Satrah Baras ki Tanha Kahaani - 1 in Hindi Travel stories by Dead Girl books and stories PDF | सत्रह बरस की तन्हा कहानी - 1

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सत्रह बरस की तन्हा कहानी - 1

(बचपन की तन्हाई)

मैं आज आप सब के सामने अपनी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूं जो भी गलती हो माफ कीजिएगा ।

मेरा जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था कुछ कारणो और मजबूरी के कारण मुझे मेरी नानी मां ने मम्मा से बोल कर ले लिया और मेरी परवरिश  उन्होंने और मेरे मामा जी ने कि थी उन्होंने मुझे एक नया जीवन दिया था और मेरी छोटी मामी ने  बहुत प्यार दिया और खुश रखा।

फिर मै धीरे धीरे बड़ी होने लगी और फिर मुझे बोझ समझा गया ।जब नानी नहीं होती तो मुझे थोड़ा बहुत अकेला महसूस होता था।

अब मै ६ क्लास में आ गई सपने देखने लगी मुझे नहीं पता था कि मुझे इतनी छोटी सी उम्र में मुझे इतना बड़ा दर्द मिलने वाला है मुझे मेरी नानी मां से दूर कर दिया जायेगा और मुझे घर से निकाल दिया जायेगा।

मुझे मेरी नानी की फैमिली मेरी जान से प्यारी नानी से अलग कर दिया मैं उनसे और ओ मुझसे बहुत प्यार करते थे ओ मेरे और मै उनके बिना नहीं रह पाते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मजबूर था मुझे अपनी नानी से दूर होना ही पड़ा ।

जब मै अपनी नानी से दूर हुई तो मेरी फैमिली के हालात और भी खराब हो चुके थे मेरी मां खेतों में और सिलाई करके मेरी छोटी बहन और अपना ख्याल रखती थी मेरी छोटी बहन को पढ़ती थी।

मेरी मां की उम्र एंजॉय करने वाली थी लेकिन मेरे पापा को हमारी और मां की फिलिंग को समझ कर भी नहीं समझना चाहते थे।

फिर मुझे मेरी मौसी जी ने ले लिया और मुझे पढ़ाया लेकिन ओ कहते है न koi कितना भी कर ले लेकिन मां जैसा प्यार नहीं दे सकता है लेकिन उन्होंने मुझे जो दिया जितना दिया मेरे लिए बहुत है मै उनका अहसान कभी भी नहीं चुका पाऊंगी।

फिर मै धीरे धीरे बड़ी होने लगी और मुझे अपनी मां की कमी महसूस होने लगी और तब मै अपनी फिलिंग को किसी से भी शेयर नहीं कर पाती थी ।

मै चुप रहने लगी थी मुझे बहुत ज्यादा बुरा और अकेला महसूस होता है मै हमेशा खुद से सवाल करती हूं कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा हैं क्या मुझे हक नहीं है अपनी मां के साथ रहने का जिंदगी जिंदगी जीने का ऐसे बहुत से सवाल मेरे मन में आते थे ।

मैं अपनी मां और बहन से बहुत प्यार करती हु उन्हें एक अच्छी और खूबसूरत जिंदगी देना चाहती हूं  मेरी बहन अभी क्लास ११ में हैं और मैं ग्रेजुएशन कर रही हूं अब मै १७ की हो गई हूं मैने एक सपना देखा कि मैं आईएस ऑफिसर बनूंगी और और अपनी मां ज़िंदगी खूबसूरत बनाऊंगी और हमारे जैसे लोगो की मदद करूंगी खुदा करे मेरा ये सपना पूरा हो और मै अपने मां को खुश कर पाऊं और देश के लिए कुछ कर पाऊं।“आज भी मैं अपनी फैमिली के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूँ, ताकि उनका संघर्ष रंग लाए।”

“आज भी मैं अपनी फैमिली के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूँ, ताकि उनका संघर्ष रंग लाए।

यह कहानी खत्म नहीं हुई है, बल्कि नए सपनों और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रही है।”


अगर आप सब को मेरी कहानी पसंद आती है तो प्लीज आप सब मुझे सपोर्ट कीजिए । 

आगे की कहानी मै दूसरे पार्ट बताऊंगी ।

       धन्यवाद