मौजूद थी आरोही _ और एक लाश
खिड़की से ठंडी हवा और बारिश की बूंदें,, आरोही के मुंह छू कर जा रही थी,, गुमसुम खडी आरोही,,, मन में क ई सवाल लिए चुपचाप बारिश को देखे जा रही थी,,
आरोही तुम्हें सर्दी लग जायेगी,, इस आवाज ने आरोही को अपनी ख्यालों की दुनिया से जगाया,,,
आवाज थी उसकी मां की,,, मां मैं बस बारिश देख रही थी,,,
आरोही का फोन रिंग करता है,, आरोही स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहे नंबर को देखकर चौंक जाती है,,,
फ़ोन क्यूं नहीं उठा रही हो??? मां ने पुछा....
आरोही फोन लेकर अपने कमरे में आती है,,पर तब तक फोन कट चुका था,,
आरोही हिम्मत करके फिर नंबर डायल करती है,,, पर फोन नहीं लग रहा था,,,
फ़ोन एक और रिंग करता है,, पर इस बार सिर्फ नोटिफिकेशन था,,
आरोही डरते डरते वाट्स एप खोलती है,, स्क्रीन पर आदित्य का मैसेज था,,
आदित्य:- प्लीज़ आरोही मै तुमसे मिलना चाहता हूं,, तुम्हे कुछ बताना है,,, प्लीज़ जल्दी से जान्हवी विला आ जाओ,,, मै सब कुछ ठीक कर दूंगा,,,
ये मुझसे क्यूं मिलना चाहता है, अब बचा ही क्या है हमारे रिश्ते में??? आरोही मन ही मन पुछती है,,
आरोही फोन उठाकर ,, मैसेज टाइप करती है,, मैं आ रही हूं,,, मुझे भी हर सवालों के जवाब चाहिए,,, इतना लिखकर आरोही मैसेज सेंड करती है,,,
फोन और गाड़ी की चाबी उठाकर आरोही,, गुस्से में बाहर निकलती है,,,
इतनी रात को कहां जा रही हो??? मां ने पीछे से आवाज़ लगाकर पूछा,,
मां नेहा से मिलने कुछ बहुत जरूरी काम है...
इतना कहकर वो वहां से चली गई,,
करीब रात के नौ बज रहे थे,,,
दो घंटे बाद आरोही ने अपनी गाड़ी रोकी,,, आरोही जान्हवी विला पहुंच चुकी थी,,
गेट खुला पर चारों तरफ अंधेरा फैला हुआ था,, धीरे धीरे गरज रहे थे,, बूंद बूंद बारिश और आरोही के बढ़ते हुए कदम...
कुत्तों के भौंकने की आवाज ,, जो बहुत दूर से पर स्पष्ट आ रही थी,,,
विला में चारों ओर पसरा अंधेरा,, कुछ अनहोनी का संकेत दे रहा था,,,
"ऊफ ये लाइट,, क्यूं नहीं है, यहां?? आरोही ने अपना फोन निकाला,, 11 बज कर पांच मिनट हों चुके थे,,, आरोही दरवाजे के पास पहुंचती हैं,, और डोरबेल बजाती है,,,
पर दरवाजा खुला हुआ था,, आदित्य.... आदित्य.... आरोही गुस्से में जोर जोर से आवाज़ लगाती है,,
कोई आवाज न आने पर वो ड्रॉईंगरुम पहुंचतीं है,
आदित्य सौंफे पर बैठा हुआ था,,
क्यूं बुलाया है मुझे,,, अब क्या बचा है हमारे बीच???( आरोही ने कहा)
कोई जवाब नहीं मिलने पर आरोही आदित्य के सामने जाती है,,,
आखिर प्रोब्लम क्या ..... इससे पहले कि वो कुछ कह पाती...वो बहुत जोर से चीखती है,,, आदित्य......
पूरा विला आरोही की चीख से गूंज उठा था,,,
ये क्या हो गया तुम्हें,,, ये गोली तुम्हें किसने मारी????
मै अभी एंबुलेंस को फोन करती हूं,,, तुम्हें कुछ नहीं होगा,,,
आदित्य अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था,,,वो आरोही का हाथ पकड़ कर कहता है,,
"नहीं आरू तुमने बहुत देर कर दी आने मे, पर आइ लव यू , एंड एम सॉरी"
इतना कहकर आदित्य अपना दम तोड देता है,,
एक बार फिर से विला के चारों ओर एक सन्नाटा पसरा हुआ था,, हवा में बारिश की नमी थी,, पर कमरे सिर्फ एक चीज ठंडी थी,, वो थी सौफे पर पडी आदित्य की लाश,,, अब आदित्य की आंखें कुछ नहीं कह रहीं थीं,,
जो आरोही अपने सवालों के जवाब मांगने आई थी,,, अब वो बेसुध हो चुकी थी,, बस आदित्य का हाथ थामे हुए ,, उसे एक टक देख रही थी,,,
"क्या हुआ था आदित्य के साथ??? आखिर क्यों मिलना चाहता था आदित्य आरोही से??? किसने मारा आदित्य को,,, क्या आरोही पता लगा पायेगी??
इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे...जो खोल कर रख देंग, अलग अलग जिंदगी के क ई खिनौने राज"