The Lesson of the Last Speed in Hindi Moral Stories by Wow Mission successful books and stories PDF | आख़िरी रफ़्तार का सबक़

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आख़िरी रफ़्तार का सबक़

अमन, 22 साल का लड़का, अपने छोटे से कस्बे का हीरो माना जाता था। कॉलेज में पढ़ता था, दोस्त उसके आसपास रहना पसंद करते थे क्योंकि उसकी पर्सनैलिटी में एक अजीब सा कॉन्फिडेंस और जोश था। लेकिन अमन की एक आदत थी जो उसे बाकियों से अलग बनाती थी—बाइक चलाने का जुनून।

अमन के पास एक स्पोर्ट्स बाइक थी। कस्बे की तंग गलियों से लेकर हाईवे तक, वो जब भी बाइक स्टार्ट करता, लोग पलटकर देखते। उसकी बाइक की आवाज़ ही जैसे उसके अहंकार और रफ़्तार का परिचय देती थी। दोस्तों ने उसका नाम रख दिया था—“स्पीड का बादशाह।”

पर घर पर हालात अलग थे।

अमन की माँ, एक साधारण गृहिणी, हमेशा उसे समझातीं—
“बेटा, बाइक धीरे चलाना। ज़िन्दगी तेज़ रफ़्तार से नहीं, अपनों के प्यार से चलती है।”

पिता, जो सरकारी नौकरी करते थे, चाहते थे कि अमन पढ़ाई में आगे बढ़े। हर रोज़ अखबार में छपती सड़क हादसों की खबरें देखकर उनका दिल कांप जाता था।
“अमन, तुम्हारे पास जो बाइक है, वो तुम्हें उड़ने का एहसास दे सकती है, पर याद रखो, पंख टूटते देर नहीं लगती।”

लेकिन अमन… उसकी दुनिया तो बाइक की स्पीड थी।


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दोस्त और मोहब्बत

अमन का सबसे करीबी दोस्त था—राहुल।
राहुल शांत स्वभाव का, लेकिन अमन को बहुत मानने वाला। अक्सर जब अमन बाइक को 100-120 की रफ़्तार पर ले जाता, राहुल पीछे बैठा घबराकर कहता,
“भाई, धीरे चला। तेरी बाइक पर बैठकर मुझे डर नहीं, मौत दिखती है।”

अमन हँसकर जवाब देता,
“अरे पगले, मौत से डरता है? मौत तो सबकी पक्की है, लेकिन जीना ऐसे चाहिए कि लोग याद रखें।”

राहुल चुप हो जाता, लेकिन उसके दिल में एक डर हमेशा बना रहता।

इसी बीच अमन की जिंदगी में आई—सिया।
कॉलिज की सबसे प्यारी और होशियार लड़की। अमन और सिया की दोस्ती जल्दी ही गहरी हो गई।
सिया अक्सर उसे कहती,
“अमन, मुझे तुम्हारी यही आदत सबसे बुरी लगती है… स्पीड। अगर तुम्हें खो दिया तो मैं शायद खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी।”

अमन हँसकर कहता,
“तुम्हें खोने से पहले मौत भी दस बार सोचेगी।”


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वो दिन… जिसने सब बदल दिया

एक शनिवार की शाम थी। कॉलेज खत्म होते ही दोस्तों का ग्रुप कैंटीन में बैठा हुआ था। बातों-बातों में एक दोस्त बोला,
“अरे यार, अमन तो वैसे भी स्पीड का बादशाह है। क्यों न आज देखते हैं, असली बादशाह कौन है? चलो रेस लगाते हैं!”

अमन की आँखों में चमक आ गई।
उसने हेलमेट उठाया, बाइक स्टार्ट की और बोला,
“आज सबको दिखा दूँगा कि रफ़्तार किसे कहते हैं।”

राहुल ने बहुत रोका—
“भाई, प्लीज़ मत कर। ये खेल नहीं है।”

पर अमन ने उसकी एक न सुनी।
सिया दूर खड़ी थी, उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था।


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रेस की शुरुआत

हाईवे पर चार-पाँच बाइकें दौड़ने लगीं। हवा अमन के चेहरे से टकरा रही थी, और उसकी बाइक 120… फिर 140… फिर 160 की रफ़्तार पकड़ रही थी।

दोस्त पीछे छूटते जा रहे थे, अमन के चेहरे पर एक अजीब-सा गर्व था।
लेकिन अचानक…

सामने से एक ट्रक आ गया।
ट्रक को ओवरटेक करने के चक्कर में अमन ने बाइक मोड़ी, पर स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि बाइक बैलेंस खो बैठी।

एक जोरदार धड़ाम हुआ।
अमन सड़क पर गिर पड़ा। हेलमेट तो था, लेकिन स्पीड इतनी थी कि उसका आधा शरीर खून से लथपथ हो गया।

दोस्त चीखते-चिल्लाते उसकी तरफ दौड़े।
राहुल ने उसके सिर को गोद में रखा और रोते हुए कहा,
“भाई… मैंने कहा था ना… ये मौत का खेल मत खेल।”

सिया भी दौड़ती हुई आई, आँसुओं में डूबी आवाज़ में बोली,
“अमन… प्लीज़ आँखें खोलो। मैं तुम्हें खो नहीं सकती।”


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अस्पताल की रात

अमन को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। हालत बेहद गंभीर थी। डॉक्टरों ने कहा,
“हम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर वो बच भी गया तो शायद ज़िन्दगी भर चल नहीं पाएगा।”

माँ का रो-रोकर बुरा हाल था।
वो बेटे का हाथ पकड़कर कह रही थीं,
“बेटा, मैंने तुझसे कभी कुछ नहीं माँगा… बस तेरी सलामती चाही थी। तूने हमारी दुआओं की भी क़द्र नहीं की।”

पिता चुपचाप बाहर बैठे आँसू पोंछते रहे।
राहुल दीवार से टिककर बार-बार वही वाक्य दोहराता—
“भाई… तू क्यों नहीं समझा…”


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ज़िन्दगी का मोड़

दो महीने अस्पताल में बिताने के बाद अमन की जान तो बच गई, लेकिन वो ज़िन्दगी भर के लिए व्हीलचेयर पर बंध गया।

अब उसके पास वो बाइक नहीं थी, वो स्पीड नहीं थी, सिर्फ़ यादें और पछतावा था।
जब भी वो आईने में खुद को देखता, उसके कानों में माँ की आवाज़ गूंजती—
“धीरे चलाना बेटा…”

सिया उसके पास आई, उसका हाथ थामा और बोली,
“मैंने तुझसे तुझी को चाहा था… बाइक या स्पीड को नहीं। अब तेरा सहारा मैं हूँ, लेकिन तू दूसरों को ये गलती दोहराने मत देना।”


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अमन का सबक

आज अमन हर गली-मोहल्ले में जाकर लड़कों को समझाता है।
“दोस्तों, स्पीड रोमांच नहीं, मौत है। बाइक तुम्हें पहुँचाने के लिए बनी है, दिखाने के लिए नहीं। जिस माँ ने तुम्हें जन्म दिया है, वो तुम्हें धीरे चलने में ज्यादा खुश होगी, तेज़ मरने में नहीं।”

उसकी कहानी सुनकर कई लड़के अपने हेलमेट कसकर पहनते हैं और एक्सेलरेटर धीमा कर देते हैं।

अमन की जिंदगी भले बदल गई, लेकिन उसने अपनी गलती को दूसरों के लिए सबक बना दिया।


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सीख

बाइक चलाओ, लेकिन समझदारी से।

हेलमेट हमेशा पहनो।

रफ़्तार कभी भी अपने अपनों से बड़ी नहीं होती।

स्पीड सिर्फ़ रेसिंग ट्रैक पर अच्छी लगती है, सड़क पर नहीं।