अध्याय 1 : सपनों का युद्ध
आर्यन एक आम-सा लड़का था। शहर के एक साधारण कॉलेज में पढ़ता था, दोस्तों के साथ मज़ाक करता, बाइक चलाता और लाइब्रेरी से कॉमिक्स उठाकर पढ़ता। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ उतना ही सामान्य था जितना किसी भी नौजवान की होती है। मगर उसकी रातें सामान्य नहीं थीं।
हर रात, नींद के गहरे अंधेरे में, वह एक ऐसे मैदान में पहुँच जाता था जहाँ चारों ओर धूल उड़ रही होती। हवा में खून की गंध, ज़मीन पर बिखरी लाशें और दूर से आती शंखनाद की आवाज़। आर्यन देखता—लाखों योद्धा धनुष-बाण, तलवार और गदा लेकर भिड़े हुए हैं। आसमान गरज रहा है और धरती कांप रही है। बीच में, कोई आवाज़ उसे पुकारती—
“आर्यन… उठो! युद्ध शुरू हो चुका है।”
वह अचानक नींद से जाग जाता, पसीने से तर-बतर। शुरुआत में उसने सोचा यह सामान्य सपना होगा, शायद फिल्मों और किताबों का असर। लेकिन जब वही सपना बार-बार आने लगा, तो उसे बेचैनी घेरने लगी।
एक सुबह कॉलेज जाने से पहले, आईने के सामने खड़े होकर उसने अपने दाहिने हाथ की कलाई पर ध्यान दिया। वहाँ हल्का-सा चमकता हुआ एक निशान उभर आया था। यह साधारण तिल नहीं था। यह बिल्कुल धनुष जैसा प्रतीक था—जैसे किसी ने उसकी त्वचा पर आग से अंकित कर दिया हो। वह घबरा गया। दोस्तों को दिखाया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। सबने मज़ाक उड़ाया—“भाई, तू ज़्यादा मूवीज़ देखता है।”
दिन गुज़रते गए, पर सपने और गहरे होते गए। इस बार उसने खुद को युद्धभूमि में धनुष थामे खड़ा देखा। उसके पीछे एक विशाल रथ था, और उस रथ पर एक बूढ़ा सारथी, जिसकी आँखों में अजीब चमक थी। आर्यन ने महसूस किया कि उसके हाथ में जो धनुष है, वह कोई साधारण धनुष नहीं, बल्कि गांडीव है—वही दिव्यास्त्र जिससे अर्जुन ने महाभारत में युद्ध लड़ा था।
सपना यहीं खत्म हो जाता। वह हाँफता हुआ जागता और घड़ी की ओर देखता—रात के ठीक तीन बजे।
एक दिन कॉलेज से लौटते समय, वह सुनसान सड़क से होकर जा रहा था। शाम का धुंधलका, चारों ओर सन्नाटा। अचानक उसे लगा कि कोई पीछे-पीछे चल रहा है। उसने मुड़कर देखा, पर कोई नहीं था। तभी उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और वह गिर पड़ा।
जब उसने आँखें खोलीं, तो सामने एक बूढ़ा साधु खड़ा था। लंबी दाढ़ी, सफेद वस्त्र और हाथ में त्रिशूल। उसकी आँखें चमक रही थीं जैसे आग की लौ। साधु ने गंभीर स्वर में कहा—
"अब समय आ गया है, आर्यन। तुम अर्जुन के वंशज हो। तुम्हारे हाथ पर जो निशान है, वह कोई संयोग नहीं—यह गांडीव का प्रतीक है। कलियुग का नया महाभारत आने वाला है। और तुम्हें तय करना होगा—क्या तुम युद्ध करोगे या इस दुनिया को विनाश की ओर जाने दोगे?"
आर्यन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने घबराकर पूछा—
"लेकिन… मैं? मैं तो एक साधारण लड़का हूँ। यह सब कैसे संभव है?"
साधु बस मुस्कराया और बोला—
"सवाल यह नहीं कि तुम कौन हो, सवाल यह है कि क्या तुम सच का सामना कर पाओगे।"
आर्यन के मन में हज़ारों सवाल उमड़ रहे थे। अगर यह सच है, तो आगे क्या होगा? अगर वह अर्जुन का वंशज है, तो क्या कलियुग में फिर से कुरुक्षेत्र जैसा युद्ध होने वाला है?
उसके कानों में फिर वही आवाज़ गूँजने लगी—
"उठो आर्यन… युद्ध शुरू होने वाला है।"
क्या वाकई आर्यन अर्जुन का वंशज है, या यह किसी बूढ़े साधु की बनाई कहानी है? और अगर सच है, तो उसे किस महायुद्ध में झोंकने की तैयारी की जा रही है?