Anath ka Dil - 4 in Hindi Love Stories by H.k Bhardwaj books and stories PDF | अनाथ का दिल - एक प्रेंम कहानी - भाग 4

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अनाथ का दिल - एक प्रेंम कहानी - भाग 4

           🥀अनाथ का दिल🥀अध्याय 1      

                प्रेम का जन्म (भाग 04) 

           दोस्ती की शुरुआत, पहली समझ

                                        Written by H K Joshi ___________________________________________________________________________________________सांस्कृतिक संध्या के अगले दिन, दिल्ली का वातावरण हल्का धुंधलका था।

                   कॉलेज के गेट पर हरी-भरी घास पर धूप की सुनहरी किरणें बिखरी हुई थीं। छात्र-छात्राएँ अपने-अपने दोस्तों के साथ प्रांगण में घूम रहे थे।वादल भी थोड़ी देर पहले कॉलेज पहुँचा था। आज उसके लिए नया दिन था—सिर्फ़ एक नई प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक नए रिश्ते की शुरुआत। उसकी आँखें स्वतः ही मंच की ओर गईं, और मन में हल्की मुस्कान थी।(पहली बातचीत) वर्षा प्रांगण में अकेली नहीं थी; वह कुछ सहेलियों के साथ घूम रही थी। पर जैसे ही उसने वादल को देखा, उसका ध्यान स्वतः उसके ऊपर चला गया।“अरे, तुम वादल हो न ? कल की प्रस्तुति शानदार थी।” वर्षा ने मुस्कराते हुए कहा।वादल हल्का हँसा। “धन्यवाद वर्षा जी, तुम्हें देखकर अच्छा लगा। कल की शाम… कुछ अलग थी।”वर्षा ने सिर हिलाया। “हाँ, कुछ खास, तुम्हारी कविताओं में जो भावना थी, वह… सीधे दिल को छू गई।”वादल की आँखों में चमक बढ़ गई। उसे लगा कि शब्दों की तुलना में, आँखों का यह संवाद कहीं अधिक महत्वपूर्ण था।(कला और संवेदनशीलता) “तुम कविताओं के अलावा और क्या करते हो ? ” वर्षा ने उत्सुकता से पूछा।वादल ने हल्की हँसी के साथ कहा —“मैं गाना भी गाता हूँ और कभी-कभी पेंटिंग करता हूँ। मेरे लिए कला सिर्फ़ अभिव्यक्ति का माध्यम है।”वर्षा की आँखें चमक गईं। “वास्तव में… यह बहुत खास है। क्या तुम कभी मुझे अपने कुछ काम दिखाओगे?”वादल ने सिर झुकाया, और बोला। “जरूर....अगर समय मिला तो।”मन ही मन उसने सोचा —“यह लड़की सचमुच संवेदनशील है। इसे समझना आसान नहीं, पर इसके दिल की गहराई महसूस होती है।”वर्षा भी मन ही मन हँस रही थी।“कितना सादगीपूर्ण और आत्मविश्वासी लड़का है। किसी तरह उसकी दुनिया से जुड़ना चाहती हूँ।”(परिवार की जिज्ञासा) दूसरे दिन, वर्षा के पिता ने अपनी बेटी से पूछा —“वर्षा, यह लड़का तुम्हारे लिए अच्छा प्रतीत होता है?”वर्षा ने हल्के-से सिर हिलाया। “हाँ पिताजी, पर मैं और कुछ नहीं कह सकती।”माँ ने भी मुस्कुराते हुए कहा —“देखना पड़ेगा कि यह दोस्ती किस दिशा में बढ़ती है। समय सब स्पष्ट कर देगा।”वादल की सरलता और सहज व्यवहार ने पहले ही दिन ही परिवार पर हल्का-सा प्रभाव डाला था। (गरज की योजना) गरज, जो पिछले दिन से जलन में था, आज भी प्रांगण के पास से वादल और वर्षा को देख रहा था। उसने मन ही मन योजना बनाना शुरू कर दिया।“यदि यह लड़का वर्षा के दिल में जगह बना रहा है, तो मैं भीअब कुछ न कुछ जरूर करूँगा। यह लड़ाई अभी शुरू भी नहीं हुई उसने अपनी आँखों में हल्की चमक और होंठों पर कड़ी मुस्कान रखी। (मित्रता का गहरा होना) कुछ दिनों में, वादल और वर्षा के बीच बातचीत और मुलाकातें बढ़ने लगीं।वादल अपने गाने और कविताओं से वर्षा के दिल को छूता।वर्षा अपने अनुभव और संवेदनशीलता के साथ वादल को समझने लगी।दोनों ने अपने छोटे-छोटे रहस्य साझा करना शुरू किए ।— बचपन की यादें, पसंद-नापसंद, जीवन के छोटे-छोटे संघर्ष।दोनों की मित्रता धीरे-धीरे गहरी दोस्ती में बदल रही थी। क्लिफ़-हैंगरलेकिन प्रश्न अब भी हवा में लटका हुआ था  कि ?—01क्या यह मित्रता आगे जाकर प्रेम में बदल पाएगी?02गरज की जलन और चालें कब सामने आएँगी?03वादल की अनाथ पृष्ठभूमि समाज और परिवार के लिए कभी चुनौती बनेगी या नहीं? अगले भाग की झलक:-            (भाग 05)वादल और वर्षा की मित्रता का गहरा होनापहली छोटी गलतफहमी या सामाजिक बाधा का संकेतगरज की सक्रिय भूमिका में प्रवेशवादल की कला के माध्यम से वर्षा के दिल में पहली स्थायी छाप। मित्रों ,  क्या मैं भाग 05 लिखना शुरू करूँ, जिसमें सामाजिक विरोध और परिवार/समाज की चुनौतियों की पहली झलक दिखाई दे, ।            H K Joshi