मुलाक़ात की पहली दस्तक
दिल्ली का पुराना स्टेशन… शाम का वक्त था। प्लेटफ़ॉर्म पर भागती-दौड़ती ज़िंदगी का शोर, चाय वालों की आवाज़ें, कुलियों की पुकार और अनगिनत चेहरों का आना-जाना। इन्हीं भीड़-भाड़ वाले लम्हों में किस्मत ने दो अजनबी दिलों को मिलाने की तैयारी कर ली थी।
रितिका—एक हसीन, नाजुक, और बेहद ख़ूबसूरत लड़की। बड़े-बड़े काले बाल, चेहरे पर हल्की सी मुस्कान, और आँखों में बेशुमार बातें। वह अपने कॉलेज से घर जा रही थी। स्टेशन पर खड़ी थी, हाथ में किताब और कानों में इयरफ़ोन।
उधर से आया अर्जुन—एक साधारण लेकिन दिल से सच्चा लड़का। नीली शर्ट, बैग कंधे पर टंगा हुआ और हाथ में टिकट। ज़िंदगी का सफ़र उसके लिए अब तक अकेला रहा था, लेकिन उस दिन प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा होते ही उसे लगा जैसे कुछ बदलने वाला है।
ट्रेन आने में अभी 20 मिनट बाकी थे। अर्जुन ने एक कोने में खड़े होकर बोतल से पानी पिया और भीड़ का मंजर देखने लगा। तभी उसकी नज़र अचानक रितिका पर जा टिकी। वो लड़की किताब पढ़ते-पढ़ते बार-बार बालों की लट चेहरे से हटाती, कभी मुस्कुराती और कभी सोच में खो जाती।
अर्जुन को जाने क्यों ऐसा लगा कि दुनिया थम गई हो।
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पहली नज़र का असर
अर्जुन सोच ही रहा था कि क्या उससे बात करे या नहीं, तभी प्लेटफ़ॉर्म पर हलचल बढ़ गई। एक छोटा बच्चा भीड़ में अपनी माँ से बिछड़ गया और रोते हुए इधर-उधर भागने लगा। बच्चा सीधे पटरी के पास तक पहुँच गया। लोग सिर्फ देख रहे थे, मगर कोई आगे नहीं बढ़ रहा था।
रितिका ने झट से अपना बैग रखकर बच्चे की तरफ़ दौड़ लगा दी। उसके ठीक पीछे अर्जुन भी दौड़ा। दोनों ने मिलकर बच्चे को गिरने से पहले ही पकड़ लिया।
“थैंक्यू भैया, थैंक्यू दीदी…” बच्चे की माँ ने रोते हुए कहा और अपने बच्चे को सीने से लगा लिया।
रितिका और अर्जुन दोनों ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा। पहली बार उनकी आँखें मिलीं। उस पल में कुछ था… जैसे दोनों की रूहें हल्के से एक-दूसरे को छू गई हों।
रितिका ने हल्की मुस्कान दी और कहा—
“आपने भी बच्चे को बचाने में मदद की… शुक्रिया।”
अर्जुन मुस्कुराते हुए बोला—
“अगर आप दौड़ी नहीं होतीं तो शायद मैं भी हिम्मत नहीं करता।”
दोनों हँस पड़े। और वहीं से उनकी पहली बातचीत की शुरुआत हुई।
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सफ़र साथ-साथ
ट्रेन आई, और दोनों का डिब्बा एक ही था। किस्मत ने जैसे खेल खेला था। खिड़की वाली सीट पर रितिका बैठी और ठीक उसके सामने वाली सीट पर अर्जुन।
ट्रेन चल पड़ी। हवा बालों को छेड़ रही थी। रितिका किताब पढ़ने लगी, लेकिन अर्जुन की नज़रें बार-बार उस पर चली जातीं।
कुछ देर बाद रितिका ने मुस्कुराते हुए पूछा—
“कितनी देर तक ऐसे देखते रहोगे?”
अर्जुन घबरा गया—
“न-नहीं, मैं… मैं तो बस खिड़की के बाहर देख रहा था।”
रितिका हँस दी।
“वैसे आप अजनबी लगते हो, लेकिन बुरे नहीं।”
धीरे-धीरे बातचीत शुरू हुई। कॉलेज, सपने, शौक़, परिवार… बातें करते-करते सफ़र आसान हो गया। अर्जुन ने बताया कि वह जॉब की तैयारी कर रहा है। रितिका ने बताया कि उसे पेंटिंग और म्यूज़िक का शौक़ है।
ट्रेन के सफ़र ने दोनों को एक-दूसरे के इतना क़रीब कर दिया कि जैसे सालों से जानते हों।
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दिल की दस्तक
दिन बीतते गए। दोनों का मिलना-जुलना शुरू हो गया। कभी लाइब्रेरी में, कभी पार्क में, कभी स्टेशन पर ही चाय पीते-पीते।
रितिका को अर्जुन की सादगी बहुत भाने लगी। और अर्जुन को रितिका की मुस्कान दिल में उतरने लगी।
एक दिन अर्जुन ने हिम्मत जुटाई।
“रितिका, क्या मैं सच कहूँ? जब से तुमसे मिला हूँ, मुझे लगता है ज़िंदगी का मतलब मिल गया है।”
रितिका थोड़ी शरमाई—
“अर्जुन… तुम बहुत अच्छे हो। और… मुझे भी अब अकेलापन नहीं लगता।”
वो लम्हा दोनों की मोहब्बत की शुरुआत थी।
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मुश्किलें और मोहब्बत
हर प्यार की कहानी में इम्तिहान आते हैं। रितिका के घरवालों को अर्जुन का साधारण होना पसंद नहीं आया। वो अपनी बेटी की शादी एक बड़े बिज़नेस फैमिली में करना चाहते थे।
रितिका रो पड़ी—
“अर्जुन, शायद हमें साथ रहना मुश्किल हो जाएगा…”
अर्जुन ने उसका हाथ थामा—
“मोहब्बत अगर सच्ची हो तो कोई ताक़त हमें अलग नहीं कर सकती। मैं अपने दम पर तुम्हें साबित करूँगा कि मैं काबिल हूँ।”
अर्जुन ने जी-जान लगाकर मेहनत की। दिन-रात पढ़ाई, इंटरव्यू, और संघर्ष। आखिरकार उसे एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई।
जब उसने जॉइनिंग लेटर रितिका को दिखाया, तो उसकी आँखें ख़ुशी से भर आईं।
“मैंने कहा था न, हमारा प्यार आसान नहीं होगा… लेकिन जीतेंगे ज़रूर।”
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हैप्पी एंडिंग
रितिका के घरवाले धीरे-धीरे मान गए। उन्हें अर्जुन की मेहनत और सच्चाई ने जीता। शादी का दिन आया। स्टेशन से शुरू हुई मुलाक़ात अब हमेशा के लिए साथ निभाने के वादे में बदल गई।
वो दोनों सात फेरे ले रहे थे और उनकी आँखों में वही पहली मुलाक़ात ताज़ा थी—भीड़ भरे स्टेशन की, एक खोए हुए बच्चे की, और दो अजनबियों की जो अब हमसफ़र बन चुके थे।
रितिका ने कान में फुसफुसाया—
“याद है अर्जुन, तुमने कहा था हमारी कहानी आसान नहीं होगी?”
अर्जुन मुस्कुराया—
“हाँ, लेकिन अब देखो… हमारी मोहब्बत जीत गई।”
दोनों मुस्कुराए, और उनकी ज़िंदगी का नया सफ़र शुरू हुआ—साथ-साथ, हमेशा के लिए। ❤️✨
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🌹 The End – हसीन लड़की और अंजान लड़का 🌹