Mysterious Mansion in Hindi Horror Stories by Akhil books and stories PDF | रहस्यमय हवेली

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रहस्यमय हवेली

           पहला भाग – चुनौती और डर

अमित एक साहसी युवा था। उसे भूत-प्रेतों पर विश्वास कम था, इसलिए जब भी गाँव में पुरानी हवेली को लेकर डरावनी कहानियाँ सुनता, वह हँस दिया करता। वह कहता, “ऐसी बातें झूठ होती हैं, कोई भूत-प्रेत नहीं होता।”

लेकिन इसी हवेली को लेकर लोगों में एक अजीब सी सच्चाई थी। हवेली कितनी पुरानी थी, इसकी नींव गाँव के शुरुआती दिनों की थी। इस हवेली में कभी एक अमीर परिवार रहता था, जिसे एक रहस्यमय घटना के बाद गाँव से जाना पड़ा। तब से ये हवेली वीरान थी, और शाम के बाद कोई भी उसके नज़दीक नहीं जाता।

एक दिन अमित ने ठाना कि वो पूरी रात वहां बिताएगा। उसने अपने दोस्तों को कहा, “अगर मैं वापस आ गया, तो तुम्हें दिखाऊँगा कि ये सब डरावनी बातें सिर्फ़ कहानी हैं।”

        दूसरा भाग – हवेली की पहली भेट

रात के 11 बजे के आसपास अमित हवेली के सामने पहुँचा। चाँदनी रात थी, लेकिन हवेली के ऊपर गाढ़ा अंधेरा छाया हुआ था। उसने गहरी सांस ली और अंदर कदम रखा।

अंदर घुसते ही उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ, जो उसकी रीढ़ की हड्डियों तक ठंडक पहुँचा रहा था। दरवाज़ा चरर्रा कर बंद हो गया। अमित ने टॉर्च जलाया और धीरे-धीरे कदम बढ़ाए।

भीतर का माहौल भारी था। फर्नीचर टूटा-फूटा पड़ा था, दीवारों पर जाले लटके हुए थे, और कुछ पुराने चित्र धुंधले हो चुके थे। टॉर्च की रोशनी में अमित ने देखा कि दीवार पर एक बड़ा आईना टिका था।

         तीसरा भाग – भयानक परछाई

जब अमित आईने के सामने गया और अपना चेहरा देखा, तो उसका दिल धड़कने लगा। आईने में उसका प्रतिबिंब उसके असली रूप से बिल्कुल अलग था। उसका प्रतिबिंब एक डरावनी हँसी के साथ उसे देख रहा था, जिसका चेहरा मैला और भयावह था।

अमित ने पीछे हटने को कोशिश की, लेकिन पैर जमे हुए थे। उसी समय आईने के प्रतिबिंब ने अपने हाथ उठाकर इशारा किया—“यहाँ से जाओ!”

अमित जल्दी से उस आईने से दूर भागा और सीढ़ियों की ओर बढ़ा।

         चौथा भाग – सीढ़ियों का रहस्य

ऊपर जाते हुए, उसने पैरों की आवाज़ें सुनीं, जैसे कोई पीछे-पीछे चल रहा हो। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। उसका दिल एक छलनी होने लगा, लेकिन वह क्योंकि डर के बावजूद वापस जाना नहीं चाहता था, उसने कदम बढ़ाए।

ऊपर पहली मंज़िल पर एक लंबा अंधेरे गलियारे का सामना हुआ। गलियारे के दो ओर बंद कमरे थे, जिनके दरवाजे धीरे-धीरे चरराते हुए खुले।

अमित ने महसूस किया कि हवा में कुछ फुसफुसाहटें हैं… जैसे कोई गुप्त बातें कह रहा हो।

        पाँचवाँ भाग – पकड़ और साज़िश

उसने गलियारे के अंत में एक कमरा देखा, जिसमें चमकती रोशनी थी। जैसे ही वह अंदर गया, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। कमरे में एक बूढ़ी औरत खड़ी थी, जिसकी आंखें लाल चमक रही थीं।

उसने अमित को देखते हुए मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने मेरा इंतजार बहुत लम्बा किया है।”

अमित डर के मारे कदम पीछे हटने लगा। अचानक कमरे की दीवारें घूमने लगीं, और पूरा कमरा घेर लिया।

           छठा भाग – हवेली की सच्चाई

औरत ने बताया कि वह हवेली की अंतिम मालिक की आत्मा है, जो अपने परिवार के बर्बाद होने का बदला लेना चाहती है। जो भी उस हवेली में आता है, वह उसकी आत्मा को पकड़ लेती है ताकि अपनी पीड़ा का बदला पूरा कर सके।

अमित समझ गया कि ये सिर्फ़ डरावनी कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है, और उसकी जान खतरे में है।

           अंतिम भाग – भागना या फँसना

अमित ने अपनी हिम्मत जमा की, कमरे के कोनों और दरवाज़ों को खोला, और भागने की कोशिश की। हवेली में सब कुछ उसके खिलाफ था—दरवाज़े बंद हो जाते, खिड़कियाँ गायब हो जातीं।

आखिरकार, जैसे–तैसे उसने दरवाज़ा तोड़कर बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया। पर जैसे ही वो बाहर आया, हवा में ठंडी परछाईं उसके पीछे आई और कहा—“तुम भाग सकते हो, लेकिन तुम्हारा डर हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।”