वह नदी के किनारे अकेली बैठी थी। वह किसी विचार में खोई हुई थी। उसके सामने साबरमती का पानी तेज़ी से बह रहा था। अभी-अभी ज़ोरदार बारिश हुई थी और ऊपरी इलाकों से निकला पानी बह रहा था। वह ठंडी लहरों का आनंद ले रही थी।
किसी के कदमों की आहट पास आई। "क्या मैं यहाँ बैठ जाऊँ?" यह एक सामान्य अनुरोध था, एक पुरुष की आवाज़।
उसने मुस्कुराते हुए ऊपर देखा। उसने अपनी नज़रें एकाग्र करने की कोशिश की। उसकी ही उम्र का एक युवक। धुंधली दृष्टि से उसे एक जींस और एक पीली टी-शर्ट दिखाई दी। उस पर स्माइली जैसा कुछ बना हुआ था, लेकिन वह उस पर लिखा हुआ नहीं पढ़ पा रही थी।
क्या कहूँ? उसे बैठने दूँ या नहीं? उसने सोचा।
"क्यों? इतना बड़ा किनारा है। यहाँ क्यों?" उसने कहा।
"ठीक है, अगर तुम्हें पसंद नहीं है, तो मैं चला जाता हूँ। पास में ही गीली, कीचड़ भरी जगह है। यहाँ ज़्यादा साफ़ लगता है।" उस पुरुष की आवाज़ आई।
"नहीं, बैठ जाओ। इसमें क्या ग़लत है? कभी-कभी लड़के लड़कियों के पास आकर उनका ग़लत फ़ायदा उठाते हैं।" उसने कहा।
वह बैठ गया। थोड़ा दूर। उसके हाथ में एक फुलस्केप नोटबुक थी। उसमें दो-चार किताबें थीं। उसने अपना मोबाइल निकाला और कोई रील देखने लगा।
लड़कीने उसे देखा और कान भी खड़े कर लिए। उसका पसंदीदा गाना था।
"... गाना है? बढ़िया। जारी रखो," उसने थोड़ा पास आते हुए कहा।
लड़के ने मोबाइल की आवाज़ पहले से ही तेज़ कर दी। उसे और नहीं बढ़ाया जा सकता था।
उसने लड़की की तरफ़ देखा। सुबह का सूरज उसके गोरे गालों पर पड़ रहा था। उसके गाल चमक रहे थे। उसका पतला चेहरा गोल था और उसका चेहरा खुशी से भरा था और उसके गुलाबी गाल चमक रहे थे। उसने लड़की की तरफ़ देखा। लड़की का ध्यान अब चल रही नई रील पर था। कुछ कॉमेडी चल रही थी। वह हँस पड़ी। हँसते वह और खूबसूरत लगती थी। उसकी आंखें क्यों स्थिर थी? लड़कने सोचा।
"लो, अगर तुम्हें पसंद आए तो देखो।" लड़के ने कहा और उसे मोबाइल थमा दिया। उसने शांति से रील देखी, शुक्रिया कहा और लड़के को उसका मोबाइल दे दिया। बातचीत के दौरान उनकी उंगलियाँ एक-दूसरे को छू गईं। लड़के ने मोबाइल से उसकी हथेली को हल्के से छुआ। सोलह से बीस साल की लड़कियों की हथेलियाँ या पंजे बहुत स्निग्ध होते हैं। विजातीय स्पर्श होते दोनोको कुछ अजीब सा होता है। एक-दूसरे में से गुज़रती हुई एक तेज़ विद्युत धारा जैसा लगता है।
" तुम यहाँ अकेली क्यों हो?" युवक ने पूछा।
"मेरी संगीत की कक्षाएँ सामने लाल दरवाज़े के पास चल रही हैं। आज बारिश की वजह से बंद थीं। मेरे मोबाइल पर कोई मैसेज आया होगा, लेकिन मुझे देर से पता चला। फिर मैं थोड़ी देर यहाँ टहलकर आश्रम रोड से बस पकड़कर घर चली जाऊँगी।" उसने कहा।
"ओह! संगीत की कक्षा? फिर कुछ संगीतमय हो जाए। इतनी सुहानी हवा और बहती नदी के ठंडे वातावरण में।" उसने कहा।लड़कीने सुमधुर एवं धीमी आवाजमें " नदियां किनारे घिर आए अंगना.." गाया।"तो अब तुम कुछ गाओ।" उसने लड़केसे कहा। शायद वह और पास आ गई थी। पीछे से आती हवा के झोंके से, युवक उसकी मादक जवानी की खुशबू सूंघ सकता था। न परफ्यूम, न डियो, न पुराने ज़माने के फूल। उसके शरीर की खुशबू। जैसे फूल रात में अपनी मादक खुशबू बिखेरकर दूसरे पौधों को बुलाते हैं, वैसे ही इंसानों की भी एक प्राकृतिक खुशबू होती है। यहाँ दोनों पास थे और हवा लड़की की दिशा में से हल्की-हल्की बह रही थी।
"आ इन नज़ारे को तुम देखो , मैं बस तुम्हें देखते हुए देखूं " उसने शुरू किया।
"यह गाना क्यों?" उसने गंभीर होते हुए पूछा।
"यह दिल से निकला है। मैंने तुम्हें देखा..
लो, एक और गाना। मैंने तुम्हें देखा और रास्ते में रुक गया.. मैंने एक गाना गाया.." एक गुजराती गीत गाया।
लड़कीने मधुर स्वर में "गीत एक गा रहा." गीत दोहराया।
"तुम अच्छा गा सकती हो। तुम कहाँ पढ़ती हो?" युवक ने पूछा। अब दस बज रहे थे। चौकीदारों के अलावा कोई इधर-उधर नहीं जा रहा था। नदी किनारे की सीढ़ियों पर भी दो-चार प्रेमी जोड़े हाथों में हाथ डाले या बैठे हुए चल रहे थे।
लड़का हिम्मत जुटाकर लड़की के बहुत करीब आ गया। उसने धीरे से अपने कंधे उसके कंधे से छू लिए। लड़की थोड़ा हिली, लेकिन इतना नहीं कि उसके कंधे हट जाएँ।दोनों के बदन एक दूसरे को लगे हुए थे।"मैंने पास के एक कॉलेज से अर्थशास्त्र में बी.ए. किया है। मुझे या तो सब कुछ ब्रेल लिपि में पढ़ना पड़ता है या मेरी माँ उसे पढ़कर रिकॉर्ड कर लेती हैं। मेरे लिए यह मुश्किल था, लेकिन मैंने ठान लिया था। मैंने इसे प्रथम श्रेणी में पास किया। मेरी आँखें कभी भी धोखा दे सकती हैं, इसलिए मैंने इस बीच संगीत सीखना शुरू कर दिया। मैं नौकरी की तलाश में हूँ।" मैंने कुछ प्रतियोगी परीक्षाएँ भी दीं।" वह बोली।
लड़का उसके सामने बैठा था और उसे अमीदृष्टि से पी रहा था। वह अब उस लड़की के और करीब आया। दोनों की सांसे जैसे छूने लगी।
उसका ध्यान लड़की के चेहरे पर जाने लगा। सुडौल कपाल, थोड़े उभरे हुए और चमकते गाल। उसके होंठ बहुत आकर्षक थे। बहुत पतले और स्वाभाविक रूप से गुलाबी। उसकी आँखें सामान्य लग रही थीं लेकिन जैसे सीधी ही दिखती थी।
"आपने भी हाल ही में एक रील देखी है। तुमने मोबाइल पर ज़रूर कुछ पढ़ा होगा।" उसने कहा।
"मैं देख सकती हूँ, लेकिन अगर मैं किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करती हूँ, तो किरणें बिखर जाती हैं। मुझे किताबें पढ़ने में दिक्कत होती है, लेकिन मैं अपने मोबाइल या टैबलेट की रोशनी में कुछ भी पढ़ सकती हूँ। रात में, मैं एलईडी लाइट वाले बोर्ड भी पढ़ सकती हूँ। लेकिन मैं उन्हें तभी पढ़ सकती हूँ जब उनमें बड़े अक्षर हों, छोटे नहीं। मैं भी कुछ ही टीवी कार्यक्रम देखती हूँ। मेरी आंखों का रेटीना एक जगह केंद्रित ही नहीं हो पा रहा।" उसने कहा।
"मुझे तुम्हारी हिम्मत की दाद देनी होगी। तुम ऐसे अकेले चल रही हो, पढ़ाई कर रही हो.." यह कहते हुए, युवक ने अपना एक हाथ लड़की की पीठ के पीछे उसके नितंबों को छुते रखा और उसे लड़की की पीठ के पास ले गया। लड़के को उसके कपड़ों का हल्का सा स्पर्श भी अच्छा लग रहा था।
क्या उसे एहसास नहीं हुआ? कि उससे कोई पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिल रही है? युवक ने सोचा।
"मुझे क्या करना चाहिए? मुझे भगवान ने जो हालात दिए हैं, उसी में रहना है। अगर मेरे सपने भी हैं, तो शादी करना मुमकिन नहीं है, पता नहीं मेरी दुनिया कब अँधेरी हो जाए। तब तक.."लड़की के होंठ हल्के से काँपने लगे। उसकी ठुड्डी झुक गई और कम्पने लगी। उसने गहरी साँस ली और फुफकार उठी। लड़के को लगा कि वह रो रही है।
लड़के ने "नहीं , तेरी दुनिया उजाले में ही रहेगी। ईश्वर पर भरोसा रखो।" कहते उसके कोमल होंठों पर अपनी उँगली रख दी।लड़की को यह स्पर्श भाया। कोई अजीब संवेदना जगा गया।
"अगर तुमने इतनी हिम्मत से जिया है, तो आगे भी तुम एक शानदार ज़िंदगी जियोगी। सुरंग के अंत में हमेशा उजाला होता है।" यह कहते हुए, युवक ने फिर से उन होंठों पर अपनी उँगली फिराई। कितने मुलायम, गुलाबी होंठ थे मूंगे जैसे! वह कुछ सेकंड तक अपना हाथ सहलाता रहा।
लड़की ने अपने होंठों पर अलग ही कंपन महसूस किया। हल्की गुदगुदी हुई। उसे अपनी कोमल, मुलायम त्वचा पर विजातीय स्पर्श की उंगलियों का कोमल स्पर्श अच्छा लगा, इससे ऐसे कंपन पैदा हुए जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किए थे।
उसने अपने आँसू पोंछे और अपना चेहरा अपने दोनों हाथों के बीच छिपा लिया। लड़का उसके पास गया और उसकी पीठ सहलाता रहा। उसने धीरे से उसे अपने सीने से लगा लिया, उसके बालों में हाथ फेरा। उसने उसे हल्के से गले लगाया और फिर उसे दूर खींच लिया।
"तो क्या तुम्हारे कोई दोस्त हैं? क्या तुम उनके साथ बाहर जा सकती हो?" लड़के ने लड़की के गाल पर हाथ रखते हुए कहा। उसे डर था कि कहीं लड़की दूर न चली जाए, या चिढ़कर उसका अपमान न कर दे। ऐसा कुछ नहीं हुआ।
"दोस्तों... खेलते समय मुझे बहुत सावधान रहना पड़ता है। वैसे, मैंने अपने बचपन के कुछ दोस्तों से रस्सी कूदना सीखा है। अभी संगीत की क्लास में सब आते हैं और क्लास खत्म होने पर, अलविदा... मैं ये-वो करती हूँ। कोई ख़ास मित्र नहीं है। इसलिए मैं यहां अकेली बैठी थी। कौन करेगा मुझसे दोस्ती?" उसने कहा और अपने पैर हिलाने लगी। लड़का अब लड़की को बिल्कुल छू कर बैठ गया। थोड़ी देर दोनों एक दूजे के घनिष्ठ शारीरिक स्पर्श का आनंद लेते रहे।
लड़के ने लड़की के कोमल हाथों को थामा और उसके पंजों को अपनी हथेली में लेकर सहलाया। उसने कहा, "वाह, क्या तुमने अपने नाखून भी रंगे हैं? बहुत अच्छे गुलाबी हैं।"
कुछ देर तक वे ऐसे ही हाथ पकड़े बैठे रहे।
"आती रहो। है मिलते रहेंगे। मैं पास के एक मेडिकल कॉलेज में हूँ। मैं अपने किसी सर को तुम्हारी आँखें दिखा दूँगा। यकीन मानो, सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हारी काफ़ी मदद करूँगा।" लड़के ने कहा और उसे खड़ा होने में मदद करने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। लड़कीने खड़े होते लड़के का हाथ थामा।वह आँखों में आँसू लिए लड़के को देख रही थी और उसकी नज़र धुंधली पड़ रही थी।"मेरा हाथ थामे रहो। आपका कोई दोस्त नहीं था ना? तो अब मिल गया। मैं।" कहते लड़के ने लड़की को खड़ी की।
तब एक कुल्फी आइसक्रीम वाला वहाँ से गुज़रा। वह शायद नदी किनारे वाली सड़क से आ रहा होगा।
"चलो ठंडी और स्वादिष्ट कुल्फी खाते हैं। क्या तुम्हें रासबेरी पसंद है?" जवाब का इंतज़ार किए बिना, लड़के ने दो रासबेरी कैंडीज़ ले लीं। आइस्क्रीम वाला इस युवा युगल को कुछ पल उसे अजीब, मजाकिया नज़रों से देखता रहा। फिर लड़के ने कहा, "बस, मैंने कैंडी ले लीं। अब जाओ। देखो, वह चौकीदार आ रहा है, वह आपको पीटेगा।"
ठेलावाला चलने लगा। लड़के ने अपने हाथों से लड़की को कैंडी खिलाई। लड़की ने लड़के का हाथ पकड़ लिया। लड़के ने कैंडी को लड़की के होंठों से लगाया। फिर से, वह अपनी उंगली उसके गुलाबी होंठों पर फिरा रहा था, जो कैंडी को जड़ों से चूसकर और भी गुलाबी हो गए थे। लड़की ने अपनी आँखें बंद रखीं और पहले प्यार के स्पर्श का आनंद लिया। शायद कैंडी के गीलेपन से उसने लड़के की उंगली चूम ली।
बिना इधर-उधर देखे, लड़के ने उसके गुलाबी होंठों का गीलापन चूसते हुए अपनी हथेली में लड़की का चेहरा लेकर उसके होठों को चूम लिया। अब दोनों की जीभें आपस में खेल रही थीं।
मन ही मन दोहराते हुए, "भीगे होंठ तेरे .. प्यासा दिल मेरा...", मन में गाते उसने अपना दूसरा हाथ लड़की की कमर पर रखा और उसे अपनी ओर खींच ली और...
नदी किनारे समय थम सा गया था।