कहानी: "सच्चाई कबूल करने की हिम्मत"
(सच्ची घटना: गांधी जी के बचपन की)
जब मोहनदास गांधी (बचपन में गांधी जी का नाम) छोटे थे, तो वे बहुत सीधे-सादे और विनम्र स्वभाव के थे। एक बार उन्होंने अपने पिताजी की जेब से थोड़े पैसे चुराकर मिठाई खा ली।
(रात में गांधी जी बेचैन थे)
उनका मन बहुत परेशान था। उन्होंने एक चिट्ठी लिखी और अपने पिता को दे दी।
चिट्ठी में लिखा था:
"पिताजी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैंने आपकी जेब से पैसे निकाले और मिठाई खाई। मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।"
जब उनके पिता ने चिट्ठी पढ़ी, तो उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने मोहनदास को पास बुलाया।
पिताजी (रोते हुए): बेटा, तूने अपनी गलती मानकर जो हिम्मत दिखाई है, वो बहुत बड़ी बात है। मैं तुझसे नाराज़ नहीं हूँ, बल्कि गर्व है कि तू इतना ईमानदार है।
गांधी जी कहते हैं कि वही दिन था जब उन्होंने सच बोलने और विनम्र बनने की कसम खाई।
एक किस्सा ओर है....
बचपन में गांधी जी से उनके शिक्षक ने एक सवाल पूछा।
गांधी जी को उस सवाल का जवाब ठीक से नहीं आता था। उनके बगल में बैठे दोस्त ने उन्हें जवाब बताना चाहा, ताकि वे नकल कर लें।
लेकिन गांधी जी ने नकल नहीं की और खाली जगह छोड़ दी।
परीक्षा के बाद शिक्षक ने कहा – “गांधी, तुम चाहो तो सही उत्तर लिख सकते थे, तुम्हारे दोस्त ने मदद भी की थी।”
गांधी जी ने मुस्कुराकर कहा –
“सर, मैं झूठ या धोखा नहीं करना चाहता। अगर मैं गलती करूँगा तो भी सच के साथ करूँगा।”
यह सुनकर शिक्षक बहुत खुश हुए और बोले –
“तुम्हारा यही सच तुम्हें जीवन में महान बनाएगा।”
गांधी जी कहते थे कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।
सच बोलने से हमारा मन साफ रहता है और लोग हम पर भरोसा करते हैं।
अगर हम गलती भी करें तो सच बताने से वह गलती छोटी हो जाती है, लेकिन झूठ बोलने से वह गलती और बड़ी हो जाती है।
गांधी जी ने हमें यह सिखाया कि सच बोलना ही सबसे बड़ी ताकत है।
जो बच्चा हमेशा सच बोलता है, वह सबका प्रिय बनता है और जीवन में आगे बढ़ता है।
गांधी जी को आज कोन नहीं जानते, उनके आदर्श विचार हमेशा हमारे साथ रहेगें……
गांधी जी का मानना था कि जीवन का आधार सत्य है। उन्होंने कहा – “सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है।”
उनका पूरा जीवन सत्य की खोज और उसके पालन में समर्पित था। वे मानते थे कि सादगी से जीना ही असली महानता है और हर व्यक्ति को अपनी जरूरतों को सीमित रखना चाहिए।
गांधी जी का मानना था कि सत्य का मार्ग कठिन होता है, लेकिन अंत में विजय उसी की होती है जो सत्य का साथ देता है। उन्होंने अपने जीवन में हर परिस्थिति में सत्य का पालन किया।
उनका विश्वास था कि यदि मनुष्य सत्य का अनुसरण करेगा तो उसे किसी से डरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सत्य से ही व्यक्ति का चरित्र निर्मित होता है और समाज में उसका सम्मान बढ़ता है।
गांधी जी ने यह भी कहा कि सत्य केवल वचन में ही नहीं, बल्कि विचार, आचरण और व्यवहार में होना चाहिए।
उनके अनुसार सत्य को अपनाना ही वास्तविक धर्म है।
Soniya Yadav.
शिक्षा (Moral):
गलती अनजाने में हो जाती हैं, पर उसे छिपाना गलत है।
सच्चाई और विनम्रता एक बच्चे को महान बना सकती है।