ज्योतिष क्या है?
ज्योतिष शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है—"ज्योति" अर्थात प्रकाश और "ईश" अर्थात ईश्वर या शासक। इसका सीधा अर्थ हुआ – प्रकाश का ईश्वर या खगोलीय ज्योतियों का विज्ञान। सामान्य भाषा में ज्योतिष वह विद्या है, जो आकाश में स्थित ग्रहों-नक्षत्रों, तारों और उनकी गति का अध्ययन करके मनुष्य के जीवन, उसके स्वभाव, भाग्य और घटनाओं की व्याख्या करती है। भारत में ज्योतिष का स्थान वेदों के साथ ही अत्यंत प्राचीन रहा है। इसे "वेद की आंख" कहा गया है, क्योंकि जैसे आंख हमें प्रकाश देती है और रास्ता दिखाती है, वैसे ही ज्योतिष मनुष्य को समय और परिस्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन करता है।
ज्योतिष की जड़ें अत्यंत प्राचीन हैं। वेदों में "ज्योतिष वेदांग" का उल्लेख मिलता है, जिसे पंचांग बनाने, यज्ञ-हवन के समय निर्धारण और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति जानने के लिए प्रयोग किया जाता था। प्राचीन ऋषियों ने आकाश का गहन अध्ययन करके यह पाया कि सूर्य, चंद्रमा और अन्य ग्रहों की चाल पृथ्वी पर ऋतु, मौसम, फसलों और मानव जीवन पर सीधा प्रभाव डालती है।
कालांतर में महर्षि पाराशर, वराहमिहिर, भास्कराचार्य और आर्यभट जैसे विद्वानों ने इसे एक वैज्ञानिक पद्धति में रूपांतरित किया। बृहत्पाराशर होरा शास्त्र और बृहत्संहिता जैसे ग्रंथ ज्योतिष के महत्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं।
ज्योतिष को मुख्यतः तीन प्रमुख शाखाओं में बांटा जाता है:
1. सिद्धांत ज्योतिष (खगोलशास्त्र)
इसमें ग्रह-नक्षत्रों की वास्तविक स्थिति, गति और गणितीय गणना की जाती है। यह शाखा खगोल विज्ञान से संबंधित है।
2. संहिता ज्योतिष
यह शाखा प्राकृतिक घटनाओं, भूकंप, वर्षा, युद्ध, राज्य परिवर्तन, कृषि और समाज पर ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन करती है।
3. होरा ज्योतिष (फलित ज्योतिष)
यह व्यक्ति विशेष की कुंडली, जन्म समय और ग्रहों की स्थिति के आधार पर उसका भाग्य, स्वभाव, विवाह, शिक्षा, व्यवसाय और भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाती है।
ज्योतिष में कुछ आधारभूत साधन और अवधारणाएँ होती हैं:
कुंडली (जन्म पत्रिका):
जन्म के समय ग्रहों की स्थिति का चित्रण। यह किसी भी व्यक्ति का जीवन-नक्शा माना जाता है।
ग्रह:
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु (छाया ग्रह)। ये व्यक्ति के जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं।
नक्षत्र और राशियाँ:
बारह राशियाँ (मेष से मीन तक) और सत्ताईस नक्षत्र मिलकर कुंडली का आधार बनाते हैं।
दशा प्रणाली:
ग्रहों की अवधि (महादशा और अंतर्दशा) व्यक्ति के जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है।
गोचर (ट्रांजिट):
वर्तमान समय में ग्रहों की चाल और उनका असर। अक्सर प्रश्न उठता है कि ज्योतिष विज्ञान है या आस्था। वास्तव में ज्योतिष दोनों का संगम है। इसमें गणितीय गणना (ग्रहों की स्थिति, गति, समय) होती है, जो विज्ञान पर आधारित है। साथ ही, यह गणना मानव जीवन पर प्रभाव की व्याख्या करती है, जो अनुभव और परंपरा पर आधारित है। प्राचीन काल में ज्योतिष के माध्यम से ही कैलेंडर, पंचांग और मौसम का अनुमान लगाया जाता था। यह किसानों, समाज और यज्ञों के लिए आवश्यक था।
ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य केवल भविष्य बताना नहीं है, बल्कि मार्गदर्शन करना है।
1. सही समय पर सही निर्णय लेना।
2. कठिन परिस्थितियों में धैर्य और समाधान ढूंढ़ना।
3. ग्रह दोष या प्रतिकूल दशा में उपाय सुझाना।
4. आत्मज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाना।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की प्रतिकूलता दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं:
1. मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ
2. दान-पुण्य और व्रत
3. रत्न धारण करना
4. यज्ञ और पूजा
इन उपायों का उद्देश्य मनुष्य की मानसिक शक्ति बढ़ाना और सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करना है।
आज के आधुनिक युग में ज्योतिष आज भी ज्योतिष का महत्व कम नहीं हुआ है।
विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, व्यवसाय, चुनाव और यात्रा में शुभ मुहूर्त देखने की आज भी परंपरा है। लोग जन्म कुंडली और राशि के आधार पर कैरियर, विवाह और स्वास्थ्य संबंधी मार्गदर्शन लेते हैं। ज्योतिष ने आधुनिक तकनीक का रूप भी ले लिया है—ऑनलाइन कुंडली, ऐप्स और सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं।
ज्योतिष के बारे में दो मत मिलते हैं। समर्थक मानते हैं कि यह हजारों वर्षों से परखी हुई सटीक विद्या है। आलोचक कहते हैं कि इसमें वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी है और कई ज्योतिषी लोगों की अंधविश्वासपूर्ण भावनाओं का दुरुपयोग करते हैं। सच्चाई यह है कि ज्योतिष को केवल अंधविश्वास या पूर्ण विज्ञान मानना दोनों ही अतिशयोक्ति है। यह अनुभव, गणना और विश्वास का संतुलित संगम है।
पाठकों ज्योतिष केवल भविष्यवाणी करने का साधन नहीं, बल्कि यह समय का विज्ञान और जीवन का दर्पण है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारे जीवन में कौन-सी शक्तियाँ काम कर रही हैं और उनसे सामंजस्य बनाकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। यदि इसे सही भावना, ईमानदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाया जाए, तो ज्योतिष मनुष्य के लिए मार्गदर्शक दीपक की तरह है। जैसे नाविक सागर पार करने के लिए तारों की दिशा देखता है, वैसे ही मनुष्य अपने जीवन की यात्रा में ज्योतिष को एक सहायक उपकरण के रूप में उपयोग कर सकता है।
क्रमशः-3