Unsafe Environment in Hindi Short Stories by AKANKSHA SRIVASTAVA books and stories PDF | Unsafe Environment

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Unsafe Environment

"हाय मॉम, कैसी है आप?"

"बेटा मैं ठीक हूँ, तू ठीक है ना। "

"क्या मॉम!ऑलवेज सेम क्वेश्चन रिपीट!हद है माँ, पहले रटती थी कि खाना खाया नहीं खाया, दिन कैसा गया तेरा और अब तू ठीक है ना, तू ठीक है ना। नो मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूँ, बहुत असुरक्षित हूँ।"

"रेखा बच्चे नाराज नहीं होते, माँ हूँ मैं तेरी!"

"आई नो मॉम!आई लव यू, फ्री होते आपको कॉल बैक करती हूँ, इमरजेंसी मे पेशेंट कि भीड़ है।"

"ओहके बेटा, टेक केयर!"

फोन कटते रेखा ने एक लम्बी गहरी सास लीं और इमरजेंसी के बाहर, गेट से ही भीड़ का जायजा लेते हुए मन ही मन कहा, कहा से आती है इतनी बीमारी। चल बेटा रेखा जुट जा इन मरीजों के बीमारी का जायजा लेने। वो बड़बड़ाती हुई अंदर को घुस गयी।


रेखा एक युवा डॉक्टर, जो अपने शहर के प्राइवेट अस्पताल में इमरजेंसी विभाग में काम कर रही थी। उसकी मेहनत, समर्पण, और मरीजों के प्रति उसकी निस्वार्थ सेवा की वजह से उसे अस्पताल में सभी का सम्मान प्राप्त था। लेकिन उस रात, जब उसने अपनी शिफ्ट खत्म की, उसकी जिंदगी एक अनहद अनुभव में बदलने वाली थी।

हर दिन कि तरह ही रेखा अपनी ड्यूटी के बाद रात के समय हॉस्पिटल से सटे रास्ते से स्कूटी लें घर लौट रही थी। उसे पता नहीं क्यों आज यह रास्ता रोज के अपेक्षा खतरनाक मालूम हो रहा था, लेकिन उसने इसे पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया था। 

रात के 11:49 बजे थे और अस्पताल के कोरिडोर से बाहर निकलते ही उसे अपने स्कूटी के साइड मिरर मे कुछ छाया सा दिखा। एक पल को वो घबरा गयी। लेकिन अगले पल उसने दिमाग़ को शांत किया और सोचने लगी कि शायद यह आज के जमा भीड़ मरीज के वजह से मेरा ये हाल है। ऊपर से माँ का फोन। उन्हें तो घर चलकर अच्छे खासे लेक्चर दूंगी। हद करती है यार! 

तभी उसे अपनी साइड मिरर के कोने में किसी की छाया बराबर आती दिखाई दी।

इस बार रेखा का दिल उछल कर मुँह को आ गया था, यह उसका वहम नहीं बल्कि सच था। वह स्कूटी कि रफ्तार तेज कर जल्दी-जल्दी चलाने लगी, लेकिन छाया भी उसके पीछे-पीछे बराबर चलने लगी। 

रेखा की धड़कनें तेज़ होने लगीं।उसके माथे पर पसीनो कि बड़ी बड़ी बुँदे उभर आयी, उसका नेक बेंड और गले मे पड़ा आला पूरी तरह भींग गया। इससे पहले वो कुछ समझ पाती किसी ने पीछे से स्कूटी पर वार किया और स्कूटी डगमगा कर वहीं गिर गयी। 

तभी, अचानक, एक आदमी ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसे एक सुनसान गली कि ओर खींचने लगा। रेखा के दिमाग़ मे इस वक़्त कुछ भी नहीं आ रहा था। मानो सबकुछ ब्लैंक हों गया हों। 

अचानक,रेखा ने पूरी ताकत लगाई और चिल्लाई, "कृपया छोड़ो मुझे!" लेकिन उसके आवाज़ का कोई असर नहीं हुआ। वह व्यक्ति बहुत ताकतवर था। रेखा ने अपनी मेडिकल ट्रेनिंग की याद की और उसे याद आया कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए कैसे लड़ना चाहिए। उसने उसे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत जल्दी में था।

रेखा ने हाथ पाँव मारना शुरू किया लेकिन सब विफल था,उसके जेब मे उसका फोन था। उसने सोचा, "अगर मैं कुछ ना कर पाई तो मैं पुलिस को कॉल करूँगी।" लेकिन उस समय उसका ध्यान उस व्यक्ति पर था। जो हैवानियत से उसकी आंखों में डर और आतंक पैदा कर रहा था।

तभी, रेखा ने उसके चेहरे पर एक पहचान देखी। वह शख्स उसी अस्पताल में एक मरीज के रूप में तीन - चार रोज पहले आया था, जिसे कुछ दिनों पहले वह देख चुकी थी। उसने उसकी पहचान की और तुरंत उसे समझ में आया कि वह एक ऐसा व्यक्ति था, जो गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त था।

रेखा ने अपने आप को संभाला और हिम्मत से कहा, "देखों तुम्हें मदद की ज़रूरत है।मैं मैं मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।भगवान के लिए छोड़ो मुझें। " उसकी यह बात सुनकर वह व्यक्ति कुछ पल के लिए चौंका। वह उसकी बात सुनकर थोड़ी अस्थिर हो गया, लेकिन फिर भी उसने उसे छोड़ने से मना कर दिया।

इस बार रेखा ने अपनी आवाज़ को मजबूत करने की कोशिश की और चिल्लाई, "मेरे फोन मे सर्विलास सिस्टम लगा है, अगर मैं ज्यादा देर इस सन्नाटे मे हूँ तो पुलिस खुद ब खुद यहाँ आ ही जाएगी। "
ये सुन वो हैवानियत भरी हँसी हॅसने लगा, उसकी पकड़ रेखा के हाथ से छूट गयी। 
रेखा बिना एक पल गवाएं अपने फोन से इमरजेंसी रिंग ११२ डायल कर दी। उसके बाद वो चीखना शुरू कर दी। मैं पुलिस को कॉल कर रही हूँ। तुम्हारा खेल खत्म। " 

इधर ये सुन उस हैवानियत भरे शख्स ने रेखा के गले को कसकर नोच लिया। रेखा कि चीख गूंज गयी। 

इधर कॉल पर मौजूदा पुलिस रेखा कि लोकेशन ट्रेस करने लगी। कुछ ही घंटे के भीतर पेट्रोलियम पुलिस वहाँ मौजूद हों गयी और रेखा कि जान बचाई। 

पुलिस के आते ही वो व्यक्ति वहाँ से भागने लगा, लेकिन कुछ ही मिनटों में ही पुलिस ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया।

इधर जब रेखा थोड़ी नार्मल हुई तो पुलिस ने उसे वापिस अस्पताल पहुंचाया।उसके गले से खून रिस रहा था,वह बेह्द थकी हुई थी, लेकिन उसकी आत्मा में एक नई ऊर्जा थी। उसने महसूस किया कि हर महिला को अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए, और हर परिस्थिति में अपनी आवाज़ उठाने का साहस करना चाहिए।रेखा कि हालत देख सभी दौड़ कर उसके पास पहुँचे और तुरत उसे ट्रीटमेंट देना शुरू किया। 

उस रात, रेखा ने एक सीख सीखी कि मुश्किल समय में भी धैर्य और साहस का महत्व बहुत होता है। उसने यह भी जाना कि मदद के लिए आवाज़ उठाना कभी देर नहीं होता।यदि वो डर कर रोने लगती तो शायद वो खुद को ना बचा पाती।

यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हम किसी भी परिस्थिति में खुद को बचाने के लिए अपने ज्ञान और साहस का उपयोग कर सकते हैं। हमें कभी भी अपनी आवाज़ को दबाना नहीं चाहिए और सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

महिला सुरक्षा आज एक ऐसा मुद्दा बनता जा रहा है, जिसे आज के समय में अनदेखा नहीं किया जा सकता। हमारे समाज में महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रियता से भाग ले रही हैं, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियाँ और खतरे भी मंडरा रहें हैं। इस दिशा में जागरूकता अभियान बेहद आवश्यक है, ताकि महिलाएं अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहें और सचेत रहें।

👉महिला सुरक्षा जागरूकता अभियान का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों, सुरक्षा उपायों और कानूनों के बारे में जानकारी देना है। इसके माध्यम से महिलाओं को यह समझाना जरूरी है कि:
सुरक्षा के अधिकार क्या है।उन्हें यह जानने की आवश्यकता है कि वे किसी भी स्थिति में अपनी आवाज़ कैसे उठा सकती हैं और उन्हें सहायता प्राप्त करने का कैसे अधिकार है।

👉महिलाएं अपने चारों ओर होने वाली घटनाओं के प्रति सतर्क रहें। उन्हें आत्मरक्षा तकनीकों, हेल्पलाइन नंबरों और सुरक्षित परिवहन के तरीकों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए।

👉महिला सुरक्षा जागरूकता अभियान केवल महिलाओं के लिए नहीं है, बल्कि इसमें पुरुषों और समुदाय के सभी सदस्यों की सहभागिता भी जरूरी है।पुरुषों को भी महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा का संदेश फैलाने में सहयोग देना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि महिलाओं की सुरक्षा केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज का सामूहिक कार्य है।
 स्थानीय संगठनों, स्कूलों, कॉलेजों और समाजसेवी संस्थाओं को मिलकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। कार्यशालाओं, सेमिनारों और रैलियों के माध्यम से लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करना चाहिए।

आज के डिजिटल युग में, तकनीकी समाधान भी महिला सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।जैसे रेखा ने एप्स के इस्तेमाल किये,जो महिलाओं को आपात स्थिति में मदद कर सकते हैं, जैसे कि SOS बटन, जीपीएस ट्रैकिंग आदि।सोशल मीडिया का उपयोग करके महिलाएं अपने अनुभव साझा कर सकती हैं और दूसरों को सुरक्षा के उपायों के बारे में जागरूक भी कर सकती हैं।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में सख्त कानूनों का होना और उनका प्रभावी तरीके से लागू होना आवश्यक है।सार्वजनिक स्थानों, परिवहन और कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए।
यह न केवल महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में समानता और सम्मान को भी बढ़ावा देता है। हमें मिलकर इस दिशा में प्रयास करने होंगे ताकि हर महिला सुरक्षित महसूस कर सके और अपने सपनों को साकार करने में कोई रुकावट न आए।
महिलाएं हमारे समाज की मजबूत आधारशिला हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। जागरूकता, शिक्षा और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से हम एक सुरक्षित और सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।