सपने वाली चुड़ैल 👻💔
रात का अंधेरा था, और आकाश में आधा चाँद टंगा हुआ था। रवि, जो दिल्ली में रहने वाला एक साधारण-सा लड़का था, पिछले कुछ हफ्तों से अजीब-अजीब सपनों से परेशान था। हर रात वह देखता कि कोई औरत सफेद कपड़ों में, बिखरे बालों के साथ उसके सपनों में आती है। उसका चेहरा आधा जला हुआ होता और उसकी आँखें इतनी डरावनी होतीं कि रवि नींद से पसीने में तरबतर होकर उठ बैठता।
पहले उसने इसे सामान्य बुरे सपने समझकर नज़रअंदाज़ किया। लेकिन धीरे-धीरे सपनों की ये औरत, जिसे गाँव वाले “चुड़ैल” कहते थे, उसके लिए हकीकत बनती जा रही थी।
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सपनों की शुरुआत
रवि का बचपन गाँव में बीता था, लेकिन अब वह शहर में नौकरी करता था। उसे लगता था कि शहर की भीड़-भाड़ में भूत-प्रेत जैसी चीज़ों की कोई जगह नहीं। मगर उसकी ये सोच धीरे-धीरे टूटने लगी। हर रात वही सपना… वही औरत… और वही सवाल उसके कानों में गूंजता:
“क्या तुम मुझे पहचानते हो…?”
रवि डरकर जाग जाता और सोचता — ये औरत कौन है? क्यों बार-बार मेरे सपनों में आती है?
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खौफ की दस्तक
एक रात, सपना और भी डरावना हो गया। चुड़ैल उसके कमरे में खड़ी थी। इस बार सपना इतना हकीकत-सा लग रहा था कि रवि को लगा वह सच में उसके सामने है। चुड़ैल धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ी और बोली:
“तुमसे मेरा अधूरा हिसाब है… मुझे पूरा करना होगा।”
रवि चीखते हुए उठा, लेकिन जब उसने लाइट ऑन की तो देखा कि ज़मीन पर उसके पैरों के निशान गीले पड़े थे। पसीने से नहीं… किसी और चीज़ से। जैसे गीले खून से।
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गाँव की वापसी
डरा हुआ रवि छुट्टी लेकर अपने गाँव लौट आया। सोचा कि शायद बचपन की कोई घटना या कोई अनसुलझा रहस्य ही इन सपनों की वजह है। गाँव पहुँचने पर उसने अपनी दादी से पूछा:
“दादी, क्या हमारे गाँव में कभी कोई औरत थी… जिसके बारे में लोग चुड़ैल कहते थे?”
दादी के चेहरे का रंग उड़ गया। उन्होंने धीरे से कहा:
“बेटा, ये बात क्यों पूछ रहे हो? वो औरत कोई साधारण औरत नहीं थी। उसका नाम था सविता। वो हमारे गाँव में पच्चीस साल पहले रहती थी। लोग कहते हैं कि वो जादू-टोना करती थी, पर असल में उसे गाँव वालों ने बेगुनाह होते हुए भी जला दिया था। उसकी मौत बड़ी दर्दनाक थी। जलती आग में उसने सबको श्राप दिया था कि उसका दर्द कभी ख़त्म नहीं होगा।”
रवि का दिल बैठ गया।
“दादी… उसका मुझसे क्या रिश्ता है?”
दादी की आँखों में आँसू आ गए।
“बेटा… वो तुम्हारे पापा की बचपन की दोस्त थी। उसकी मौत के बाद से ही ये श्राप हमारे खानदान पर है।”
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श्राप की पकड़
अब रवि को सब समझ आने लगा। चुड़ैल क्यों बार-बार कहती है – “क्या तुम मुझे पहचानते हो?” क्योंकि वो दरअसल उसके परिवार से बदला लेना चाहती थी।
रात को जब रवि गाँव के पुराने घर में सोया, चुड़ैल फिर से उसके सपने में आई। इस बार उसने उसे जली हुई झोपड़ी दिखाई, लोगों की भीड़, और खुद का जलता हुआ चेहरा।
वो चिल्ला रही थी:
“मैं निर्दोष थी! लेकिन मुझे जला दिया गया… तुम्हारे खानदान ने मुझे मारा!”
रवि काँप उठा। सपने में ही उसने कहा:
“अगर तुम सच में निर्दोष थी, तो मैं तुम्हारी आत्मा को शांति दिलाऊँगा।”
चुड़ैल की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसके चेहरे पर अब भी खून के धब्बे और जलने के निशान थे। उसने कहा:
“शांति तभी मिलेगी… जब तुम वही दर्द झेलोगे जो मैंने झेला था।”
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मौत का खेल
अगली सुबह रवि के शरीर पर जलने के निशान थे। जैसे किसी ने सचमुच उसे आग में झोंका हो। गाँव वाले डर गए। सबने कहा कि अब इसे कोई साधारण इंसान नहीं बचा सकता।
रवि ने पंडितों से मदद मांगी। तांत्रिक बुलाए गए। मंत्र पढ़े गए। लेकिन हर रात चुड़ैल और शक्तिशाली होती जा रही थी। उसका असर इतना बढ़ गया कि अब सिर्फ रवि ही नहीं, पूरा गाँव डर के साए में जीने लगा।
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अंतिम सामना
एक रात रवि ने तय किया कि अब डरकर भागना नहीं है। उसने वही जगह चुनी जहाँ चुड़ैल को जिंदा जलाया गया था। आधी रात को वह वहाँ पहुँचा। हाथ में दीपक और गीता की किताब थी। उसने ज़ोर से कहा:
“सविता! अगर तू निर्दोष थी, तो आज मैं तुझे मोक्ष दिलाने आया हूँ। लेकिन अगर तू सिर्फ खून की प्यासी आत्मा है, तो आ… मेरा खून ले ले!”
अचानक हवा तेज़ चलने लगी। चारों ओर से चिंगारियाँ उठीं। औरत की चीख गूँजी। चुड़ैल उसके सामने प्रकट हुई। उसका चेहरा पहले से कहीं ज्यादा डरावना था। जलते हुए मांस की गंध पूरे माहौल में फैल गई।
वो गुर्राई:
“तेरे खून से ही मेरी प्यास बुझेगी!”
रवि ने आँखें बंद कीं और मंत्र पढ़ने लगा। दीपक की लौ तेज़ हो गई। अचानक चुड़ैल चीखने लगी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, जैसे वो दर्द से आज़ाद हो रही हो। धीरे-धीरे उसका शरीर धुंध में बदल गया और गायब हो गया।
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रहस्य का अंत या शुरुआत?
रवि ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। उसे लगा कि अब सब खत्म हो गया है। लेकिन तभी हवा में किसी औरत की धीमी आवाज़ गूँजी:
“धन्यवाद… लेकिन मेरा दर्द कभी पूरी तरह खत्म नहीं होगा।”
रवि काँप उठा। समझ गया कि उसने चुड़ैल को शांति तो दी, लेकिन उसका श्राप अब भी उसकी रगों में दौड़ रहा है।
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अंतिम मोड़
शहर लौटने के बाद भी रवि हर रात डरावने सपनों से जूझता रहा। कभी उसे जलती हुई झोपड़ी दिखती, कभी चुड़ैल का अधजला चेहरा।
वो हर बार पूछती:
“क्या तुम मुझे पहचानते हो…?”
और रवि के पास अब भी कोई जवाब नहीं था।
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