चाचा का बेटा है ? 

अविनाश :- मैं यहां पर एक काम से आया हूँ । जिसके लिए मैं यहां आपके पास आया हूँ । आपके अलावा यहां मुझे कोई नही जानता है ।

गुलाम खान :- मैं जानता था । तु एक दिन जरुर आएगा । अपने बाप को बचाने के लिए तु जरुर आएगा ।

अविनाश अपने बाबा के बारे मे सुनकर हैरान हो जाता है । वो तो जानता था के उसके पापा मर गए है ।

अविनाश :- बाबा को बचाने ! बाबा ...! चाचा मेरे बाबा जिंदा है ?

गुलाम खान :- हां बेटा । क्यों तुझे नही पता । मुझे तो लगा के तु यहां पर अपने बाबा के लिए आया है । फिर किस लिए आया है तु ।

अविनाश के आंखो से आंसु बहने लगते है । 

अविनाश :- मैं यहां आया था अपने बाबा के कातिल हैदर अली का खुन करने के लिए । उससे बदला लेने के लिए । चाचा कहां है मेरे बाबा ?

गुलाम खान :- बेटा वो । 

ताहिर :- तुम्होरे बाबा हैदर अली के गिरफ्त मे है । वो उन्हें 20 साल से कैद करके रखा है । आज मैं और मेरे कुछ साथी उसकी बेटी को किडनैपर करने गया था । सौचा था उसकी बेटी को पकड़कर उससे गौतम चाचा जान की रिहाई मांगूंगा । मगर भाईजान आप वहां पर आकर हम सबकी ऐसी धुलाई की , के हमे वहां से भागना पड़ा ।

अविनाश :- मुझे माफ करदो मेरे भाई । ये मैने क्या कर दिया । अपने भाई समान लोगो पर ही हाथ उठा दिया । आपलोग मेरे बाबा के लिए इतना कुछ कर रहे है और मैं वहां हिंदुस्तान मे ये सोचता रहा के मेरे बाबा है ही नही ।

गुलाम खान :- दिल छोटा ना कर बेटा । जो होता है खुदा की मर्जी से ही होता है । तु यहां आ गया , अब हम सब मिलकर उस हैदर को जहन्नुम तक पहूँचाएगे ।

अविनाश :- चाचा ये सब कैसे हूआ । उस दिन तो बाबा को गोली लगी थी ना ।

गुलाम खान :- उस तुम्होरे बाबा तुम्हें ट्रेन मे बैठाकर जैसे ही स्टेशन के बाहर आया ।

गुलाम खान इतना बोलकर उस पल मे चला जाता है , जब गौतम अविनाश को ट्रेन मे बैठाकर स्टेशन के बाहर आता है ।




दृश्य 13



रेलवे स्टेशन 

गौतम स्टेशन के बाहर जाता है , अविनाश गौतम को दैखता है । जैसे ही गोतम बाहर जाता है , उसके पिछे हैदर अली भी जाता है । तभी वहां पर उस्मान और गुलाम खान पहूँच जाता है । उन दोनो को दैखकर गौतम हैरान होकर पूछता है ।

गौतम :- गुलाम तुम यहां और सर आप क्यों आए यहां पर ।

गुलाम :- ओए यार मैं क्या करता , जनाब ने मुझे जबरदस्ती यहां लेकर आ गए । 

उस्मान :- गौतम , तुमने इस देश की इतनी सेवा की हैै । तो मेरा भी तो फर्ज बनता है तुम्हें हिंदुस्तान पहुंचाने का । अब दैर मत करो अविनाश कहा पर है ।

गौतम :- जी वो ट्रेन मे है ।

उस्मान :- गौतम तुम अपना जैकेट मुझे दो ।

गौतम :- क्यों सर ?

उस्मान :- जल्दी करो वरना ट्रेन छुट जाएगी । सवाल मत करो । 

गौतम अपना जैकेट उतारकर उस्मान को दे देता है । उस्मान गौतम का जैकेट पहन लेता है और हैदर को भटकाने के लिए वहां से दुसरी और भागता है । इधर गौतम हैदर के नजरो से बचते हूए ट्रेन मे चड़ जाता है । तभी हैदर उस्मान को गोली मार देता है । और अविनाश उस्मान को अपना बाबा समझ लेता है । गोली लगने के बाद हैदर अली उस्मान को पहचान लेता है ।

हैदर अली :- उस्मान मियां !

गोली लगते ही गौतम ट्रेन से उतर जाता है और हैदर से पहले गौतम उस्मान के पास पहूँच जाता है । गौतम को दैखकर उस्मान कहता है ।

उस्मान :- ये तुमने क्या किया बेवकुफ । ट्रेन से क्यों इतर गए ।

गौतम :- सर मैं एक फौजी हूँ और आपकी जान बचाना मेरा फर्ज है । लाईए वो जैकेट मुझे वापस दिजिए ।

उस्मान :- नही गौतम तुम जाओ । तुम्हारा बेटा तुम्हारा इंतजार कर रहा है ।

गौतम :- उसका कोई कुछ नही कर सकता है सर । वो मेरा बेटा है । अगर मैं आज पकड़ा भी गया ना तो दैखना एक दिन वो यहां जरुर आएगा । सर जैकेट दिजिए ।

उस्मान गौतम को वो जैकेट वापस दे देता है । 

गौतम :- गुलाम भाई तुम उस्मान सर को जल्दी यहां से लेकर जाओ और इनका इलाज कराओ । हमे इनको सुरक्षित रखना है । क्योंकी सर आप ही मेरे बेगुनाही का सबुत हो ।

गौतम की बात को मानकर गुलाम उस्मान को वहां से लेकर चला जाता है । फिर गौतम हैदर अली को बहोत दैर चकमा देता है । पर अंत मे उन्हें हैदर अली पकड़ लेते है । गुलाम खान उस्मान को अपने कोठी पर लेकर चला जाता है और वही पर उनका इलाज कराता है । 

कुछ दिन बाद उस्मान को होश आता है । पर उस्मान अपना यादाश्त खो बैठता है । उसे कुछ भी याद ही आता है । 

उस्मान :- मैं ... कौन हूँ , कहा हूँ । मुझे कुछ याद क्यों नही आ रहा है ।

गुलाम :- जनाब आप उस्मान मलिक है । और आप पाकिस्तान फोज के जनरल हो ।

उस्मान :- मुझे कुछ याद क्यों नही आ रहा है ।

इधर हैदर अली गौतम पर बहोत टार्चर करता है ।

हैदर अली :- बता साले । उस्मान किसके पास है । वरना तुझे ऐसी मौत दुगां के तेरी रुह भी कांप उठेगी ।

गौतम एक हल्की मुस्कान देता है और कहता है ।

गौतम :- मार दे मुझे हैदर , वरना कही ऐसा ना हो के तुझे मेरे ही हाथो मरने पड़े और तब तुझे दु:ख हो के इसे पहले क्यों नही मारा ।

हैदर अली :- तु और तेरा वो उस्मान बहोत जल्द दोनो मेरे हाथो से मरोगे ।

हैदर अली इतना बोलकर गौतम को मारता है तो गौतम हैदर अली की टॉर्चर से बोहोश हो जाता है । उस्मान और उसके दो साथी के जगह पर हैदर अपने लोगो का प्रमोसन करा देता है । हैदर अली उन दोनो सिद्दीकी और जहिर के मदद से गोतम को देश द्रोही साबित कर उसे जेल भेज देता है ।



दृश्य 14




गुलाम खान का घर ।


गुलाम खान अपने उस पल से इस पल मे आ जाता है । गुलाम की बात को सुनकर अविनाश आंखो से आंशु आ जाता है । तब गुलाम खान कहता है ।

गुलाम खान :- गौतम तेरा कबसे आश दैख रहा है बेटा । बस तुने ही आने मे दैर कर दी । बेटा बचा ले अपने बाबा को रे । उसे और मत तड़पने दे ।

अविनाश :- चाचा । मुझे लगा था मेरे बाबा है ही नही । पर किस्मत ने मुझे यहां तक लेकर आया है । तो मैं आपसे वादा करता हूँ । कि मैं पाकिस्तान से अकेला नही जाउगां । अपने बाबा को लेकर ही जाउगां ।

ताहिर :- और इसके लिए हम सब तुम्हारे साथ है ।

अविनाश :- मैं किस तरह से आप लोगो का सुक्रिया करु समझ नही आ रहा है । आप लोगो ने मेरे बाबा को बचाने के लिए अपने आप तक को खतरे मे डाल दिया । और यहां पर आकर मैने आप लोगो की मुसीबत और बड़ा दिया । 

गुलाम :- ऐसा मत कहो बेटा । गौतम मेरा दोस्त है और उसने मेरे और परिवार के लिए बहोत कुछ किया है । ये जो मैं कर रहा हूँ वो तो कुछ भी नही है । और तुने आके कोई मुसीबत नही बड़ाई है ।

अविनाश :- नही चाचा । अगर हैदर को पता चल गया के मैं कौन हूँ तो मेरे साथ साथ आप सभी मुसीबत मे पड़ जाओगे ।

ताहिर :- वो सब मत सोचो । ये सोचो के गौतम चाचा जान को वहां से बाहर कैसे लाए । वैसे भी तुमने तो हैदर अली का भरोसा भी जीत लिया है । अब उनके घर तक तुम आशानी से जा सकते हो । कल हम दरगाह जाके चाचा जान की रिहाई का फरियाद करेगें ।

अविनाश :- चाचा ! क्या मैं उस्मान चाचा से मिल सकता हूँ ।

गुलाम :- हां क्यो नही । चलो ।

इतना बोलकर अ

गुलाम अविनाश को अपने कोठी लेकर जाता है । वो कोठी अब एक खंडर बन गया था । अविनाश इधर दैखता है वो हैरान था के इस खंडर मे इन्होने उस्मान को कैसे रखा होगा । गुलाम , ताहिर और अविनाश वहां पर पहूँच जाता है । गुलाम इधर उधर दैखता है । और अविनाश को लेकर अंदर तला जाता है । अंदर का हालत बहोत ही खराब था । ऐसा लग रहा है जैसै कोठी अभी गिर जाएगी । चारो तरफ पेड़ पौधे उगा हुआ था 

अविनाश :- चाचा । यहां पर ।

गुलाम :- हां बेटा । ये जगह दैखने मे खंडर है पर आओ तुम्हें यहां का एक रहस्य दिखाता हूँ । 

गुलाम अविनाश को खंडर के अंदर एक मकान मे लेकर जाता है । वहां पर एक बड़ा सा दिवार था । गुलाम खान दिवार को दैखता है और फिर एक कोने मे जाकर उस दिवार को धक्का देता है जिससे दिवार के निचे कोमे का हिस्सा खुल जाता है । वहां से निचे जाने के लिए एक सिड़ी बना हूआ था । अविनाश ये दैखकर हैरान हो जाता है ।

गुलाम :- आओ बेटा । अंदर आओ । 

सभी अंदर चला जाता है , फिर गुलाम उस गेट को अंदर से बंद कर देता है । अंदर का नजारा देखकर अविनाश एक दम से हैरान था । अंदर एक बबोत ही सुंदर घर था । जहां पर सब कुछ था खाने पिने का सामान । नहाने के लिए पानी , किचन , सोफा , सोने के लिए बिस्तर सब कुछ था । तभी अविनाश का नजर उस्मान पर जाता है । जो देखने मे बिलकुल तंदुरुस्त था । गुलाम को दैखकर उस्मान खुश हो जाता है और गुलाम के पास आ जाता है ।।

गुलाम :- अस्सलाम वालेकुम जनाब ।

उस्मान :- वालेकुम अस्सलाम गुलाम भाई ।

गुलाम :- और सब खैरियत ? 

उस्मान :- सब खैरियत ही है । पर पता नही तुम मुझे यहां पर और कितने दिनो तक रखोगे । वो हैदर मरा के नही । उसके वजह से तुमने मुझे यहां पर छुपा कर रखा है 

गुलाम :- वो मरा तो नही , पर बहोत जल्द मरने वाल है , क्योंकी उसे मारने वाला अब आ गया है ।

उस्मान :- कौन है वो ?

गुलाम :- ये , अविनाश । अपने गौतम भाईजान का बेटा ।

उस्मान :- गौतम । हां तुमने बताया था गौतम के बारे मे के उसने मेरी जान बचाने के लिए अपना जान को दांव पे लगा दिया था ।

गुलाम :- जी जनाब । ये उसी गौतम का बेटा है । ये आपसे मिलना चाहता था । इसिलिए इसे यहां पर लेकर आ गया ।

अविनाश को दैखकर उस्मान उसे दैखता है और फिर कहता है ।

उस्मान :- तुम्हारे अब्बु बहोत बहादुर है । मुझे तो याद नही है । पर इन सबसे बहोत किस्से सुनी है मैने उनकी । बेटा । मेरी यादास्त आये या ना आए । पर तुम उस हैदर को बिना मारे कही जाना है । उसे ऐसी मौत देना के उसकी रुह कांप जाये ।

अविनाश :- जी जनाब ।



दृश्य 15



मेहेक का घर ।

मेहेक अपने घर मे बैठकर अविनाश के बारे मे सौच रही थी । जब अविनाश उसे गिरने से बचाया था । वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी । 

तभी वहीं पर रुखसार आती है । वो दैखती है के मेहेक किसीके यादों मे खोयी है , रुखसार चुपके से मेहेक के पास आती है और उसके पास बैठ जाती है । रुखसार के आने का मेहेक को जरा सा भी भनक नही लगता है । वो बस मन ही मुस्कुराए जा रही थी ।

तभी मेहेक को हैदर अली पुकारता है ।

हैदर अली :- मेहेक । मेहेक । बेटा मेहेक ।

हैदर अली के पुकारने से मेहेक अविनाश के यादो से बाहर आती है और जैसे ही उठती है तो वो दैखती है के वहां पर उसके सामने रुखसार बैठी थी । रुखसार को दैखकर मेहेक कहती है ।

मेहेक :- अरे रुखसार , तु कब आयी ?

रुखसार :- जब तुम सपने मे इश्क फरमा रही थी । तो आखिर मुस्कान को उसकी जान मिल ही गयी । 

मेहेक :- क्या तु भी । कुछ भी मत बोल ।

हैदर अली :- अरे बेटा । कहां है आप । मुझे दैर हो रही है । मेरा रुमाल नही मिल रहा है ।

मेहेक :- जी अब्बु, अभी लाई ।

मेहेक हैदर अली को रुमाल देने जा रही थी के रुखसार मेहेक का हाथ पकड़ लेती है और कहती है ।

रुखसार :- तु सबसे छुपा सकती है । पर मैं तेरा बचपन का दोस्त हूँ । तेरी आंखे बता रही है के तुझे प्यार हो गया है । कौन है वो मुझे भी तो बता ।

तभी हैदर अली वहां आ जाती है ।

हैदर अली :- ये दैखो । रुमाल आपके हाथ मे है और आप यहां पर हो । मैं कबसे आपको आवाज दे रहा हूँ ।

मेहेक :- माफी चाहती हूँ अब्बू । वो रुखसार पुछ रही थी के कल दरगाह जाना है । वो मेरा जन्मदिन है ना इसलिए ।

हैदर अली :- कल आपका जन्मदिन है और मैं भुल गया । माफ कर बेटा । अच्छा हूआ आपने आज याद दिला दिया । कल आप दरगाह जरुर जाना । और हां कल आपके जन्मदिन के मौके पर मैं एक पार्टी दुगां एक शानदार पार्टी । और हां आप वो उसे भी बुला लिजिए । वो क्या नाम था उस लड़के का ।

मेहेक :- शाहिद ।

शाहिद का नाम लेने पर रुखसार हल्की मुसेकान देती हैै ।

हैदर अली :- हां वो शाहिद को । अच्छा मैं चलता हूँ । मुझे दैर हो रही है ।

रुखसार मेहेक को कोनी मारती है और कहती है ।

रुखसार :- अच्छा तो आप जिसके ख्यालो मे थी उस जनाब का नाम शाहिद है ।

मेहेक सरमा जाती है । और चुप रहती है तो रुखसार फिर कहती है ।

रुखसार :- ओय होय । सरमा क्यूं रही है । अच्छा ये बता तुने उसे दिल की बात बताई के नही ?

मेहेक :- ओहो । कल ही तो मिली उससे । एक दिन के मुलाकात मे अपने दिल की बात कैसे कर दूँ ।

रुखसार :- अच्छा, तो आपकी और उनकी मुलाकात एक दिन की है । और एक दिन मे उन्होनें ऐसा क्या जादू कर दिया । के आप उनके ख्यालो मे खोने लगी । 

मेहेक :- कल तु खुद दैख लेना ।




दृश्य 16



पाकिस्तानी दरगाह ।

सुबह का समय , अविनाश और ताहिर दरगाह मे आता है । दरगाह मे सुफी गाना गा रहा होता है । ताहिर और अविनाश दोनो ही वहां पर चादर चड़ाता है , तभी वहां पर मेहेक और रुखसार आती है । वो दोनो भी दरगाह के अंदर जाती है , जहां पर अविनाश और ताहिर दुआ मांग रहा था । 

मेहेक भी वहां पर जाती है और अविनाश को दैखती है । वो बस अविनाश को दैखती रहती है । जब अविनाश दुआ करके अपनी आंखो खोसता है तब मेहेक अपनी आंखो फट से बंद कर देती है । तब अविनाश वहां से उठना चाहता है तो अविनाश की नजर मेहेक पर जाता है । अविनाश मेहेक की मासुम चेहरा और खुबसूरती को दैखते रह जाता है ।

मेहेक अपनी आंखे खोलता है और अविनाश की और दैखता है । अविनाश अभी भी मेहेक को एक टक दैखे जा रहा था । जिससे मुस्कान सरमाने लगती है । अविनाश को इस तरह से मुस्कान की और दैखने से रुखसार कहती है ।

रुखसार :- अरे वाह । आपलोगो को तमीज है की नही । दरगाह आए हो और ऐसी हरकत कर रहे हो ।

रुखसार के इतना कहने पर मेहेक कहती है ।

मेहेक :- आप । मैं आज आपके पास ही जाने वाली थी ।

अविनाश :- मेरे पास !

मेहेक :- जी वो , आज मेरा जन्मदिन है । तो अब्बू ने कहा है के आप आज शाम को पार्टी मे शामिल रहे ।

अविनाश :- जी मैं जरुर आउगां । सुक्रिया । पर मुझे आपके अब्बु ने बुलाया है या आप ?

मेहेक :- मैं बुलाउ या अब्बु । इसमे क्या है ?

अविनाश :- बात है , तभी पुछा है ।

मेहेक :- क्या बात हो सकती है ?

अविनाश मेहेक पास आता है और उसके कान मे धिरे ये कहता है ।

अविनाश :- सब आज ही बता दूँ क्या ।

अविनाश की बात को सुनकर मेहेक सरमाते हूए वहां से दुसरी तरफ दैखती है । हां पर एक छोटा बच्चा अपने पिठ पर बेल्ट से मार रहा था । ताकी लोग उसे कुछ पैसा दे दे । लोग उस बच्चे को खड़ा होकर दैख रहा था । तभी मेहेक वहां पर जाती है और कहती है ।

मेहेक :- अरे बेटा रुक जाओ , ये क्या कर रहे हो ! तुम्हें दर्द नही हो रहा है ।

बच्चा अपने आंख से आंसु पोछता है और कहता है ।

बच्चा :- दर्द तो हो रहा है । 

मेहेक :- ये क्यों कर रहे हो ।

बच्चा :- मेरी माँ बिमार है इलाज के लिए 10000 रु० चाहिए । और मेरे पास इतने पैसा नही है , तो एक अंकल ने कहा के जब तक लोगो को दर्द नही दिखता तब तक कोई पैसा नही देगा । इसिलिए मैं अपने आपको दर्द दे रहा हूँ । 

इतना सुनकर मेहेक और अविनाश उस बच्चे के पास बैठ जाता है ।

मेहेक :- तुम्हारे अब्बु नही है ।

बच्चा :- नही । मैं अकेला हूँ । और मैं अपने माँ को कुछ नही होने दूगां ।

उस बच्चे की बात ने मेहेक और अविनाश को हैरान कर दिया था ।

तभी भीड़ से एक आदमी कहता है ।

आदमी :- अरे ये सब इनका धांधली है ।

मेहेक :- शर्म नही आती आप लोगो को । एक छोटा बच्चा अपने आपको दर्द दे रहा है अपनी को बचाने के लिए और आपलोग इसका मदद करने के बजाए इसे धांधली कहते हो । इसका दर्द दिखाई नही देता आपलोगो को । बेटा तुम चिंता मत करो ( मेहेक उस बेल्ट को फेंक देती है ) मैं तुम्हारी माँ का इलाज कराउगीं । तुम कहां रहते हो ?

बच्चा :- मैं , मैं यही पास मे ही रहता हूँ वो एक बड़ी वाली तलाब है ना वही पर । आप किसीसे भी पूछना के अहान का घर कौन सा है सब बता देगें ।

मेहेक :- बेटा अभी तुम घर जाओ , मेरे पास अभी उतना पैसा नही है , मैं तुम्हारे घर आज शाम तक पैसा भिजवा दूगीं । और ये सब कुछ करने जरुरत नही है । तुम अपनी माँ को ठिक करो उसके बाद मुझसे मिलना , मैं तुम्हार एडमिशन एक अच्छे स्कुल मे करा दूगी । अभी ये रखो । 

मेहेक उसे एक हजार रुपया देता है । तब अविनाश भी उसे 2 हजार देता है । और ताहिर 1 हजार देता है ।

अविनाश :- ये मेरे तरफ से । उसके बाद जरुरत पड़े तो बताना ।

वो बच्चा पैसा लेकर वहां से खुश होकर चला जाता है । अविनाश मेहेक को मदद करते दैख खुश हो जाता है । मेहेक वहां से उठती है और कहती है ।

मेहेक :- थेक्स । उस बच्चे की मदद करने के लिए ।

अविनाश :- अरे थेक्स क्यों । ये तो सबको करना चाहिए । एक छोटा बच्चा अपने माँ के लिए इतना करता है तो हम तो उसकी थोड़ी मदद तो कर ही सकते है । आप चितां मत करो मैं उसे बाकी का पैसा दे दूगां । मेहेक अविनाश के बातो से उसकी और इंप्रेश हो जाती है और हां से जाने लगती है और कहती है ।

मेहेक :- आज शाम को आपका इंतजार रहेगा ।

ताहिर :- ये अच्छा मौका है भाईजान । आज शाम को सब पार्टी मे बीजी रहेगें और हम हैदर के घर मे जाकर ये पता लगा सकते है के चाचा जान को हैदर ने कहां पर रखा है । उसके पास कुछ ना कुछ कागजात तो होगा ।



दृश्य 17





मेहेक का घर ।

मेहेक का घर जहां पर आज मेहेक का जन्मदिन था । पार्टी शुरू हो रही थी सभी मेहमान आने लगे थे । मेहेक बहोत खुश होकर तैयार हो रही थी । 

रुखसार :- हाय अल्लाह , कितनी खुबशरत लग रही है तु मेहेक । दैखना आज तो तेरे वो तुझे दैखकर अपना आपा ना खो बैठे ।

मेहेक :- कुछ भी मत बोल । क्या वो मुझे दैखकर खुश होगा ?

रुखसार :- उसकी नजर आज सिर्फ तुम पर ही रहेगी । दैख लेना ।

रुखसार और मेहेक पार्टी के लिए बाहर आती है । हैदर अली मेहेक के पास जाती है ।

हैदर अली :- वाह । आज मेरी बेटी तो बहोत खुबशरत लग रही है । आओ तुम्हें कुछ लोगो से मिलाता हूँ ।

हैदर अली मेहेक को ले जाकर सबसे मिलाने लगता है । पर मेहेक की नजर बस अविनाश की और ही था । वो बार बार अपनी नजरो को इधर उधर घुमा रही थी । सभी पार्टी मे एक दुसरे से बात कर रहे थे । पर मेहेक को अविनाश कही नही दिख रही थी ।

मेहेक बोहोत परेशान हो जाती है , तब मेहेक अपने अब्बू से कहती है ।

मेहेक :- अब्बू मैं अभी आई ।

हैदर अली :- ठिक है बेटा ।

मेहेक परेशान होकर पार्टी मे अविनाश को ही ढुंड रही थी । पर अविनाश कही नजर नही आ रही थी ।

इधर अविनाश और ताहिर दोनो अपने मुह पर कपड़ा बांधता है ताकी कोई उन्हें पहचान ना सके । ताहिर और अविनाश एक दुसरे की और दैखता और अपना सर हां मे हिलाता है और दोनो ही दिवार कुच कर हैदर अली के घर मे घुस जाता है ।

इधर हैदर अली अपने दोस्तो से बात कर रहा था । जो उसके बेटी की शादी की बात कर रहे थे । जिससे मेहेक सुन लेती है और परेशान हो जाती है ।

सिद्दीकी :- हैदर अली साहब । आपकी बेटी अब शादी के लायक हो गई है । अगर तुम्हें एतराज ना हो तो ... मेरा बेटा इरफान और तुम्हारी बेटी मेहेक का निकाह कैसा रहेगा ।

हैदर अली :- आपकी बात से मैं... सहमत हूँ जनाब । पर मैं अपनी बेटी से पूछना चाहूगां । अगर उसकी रजामंदी है तो मुझे कोई एतराज नही है । 

सिद्दीकी :- वो तुम्हारी बेटी है हैदर । तुम जो बोलोगे उसे करना होगा । और वैसे भी इस रिस्ते से तुम्हारा ही फायदा होगा हैदर । मेरा बेटा तुम्हारी बेटी को पंसद करती है । 

हैदर अली :- अगर मेरी बेटी आपके बेटे को पंसद करेगी तो ही उसका निकाह होगा। वरना नही ।

सिद्दीकी :- मैंने आज तक अपने को किसी चिज के लिए ना नही कहा है हैदर । और मैंने तुम्हें भी कभी ना नही कहा है । तुम्हारे हर काम पर तुम्हारा साथ दिया है । जिस वजह से आज तुम यहां पर हो । याद है ना उस्मान वाली बात के भूल गए ।

हैदर अली :- आप मुझे धमकी दे रहे है । हैदर अली को । शायद आप भूल गए हो जनाब के मेरी बात ना मानने पर मैंने उन सबका क्या हाल किया था । अभी बहोत उम्र बाकी है आपकी । उसे कम करने की कोशिश मत किजिये । पार्टी मे आए हैं तो पार्टी इंज्वाई किजिये जनाब । 

हैदर अली इतना कहता ही है के तभी वहां पर आए गाने वाले ने गाना सुरु करता है । गाना सुरु होते ही मेहेक भी डांस करने लगती है । हैदर भी मेहेक के साथ डांस कर लेता है । फिर मेहेक भी गाना गाने लगती है । इधर गाना चल रहा था और उधर अविनाश और ताहिर हैदर अली के घर मे घुस कर कागजात चेक कर रहा था । 

अविनाश और ताहिर दोनो बहोत दैर तक ढुडता है पर कोई सबूत नही मिलता है । जिससे अविनाश परेशान हो जाता है । फिर ताहिर को एक कागज मिलता है , जिसे वो अविनाश को दिखाता है । अविनाश देखता है के उसमे उस रॉ ऐजेंट का फोटो है और उसके साथ वो कागज भी मिल जाता है जिसके लिए अविनाश यहां पर आया था । अविनाश वो सब कागज अपने जेब मे डाल लेता है । तभी अविनाश का वो लॉकेट जो उसको बाबा ने दिया था वही पर गिर जाता है । तब ताहिर को एक फाईल मिलता है जिसमे गौतम का फोटो लगा था और उन्हें जहां रखा है वहां का पता है ।

अविनाश और ताहिर खुश हो जाता है । और वहां से निकल जाता है । इधर पार्टी मे गाना खतम हो जाता है मेहेक अविनाश का राह दैखते देखते थक जाती है । वो बहोत निराश हो जाती है । रुखसार मेहेक के कंधे पर हाथ रखता है । हैदर भी मेहेक को ऐसा दैखकर हैरान था । वो मेहेक के पास आता है और कहता है ।

हैदर अली :- बेटा क्या बात है । आज आप खुश नही है ? चलो सब इंतजार कर रहे है । केक काटना है चलो ।

मेहेक उदास चेहरे से एक बार गेट की और दैखती है और फिर जैसे ही पिछे मुड़ती है के तभी अविनाश की एंट्री होती है । अविनाश की कदमो की आवाज सुनकर मेहेक रुक जाती है । मेहेक धिरे धिरे पिछे मुड़ती है तो वो दैखकर खुश हो जाती है उसकी मुस्कान वापस आ जाती है । और फिर से गाना सुरु होता है ।

अविनाश को दैखकर हैदर भी खुश हो जाता है । मेहेक की खुशी दैखकर हैदर समझ जाता है के वो अविनाश को पंसद करती है । हैदर मेहेक की और दैखता है । और इशारे मे अविनाश की और जाने को कहती है ।

मेहेक अविनाश की और दैखती है और भागकर जाती है और उसके गले लग जाती है । अविनाश अचानक से ऐसा होने पर घबरा जाता है । मेहेक उसे पकड़े रहती है और अविनाश हैरान होकर खड़ा रहता है । मेहेक अविनाश से अलग होती है और कहती है ।

मेहेक :- इतना दैर क्यों कर दिया ? मुझे लगा के आप अब आओगे ही नही ।

अविनाश :- वो आपके लिए क्या लू समझ मे नही आ रहा था । बस इसिलिए दैर हो गई । ये आपके लिए ।

अविनाश से गिफ्ट लेकर मेहेक बहोत खुश हो जाती है । उसकी खुशी दैखते ही बनती है । मेहेक गिफ्ट को अपने पास संभाल कर रख लेती है । मेहेक केक काटती है और सबसे पहले अविनाश को खिलाती है । हैदर ये दैखकर खुश हो जाता है । फिर अविनाश मेहेक को केक खिलाता है और फिर मेहेक अपने अब्बु को केक खिलाता है और हैदर के गले लग जाती है । सिद्दीकीू ये सब दैखकर गुस्सा होकर वहां से चला जाता है । वो वहां पर मौजूद एक से अविनाश के बारे मे पूछता है । तो उसे पता चलता है के शाहिद हिंदुस्तान से आया है । तभी वहां पर वही बच्चा आता है । उसे अंदर आने से रोका जा रहा था । मेहेक दैखती है और उसे पहचान लेती है और कहती है ।

मेहेक :- आने दो उसे मैं जानती हूँ उसे । 

बच्चे को अंदर आने दिया जाता है । बच्चा मेहेक के पास आता है ।

मेहेक :- अरे अहान तुम रात को यहां कैसे ?

बच्चा :- मैं आपसे ही मिलने आया था । आपको थेंक्स बोलना था ।

मेहेक :- थेंक्स बोलने रात को आने की क्या जरुरत थी , सुबह आ जाते ।

बच्चा :- मैने अल्लाह से मन्नत मांगी थी । के जब मेरी माँ का ऑपरेशन हो जाएगा तो मैं उसी समय उससे मिलने आउगां ।

मेहेक :- अच्छा तो गए थे ।

बच्चा :- वही तो आया हूँ ।

मेहेक :- मतलब ।

बच्चा :- आपने ही तो माँ ते लिए गाड़ी भिजवाया , हॉस्पिटल मे एडमिट कराया , पुरा पैसा दिया और घर मे राशन दिया । तो पहले आपके पास ही आउगां ना । 

मेहेक इतना सुनकर हैरान हो जाती है , वो समझ जाती है के यो सब अविनाश ने किया है । मेहेक अविनाश की और देखती है । अविनाश हल्की मुस्कान देता है । मेहेक अविनाश का नाम बोलने जाती है तो अविनाश बिच मे ही बात को काट देता है ।

मेहेक :- वो सब मैं नही ।

अविनाश :- अब तुम्हारी माँ कैसी है ।

बच्चा :- ऑपरेशन हो गया है , डॉक्टर बोला जल्दी ठिक हो जाएगी । अच्छा अब मैं चलता हूँ ।

वो बच्चा चला जाता है मेहेक कहती है ।

मेहेक :- आपने इतना कुछ किया , और नाम मेरा ।

अविनाश :- वादा तो आपने ही किया था ना ।

अविनाश की बात को सुनकर मेहेक खुश हो जाती है ।




दृश्य 18



मेहेक का घर ।

मेहेक अपने बिस्तर पर बैठी थी , और अविनाश का दिया हूआ गिफ्ट को दैख रही थी । वो एक ताजमहल था । तभी वहां पर हैदर अली आ जाता है और वो मेहेक के हाथो मे ताजमहल को दैखकर कहता है ।

हैदर अली :- अरे वाह ताजमहल । ये आपको किसने दिया ?

मेहेक :- खुबसूरत है ना अब्बू ।

हैदर अली :- हां खुबसूरत तो है । ये चिज ही ऐसी है ।

मेहेक :- ये क्या है अब्बु ? 

हैदर अली. :- ये ताजमहल है बेटा । इसे हिंदुस्तान मे प्यार की निशानी के तौर पर दिया जाता है। इसे शाहजहां ने अपने पत्नी मुमताज के लिए बनवाया था । उनकी प्यार के नाम पर ।

मेहेक ताजमहल को बस दैखे जा रही थी । और मुस्कुराए जा रही थी । 

इधर अविनाश मेहेक को याद कर रहा था और वो मेहेक के बारे मे सौचने लगता है । अविनाश को बुरा लग रहा था के मेहेक को वो धोका दे रहा है । मेहेक की हसी उसकी बोलने का अंदाज ये सब अविनाश को पंसद आने लगा था ।

पर अविनाश ये भी जानता था के मेहेक उसे नही शाहिद को पंसद करती है । तभी वहां पर ताहिर और गुलाम खान आता है ।

ताहिर :- अरे भाईजान आप यहां बैठे हो । क्या बात है ।

गुलाम खान :- दिल छोटा मत करो अब सब ठिक होगा ।

ताहिर :- अब तो हम ये जानते है के चाचाजान को कहा पर रखा है । और वो मेहेक भी तो तुम्हें पंसद करने लगी है । इसका भी फायदा होगा तुम्हें ।

अविनाश :- उसी बात की तो चिंता है ताहिर भाई ।

ताहिर :- इसमे चितां की क्या बात है ! ये तो हमारे लिए अच्छी खबर है ।

अविनाश :- नही ताहिर भाई । मैं यहां पर आया था किसी काम से ताकी हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनो देश को जो लड़ाने की साजिस चल रही है उसो पता लगाउ और इस नफरत को खतम करु । ये लोग कशमीर मे अपने मुजाहिद को भेज कर वहां का शांति को भंग करना चाहता है । मुझे ये सबुत मिल गए है मुझे बस इसे अपने लोगो तक पहूँचाना है । फिर जब मुझे पता चला के मेरे बाबा जिंदा है तो अब मैं अपने बाबा को लेने आया हूँ । किसीका दिल तोड़ने नही आया हूँ । मेहेक बहोत अच्छी लड़की है । मैं उसका दिल तोड़ना नही चाहता था और मुझे पता भी नही है के वो मेरे बारे मे क्या सोचती है ।

ताहिर :- आप अपनी दुश्मन की बेटी के बारे मे इतना सोच रहे हो ।

अविनाश :- हैदर अली मेरा दुश्मन जरुर है । पर इसमे मेहेक की कोई गलती नही है । 

अविनाश के इतना बोलने के बाद वहां पर मेहेक आ जाती है । मेहेक को दैखकर अविनाश हैरान हो जाता है । 

गुलाम खान :- अरे मेहेक बेटा । आओ आओ । बहोत लम्बी उम्र है तुम्हारी बेटा । हम लोग तुम्हारे ही बारे मे बात कर रहे थे ।

मेहेक :- अच्छा ! मेरे बारे क्या बाते हो रही थी ।

ताहिर :- अविनाश तबसे सिर्फ तुम्हारी ही तारिफ किये जा रहा है ।

मेहेक हल्की मुस्कान और शरमाती हूई अविनाश की और दैखती रहती है ।

गुलाम खान :- बेटा तुम यहां कुछ काम था तुम्हें ? 

मेहेक :- हां वो मैं शाहिद से मिलने आयी थी । वो मैं बाजार जा रही थी तो सौचा शाहिद को भी यहां का बाजार घुमा दूँ ।

गुलाम खान :- ये तो तुम दोनो की आपस का मामला है । अवि... शाहिद अगर जाना चाहे तो ले जाओ ।

गुलाम खान के मुह से अविनाश निकलने ही वाला था पर गुलाम अपने आपको संभाल लेता है । अविनाश को समझ मे नही आ रहा था के वो क्या करे । वो मेहेक से दुर रहना चाहता था । ताकी मेहेक अविनाश को भुल सके । पर मेहेक के मासुमियत के आगे अविनाश आज भी हार गया और मेहेक के साथ चलने को राजी हो गया ।

मेहेक :- चले ।

अविनाश :- हां चलो ।

दोनो वहां से मेहेक की गाड़ी मे चला जाता है । रास्ते मे सिद्दिकी उन दोनो को एक साथ दैखता है । उसे उन दोनो को साथ दैखकर बहोत गुस्सा आता है । वो वहां से चला जाता है । और अपने ऑफिस जाकर टेलिफोन से किसी को मेहेक और अविनाश को मारने के लिए भेजता है ।

इधर मेहेक अविनाश को एक सुदंर पार्क मे लेकर जाती है । 

अविनाश :- वाह ! कितना सुदंर जगह है ।

मेहेक :- ये यहां का लवर पार्क है । कहते है की यहां पर जो भी इश्क करने वाले मन से अपने प्यार को मांगता है वो पुरा हो जाता है । 

मेहेक ने अपनी आंखे बंद कि और मन ही मन शाहिद (अविनाश) को मांगती है । फिर मेहेक अपनी आंखो खोलती है और कहती है ।

मेहेक :- तुम भी मांगो । मांगो ना । 

मेहेक के कहने पर अविनाश भी अपनी आंखे बंद करता है और कहता है ।

अविनाश :- अगर ये सच है के यहां मन की बात पुरी होती है तो मैं ये चाहता हूँ के मेहेक को मुझसे भी अच्छा लड़का मिले । 

मेहेक :- मांग लिया ?

अविनाश : - हां , मांगा ।

मेहेक :- क्या मांगा ।

अविनाश :- मांगी हूई मन्नत बतायी नही जाती है वरना वो पुरी नही होती ।

मेहेक :- ये सब मैं नही मानती मुझे ऊपर वाले पर पुरा भरोसा है । बताओ ना , क्या मांगा । सच सच बताना , तुम्हें मेरी कसम ।

अविनाश :- तुम्हारी खुशी मांगा मैने ।

अविनाश की बात को सुनकर मेहेक बहोत खुश हो जाती है मेहेक अविनाश के पास जाती है और उसके गले लग जाती है । अविनाश चुपचाप खड़ा रहता है ।

मेहेक :- आप जानते हो मेरी खुशी किसमे है ।

अविनाश :- नही ।

मेहेक :- पुछोगे नही , मैंने क्या मांगा ।

अविनाश समझ जाता है के मेहेक क्या कहने वाली है तब अविनाश मेहेक को समझाने की कोशिश करते हूए कहना चाहता है ।

अविनाश :- देखो मेहेक ।

मेहेक अविनाश को पकड़े रहती है और फिर अविनाश के होंटो पर अपना हाथ रख देती है और कहती है ।

मेहेक :- कुछ मत कहो बस चुप रहो । मेरी खुशी आप हो । मेरे दिल को जो सुकुन देगा जो मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता है वो आप है । मैं आपसे बेपनाह मोहब्बत करने लगी हूँ शाहिद । मुझसे कभी दुर मत जाना । मैं आपके बिना जी नही पाउगी । मैं सिर्फ आपकी होना चाहती हूँ शाहिद । और आपकी ही रहना चाहती हूँ ।

मेहेक गाना सौचने लगती है ।

अविनाश मेहेक से दुर जाना चाहता था पर मेहेक के प्यार ने उसकी मासुमियत ने अविनाश के दिल को मजबूर कर दिया । पर फिर भी अविनाश मेहेक को समझाता है ।

अविनाश :- ये ठिक नही है मेहेक । मैं तुमसे प्यार नही कर सकता ।

मेहेक :- क्यों क्या मुझसे कोई गलती हूई ! क्या आप किसी और से मोहब्बत करते हो ? माफ करना मैने बिना जाने ही आपसे इतना कुछ कह डाला ।

अविनाश :- ऐसी कोई बात नही है मेहेक ।

मेहेक :- तो बात क्या है शाहिद ? आप क्यूं मेरे साथ ऐसा कर रहे हो । आप बस एक बार बोल दो के आप मुझसे मोहब्बत नही करते । मैं आपके जिंदगी से हमेशा के लिए चली जाउगीं ।

अविनाश मेहेक को सबकुछ बता देना चाहता था । पर तभी वहां पर सिद्दीकी का भेजा हूआ गुडें वहां पर आ जाते है । उनमे से एक मेहेक को मारने की कोशिश करता है , के अविनाश उसका हाथ पकड़ लेता है । अविनाश उन सबको बहोत मारता है पर तभी एक अविनाश के पिछे से चाकु लेकर उसे मारना चाहा तो मेहेक अविनाश को बचाते हूए उसके सामने आ गई और चाकु मेहेक को लग जाती है । अविनाश बहोत घबरा जाता है । फिर उस गनडें को वही पर पटक देता है । अविनाश उस गुडें को पकड़ता है ।

अविनाश :- कौन हो तुमलोग । और मेहेक को क्यों मारना चाहता हो ?

अविनाश :- किसने भेजा है तुम्हें । बोल वरना यहां से तु जिंदा नही जाएगा ।

गुडां :- आ..... बताता हूँ बताता हूँ । हमे सिद्दिकी ने भेजा है । 

अविनाश :- उसने मुझे क्यों मारने को कहा ।

गूडां :- वो अपने बेटे की शादी मेहेक से कराना चाहते है और मेहेक के अब्बू ने मना कर दिया इसिलिए । 

उस गूडें के इतना कहने पर अविनाश उसे छोड़ देता है । मेहेक गिरते हूए अविनाश को बुलाती है ।

अविनाश :- मेहेक । मेहेक । ये क्यों किया तुमने ।

मेहेक :- आप ठिक हो शाहिद । 

अविनाश :- मैं ठिक हूँ । पर मैं आपको कुछ नही होने दूगां । 

मेहेक :- ये मैने कहां था ना आपसे के मैं बिना नही रह सकती । अगर आपको कुछ हो जाता तो मैं तो मर ही जाती ।

अविनाश :- नही कुछ नही होगा आपको । मैं कुछ होनी ही नही दुगां ।

अविनाश मेहेक को उठाता है और उसे गाड़ी मे बैठाकर हॉस्पिटल की और लेकर चला जाता है । मेहेक अविनाश की ऐर दैखती है और मुस्कुराती है । अविनाश मेहेक के लिए बहोत परेशान था ये दैखकर मेहेक समझ जाती है के अविनाश उसे बहोत प्यार करता है ।



दृश्य 19 




हॉस्पिटल ।

हॉस्पिटल मे डॉक्टर सब मेहेक की ऑपरेशन की तैयारी कर रहा था । अविनाश बाहर बैठा था । तभी वहां पर हैदर अली भी भागकर आ जाता है । हैदर अली अविनाश के पास आता है । अविनाश उसे सबकुछ बोलकर सुनाता है । जिसे सुनकर हैदर अली गुस्से से लाल हो जाता है । तभी डॉक्टर बाहर आता है ।

हैदर अली :- डॉक्टर मेरी बेटी कैसी है ?

डॉक्टर :- अभी कुछ कह वही सकता । खुन बहोत बह चुका है । 

हैदर अली :- डॉक्टर, मेरी बेटी को कुछ नही होना चाहिए । 

डॉक्टर :- जनाब हम पुरी कोशिश करेगें ।

इतना बोलकर डॉक्टर वहां से चला जाता है । अंदर डॉक्टर मेहेक का ऑपरेशन कर रहे थे कुछ दैर बाद ऑपरेशन खतम हूआ और डॉक्टर बाहर आए ।

हैदर अली :- डॉक्टर , मेरी बेटी ।

डॉक्टर :- अब वो खतरे से बाहर है । खुदा का सुक्र है के इस लड़के ने उसे सही वक्त पर लेकर आया है । वरना कुछ भी हो सकता था । कुछ दैर बाद उसे होश आ जाएगा , तम आपलोग उससे मिल सकते है ।

हैदर अली :- थेक्यू डॉक्टर ।

डॉक्टर वहां से चला जाता है । हैदर अली और अविनाश दोनो मेहेक के पास जाता है । हैदर मेहेक के पास बैठता है और उसका हाथ पकज़ता है । तो मेहेक अपनी आंखे खोलती है । 

मेहेक :- अब्बू ।

हैदर अली :- मेहेक ।

मेहेक :- अब्बू , शाहिद ?

हैदर अली :- वो यही है मैं बुलाकर लाता हूँ ।

हैदर अली अविनाश से कहता है ।

हैदर अली :- बेटा शाहिद । मेहेक तुम्हें बुला रही है ।

अविनाश मेहेक के पास जाता है । 

मेहेक :- मैने आपको बहोत परेशान किया है ना ।

अविनाश :- नही मेहेक । ऐसी कोई बात नही है ।

हैदर अली :- मैं कैसे तुम्हारा सुक्रिया अदा करु बेटा । एक अनजान होके जो तुमने जो मेरे लिए किया है । मेरी मेहेक के लिए किया है ।

अविनाश :- कैसी बात कर रहे हो सर । 

हैदर अली मेहेक का हाथ अविनाश के हाथ मे देता है और कहता है ।

हैदर अली :- आज से मैं अपनी अमानत तुम्हें सोंप रहा हूँ बेटा । जिस तरह से तुमने इसकी हिफाजत की है । बेटा मैं तुमसे मेहेक की खुशी मांगता हूँ । ना मत करना बेटा । मैने मेहेक के आंखों मे तुम्हारे लिए प्यार देखा है ।

अविनाश कुछ बोल नही पाता है । वो चुपचाप रहता है । तब हैदर वहां से बाहर आता है और हैदर अली सिद्दीकी के बारे मे गुस्से से सौचने लगता है । अविनाश थोड़ा परेशान था और मेहेक अविनाश की और दैखती रहती है ।




दृश्य20



सिद्दिकी का घर ।

सिद्दिकी भेजे हूए गुडों को डांट रहा था ।

सिद्दीकी :- निहायती बेवकुफ हो तुम लोग , जो उन दोनो को जिंदा छोड़कर आ गए । जब मारा ही था तो पुरा ही मार देते । अब हमे यहां से कुछ दिन के लिए छुप कर रहना होगा । वरना वो हैदर अली हम सबको मार देगा ।

सिद्दीकी और उसके साथी वहां से चला जाता है । उसके जाने के बाद ही हैदर अली वहां पर आता है । हैदर अली गुस्से से उसे ढुंड रहा था पर वो कही नही था ।

हैदर अली :- सिद्दीकी । कर्नल सिद्दीकी । कहां बचकर जाओगे । तुम्हें तो मैं ढुडं कर हू रहूँगा ।

इधर अविनाश हिंदुस्तान विजय को फोन करता है । 

विजय :- हां बोलो अविनाश ।

अविनाश :- सर मैने वो सारे डाक्यूमेंट्स हैदर अली के घर से निकाल लिया है । ये लोग कशमीर मे अपने यहां के मुजाहिदीन के आदमी को भेजता है और वहां पर रह रहे कश्मीरी मुसलमानों को हिंदूओ के खिलाफ भड़का रहा है । सर ये लोग सियाचिन को कब्जे मे लेना चाहता है ।

विजय :- वेल डन अविनाश । अब हमारे पास एक जानकारी है ते वो लोग क्या करने वाले है । अविनाश हमारा आदमी को कहां पर रखा है कुछ पता चला । 

अविनाश :- हां सर । हैदर अली ने उसे उसी दिन मार दिया है ।

अविनाश से इतना सुनकर विजय उदास हो जाता है । 

विजय :- ओके अविनाश अब तुम वहां से जल्दी चले आओ ।

अविनाश :- पप्पा । एक बात और थी । 

विजय :- हां बोलो अविनाश ।

अविनाश :- पप्पा । मेरे बाबा गौतम जिंदा है ।

विजय :- क्या ?

अविनाश :- हां पप्पा । मुझे गुलाम चाचा से मालुम हूआ और उनको कहां रखा है ये भी पता चल गया है ।

विजय :- अविनाश । तुम अपने बाबा को कैसे लाओगे ये मैं नही जानता । पर बेटा ये काम बहोत मुश्किल है । पर फिर भी मुझे तुम पर पुरा भरोसा है और अपने पप्पा के भरोसे को तोड़ना मत बेटा । मैं तुम्हारा इंतजार करुगां ।

अविनाश :- मैं जरुर आउगां पप्पा ।

इतना बोलतर अविनाश फोन रख देता है ।




दृश्य 21




अविनाश और ताहिर गौतम को छुड़ाने जाता है ।

अविनाश और ताहिर गौतम को छुड़ाने के लिए रात को उस जेल के अंदर छिप कर जाता है , जहां पर हैदर ने गौतम को रखा था । ताहिर और अविनाश जेल के पास पहूँच जाता है । दोनो वहां पर पहूँचकर अपना अपना मुह मे कपड़ा बांधता है और जेल के अंदर छिप कर जाने लगता है । इधर हैदर अली कर्नल सिद्दीकी को ना पा कर बहोत गुस्से मे था । हैदर अली अपने घर मे गुस्से से बैठता है तभी हेदर अली की नजर ड्रायर पर जाती है जो खुली थी । 

हैदर अली हैरानी से वहां से उठता है और ड्रायर को बंद करता है । तभी उसके मन मे कुछ ख्याल आता है । और हैदर अली फिर से ड्रायर को खोलता है तौ वो दैखता है के उसमे एक फाइल थी जिसमे गौतम का पेपर रखा था । 

हैदर उस फाईल को उठाता है और उसे खोलता है तो वो दैखता है के उसमे गौतम का पेपर नही था । हैदर हैरान हो जाता है और वो तुरंत वहां से जेल की और निकलता है । 

इधर अविनाश और ताहिर छिप कर अंदर जा रहा था । तभी वहां पर एक सिपाही था अविनाश उसे पकड़कर बेहोश कर देता है । अविनाश और ऐसे और 5 को मार देता है । इधर हैदर अली अपनी गाड़ी रफ्तार को और बड़ा देता है , वो कंट्रोल रुम फोन करके कुछ सिपाही को बुलाता है । । अविनाश और ताहिर उस जगह तक पहुँचने ही वाला होता है के तभी एक सिपाही अविनाश को दैख लेता है ।

सिपाही :- हेय । कौन है वहां । 

इतना बोलकर वो सिपाही अविनाश की और गोली चलाता है । गोली की आवाज सुनकर गौतम हैरान हो जाता है वो इधर उधर दैखने लगता है । हैदर अली जेल के बाहर पहूँच चुका था । हैदर अली दैखता है के उसके सिपाही मरे पड़े थे । हैदर अली जल्दी जल्दी गौतम के सेल की और भागता है । इधर अविनाश उस सिपाही को वही पर मार देता है वो आदमी गौतम के सेल के सामने गिरता है । जिसे दैखकर गौतम हैरान था । अब अविनाश और गौतम की दुरी बस कुछ ही कदमो का था । जैसे ही ताहिर और अविनाश आगे कदम बढ़ाता है तभी वहां पर हैदर अली की आवाज आने लगता है । जो अपने सिपाहीयों को नाम लेकर बुला रहा था ।

हैदर अली :- इमरान, अली , इकबाल । कहां हो सबके सब ।

हैदर अली की आवाज को सुनकर ताहिर अविनाश से कहता है ।

ताहिर :- रुको अविनाश भाईजान । लगता है हैदर अली आ गया ।

अविनाश का नाम गौतम सुन लेता है । अविनाश का नाम सुनते ही गौतम खुश हो जाता है । उसकी आंखे बहने लगती है और बार बार अविनाश अविनाश किये जा रहा था ।

अविनाश :- अच्छा है आने दो उसे आज बाबा को भी छुड़ा लूगां और उस हैदर को भी मार दूगां । 

तभी वहां पर बहोत सारे जुतो की आवाज आने लगी । जिसे सुनकर ताहिर अविनाश को रोकता है और कहता है ।

ताहिर :- नही भाईजान रुको । लगती है उसके साथ और भी सिपाही है , कितने है ये हमे पता नही । फिलहाल हमे यहां से चलना चाहिए ।

अविनाश :- नही ताहिर तुम जाओ । मैं बाबा को लेकर ही जाउगां ।

ताहिर :- पागल मत बनो अविनाश भाईजान । अगर हम पकड़े गए । तो ना ही हम चाचाजान को रिहा करवा पाएगें और ना ही हैदर अली से बदला ले पाएगें । मेरी बात मानो और चलो यहां से ।

ताहिर की बात सुनकर अविनाश ना चाहते हूए भी वहां से उसे जाना पड़ा । उन दोनो के जाने के बाद हैदर अली वहां पर आता है । हैदर अली आकर सिधे गौतम के पास जाता है तो वो दैखता है के गौतम सेल मे बंद था । गौतम इधर उधर दैखता है पर वहां पर कोई दिखाई नही देता है । हैदर अली अपने सिपाहीयों से कहता है ।

हैदर अली :- जाओ । ढुडों देखो कौन आया था । बच कर जाने ना पाए । 

सभी सिपाही वहां से चला जाता है तब हैगर अली गौतम के पास जाता है । 

गौतम :- आओ आओ हैदर अली साहब । क्या बात है , इतनी रात को तुम यहां पर । सब ठिक तो है । 

हैदर अली :- यहां पर कोई आया था । तुमने दैखा इसे कौन था वो ?

गौतम :- हां आया तो था । पर दैख नही पाया सिर्फ आवाजे सुनी । क्या मार रहा था तुम्हारे आदमीयों को । काश मे दैख पाता के कौन था वो ।

हैदर अली :- चुप करो बेवकुफ । वरना यही आज ही तेरा कब्र बना दुगां । 

गौतम :- हा हा हा हा । जिसकी खुद की फटी पड़ी हो । वो क्या मेरी कब्र बनाएगा ।

हैदर अली :- गौतम । ( गुस्से से ) . । देखो मुझे ये बताओ के वो कौन था ।

गौतम :- कहा तो । मैंने उसो नही दैखा सिर्फ उसकी बातें सुनी ।

हैदर अली :- क्या बोल रहा था वो ?

गौतम :- वो बोल रहा था के अच्छा हूआ हैदर यही आ गया । आज उसे भी यही गाड़ दूगां ।

हैदर अली गुस्से से गौतम का कॉलर पकड़ लेता है और कहता है ।

हैदर अली :- ऐ । मुझे गाड़ेगा वो । मुझे , हैदर अली को । वो शायद नही जानता के हैदर अली क्या है । हैदर अली तुफान का नाम है वो तुफान जो अगर उठा तो सबकुछ तबाह कर देगा ।

गौतम :- वो दिख ही रहा है । के कैसे तुफान की फट रही है । 

हैदर अली :- मेजर । चुप हो जा , वरना ।

गौतम :- अरे जाओ । पहले उन्हें ढुडों फिर यहां आना मुझसे बात करना ।

हैदर अली गौतम को गुस्से से दैखने लगता है फिर वहां से चला जाता है ।



दृश्य 22




गुलाम खान का घर ।

गुलाम खान का घर जहां पर अविनाश, ताहिर और गुलाम खान थे । अविनाश कल रात के लिए बहोत परेशान था । ताहिर अविनाश के पास जाता है और अविनाश के कंधे पर हाथ रखता है तो अविनाश कहता है ।

अविनाश :- सब खतम हो गया । मैं अपने बाबा के इतने करीब जाकर भी उन्हें बचा नही पाया । जिस काम के लिये मैं यहां पर आया हूँ वो भी नही कर पा रहा हूँ । 

ताहिर :- परेशान ना हो भाईजान । आज नही तो कल हम चाचा जान को वहां से निकाल ही लेगें ।

अविनाश: - नही ताहिर भाई । वो हैदर अली बहोत शातिर है । वो अब बाबा को वहां पर नही रखेगा । मुझे वहां पर जाकर ये पता करना होगा । के हैदर अली आगे क्या सौच रहा है । हैदर अली अब तक चुप है । पता नही वो क्या सौच रहा है ।

ताहिर :- भाई जान आप पाकिस्तान आये हो ताकी पाकिस्तान को कोई नुकसान ना पहुँचे । आप दोनो देश मे अमन और शांती चाहते हो । 

गुलाम खान :- ताहिर ठिक बोल रहा है बेटा । तुम चिंता मत करो । वो गौतम भाई को जहां भी ले जाऐगा , हम उसका पता जरुर लगा लेगें ।

अविनाश :- और मेहेक चाचा । उसका क्या , उसे पता ही नही के मैं कौन हूँ क्यूं आया हूँ । वो मेरे लिए अपनी जान की बाजी तक लगा दी । मैं यहां पर क्या करने आया था और क्या करने लगा । एक मासुम की जिंदगी से खेल रहा हूँ मैं । मैं उसे जितना भी अपने से दुर करने की कोशिश करता हूँ , वो उतना ही पास आने लगती है । मैं उसे कैसे समझाउ ।

ताहिर :- क्या आप मेहेक से प्यार करते हो भाईजान ?

ताहिर की बात पर अविनाश कुछ दैर चुप रहता है । तब गुलाम खान कहता है ।

गुलाम खान :- तुम खामोश क्यों हो बेटा ! ताहिर जो कह रहा है क्या वह सच है ?

अविनाश :- हां चाचा । ये सच है । ना चाहते हूए भी मैं मेहेक से प्यार करने लगा । उसकी मासुमियत और उसकी प्यार ने मुझे बजबुर कर दिया । 

ताहिर :- ये तो अच्छी बात है भाईजान । तुम दोनो एक दुसरे से प्यार करते हो ते फिर आप ऐसा क्यों सोच रहे हो ?

अविनाश :- मेहेक मुझसे नही शाहिद से प्यार करती है । जब उसे सच की पता चलेगा के मैं यहां पर उसके अब्बू को मारने के लिए आया हूँ तो क्या वो मुझसे प्यार करेगी ?

अविनाश के बात की जवाब किसीके पास नही था सभी चुप था ।

अविनाश :- मैं तो उसका भरोसा तोड़ रहा हूँ ना । मैं अपने मतलब के लिए उससे प्यार का दिखावा नही कर सकता ।

ताहिर :- आप सही कह रहे हो भाईजान । पर अभी हमारे पास और कोई रास्ता भी तो नही है । अल्लाह पर भरोसा रखिए वो सब ठिक कर देगा । सब कुछ सही कर देगा ।



दृश्य 23




पाकिस्तानी हेडक्वार्टर 

पाकिस्तानी हेडक्वार्टर जहां पर हैदर अली अपने सिनियर से कहता है । 

हैदर अली :- जनाब , कल रात को कोई पाकिस्तान मे घुसा था और हमारे कुछ सिपाहीयों को भी मार डाला है । वो कैन था क्यों आया थे ये अभी पता नही चल पाया है ।

जाहिर :- तो फिर आप हमसे क्या चाहते है ?

हैदर अली :- जनाब । उस जेल मे पिछले 20 साल से एक कैदी कैद है जिसका नाम गौतम है । मुझे शक है के वहां पर जो भी आया था वो गौतम के लिए ही आया था ।

जहिर :- आप इतना यकिन के साथ कैसे कह सकते है ।

हैदर अली :- जनाब । मेरे घर से मेरे फाईल से कुछ कागज चोरी हूआ है । जो गौतम का ही है । 

जहिर :- आपको किसी पर शक है ?

हैदर अली :- जी जनाब । मुझे लेफ्टिनेंट कर्नल सिद्दीकी पर शक है ।

जहिर :- क्या ! तुम जानते हो हैदर अली के तुम क्या बोल रहे हो । वो हमारा साथी है ।

हैदर अली :- जी जनाब । 

जहिर :- तुम्होरे पास कोई सबुत ?

हैदर अली :- जी जनाब , मेरी बेटी । जो अभी हॉस्पिटल से घर आई है । सिद्दीकी ने उसे और उसके होने वाले शोहर को मारने की कोशिश है । 

जहिर :- आखिर वो ऐसा क्यों करेगें । और फिर गोतम को छुड़ाकर वो क्या करना चाहते है । 

इतना बोलकर वो ऑफिसर सिद्दीकी को फोन लगाता है पर उसका फोन नही लग रहा था । 

जहिर:- ओ के । तुम्हे क्या करना चाहते हो । 

हैदर अली :- जनाब , मुझे गौतम को वहां से दुसरे सेल मे ले जाने की परमिशन और सिद्दीकी के लिए अरेस्ट वारेटं चाहिए ।

जहिर :- ठिक है । मैं तुम्हें परमिशन देता हूँ ।

इतना बोलकर जहिर सिद्दीकी का अरेस्ट वारेटं और गोतम को दुसरे सेल मे रखने की पेपर मे आर्डर दे देता है ।

हैदर अली एक सेल्युट करता है और वहां से चला जाता है ।



दृश्य 24





हैदर अली गौतम को दुसरे सेल मे ले जाने के लिए गौतम को गाड़ी मे बैठाता है और वहां से कुछ सिपाहीयों के साथ भेज देता है ।

पाकिस्तानी फोज गौतम को गाड़ी से लेकर जा रहे थे । इधर अविनाश रास्ते पर टायर पंचर करने लिए रास्ते पर किले रख देते है । तभी वो सभी गाड़ी आती है । गौतम और दौ और गाज़ी का टायर पंचर हो जाता है । कुछ सिपाही गाड़ी से उतरता है और दैखता है तो वो समझ जाता है के ये एक चाल है । तभी एक सिपाही कहता है ।

सिपाही :- रास्ते पर किले बिछा है । ये एक चाल है , सब अर्लट हो जाओ । 

उस सिपाही के इतना कहते ही उसके सिर पर अविनाश गोली मार देता है जिससे वो वहीं पर गिर जाता है । सभी गाड़ी से उतर कर अपना पोजीशन ले लेता है और इधर उधर दैखने लगता है । 

अविनाश एक एक करके सिपाहियों को गोली मारने लगता है । तभी एक सिपाही कहता है ।

सिपाही :- कौन है ! हिम्मत है तो सामने आओ । ऐसे छुप छुप कर वार कर रहे हो डरपोक ।

उस सिपाही के इतना कहने पर अविनाश वहां पर एक झाड़ी से निकलता है और उपर तक कुद कर उस सिपाही के सिने पर चाकु घोंप देता है । अविनाश सबके सामने आता है । अविनाश अपना चेहरा ढक कर रखा था । अविनाश को दैखकर सभी उसपर गोली चलाने लगता है । अविनाश गोलियों से बचते हूए एक को चाकु से मारने लगता है । सबको मारने के बाद अविनाश धिरे धिरे उस गाड़ी की और बड़ता है जिसमे गोतम को रखा था । अविनाश गाड़ी को खोलता है । अविनाश गाड़ी को दैखकर हैरान हो जाता है क्योकी गाड़ी मे गोतम था ही नही । ये दैखकर अविनाश गुस्सा हो जाता है । अविनाश भाग भाग कर सभी गाड़ीयो मे दैखता है । पर गौतम किसी गाड़ी मे नही था । 

अविनाश ये देखकर गुस्से से चिखने लगता है ।

अविनाश :- हैदर अली ।

इधर हैदर अली गौतम को अपने साथ दुसरे जगह पर लेकर जा रहा था । ये हैदर अली की चाल थी वो जानता था के उस पर कोई नजर रख रहा है । इसलिए हैदर अली उसे धोखा देने के लिए ये सब नाटक किया । हैदर अली गाड़ी मे बैठकर गोतम को लेकर चला जाता है ।

हैदर अली गौतम को सेल मे बंद कर देता है । 

गौतम :- तु चाहे कही भी रख ले मुझे । वो मुझे ढुंड ही लेगा ।

हैदर अली कुछ नही बोलता है और वहां से बाहर आ जाता है । बाहर हैदर अली का एक सिपाही उसे फोन देते हूए कहता है ।

सिपाही :- जनाब आपका फोन ।

हैदर अली :- कौन है ।

सिपाही :- जनाब वो हमारे सिपाहीयों पर हमला हूआ है । हमारे सारे सिपाही मारे गए है ।

हैदर अली फोन लेता है और कहता है ।

हैदर अली :- हेलो ।

उधर एक सिपाही हैदर अली को सब बोलकर सुनाता है । जिसे सुनकर हैदर अली गुस्सा हो जाता है । हैदर अली फोन रख देता है ।

हैदर अली :- मुझे मालुम था , वो जो भी है मेजर गौतम को लेने आया है । पर वो है कौन ।

हैदर अली फोन लेता है और हेडक्वार्टर फोन करता है ।

हैदर अली :- हेलो हेडक्वार्टर ।

हेडक्वार्टर :- येस ।

हैदर अली :- मैं हैदर अली बोल रहा हूँ । मुझे एक डिटेल चाहिए । हिंदुस्तान से पाकिस्तान इस महिने जितने भी लोग आए है मुझे उन सबका पता और डिटेल चाहिए ।

हेडक्वार्टर :- ओके सर ।



 दृश्य 25




हैदर अली का घर ।

हैदर अली का घर जहां पर हैदर अली बैठा था और तभी वहां पर हैडक्वाटर से एक सिपाही एक फाईल लेकर आता है और वो फाईल हैदर अली को देते हूए कहता है ।

सिपाही :- जनाब । इसमे इस महिने हिंदुस्तान से आए सारे लोगो का लिस्ट है ।

हैदर अली वो फाईल ले लेता है और वो सिपाही फाईल देकर वहां से चली जाता है ।

हैदर अली फाईल खोल कर देखने लगता है । जिसमे कुछ लोगो का फोटो और उसका आईडेंटिटी थी । हैदर अली फोटो दैखते दैखते अविनाश का आई डी आता है । हैदर अली अविनाश का आई डी निकालकर दैखता है तभी वहां पर अविनाश भी आ जाता है ।

अविनाश को दैखकर हैदर अली वो आई डी फाईल मे रख देता है । अविनाश हैदर अली के पास फाइल दैखकर अविनाश समझ जाता है के हैदर अली कुछ करने वाला है । 

अविनाश :- सलाम वालेकुम जनाब ।

हैदर अली :- वालेकुम अस्सलाम बेटा । आओ बैठो ।

अविनाश :- जी वो मैं मेहेक से मिलने ।

हैदर अली :- अंदर है जाके मिल लो ।

अविनाश :- जी ।

अविनाश इतना बोलकर बिना पिछे मुड़े वहां से चला जाता है । हैदर अली अविनाश को ही दैखे जा रहा था ताकी वो पिछे मुड़े और उसका शक सही हो । पर अविनाश पिछे नही मुड़ता है । हैदर अली हिंदुस्तान अपने जासुस को फोन करता है और कहता है ।

हैदर अली :- मुझे एक लड़के की डिटेल चाहिये । नाम शाहिद अमजद खान । वालिद का नाम अमजद खान । अड्रेस लिखो ।

अविनाश हैदर अली की बात को सुन लेता है और वहीं से चला जाता है । अंदर रुखसार मेहेक के पास बैठी थी । अविनाश को दैखकर मेहेत के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है । मेहेक अपने बिस्तर से उठती है और अविनाश को गले लगा लेती है । रुखसार वहां से चली जाती है ।

अविनाश :- ये क्या ! आप उठी क्यूं ।

मेहेक :- मुझे कुछ नही होगा । एक महिना हो गया आपको मेरी याद नही आई । एक बार भी मिलने नही आए आप । क्या इतनी बुरी बन गई हूँ मैं ।

अविनाश :- नही मेहेक । ऐसी कोई बात नही है । तुम बुरी कैसे हो सकती हो । बुरा तो मैं हूँ । जो तुम्हारे साथ ऐसा सलूक कर रहा हूँ ।

मेहेक :- क्यू मेरे वजह से अपने आप पर इल्जाम लगा रहे हो ! आपका जितना भी साथ मिला मैं उस पल को हमेशा अपने दिल मे संभाल कर रखूगीं ।

अविनाश :- मेहेक । मैं परसो हिंदुस्तान वापस जा रहा हूँ ।

अविनाश से इतना सुनकर मेहेक अविनाश से अलग होती है और उसे दैखती रहती है ।

अविनाश :- ऐसे क्या दैख रही हो ?

मेहेक :- आपको दैख रही हूँ । पता नही फिर कभी मौका मिलो या ना मिले ।

मेहेक अपने आपको संभालती है और कहती है ।

मेहेक :- हिंदुस्तान जाके आप हमे भूल तो नही जाओगे ना शाहिद ।

अविनाश :- भुला तो उसे जाता है जिसे आप याद करते हो । आप तो हमेशा मेरे दिल मे रहोगी । अच्छा अब मैं चलता हूँ ।

अविनाश के इतना कहने पर मेहेक अविनाश की और दैखती है अविनाश जाने लगता है तो मेहेक कहती है ।

मेहेक :- परसो आपकी कितने बजे की ट्रेन है ?

अविनाश :- सुबह 6 बजे की ।

मेहेक :- शाहिद । क्या हम कल मिल सकते है ?

अविनाश :- नही मेहेक । अब हम ना मिले तो बेहतर है । ( धिरे से ताकी मेहेक ना सुन ले ) वरना ना तुम जी पाओगी और ना मैं ।

इतना बोलकर अविनाश वहां से चला जाता है ।

इधर हिंदुस्तान मे हैदर अली का भेजा हूआ जासुस शाहिद ( अविनाश के द्वारा दिया गया पते पर जाता है ) के पते पर जाता है और दरवाजा खटखटाता है ।

जासुस :- घर मे कोई है ?

विजय :- कौन ?

जासुस :- अरे भाई मैं सरकारी आदमी हूँ । जन गणना हो रही है । तो आपका नाम जानना है । जल्दी बाहर आईए ।

विजय :- जी बोलिए ।

जासुस :- आपका नाम ।

विजय :- अमजद खान ।

जासुस :- घर मे और कौन कौन है ?

विजय :- अभी तो सिर्फ मे ही हूँ । मेरा एक बेटा है जो पाकिस्तान गया है मेरे दोस्त से मिलने ।

जासुस :- क्या नाम है आपके बेटे का ?

विजय :- जी शाहिद ।

जासुस :- ठीक है । उसकी कोई फोटो है आपके पास ।

विजय :- क्यों । जन गणना करनी है के शादी करवानी है । 

जासुस :- ठिक है ठिक है ।

इतना बोलकर वो जासुस वहां से चला जाता है । कुछ दुर जाकर वो हैदर अली को फोन करता है ।

हैदर अली :- हां बोलो ।

जासुस :- जनाब । वो लड़का शाहिद है । वो कोई जासुस नही है । मैंने अभी उसके अब्बु से बात करके आया । वो कोई जासुस नही है जनाब ।

हैदर अली :- ठीक है ।

इतना बोलतर हैदर अली फोन रख देता है । इधर वो जासुस जैसे ही फोन को रखकर पिछे मुड़ता है तो वो दैखता है के पिछे विजय खड़ा था ।

जासुस :- तुम यहां । क्या बात है ।

विजय :- जी वो मैं ये बताने के लिए के मेरा नाम अमजद खान नही है और ना ही कोई शाहिद नाम का लड़का मेरा बेटा है ।

जासुस :- क्या ? अरे बुड़बक तो फिर तुमने ये क्यों कहा के तुम अमजद खान हो और शाहिद तुम्हारा बेटा है ।

विजय :- वो आपने तो मेरा असली नाम पुछा ही नही ।

जासुस :- असली नाम ।

विजय :- जी मेरा नाम विजय है और मैं हिंदुस्तान मे कितना पाकिस्तानी जासुस है उसकी गणना करता हूँ ।

विजय से इतना सुनकर वो भागने की कोशिश करता है पर विजय उसे पकड़ लेता है । फिर विजय अविनाश को फोन करता है ।

विजय :- बेटा । काम हो गया है ।

अविनाश :- जी पप्पा । थेंक्स । 

विजय :- तु अपना काम करो और अपने बाबा को लेकर आओ । अब ये सारा चीज बोलोगा । के हैदर अली का प्लान क्या है ।

अविनाश और विजय दोनो ही फोन रख देता है । इधर हैदर अली को समझ मे नही आ रहा था के वो कौन है जो गौतम को छुड़ाना चाहता है ।

तभी हैदर अली का फोन आता है ।

हैदर अली :- हेलो !

सिपाही :- जनाब सिद्दिकी का पता चल गया है ।

इतना सुनते ही हैदर वहां से उठता है और कहता है ।

हैदर अली :- तुम उसपर नजर रखो मैं अभी आता हूँ । उसे छोड़ना मत । 

हैदर अपने सिनियर को फोन करता है ।

हैदर अली :- जनाब सिद्दिकी का पता चल गया है । हम उसे अरेस्ट नही करते है बस्ती मार देते है । ताकी गौतम के केश का राज राज ही रहे । क्योकी अगर हमने उसे छोड़ा तो वो सब कुछ बक देगा । के कैसे हमने उस्मान और उनके साथी को मारा था और गौतम को झुठे केश मे फंसाया था । ठीक है जनाब ।

इतना बोलकर हैदर अली फोन काट देता है और वहां से हैदर अली वहां से निकल जाता है 



दृश्य 26



सिद्दीकी की का घर ।

सिद्दीकी का घर जहां पर हैदर अली के सिपाहियों ने सिद्दीकी को पकड़कर रखा था । 

सिद्दीकी :- ये क्या कर रहे हो , तुम लोग । जानते हो मैं कौन हूँ । I AM YOUR SENIOR.  

तभी वहां पर हैदर अली आ जाता है । 

हैदर अली :- आप सिनियर थे पर अब नही रहे । 

सिद्दीकी :- हैदर । मुझे माफ करदो हैदर । मैने तो उस लड़के को मारने के लिए भेजा था । मैं मेहेक को कोई नुकसान नही पहूँचाना चाहता था । मेरी कोई गलती नही है ।

हैदर अली :- गलती तो आपने की है सिद्दीकी मेरी बेटी मेहेक को मारने की कोशिश की है आपने । और इसकी सजा है सिर्फ मौत ।

हैदर अली अपना गन निकालता है और सिद्दिकी के सर पर रख देता है ।

सिद्दीकी :- नही हैदर । मुझे मत मारो । मैने तुम्हारे हर गलत काम मे साथ दिया था । जो तुमने कहा मैने वही किया । गौतम को झूठे केस मे फंसाया । उस्मान को और उसके दोनो साथी को मारने मे सहायता किया । हमारे मुसलमान लोगो को मारा और इल्जाम हिंदुओ पर लगाया । कितने सारे दंगे कराये । मुजाहिदो को कश्मीर भेजा । और वहां के मुसलमानो को भड़काया ।

हैदर अली :- जो काम आपने किया उसको लिए सुक्रिया । पर आपको मरना होगा । क्योकी ये बात अगर बाहर आ गई तो मैं नही बचुगां ।

इतना बोलकर हैदर अली सिद्दीकी को गोली मार देता है । ये सब सुनकर पाकिस्तान के सिपाही सब दंग रह जाता है । वो हैदर अली को इंमानदार समझता था । पर ये सब सुनकर वो लोग हैरान थे । 




दृश्य 27



गुलाम खान का घर ।

अविनाश और ताहिर एक जगह पर बैठा था । 

ताहिर :- ये क्यों किया भाईजान आपने । आपने उससे झुठ क्यों कहा ! 

अविनाश :- अगर मैं झुठ नही बोलता तो मैं उसे छोड़कर नही रह पाता ।

ताहिर :- अगर वो आपको यहां दैख लेगी तो और फिर वो हमारा काम और आशान कर देता ।

अविनाश :- नही ताहिर भाई । वो बहोत अच्छी लड़की है , मैं उसके जज्बात के साथ और नही खेल सकता । और फिर मैं यहां नही रहूगां । क्योंकी मैं और आपलोगो को परेशान नही करना चाहता ।

ताहिर :- ये क्या बोल रहे हो भाईजान आप । आपके लिए जान हाजिर है । 

गुलाम खान :- ये कैसी बात कर रहे हो बेटा । गौतम भाई के लिए हम कुछ भी कर सकते है । उनका बहोत एहसान है हमपर ।

अविनाश :- नही चाचा । अब ये लड़ाई मैं अकेले लड़ना चाहता हूँ ।

ताहिर :- तो अब क्या करोगे आप ?

अविनाश :- कुछ भी हो जाए पर मैं बाबा को यहां से लिए बगेर ही जाउगां ।

तभी वहां पर मेहेक आ जाती है । मेहेक को दैखकर अविनाश खड़ा हो जाता है ।

अविनाश :- मेहेक । तुम यहां ।

मेहेक को दैखकर गुलाम और ताहिर वहां से चला जाता है । मेहेक अविनाश के पास जाती है और उसके गले लग जाती है ।

अविनाश :- क्या बात है मेहेक ?

मेहेक :- मुझे माफ कर देना शाहिद । आपके मना करने के बाद भी मैं आपसे मिलने चली आई ।

अविनाश :- कोई बात नही । 

मेहेक :- क्या मैं तुम्हारा थोड़ा वक्त तुमसे मांग सकती हूँ ?

अविनाश कुछ दैर सोचता है फिर हल्की मुस्कान के साथ हां मे सर हिलाता है । मेहेक और अविनाश वहां से एक उसी पार्क मे चला जाता है जहां पर वो लोग पहले मिले थे । 

मेहेक अविनाश को बस दैखे जा रही थी । अविनाश वहां से उठना चाहता था पर मेहेक अविनाश का हाथ पकड़ लेती है और अविनाश के गौद मे सो जाती है । अविनाश को बहोत बुरा लग रहा था क्योकी वो भी मेहेक को चाहने लगा था । पर वो ना चाहते हूए भी मेहेक से दुर रहने की कोशिश कर रहा था । मेहेक उठती है और अविनाश की तरफ बड़ती है दोनो मे अब बस कुछ ही दुरी थी । अविनाश मेहेक से दुर जाने की कोशिश करता है । पर मेहेक कहती है ।

मेहेक :- मैं जानती हूँ के मेरे किस्मत मे आप नही हो । पर क्या ये कुछ वक्त आप मेरे नाम नही कर सकते ?

मेहेक की बात को सुनकर अविनाश बहोत मायूस हो जाता है । अविनाश मेहेक को और दुखी नही करना चाहता था । 

अविनाश :- मेहेक । तुम बहोत अच्छी हो । मैं बहोत बदनसीब हूँ जो तुम्हारे प्यार को पा नही सकता । क्योंकी मेरी कुछ मजबुरी है । 

मेहेक :- जानती हूँ । के आपके बहोत बड़ी मजबूरी रही होगी । पर बदनसीब तो मैं हूँ जो आपके प्यार को पा ना सकी । पर मैं अल्लाह से दुआ करुगी के आपका जो भी मजबूरी हो वो दुर हो जाए और आप अपने मकसद मे कामयाब हो ।

मेहेक के इतना कहने के बाद जोर से बादल गरजता है और बारिस होने लगती है । बादल करने से मेहेक अविनाश को गले लगा लेती है । और दोनो वही पर खो जाते है ।

गाना 

बारिस छुटने के बाद अविनाश मेहेक को उसके घर छोड़ देता है । अविनाश अंदर से मेहेक के लिए बहोत दुखी था क्योकी अविनाश भी मेहेक को बहोत प्यार करने लगा था । पर वो अपने बाबा के लिए मजबुर था ।

मेहेक :- आप अंदर नही आओगे ।

अविनाश :- मेहेक वो ।

मेहेक :- बस एक कप कॉफी ।

मेहेक की बात को अविनाश टाल नही सका और अंदर चला गया । मेहेक अविनाश के लिए कॉफी लोकर आती है । और कॉफी अविनाश को देती है ।

अविनाश :- थेंक्यू ।

अविनाश कॉफी पिने लगता है । मेहेक बस अविनाश को दैखे जा रही थी । कॉफी पिने के बाद अविनाश उठता है , तो मेहेक परेशान हो जाती है । 

मेहेक :- अच्छा, आपसे एक बात पूछु ?

अविनाश :- हां पुछो ।

मेहेक :- आपने कभी किसी से प्यार किया है ?

अविनाश :- हां ।

मेहेक :- वाउ । कौन है वो ?

अविनाश :- है एक लड़की । जिससे मैं बहोत प्यार करता हूँ । 

मेहेक :- मैं जानना चाहती हूँ के वो कहां रहती है ।

अविनाश :- मेरे दिल मे रहती है और हमेशा रहेगी ।

मेहेक :- आप बहोत प्यार करते हो है ना उसे ?

अविनाश :- हां ।

अविनाश :- अच्छा मेहेक अब मैं चलता हूँ ।

मेहेक :- हम्म ।

अविनाश वहां से जाने लगता है तो मेहेक उसे रोकना चाहती है पर नही रोकती है । जैसै ही अविनाश वहां से जाता है , मेहेक के आंखो से आंशु बहने लगता है । अविनाश भी उदास मन से वहां से चला जाता है ।

तभी वहां पर हैदर अली आता है और अविनाश को जाते दैखता है , हैदर मेहेक के पास जाता है । मेहेक के आंखो मे आंशु दैखकर हैदर अली कहता है ।

हैदर अली :- क्या बात है बेटा आपके आंखो मे आंशु ?

मेहेक हैदर अली के गले लग जाती है और रोने लगती है ।

हैदर अली :- बात क्या है मेहेक बेटा ?

मेहेक :- अब्बू , वो शाहिद कल सुबह हिंदुस्तान वापस जा रहे है ।

हैदर अली :- तो इसमे रोने वाली क्या बात है । वो फिर वापस आएगा ना आपको लेने ।

मेहेक :- नही अब्बू । अब वो फिर कभी नही आएगा । 

हैदर अली :- ऐसे कैसे नही आएगा । मैं उसे लेकर आता हूँ ।

हैदर को रोकते हूए मेहेक कहती है ।

मेहेक :- नही अब्बू । उसे जाने दिजिए । वो भी मुझसे उतना ही प्यार करता है जितना मैं । पर वो बोल नही पा रहा है । मैं उनका प्यार जबरदस्ती नही पाना चाहती । उनकी कुछ मजबुरी रही होगी । 

मेहेक हैदर अली को पकड़कर रोने लगती है ।

इधर रात का समय था , अविनाश और सभी सो रहे थे । तभी बाहर एक गाड़ी रुकती है और हार्न बजाती है । अविनाश और सभी का निदं खुल जाता है । वो लोग हैरान हो जाता है के इतनी रात को कौन आया है ।अविनाश और ताहिर उठता है और बाहर जाता है तो दैखता है के एक आदमी अंधेरे मे खड़ा था । अविनाश धिरे धिरे आगे बड़ता है तो वो दैखकर हैरान हो जाता है । वहां पर और कोई नही बल्की गौतम खड़ा था ।

गौतम को दैखकर अविनाश को बचपन की याद आती है क्योकी अविनाश अपने बाबा को 22 साल बाद दैख रहा था । 

अविनाश :- बाबा ।

गौतम :- अविनाश ।

अविनाश :- बाबा । 

इतना बोलतर अविनाश अपने बाबा को गले लगा लेता है और रोने लगता है । गौतम अविनाश तो दैखता है और उसे चुनता है फिर कहता है ।

गौतम :- कितना बड़ा हो गया रे तु । 

अविनाश :- हां बाबा । 

गुलाम :- गौतम भाई ।

गौतम :- गुलाम भाई । ( गले लगता है ) आप बिल्कुल नही बदले ।

ताहिर गौतम के पैर छुता है । गौतम हैरान हो जाता है । उसे पहचान नही पाता ।

गुलाम :- ये मेरा बेटा ताहिर है भाई ।

गौतम :- क्या ! ये ताहिर है ? 

गुलाम :- हमने बहोत कोशिश की आपको छुड़ाने की पर कभी कामयाब नही हो पाया ।

गौतम :- जानता हूँ । उस दिन जब अविनाश मुझे बचाने के लिए आया था । तो मैने तुम दोनो की बाते सुनी थी । मैं वही पर था ।

ताहिर :- पर चाचा जान आप यहां पर कैसे ?

गौतम :- पता नही कौन था वो । मुझे वहां से सबके सामने से बाहर लेकर आया और कहा के अविनाश का दोस्त हूँ उसने भेजा है । आपको उसके पास पहूँना है ।

अविनाश :- कौन था वो ?

गौतम :- उसका चेहरा ढका था । मैने दैखा नही , नाम पुछा तो बताया के अविनाश का दोस्त हूँ । उसने कहा के आज ही मैं और तुम यहां से निकल जाउ ।

गुलाम :- गौतम भाई ठीक कह रहे है अविनाश । हमे अभी निकलना होगा ।

गौतम :- गुलाम भाई उस्मान । वो उनको गोली लगी थी ना ?

गुलाम :- वो भी ठिक है पर उनकी यादाश्त चली गई है । अगर उनकी यादाश्त होती तो वो आप इतने दिनो तक जेल के अंदर नही होेते ।

गौतम:- चलो फिर उनके पास ।

गुलाम :- नही उतना वक्त नही है हमारे पास । उनके लिए मैं हूँ । आपलोगो को बॉर्डर पार कराकर मैं वापस यहां पर आ जाउगां । अब और दैर मत किजिये चलिए जल्दी ।

अविनाश अंदर जाता है और अपना सामान लेता है । और फिर वहां से सभी निकल जाता है । रास्ते पर अविनाश बस मेहेक के बारे मे सोच रहा था । अविनाश को बहोत बुरा लग रहा था । वो जानता था के मेहेक के बिना वो नही रह पाएगा । कुछ दुर जाने के बाद रास्ते पर हैदर अली और उसके सिपाही रास्ता रोके खड़ा था । ताहिर गाड़ी को दुसरी और मोड़ता है । पर हैदर अली गाड़ी पर गोलियां चलने लगता है । जिससे गाड़ी पलट जाती है ।

हैदर अली :- ढुंडो उन सबको । कोई बच कर जाने ना पाए ।

सभी सिपाही उन सभी ढुंडने लगता है । अविनाश और सभी अंधेरे का फायदा लेकर छिप जाता है । सिपाही सब अविनाश सबको ढुंडता है । तभी अविनाश वहां से निकलता है और सिपाही सबको एक एक करके मारने लगता है । ताहिर , गुलाम खान और गौतम भी मारने लगता है । ऐसै करते करते हैदर अली के सभी सभी लोगो को मार देता है । तब हैदर अली गौतम को मारने के लिए आता है । तो गौतम उसे पकड़ लेता है और एक लात मारता है । हैदर अली दुर जा गिरता है । गोतम एक गन उठाता है और हैदर पर तान देता है ।

गौतम :- हैदर अली । मैने तुझसे कहा था ना के मुझे मार दो । वरना बाद मे कही पछताना ना पड़े ।

हैदर अली :- तो फिर सौच क्या रहे हो । चलाओ गोली और मारदो मुझे । मुझे मारने का बाद मैं शहिद कहलाउगां और ये हिंदू मुसलमान एक दुसरे से और नफरत करने लगेंगे । 

तभी वहां पर कुछ और पाकिस्तानी सिपाही आ जाता है । जिसे दैखकर हैदर अली खुश हो जाता है ।

हैदर अली :- हा हा हा हा । अब क्या । डॉयलॉग खतम । हा हा हा हा । मरोगे सबके सब । दैख क्या रहे हो , भून डालो सबको ।

सभी सिपाही अपना गन तान देता है । तब एक सिपाही कहता है ।

सिपाही :- रुको । कोई गोली नही चलाएगा ।

हैदर अली :- गोली चलाओ । Its my order. 

सिपाही :- सॉरी सर । पर मैं आपकी कोई बात नही मान सकता 

हैदर अली :- क्यो नही मान सकते ।

सिपाही :- क्योकी मैं आपकी सच्चाई जान चुका हूँ । गौतम सर बेगुनाह है । आपने कैसे हमारे दो ऑफिसर को मारे और गौतम सर को फंसाया । गोतम सर आपलोग जा सकते हो । और अविनाश आप मुझे वो पेपर देगें जो आप लेकर जा रहे हो । मैं उसे ले जाने की परमिशन आपको नही दे सकता ।

अविनाश हल्की मुस्कान देता है और वो पेपर उस ऑफिसर को दे देता है ।

गुलाम :- कैसे इंसान हो तुम हैदर । 

गुलाम , ताहिर और अविनाष अपना चेहरे से कपड़ा हटा देता है । गुलाम को दैखकर हैदर हैरान हो जाता है ।

हैदर अली :- गुलाम खान ?

गुलाम खान :- हां मैं । 

हैदर अली :- शर्म आनी चाहिए आपको । एक मुसलमान होकर हिंदु का साथ दे रहे हो । अल्लाह आपको जहन्नम मे भी जगह नही देगें ।

गुलाम खान :- कौन हिंदू कौन मुसलमान । सबसे पहले खुदा ने हम सबको इंसान बनाया है । इसमे बुराई क्या है । मैं अपने धर्म को मानता हूँ । ये अपने धर्म को । तो उसमे क्या हो गया । हिंदु अपना पुजा पाठ धुम धाम करे । और हमे उसमे साथ देना चाहिए । और हम अपना त्योहार धुम धाम से मनाएगें । इसमे उनको कोई परेशानी नही । तो फिर हिंदु मुसलमान तिस बात का ।

ये सब तुम लोगो के बनाए चोचले है । तुम लोग कुरान का नाम लेकर मुसलमान लड़को को भड़काते हो । उन्हें झुट बोलते हो । के कुरान मे काफिरों का मारना लिखा है । अरे ऐसा कोई धर्म ही नही है जिसमे किसीको को मारने के लिए कहा गया हो । ये सब तुम्हारा झुट है । अगर हर मुसलमान अपने धर्म को खुद जानने की कोशिश करे , और तुम जैसो से दुर रहे तो इस दुनिया मे कभी हिंदु मुसलमान होता ही नही । सिर्फ और सिर्फ इंसानियत होगी । गौतम भाई खतम कर दो इसे ताकी ये फिर से मुसलमानों को हिंदुओ के खिलाफ भड़काए ना ।

गौतम :- सुनलिया । अरे कैसे इंसान हो तुम । अपने मजहब के लड़के को भड़का कर उन्हें मौत देते हो और कहते हो के जन्नत मिलेगी । अरे जब उपर जाओगे तो क्या सच मे जन्नत मिलेगी । कितनो के कातिल होगें तुम । तुम्हें जन्नत कैसे मिलेगी । कभी उस माँ से पुछो जिनके बेटे को तुने भड़ाया और वो दंगा किया और फिर मौत । कभी जाकर पुछना उसे के क्या उसके बेटे के जिहाद से वो खुश है ? किसीको मारकर या किसीको दुख देकर कोई जन्नत नही जाता । मैं चाहू तो तुम्हें अभी मार सकता हूँ । पर जाओ तुम्हें बक्शता हूँ । अगर हो सके तो इंसान बनना और ये हिंदू मुसलमान को लड़ाने के बजाए एक रहने की संदेश देना । 

सभी हैदर अली को वहां से छोड़कर चला जाता है । गौतम गुलाम खान और ताहिर से गले मिलतर विदा लेता है ।

गुलाम खान :- अपना ख्याल रखना गोतम भाई ।

गौतम :- मुझसे मिलने हिंदुस्तान आओगे ना ?

गुलाम खान :- जरुर भाईजान जरुर ।

अविनाश ताहिर के गले लगता है और कहता है ।

अविनाश :- अपना ख्याल रखना और मुझसे मिलने जरुर आना ।

ताहिर :- जी भाईजान ।

अविनाश :- मेहेक को मेरे बारे सब बता देना और कहना के हो सके तो वो मुझे माफ कर दे ।

इतना बोलतर अविनाश और गोतम वहां से चला जाता है ।



दृश्य 28



गौतम और अविनाश हिंदुस्तान पहूँच जाता है ।

 सुबह होते होते अविनाश और गौतम हिंदुस्तान पहूँच जाता है । जहां पर विजय , रक्षा मंत्री , गृह मंत्री और मोहिना उन दोनो का इंकजार कर रहा था । अविनाश और गोतम को दैखकर सभी बहोत खुश होता है ।

विजय :- साबास मेरे शेर ।

गौतम :- कैसे हो विजय ।

विजय :- ठीक हूँ । और आपको दैखकर और भी हो गया ।

गौतम :- आपका धन्यवाद कैसे करु समझ नही आता । आपने मेरे बेटे को अपने बेटे की तरह पाला ।

विजय :- कैसी बात कर रहे हो । अगर आप ना होते तो शायद मे भी पाकिस्तान मे मर गया होता ।

रक्षा मंत्री :- हमे विजय ने ही बताया के अविनाश के बाबा आप हो , वरना हमे तो पता ही नही था । बहोत बहादुर है आपका बेटा ।

तभी मोहिनी अविनाश के गले लग जाती है । पर अविनाश मोहिना के गले लगने से खुश नही होता । मोहिनी को ये थोड़ा अजिब लगता है ।

अविनाश :- चले सर । 

विजय :- हां चलो ।

सभी वहां से चला जाता है , पर मोहिनी अविनाश के खामोशी से खुश नही था । 

दो दिन बाद 

सुबह अविनाश अपने कमरे मे था , और तभी विजय , अविनाश को बुलाता है । अविनाश बाहर आता है , जहां पर विजय , मोहिना और गोतम बैठकर बात कर रहे थे । तभी अविनाश वहां पर अपना लॉकेट देखता है और एक चिट्ठी जो गौतम के पास रखा था । अविनाश इस लॉकेट को दैखकर हैरान हो जाता है । 

अविनाश :- बाबा , ये लॉकेट आपके पास कैसे आई ?

गौतम :- ये तो मुझे तेरे उस दोस्त ने दिया था और ये खत भी दिया था । उसने कहा था के जब आपलोग हिंदुस्तान पहूँच जाओगे तब ये खत और लॉकेट अविनाश को दे देना । 

विजय :- कौन सा दोस्त अविनाश ?

अविनाश :- पता नही पापा ।

अविनाश वो लॉकेट को उठाता है और फिर उस खत को हैरानी से खोलने लगता है । खत को खोलने के बाद अविनाश हैरान हो जाता है क्योंकी वो खत किसी और का नही बल्की मेहेक की थी । खत मे लिखा था ।

माय डियर , माय लव अविनाश ।

मैं तुम्हारी मेहेक ।

जब तक ये खत तुम्हें मिलेगी , तब तक तुम मुझसे बहोत दुर जा चुके होगे । ये लॉकेट देकर भेज रही हूँ । आप मेरे घर मे अब्बू के फाईल से कागज चोरी करने के समय भूल गये थे । अच्छा हूआ मैने दैख लिया था । वरना अब्बू के हाथ लगता तो बहोत बुरा होता । ( उस पल को दिखाता है जब अविनाश का लॉकेट गिर जाता है मेहेक दोनो को फाईल से चोरी करते दैख लेती है । और वो लॉकेट उठा लेती है ।)

आप ये सौच रहे होगें के मुझे पता होने के बाद भी क्यों अब्बु को नही बताया । मैं उन्हें बताने ही वाली थी । पर जब मैने ये उनसे किसीसे ये कहते सुना के उन्होने आपके अब्बू को धोके से फंसाया है तब मुझे लगा के आप सही हो । फिर जब मैं गुलाम चाचा के घर गई तो आपको मेरे बारे मे बोलते सुना के आप भी मुझसे उतना ही प्यार करते हो जितना मैं आपसे करती हूँ । और तब मुझे लगा के मैने एक सच्चे इंसान से प्यार किया है । और मैं नही चाहती थी के मेरा प्यार आपके लिए जंजीर बन जाए । 

उसके बाद मैंने अब्बू के फाईल से आपके अब्बु के डिटेल निकाला और अपने घर का फोन को खराब करके जेल चला गया आपके अब्बु को छुड़ाने । ( उस पल को दिखाता है जहां पर मेहेक अपने घर का फोन डेड करती है ताकी फोन ना आए , हैदर के सोने के बाद मेहेक वहां से चुपके से गाड़ी लेकर निकल जाती है और जेल पहूँच जाती है । कुछ सिपाही मेहेक को दैखकर कहती है । 

सिपाही :- मेडेम आप यहां ।

मेहेक :- अब्बू ने भेजा है , गोतम को ले जाने आया हूँ ।

सिपाही :- पर उनका कोई ऑर्डर वही आया है ।

मेहेक :- इसिलिए तो मैं आई हूँ । यहां पर फिर से हमला होने वाला है तो अब्बू ने मुझे भेजा है । 

सिपाही :- ठिक है पर मैं एक बार उनको फोन कर लेता हूँ ।

मेहेक :- जी बिल्कुल । 

वो सिपाही बार बार फोन लगाता है पर फोन वही लगता है । तब वो वापस आ जाता है ।

मेहेक :- बात हो गई ना ।

सिपाही :- वो फोन नही लगा उनका । 

मेहेक :- ठिक है अगर आपतो नही भेजना है तो कोई बात नही । मैं अब्बू को जाकर बोल दुगीं । अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो देना जवाब अब्बु को । मैं तब जा रही हूँ ।

मेहेक वहां से जाने लगती है तब वो सिपाही मेहेक को रोकता है ।

सिपाही :- नही रुकिए मेडेम । मुझे आप पर भरोसा है आप गोतम को ले जा सकती हो । पर आप अकेले कैसे लेकर आएगी । 

मेहेक :- आप बस उन्हे मेरे गाड़ी मे हेंडकप लगा दिजिए और आप सब यहां रहिए और अलर्ट रहिए अब्बु ने कहा है । 

वो सिपाही मेहेक के गाड़ी मे गोतम को बैठा देता है मेहेक अपना चेहरा छुपा लेती है । और वहां से गौतम को लेकर गुलाम खान के घर के बाहर छोड़कर चली जाती है । )

मैं चाहती तो आपको ये सब बता सकती थी पर आपको लगता के मैं एहसान जता रही हूँ । आप मेरी फिक्र बिलकुल मत करना । आपके साथ बिताए वो पल मेरे लिए बहोत है । और ज्यादा कुछ बोलुगी तो मैं रो पड़ुगीं । अपना ख्याल रखना और जब भी मेरी याद आए तो ये खत दैख लेना । 

आपकी मेहेक ।

अविनाश ये खत पड़कर रोने लगता है । उसे पता ही नही था के मेहेक को सब पता था । विजय और गोतम अविनाश के आँखो पर आंशु दैखकर उससे पुछता है ।

विजय :- क्या बात है बेटा । किसका खत है ये ।

तब अविनाश उन सबको मेहेक के बारे मे बताता है । सभी ये सुनकर हैरान हो जाता है । मोहिनी भी उदास हो जाती है ।

अविनाश :- मेहेक । पता नही वो कैसी होगी । पाकिस्तानी पुलिस उसे पकड़ लिया होगा । 

अविनाश का रोनी सुरत हो जाता है । अविनाश गोतम के गले लग जाता है ।

अविनाश :- मैं उससे बहोत प्यार करता हूँ बाबा । पर मैं , मैं उस कभी बता ही नही पाया के मैं कितना प्यार करता हूँ उससे । उसके बिना नही रह सकता मैं बाबा ।


इतना बोलतर अविनाश फोन के पास आता है और गुलाम खान के घर फोन करता है ।

ताहिर :- हेलो ।

अविनाश :- ताहिर भाई । मैं अविनाश ।

ताहिर :- अविनाश । भाईजान कबसे आपके फोन का इंतजार कर रहा हूँ ।

अविनाश :- ताहिर भाई । वो बाबा को छुड़ाने वाला और कोई नही मेहेक है ।

ताहिर :- जानता हूँ भाईजान । पर आपको कैसे मालुम ।

अविनाश :- मेहेक ने एक खत भेजा है बाबा को दैकर । उसमे उसने सब कुछ लिखा है । उसे तो पहले से ही पता था के मैं कौन हूँ । ताहिर भाई वो कैसी है ।

ताहिर :- वो ठिक नही भाईजान । उसने गोतम चाचा को छुड़ाकर अपने आपको गुनेहगार बना लिया । उसे पुलिस पकड़कर ले गई है । बहोत बुरा बरताव हो रहा है उसके साथ । देश द्रोही बोल रहे सब । 

अविनाश :- ये क्या बोल रहे हो ताहिर । वो ऐसा नही कर सकती ।

ताहिर :- आपके जाने के बाद । हैदर अली अपने आपको गोली मार लेता है । हम दोनो का नाम वहां पर मौजूद सिपाही नही बताता है । मगर मेहेक । मेहेक के खिलाफ गवाही जेल मे तैनात सिपाही देता है । जिस कारण मेहेक को जेल मे रखा गया है । हमे मिलने तक नही दिया जा रहा है । कल कोर्ट मे मेहेक की पेसी है । मैं तुम्हें तल फोन करता हूँ । 

इतना बोलकर ताहिर फोन रख देता है । अविनाश बहोत परेशान हो जाता है । 

अविनाश :- तुमने ऐसा क्यों किया मेहेक । मैं जो नही चाहता था , वही हूआ ।

विजय :- तुम उसे लेकर क्यों नही आए । 

अविनाश :- कैसे लाता । मैं एक रॉ ऑफिसर और वो एक पाकिस्तानी । मैं नही चाहता था के मेहेक मेरे वजह से कोई परेशानी मे पड़े । पर उसने ये जानते हूए भी के उसका अंजाम क्या होगा । मेरे खुशी के लिए अपने आप को बहोत बड़ी मुसीबत मे डाल दिया है ।



दृश्य 29



पाकिस्तान जजमेंट डे ।

पाकिस्तानी पुलिस मेहेक को जेल से निकालकर गाड़ी मे बैठाता है । तभी वहां पर ताहिर आता है ।

ताहिर :- मेहेक ।

मेहेक :- भाईजान आप ।

ताहिर :- कल अविनाश से बात हूआ ।

मेहेक :- क्या कहां उन्होने ! मेरे बारे मे कुछ कहा ? उसे मेरे बारे मे मत बताना । वरना वो रह नही पाएगे ।

ताहिर :- मैने सब कुछ बता दिया मेहेक । वो बहोत परेशान है ।

तभी पुलिस ताहिर को हटा देता है और मेहेक को लेकर जाता है ।

ताहिर :- तु चिंता मत कर हम कुछ ना कुछ करेगे । तुझे कुछ नही होने देगें ।

पाकिस्तानी पुलिस मेहेक को कोर्ट मे पेस करती है । जहां पर जज ने मेहे को एक रॉ एजेंट की मदद करने की जूर्म मे मेहेक को 5 दिन बाद सबके सामने चोराहे पर फांसी की सजा देता है । पाकिस्तान के सभी नागरिक मेहेक को बुरा भला कहने लगता है । मेहेक को गद्दार कहने लगता है ।

फांसी सुनकर मेहेत मुस्कुराने लगता है । ताहिर और गुलाम परेशान हो जाता है । मेहेक कोर्ट से निकलती है । ताहिर और गुलाम मेहेक ये मिलना चाहता था पर वो दोनो को पुलिस मिलने नही देता । और मेहेक को लेकर चला जाता है ।

गुलाम और ताहिर मेहेक से मिलने की कई बार कोशिश करता है पर उसे मिलने नही दिया जा रहा था । बहोत कहने के बाद सिर्फ एक को मिलने दिया गया । ताहिर मेहेक से मिलने गया । 

मेहेक :- क्या बात है भाईजान आपके आंखो मे आंशु ?

ताहिर :- मुझे माफ करदो मेहेक हम तुम्हारे लिए कुछ ना कर सके । तुमने ये क्या कर दिया ।

मेहेक :- भाईजान । मेरा एक आखरी काम कर दोगे ?

ताहिर :- हां बोलो ।

मेहेक :- जब इनका फोन आये तो कहना । के मेहेक अविनाश से बहोत प्यार करती है और मेहेक सिर्फ और सिर्फ उनकी है । मेरी आखरी सांस तक मैं उनकी ही रहूंगी । भाईजान । जब मेरी मौत हो जाएगी तो एक काम और देना । उनसे कहना अगर हो सके तो मेरे लिए उनके भेजा हूआ मिट्टी मंगाना और मेरे कब्र मे दे देना । तो मुझे लगेगा के वो मेरे साथ है ।

मेहेक की बात तो सुनकर ताहिर रोने लगता है तब मेहेक वहां से चली जाती है । ताहिर अविनाश को फोन पर सब बोलतर सुनाता है । जिसे सुनकर विजय , मोहिना , गौतम और अविनाश सभी परेशान हो जाता है ।

इधर मेहेक अविनाश के बारे मे सोचती है और हिंदूस्तान मे अविनाश मेहेक के बारे मे सोचता है ।

गाना ।



दृश्य 30




ताहिर और गुलाम खान उस्मान के पास जाता है ।

ताहिर गुस्से से उस्मान से कहता है ।

ताहिर :- साले कुछ तो याद करने की कोशिश करो । इतने दिनो तक तुझे पाला पोसा । आज अगर तुझे याद नही आया तो मैं यही तुझे गोली मार दूगां ।

ताहिर बंदूक को लेता है और उस्मान की और तान देता है ।

गुलाम :- नही ताहिर ।

गुलाम खान और ताहिर मे नोक झोक होने लगता है तो उस्मान को धिरे धिरे सब याद आने लगता है । तभी एक गोली फायर करता है । गोली की आवाज सुनकर उस्मान चिल्लाता है । 

उस्मान :- गौतम ....! गुलाम खान गोतम कहां है ?

गुलाम खान :- आपको सब याद आ गया जनाब ।

उस्मान :- हां गुलाम मुझे सब कुछ याद गया है । अब वो हैदर अली और उसके साथी का असली चेहरा मैं सबके सामने लाउगां ।

गुलाम खान :- हैदर अली अब नही रहा । 

उस्मान :- क्या ! ये सब कैसे हूआ ?

गुलाम खान :- वो सब मैं आपतो रास्ते मे बताउगां । पहले आप चलिए मेरे साथ ।

इतना बोलतर गुलाम खान उस्मान को लेकर पि एम ओ ऑफिस चला जाता है । 

पि एम ओ ऑफिस के बाहर गुलाम और हैदर अली वेट करता है तभी एक पि एम ओ ऑफिस का लड़का आता है और कहता है ।

लड़का :- कौन हो आपलोग यहां किस लिए आए हो किससे मिलना है आपको ?

उस्मान :- पि एम सर से मिलना है ।

लड़का :- वो अभी बिजी है । किसीसे नही मिल सकते ।

उस्मान :- उनसे कहो के उस्मान आया है वो जरुर आने देगें । मुझे उनसे मिलना बहोत जरुरी है । 

लड़का :- कहा ना एक बार नही मिल सकते ।

उस लड़के के इतना कहने पर उस्मान उसे धक्का देते हूए आगे जाने लगता है । वो लड़का और कुछ सिक्योरिटी उस्मान ,गुलाम और ताहिर को रोकने की कोशिश करता है । तभी वहां पर फारुकी आता है । फारुकी उस्मान को और उस्मान फारुकी को दैखकर हैरान हो जाता है । फारुकी उस्मान को दैखकर पहचान लेता है ।

उस्मान :- फारुकी भाई । आप पाकिस्तान का पि एम ।

फारुकी :- उस्मान भाई आप ? आप जिदां हो ?

फारुकी से उस्मान का नाम का नाम सुनकर सभी उस्मान और बाकी को छोड़ देता है ।

उस्मान :- हां । मैं जिंदा हूँ । माफ करना मुझे ऐसे आपके पास आना पड़ा क्योकी आपके सिक्योरिटी मुझे आपसे मिलने नही दे रहे थे ।

फारुकी :- आओ अंदर आओ ।

सभी अंदर चला जाता है । 

फारुकी :- हां कहिए उस्मान भाई, क्या बात है ।

उस्मान फारुकी को सबकुछ बोलकर सुनाता है । 

उस्मान :- सर अब आपही मेहेक को बचा सकते हो । कल सुबह तक अगर हम नही पहुँचे तो एक बेकसूर को अपनी जान देनी पड़ जाएगी ।

फारुकी :- आप चिंता मत करो मैं खुद वहां चलूगां । आप गोतम को बुलाओ ।

इधर गोतम के घर के करता फोन रिंग होता है जिसे गोतम उठाता है ।

गोतम :- हेलो !

फारुकी :- गोतम भाई । मैं पाकिस्तान के पि एम फारुकी बोल रहा हूँ ।

गोतम :- ( हैरानी से ) :- पि एम सर ।

गोतम से पि एम का नाम सुनकर अविनाश और विजय वहां पर आता है ।

फारुकी :- आपने मुझे अभी तक पहचाना नही गोतम भाई । याद करीए वो रात जब आप उस्मान भाई के पार्टी से लोड रहे थे और मेरा कार का एक्सीडेंट हो गया था । आपने मुझे अपना खुन देकर जान बचाया था ।

गोतम :- हां याद आया । आप पाकिस्तान के पि एम । कैसे हो सर आप ?

फारुकी :- मैं तो अच्छा हूँ । पर आपके बारे मे जो सुना वो मुझे अच्छा नही लगा । मुझे आपके बारे मे कुछ भी पता नही था । मुझे तो बताया गया था के आप उस्मान और एक ऑफिसर को मारकर हिंदुस्तान भाग गए है । मुझे माफ कर दिजिए गोतम भाई । पाकिस्तान के तरफ से आपसे मैं माफी मांगता हूँ ।

गोतम :- कोई बात नही सर । आप क्यों माफी मांग रहे हो ।

फारुकी :- गोतम भाई । अब समय आ गया है के पाकिस्तान की जनता को आपके बारे मे पता चले । मैं , उस्मान , गुलाम और पुरी पाकिस्तान कल आपका स्वागत करेगी । 

गोतम :- मैं कल पाकिस्तान ।

फारुकी :- कल मेहेक को सुबह 11 बजे फांसी दी जाएगी लाहोर मे । और मैं ये होने नही दूगां । मैं खुद वहां पर उस्मान को ले जा कर मेहेक को छुज़ाउगां और उस जाहिर को जहन्नम भेजूगां । पाकिस्तान मे कोई आपको नही रोकेगा ।

गोतम :- क्या । मेहेक को फांसी दी जाएगी । 

फांसी की बात सुनकर अविनाश हैरान हो जाता है ।

गोतम :- नही सर । मेहेक को कुछ नही होगा । कल मैं और मेरा बेटा लाहोर पहूँच रहे हैं ।

इतना बोलकर गोतम फोन रख देता है ।

अविनाश :- बाबा वो पि एम क्या बोल रहे थे । मेहेक को फांसी ! 

गोतम :- हां बेटा कल सुबह 11 बजे । हमे अभी पाकिस्तान के लिए निकलना होगा । और मेहेक को हम अपने साथ लेकर आएगे । 

विजय :- बेटा अविनाश । मेहेक को लेकर आना । कुछ भी हो जाए उसे कुछ नही होने देना ।

इतना बोलकर गोतम अविनाश को लेकर वहां से चला जाता है । 


दृश्य 31



लाहोर जहां पर मेहेक को फांसी देने वाला है ।

मेहेक को जेल से बाहर निकाला गया । फिर गाड़ी मे बेठाता है और लाहोर के उस जगह पर ले जाया गया जहां पर उसे सबके सामने फांसी देनी थी । वहां पर पहले से ही बहोत भीड़ थी । तभी मेहेक की गाड़ी की रुकती है और पुलिस मेहेक को गाड़ी से निचे उतारती है । मेहेक के उतरते ही वहां की भीड़ ने मेहेक को फांसी दो फांसी दो का नारा लगना सुरु हो जाता है । मेहेक गद्दार है ये सब नारा पाकिस्तान की भीड़ लगा रही थी । मेहेक एकदम चुप थी । सभी मेहेक को देखकर उसे गाली दे रहा था । क्योकी मेहेक एक हिंदु लड़का से प्यार किया और उसका मदद किया । मेहेक को फांसी वाली जगह पर चड़ाया जाता है । तब जहिर कहता है ।

जहिर :- जैसे की आप सबको मालुम है , के मेहेक ने एक हिंदुस्तानी हिंदु जासुस का साथ दिया और अपने देश से गद्दारी की । इस गद्दार लड़की ने उस जासुस के बाप गोतम को जेल से रिहा कराया ।

अविनाश और गोतम अपनी गाड़ी को तेज भगाता है ।

जहिर :- जो हमारे देश के वफादार उस्मान और एक पाकिस्तानी ऑफिसर का कत्ल किया था । और फिर जेल से छुटने के बाद हैदर अली को भी मार दिया । इस लड़की ने एक ऐसे इंसान का साथ दिया जो हमारे देश का गद्दार ऑफिसर था । 

इधर पि एम और गुलाम गाड़ी से आता है ।

जहिर :- ऐसे लड़की का हमारे देश मे रहना खतरा बन सकता है । इसिलिए मैं आज आपलोगो से पुछता हूँ । क्या ऐसे गद्दार को जिने का हक है ?

पुरा भीड़ :- नही । ये गद्दार है , इसे फांसी दो फांसी दो ।

तभी वहां पर वो सिपाही भी मौजूद रहता है जिसने गोतम को वहां से जाने दिया था , वो जहिर के पास आता है और कहता है ।

सिपाही :- जनाब माफी चाहता हूँ । मगर आप इन सबको झुठ क्यों बोल रहे हैं । हैदर अली खुद अपने आपको मारा है । ना की गोतम सर ने मारा है ।

जहिर :- गोतम सर ! बहोत प्यार आ रहा है उस गद्दार से । अगर एक भी लब्ज मुह से निकाला तो यही तुम्हें भी गद्दार साबित करके फांसी पे लटका दुगां । इस भीड़ की आवाज सुन रहे हो ये आज किसीकी नही सुनेगा । इसिलिए बेहतर यही होगा । तुम चुपचाप एक जगह पर खड़े रहो । 

तभी पुरी भीड़ ने पथ्थर उठाया और मेहेक को मारने लगता है । जिससे मेहेक को काफी चोंटे लगती है । मेहेक के आंखो मे बस आंशु थी ।

जहिर :- बस रुक जाओ । 

जहिर जल्लाद को इशारा करता है । जल्लाद मेहेक को फांसी वाली जगह पर खड़ा करता है । तब मेहेक अपनी आंखे बंद करती है और अविनाश के बारे मे सोचती है जब मेहेक अविनाश के गोद मे सोयी थी और उससे हंसी मजाक कर रही थी ।

इधर अविनाश लाहोर पहूँच जाता है । और एक से पूछता है ।

अविनाश :- भाईजान, वो आज मेहेक को फांसी कहां पर दी जा रही है ।

आदमी :- मैं भी वही जा रहा हूँ । बस सामने है चलिए मैं लिए चलता हूँ । 

वो आदमी गाड़ी पर बैठ जाता है और कहता है ।

आदमी :- उस गद्दार के साथ यही होना चाहिए । बताईए एक हिंदु का साथ दे रही है । वो भी हिंदुस्तान की ।

इधर मेहेक के चेहरे पर काला कपड़ा पहना दिया जाता है । और मेहेक के गले मे फांसी का फंदा लगा देता है । जल्लाद जहिर की और दैखता है । जहिर जैसे ही इशारा करने वाला होता है के तभी वहां पर फारुकी, गुलाम और ताहिर पहूँच जाता है ।

फारुकी :- ठहरो ।

फारुकी की आवाज सुनकर जल्लाद रुक जाता है । फारुकी को दैखकर जहिर और बाकी सब हैरान हो जाता है । फारुकी मेहेक के पास जाता है और उसके गले से फंदा को हटा देता है । मेहेक के चेहरे से कपड़े कपड़े को हटाया जाता है । मेहेक फारुकी , गुलाम और ताहिर को दैखकर हैरान हो जाती है । 

मेहेक :- पि एम सर , गुलाम चाचा । आप सब यहां ।

गुलाम :- अल्लाह का सुक्र है के हम वक्त पर पहूँच गए । 

जहिर :- जनाब । आप यहां पर ?

फारुकी :- मुझे मालुम पड़ा के आप एक मासुम , बेगुनाह को फांसी दे रहे हो । इसिलिए मुझे आना पड़ा ।

जहिर :- जनाब ये कोई मासुम नही है । ये गद्दार है । इसने हिंदुस्तानी जासुस से मिलकर हमारे केद से एक मुजरिम को छुड़ाया है । जिसने उस्मान और हैदर अली को ।

फारुकी :- मुझे सब कुछ मालुम है जहिर । के किसने उस्मान को मारा था और कौन उसका साथ दिया था ।

फारुकी मेहेक को वहां से निचे उतारता है । और फिर उस्मान वहां पर आता है । उस्मान को दैखकर जहिर डर जाता है । जहिर समझ जाता है के अब उसका सच फारुकी को पता चल गया है । जहिर वहां पर मौजूद मुजाहिदीन के आदमियों को इशारा करता है के वो पि एम को पकड़ ले और इसे मार दे । 

तभी वहां पर मौजुद मुजाहीदीन के आदमी गोलियां चलाने लगता है जिससे पि एम के साथ आए सिक्योरटी को मार देता है । पि एम पर भी गोलियां चलाता है पर वो सिपाही अपने उपर गोलि ले लेता है और पि एम को बचा लेता है । वहां पर मौजुद भीड़ भागने लगती है । जहिर पि एम के पास जाता है और कहता है ।

जहिर :- जनाब फारुकी । जब आपको सब पता चल ही गया है के इन सबके पिछे मेरा हाथ है । तो फिर क्यों ना आप सबको जन्नत की सेर करा देता हूँ ।

फारुकी :- जहिर । 

जहिर :- बस बस फारुकी साहब । आराम से । ये सब मुजाहीदीन के लोग है । ये आप सबको मार कर यहां से चला जाएगा और मैं ये स्टेटमेंट दूगां के पि एम बिना कोई इनफार्मेशन के यहां पर आ जाता है ताकी वो भी मेहेक जैसे गद्दार की फांसी को दैख सके । और पि एम के आने की खबर आंतकवादी को पता चल जाता है और वो पि एम को मार देता है । कहानी अच्छी है ना ।

जहिर अपने हाथ मे गन लेता है और फारुकी पर तान देता है । 

जहिर :- गुड बाय मि. फारुकी । 

जहिर जैसे ही गोली चलाने जाता है के तभी अविनाश अपना गाड़ी को हवा मे उड़ाकर जहिर के हाथ मे गोली मारता है जिससे जहिर के हाथ से बंदुक गिर जाता है । अविनाश उसके साथ बैठे उस आदमी को लात मारता बाहर गिरा देता है जो उसके साथ आ रहा था । 

अविनाश और गोतम गाड़ी से निकलता है और सभी मुजाहिदीन के आदमियों को मारने लगता है । ताहिर , गुलाम और फारुकी भी उन गुंडो को मारने लगता है । अविनाश मेहेक पास जाता है । और मेहेक को दैखते रहता है । अविनाश को दैखकर मेहेक खुशी से रोने लगती है । अविनाश और जहिर एक दुसरे को फाईट मे कड़ी टक्कर देने लगता है । अविनाश जहिर को घायल कर देता है तो जहिर भी अविनाश को कई जगह पर चाकु से घांव लगा देता है । तब गोतम कहता है ।

गोतम :- बेटा ये मेरे जमाने का फाईट है इसे मुझे निपटने दो ।

इतना बोलतर गोतम जहिर को बहोत मार मारता है । अविनाश और सभी वहां पर मौजूद सभी को मार देता है । और जहिर को पकड़ लेता है ।

मेहेक अविनाश के पास आती है और उसके घांव को दैखने लगती है और फिर उसे गले लगा लेती है ।

मेहेक :- मुझे लगा था के इस जनम मे मैं आपकी नही हो पाउगी ।

अविनाश :- इस जनम मे तो क्या । हर जनम मे तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी ही होगी मेहेक । मेहेक मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ ।

मेहेक :- हां कहिए ना ।

अविनाश अपने बाबा की और दैखता है । क्योकी उसे मेहेक को प्रपोज करना था और वो अपने बाबा के सामने सरमा रहा था ।

गोतम :- कोई बात नही बोल दो । मैं हूँ तो क्या हूआ । 

गुलाम :- अरे क्या गोतम भाई । आप भी ना चलिए आप सब मेरे साथ । इन्हें अकेले रहने दो ।

गोतम :- अरे पर वो बोल पाएगा तब ना । फिर से कुछ गड़बड़ी कर दी तो । और फिर घर जाकर रोने लगेगा ।

फारुकी :- इस बार जरुर बोल लेगा । 

इतना बोलकर सभी वहां से चला जाता है ।

मेहेक :- आप मेरे लिए रो रहे थे ।

अविनाश :- थोड़ा सा ।

मेहेक :- थोड़ा सा । अच्छा क्या बोलने वाले थे आप ।

अविनाश मेहेक के करीब जाता है ।

अविनाश :- मेहेक । 

मेहेक :- हम्म ।

अविनाश :- I LOVE YOU मुझसे शादी करोगी ?

अविनाश से इतना सुनने के बाद मेहेक खुशी से कहती है ।

मेहेक :- अब तो कोई मजबूरी नही है ना ।

अविनाश :- नही मेहेक । अब कुछ नही । अब मुझे सिर्फ तुम चाहिए । सिर्फ तुम । 

मेहेक अविनाश के गले लग जाती है और कहती है ।

मेहेक :- I LOVE YOU TOO. अविनाश सर ।

दुसरे दिन सुबह कोर्ट मे फेसला आता है के गोतम से पाकिस्तान की सरकार माफी मांगती है और पि एम और उस्मान के गवाही को मद्देनजर रखते हूए । गोतम , अविनाश, मेहेक को बाईज्जत बरी करती है और जहिर को आंतक वाद को बढ़ावा देने और दोनो मुल्को के खिलाफ शाजिस करने के जुल्म मे उसे फांसी की सजा दी जाती है । मेहेक अविनाश के गले लगती है ।


THE END  .

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